मा-बेटे के बीच में नाजायज़ रिश्ते की शुरुआत की

फिर मैं वापस कॉलेज चला गया. मम्मी की कॉल्स और मेसेजस पहले की तरह आते. इस बार मुझे तोड़ा गिल्ट और दर्र सा लग रहा था. वो बार-बार हमारे डॅल्लूसियी वाले इन्सिडेंट पर आ जाती. एक दिन की बात बताता हू हमारे बीच की क्या हुई.

मम्मी: इस बार ज़्यादा मज़ा आया घूमने में.

मैं: हा.

मम्मी: वो रिसेप्षनिस्ट तो हमे हज़्बेंड और वाइफ ही समझ रही थी.

मैं: हा मुझे पता है.

मम्मी: सॅकी में लगते है क्या हम हज़्बेंड वाइफ?

मैं: पता नही.

मम्मी: उस दिन रूम उसने हमारे लिए सजाया था, ये सोच के की सेक्स का मज़ा ले सके. मुझे हस्सी आती है. हमने कुछ किया भी नही.

मैं: मम्मी आप कैसी बातें कर रहे हो? मेरे से नही होती ये बातें. सेक्स वाली बातें मत किया करो मेरे से. आपको क्यूँ मज़ा आता है? क्या ये चाहती थी आप की उस दिन हम कुछ करे? आप अगले दिन भी उस रिसेप्षनिस्ट के साथ ऐसी ही बातें कर रही थी. बाइ, मुझे नही करनी ऐसी बातें.

मम्मी: गुस्सा क्यूँ होता है, नही करूँगी ऐसी बातें. चल गुस्सा ना हो, बाइ.

ऐसी बातें रुकती ही नही थी उनसे. 2 से 3 दिन बाद स्टार्ट कर ही देती थी. ऑक्टोबर मंत था. एक बार उन्होने एक अडल्ट मेसेज जोक भेजा. उसमे छूट और लंड लिखा हुआ था. मैने उनके उपर गुस्सा किया और बोला-

मैं: आज के बाद बात मत करना.

मैं उस दिन गिल्ट में था, की मैं कैसे बातें कर सकता था सेक्स वाली, छूट लंड की बातें. मैने सोचा अभी नही रोका तो ये आयेज बढ़ जाएगा, तो मैं बातें करना ही बंद कर देता हू. उनका अब कॉल आता, लेकिन मैं उठता ही नही. मेसेज का रिप्लाइ नही करता.

इस सेमेस्टर की छुट्टियों में मैं घर भी नही गया. पापा को बोल दिया प्लेसमेंट की वजह से नही आ रहा. मैं कट ऑफ हो चुका था मम्मी से. 2 महीने हो चुके थे. अब उनका कॉल और मेसेज आना बंद हो चुका था.

8त सें में भी हमारी कोई बात नही की. कभी-कभी होता मॅन बात करने का, फिर पीछे हट जाता ये सोच के की कही बात आयेज ना बढ़ जाए. मगर अब मैं उनसे नज़र मिला नही सकता था. क्या पता ग़लत मैने ही सोच लिया हो. वो बस आस आ फ्रेंड बात कर रही हो. समझ नही आ रहा था. 8त सें भी चला गया. मगर मैं अब घर नही जाना चाहता था. उनसे नज़र नही मिला सकता था.

जून के फर्स्ट वीक में हमारा कॉलेज ख़तम हुआ, और 3र्ड वीक में जाय्निंग आ गयी जॉब की पुणे में.

मैने पापा से बात: पापा मैं घर नही आ रहा. कॉलेज के बाद दोस्तों के साथ घूमने का प्लान है. उसके बाद सीधा जाय्न कर लूँगा जॉब.

सोच रहा था पिछले साल इन दीनो में मैं और मम्मी घूमने का प्लान बना रहे थे. आज हम बात भी नही कर रहे थे. वक़्त कैसे बदल जाता है. जाय्निंग के कुछ दिन बाद पापा का कॉल आता है की भैया का रिश्ता पक्का हो गया था, और जुलाइ फर्स्ट वीक में सगाई थी.

इस बार मैं कोई बहाना नही बना सकता था, और मुझे घर जाना ही पड़ना था. मैने प्लान ऐसे बनाया की मैं सगाई से एक दिन पहले ही पहुँचू ईव्निंग तक, और सगाई के अगले दिन चला जौ. जिससे मम्मी से ज़्यादा मुलाकात नही होगी. मैं उनके क्वेस्चन्स से बचना चाहता था.

मैं सगाई से पहले एक दिन पहुँचा. वो भी बिज़ी थी, और बस हाल-चाल पूछने तक की बात हुई. सभी रिस्त्ेदार भी थे तो हम प्राइवेट में बात भी नही कर सकते थे. मैं उनको पुर 1 साल बाद देख रहा था. उन्होने 2 से 3 क्ग कम किया ही होगा. वो लगभग 60 क्ग की होगी. उनकी हाइट 5 फुट 5 इंच है. अब वो और भी सेक्सी लग रही थी.

सगाई वाले दिन उन्होने सारी पहनी. ब्लाउस ओपन जैसे होते है पीछे से, वो पहना हुआ था. डॅल्लूसियी वाली बातें सोच-सोच कर उनको देख कर खड़ा हो रहा था. एक-दूं से काम-वासना जाग गयी थी. फिर मैं बातरूम गया, और मूठ मारी. पहली बार उनको सोच के मूठ मारी थी. अब मैं फिरसे गिल्ट में आ गया. मैने ज़्यादा बात नही की उनसे.

वो एक-दो बार आई मेरे पास, लेकिन मैने ज़्यादा बातों का उत्तर नही दिया. वो समझ गयी मैं बात नही करना चाहता. जैसे-तैसे वापस पुणे आया. फिर जॉब स्टार्ट हुई. उधर शादी की डटे फिक्स हो गयी भाई की. नवेंबर सेकेंड वीकेंड में थी शादी. अक्टोबर में मेरे अंदर कुछ-कुछ होने लगता है.

मेरी कोई गर्लफ्रेंड भी नही थी. मैने सोचता क्या ही दिक्कत थी, मैं बातें करता रहता, और हम वैसे कुछ ना करते. बस बातों के ही मज़े लेते रहते. डॅल्लूसियी वाली बातें मुझे भी अची लगती थी. मैं सोचने लगा की स्टार्ट कर देता हू बातें करना. फिर सोचा अब क्या पता बात ही ना करे मम्मी. फिर मैने इरादा छ्चोढ़ दिया.

भाई की शादी की डटे पास में आ चुकी थी. मेरा प्लान शादी से एक दिन पहले अर्ली मॉर्निंग पहुँचने का था, और शादी के बाद 4 दिन रुकने का. सनडे की शादी थी, और मैं सॅटर्डे को सुबा पहुँचता. फ्राइडे मॉर्निंग घर से निकल जाता, और ईव्निंग में ट्रेन से सॅटर्डे को पुणे वापस.

मैं सॅटर्डे मॉर्निंग पहुचा. मम्मी कही गयी हुई थी, तो मैं उनसे नही मिल पाया. पापा ने आते ही काम पर लगा दिया. पूरा दिन काम किया. ईव्निंग में लॅडीस संगीत था. सोचा मम्मी से वही मिलूँगा. मेरा मॅन अब उनकी तरफ भाग रहा था. जैसे ही मेरा काम ख़तम हुआ, पापा ने बोला-

पापा: जिस वेन्यू में शादी है, वाहा जाके विज़िट करो.

वाहा का एक दिन पहले किसी और की शादी थी, जिससे पता चल जाए कुछ कमी है तो हम वेन्यू वाले को बोल पाए. सारा मूड खराब हो गया. इस चक्कर में रात के 11 बाज गये. लॅडीस संगीत ख़तम हो चुका था, डॅन्स-वँसे भी ख़तम. मैं मम्मी का डॅन्स देखना चाहता था, क्यूंकी वो अछा डॅन्स करती है.

मैं पहुँचा तो मम्मी मेहंदी लगा रही थी. फिर हमारी नज़र मिली. आइसे लगा वो भी मुझे ही ढूँढ रही थी. हमने स्माइल की एक-दूसरे को. वो पाजामे वाली नाइट ड्रेस पहनी हुई थी. वो ऐसी नाइट ड्रेस कभी नही पहनती थी. शायद शादी के लिए लाई थी. वो उठी, तो मैं उनकी गांद देख रहा था. जीन्स में भी इतनी अची नही लग रही थी जितनी उसमे.

जीन्स में वो लूस नही रहती पाजामे में हल्की से लूस होती है. उनकी गांद हिल रही थी हल्की सी. उसको देख कर मेरा मॅन दोल रहा था. पता नही मम्मी को पता लग गया था, की नही, मैने पूछा भी नही आज तक. मुझे लगा जैसे उनको पता लग गया था, की मैं उनकी गांद देख रहा था.

वो मटक-मटक कर चले लगी जिससे वो और हीले. शादी में उन्होने सारी पहनी. मैने वाइट ब्लेज़र, जीन्स और शर्ट. शादी में सभी बिज़ी थे. मैं दोस्तों के साथ बिज़ी था. हमारी ज़्यादा बात नही हुई. मंडे को सब थके हुए थे रात की शादी की वजह से.

ट्यूसडे को जो शादी की रसम होती है आने-जाने की उसमे बिज़ी थे. वेडनेसडे को सभी रिस्त्ेदार चले गये. सुबा ही भैया-भाभी अपने हनिमून के लिए. अब हम फ्री हुए. मैने मम्मी से पूछा-

मैं: कैसी हो?

मम्मी: ठीक हू. तू बात नही करेगा तो मैं ठीक नही रहूंगी क्या?

मैं: ऐसा कुछ नही है, ऐसे ही पूच रहा था. आपने वेट कम किया है क्या?

मम्मी: तोड़ा बहुत कम हुआ है. तेरे गुम में नही हुआ, कही ये ना सोच लेना.

मैं: हहा, नही ऐसा क्यूँ सोचूँगा? सॉरी आपको बुरा लगा हो मेरे बिहेवियर से तो.

मम्मी: नही ऐसा कुछ नही. कोई बुरा नही लगा, बल्कि अछा लगा.

मैं: क्या मतलब ( मैने सोचा अब मम्मी वैसी बातें नही करेंगी)?

मम्मी: कुछ नही, और बता जॉब कैसी चल रही है?

मैं: ठीक चल रही है.

आइसे ही हम इधर-उधर की बातें करते रहे. वैसी बातें नही हुई. नेक्स्ट दे भी बातें की, और फ्राइडे को मैं निकल गया.

सॅटर्डे को पुणे पहुँचा तो मम्मी का फोन आया. थोड़ी बहुत बातें की. अगले दिन से फोन आने लग गये उनके. फ्रीक्वेंट्ली नही, 1 या 2 बार आते थे. डिसेंबर तक दिन में 7 से 8 बार बातें करते नॉर्मल. फिर मेरा ब’दे आ गया.

उन्होने सुबा विश किया. साथ में मेसेज में लिखा ई लीके योउ. मैने कोई जवाब नही दिया. मैं खुश था, बुत समझ नही पा रहा था क्या जवाब डू. 2 अवर बाद उनका खुद फोन आया. गुस्से में थी वो.

मम्मी: क्या समझ रखा है अपने आप को ( मम्मी वाली टोने में नही, एक लड़की वाली टोने में जो गुस्से में थी)?

मैं: कुछ नही.

मम्मी: जवाब क्यूँ नही दिया जो मेसेज किया है?

मैं: ग़लत लिखा है आपने.

मम्मी: क्या ग़लत लिखा है? जो है बोल दिया.

मैं: लीके नही लोवे लिखना था आपको.

मम्मी: हा, ई लोवे योउ.

मैं: ई लोवे योउ टू.

मम्मी अब संत हुई, और खुश होके बोली-

मम्मी: सॅकी बताओ.

मैं: सॅकी ई लोवे योउ.

मैं भी फुल जोश में था.

मम्मी: क्या मैं तेरी गफ़ हू?

मैं: हंजी.

फिर हमने खूब बातें की. मेरे ब’दे का सबसे बेस्ट गिफ्ट थी वो. 2 से 3 दिन बाद रात को-

मैं: सुषमा क्या सॅकी में मुझे प्यार करती हो?

मम्मी: क्या करके दिखौ, जो लगे की सॅकी में प्यार करती हू?

मैं अब पिछले 2 दिन से उनको सुषमा बोलने लग गया था. फोन में भी सुषमा लिख लिया था.

मैं: नही सुषमा, मुझे यकीन नही हो रहा. सुषमा इस बार अवँगा तो तुम्हे टच कर सकता हू?

मम्मी: वो तो आपके उपर है कहा टच करते हो.

वो अब मुझे आप बोलने लग गयी थी. उस दिन प्रपोज़ के बाद उन्होने डिसाइड किया वो मुझे आप बोलेंगी, और मैं उनको तू.

मैं: मतलब कुछ पाबंदी है क्या यहा टच नही करना?

मम्मी: मुझे समझ नही आ रहा. वैसे कहा टच करना चाहते हो आप?

मैं: तुम्हारी गांद को, छूट को, बूब्स को.

मम्मी: अछा जी, कर लेना कपड़े के उपर से ही ना.

मैं: हा अंदर से टच करने की हिम्मत तो मेरी भी नही है.

मम्मी: क्यूँ नही है? होनी चाहिए.

मैं: अछा जी. सबसे पहले तेरी गांद को टच करूँगा. बहुत सॉफ्ट लगती है.

मम्मी: अछा कर लेना. चूत को नही करोगे?

मैं: करूँगा.

आइसे ही बातें करते थे हम. फिर न्यू एअर आ गया. आयेज की स्टोरी अगले पार्ट में.

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