लड़की ट्रेन में चढ़ी, फिर तीन लंडो पे चढ़ी

यह बात आज से 3 महीने पहले की है। मुझे एक मेरी सहेली की शादी में मुम्बई जाना था, तो मैंने जाने के लिए ट्रेन से सोचा। मैंने घर वालों को जाने का बता दिया, और सब ने जाने के लिए हां कर दी।

मैंने जाने के चक्कर में ट्रेन की टिकट बुक नहीं करवाई। मैं शाम को स्टेशन पहुंच गई। वहां काफी भीड़ थी। फिर मैं टीटी के पास गई और उसको सीट के लिए मिन्नत करने लगी।

टीटी मुझे देख कर बोला: दिल्ली तक किसी डिब्बे में सफर कर लो, फिर मैं सीट दिलवा दूंगा।

मैंने टीटी का नम्बर लिया और कोई खाली डिब्बा देखने लगी, पर सब भरे हुए थे। आपको बताना भूल गई मैंने उस टाइम बिना पेंटी के एक गाऊन पहन रखा था। मेरी गांड काफी हिल रही थी उसमें।

ट्रेन चलने लगी तो मैं भी किसी तरह एक डिब्बे में चढ़ गई। बहुत भीड़ थी डिब्बे के अंदर। मेरे आगे पीछे बहुत से लोग खड़े थे। मैं अकेली लड़की उन सब के बीच खड़ी थी।

ट्रेन अपनी स्पीड में चलने लगी। सब लोग आपस में बात कर रहे थे। मैंने भी घर फोन करके बता दिया, कि मैं ट्रेन में बैठ गई थी, और पहुंच कर बात करुंगी। कुछ देर ही हुई थी कि मेरे पीछे से एक हाथ मेरी गांड के ऊपर चलने लगा।

मैं पीछे मुड़ने लगी, पर पीछे मुड़ ना सकी। उसका हाथ अब मेरे गाऊन के ऊपर से मेरी गांड की दरार में चलने लगा। मैंने एक हाथ पीछे करके उसके हाथ को हटा दिया। फिर कुछ देर बाद उसका हाथ फिरसे मेरी गांड को सहलाने लगा।

अब एक और हाथ पीछे से आया, और मेरी चूत को रगड़ने लगा। मैंने आगे वाले हाथ को पकड़ लिया, तो उसने दूसरे हाथ से मेरे हाथ को पीछे की तरफ कर लिया, और मेरे हाथ को अपने पजामे के अंदर डाल दिया।

हाथ अंदर जाते ही उसके लंड के बाल मेरे हाथ में आ गये, पर उसने मेरा हाथ और नीचे कर दिया। उसका लंड मेरे हाथ में आ गया। उसका पूरा लंड मेरे हाथ में नहीं आ रहा था।

अब वो मेरी चूत और गांड पर अपने हाथ चला रहे थे, और मेरा हाथ उसके लंड को सहला रहा था। कुछ देर बाद एक स्टेशन आया। अब भीड़ कुछ कम होने लगी, तो मेरे पीछे खड़े आदमी ने मुझे दरवाजे की तरफ खींच लिया।

वहां लाईट भी नाम की आ रही थी, और सब लोग आगे की तरफ थे। मैंने पीछे देखा तो दो दाढ़ी वाले आदमी थे। मुझे देख कर दोनों मुस्कराने लगे। ट्रेन फिर से चलने लगी। कुछ देर बाद एक ने पीछे से मेरा गाऊन ऊपर कर दिया।

दूसरा आदमी नीचे बैठ गया, और उसने मेरी दोनों टांगो को खोल दिया। फिर उसने अपना मुंह मेरी गांड में लगा दिया, और मेरी गांड को चाटने लगा। दूसरे ने मेरा हाथ अपने लंड पर रखवा दिया।

मुझे भी मजा आने लगा तो मैं अपनी गांड खोल कर उससे चटवाने लगी और दूसरे आदमी का लंड जोर-जोर से हिलाने लगी।

दूसरे आदमी ने मेरी चूत में हाथ रख दिया, और चूत के अन्दर ऊंगली हिलाने लगा। मैं आज पहली बार दो लंड से साथ चुदाई का मजा लेने जा रही थी। काफी देर तक ऐसा चलता रहा। मेरी चूत भी पानी छोड़ चुकी थी। फिर हम अलग हुए तो दोनों बात करने लगे‌ “साली को चोदने में आज बहुत मजा आएगा, बहुत नमकीन है”।

दूसरा आदमी: थोड़ी देर रुक, स्टेशन आने दे। टीटी को बोल कर केबिन की बात करता हूं।

एक आदमी मेरे चूचों को मसलने लगा, और स्टेशन आने का इंतजार करने लगा। कुछ देर बाद स्टेशन आ गया। उनमें से एक उतर कर टीटी को देखने चला गया। बहुत देर हो गई, पर वो नहीं आया और मेरे साथ वाला तो मेरी चुदाई करने के लिए तैयार बैठा था। ट्रेन चल पड़ी, पर वो नहीं आया। दूसरा कभी मेरी चूत के साथ खेलता, तो कभी मेरी गांड ओर चूचों के साथ।

फिर एक स्टेशन आ गया। वो बाहर वाला आदमी अन्दर आया, और मेरा बैग उठा कर हम दोनों को अपने साथ चलने को बोला। हम दोनों उसके साथ चल पड़े । हम एक केबिन के अंदर आ गए। अंदर आते ही पहले वाले ने मेरा गाऊन उतार दिया।

मैं उनके सामने ब्रा में आ गई। फिर मैंने खुद ही अपनी ब्रा उतार दी। फिर हम सब ने अपना परिचय दिया। मैंने अपना नाम पुजा बताया। उन दोनों का नाम रशीद और असलम था।

उन दोनों ने भी अपने पूरे कपड़े उतार दिये। कसम से उन दोनों के लंड क्या मस्त थे। एक दम बड़े और मोटे। मैं उनके लंड देख कर ही झूम उठी, और नीचे बैठ कर दोनों के लंड को हिलाने लगी। फिर एक-एक करके दोनों के लंड चूसने लगी।

मैं उस टाइम एक रंडी की तरह उनके लंड चूस रही थी। फिर उन दोनों ने मुझे उठाया, और दोनों मेरी चूत और गांड चाटने लग गए। मैं भी चटवाने का पूरा मजा ले रही थी।

काफी देर बाद रशीद सीट पर लेट गया, और असलम ने मुझे रशीद के लंड पर बैठा दिया। लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया। मुझे बहुत दर्द हो रहा था। रशीद मुझे उठा-उठा कर अपने लंड पर बैठाने लगा।

मुझे मजा आने लगा, तो मैं भी खुद उसके लंड पर उछलने लगी। असलम ने अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया। मैं दोनों के साथ चुदाई का मजा लेने लगी। कुछ देर बाद असलम ने मेरे मुँह से लंड बाहर निकाल लिया।

रशीद ने मुझे अपनी छाती से लगा लिया, और असलम मेरे पीछे आ गया। असलम मेरी गांड में लंड डालने लगा, तो मैं मना करने लगी। पर किसी ने मेरी बात नहीं सुनी। असलम का लंड जैसे ही मेरी गांड में गया, मैं दर्द से तड़प उठी।

मेरी आंखो से आंसू निकल आए। मेरी आंखो के आगे अंधेरा छा गया। असलम ने पूरा लंड मेरी गांड में घुसा दिया। अब दोनों मुझे चोदने लगे। कभी लंड चूत में जाता, तो कभी गांड में। दोनों मिल कर मुझे चोदते रहे।

मुझे भी दोनों के बीच मजा आ रहा था। जब मेरे चूचे रशीद की छाती से रगड़ खा रहे थे, तब मुझे बहुत अच्छी फिलिंग आ रही थी। दोनों के बड़े लंड जब अंदर जाते तो मैं चरम सुख पा रही थी।

अब मैं भी दोनों के धक्कों का जवाब गांड उठा कर देने लगी थी। तभी मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया, पर रशीद और असलम दोनों लगातार मुझे चोदे जा रहे थे।

काफी देर की चुदाई के दौरान मैं 3 बार झड़ चुकी थी। पर दोनों झड़ने का नाम नहीं ले रहे थे।

कुछ देर बाद रशीद बोलने लगा: हमारे बच्चे की मां बनेगी?

तो मैंने मना कर दिया। फिर हम सब अलग हुए। मुझे नीचे बैठा दिया, और दोनों अपने लंड मेरे मुँह के ऊपर हिलाने लगे। मैंने अपना मुंह खोल दिया, और दोनों ने अपने पानी से मेरा पुरा मुँह भर दिया। जो पानी मुँह के अन्दर गया, मैं पी गई, और बाकी पानी मैं अपने हाथ से साफ करके पी गई।

हम सब अब बैठ कर बात करने लगे। मैंने उनको बता दिया‌ कि मैं अपनी सहेली की शादी के लिए मुम्बई जा रही थी।

असलम बोला: शादी में क्या करेगी। जा कर हमारे साथ रहना, बहुत मजा करेंगे सब मिल कर।

हम सब नंगे हो कर ही बात कर रहे थे। तभी किसी ने केबिन का दरवाजा खटखटाया। मैं डर गई। रशीद ने वैसे ही दरवाजा खोला। तभी एक दम से टीटी अंदर आ गया।

हम सब को नंगा देख कर बोला: अकेले ही प्रोग्राम शुरु कर दिया।

रशीद बोला: डरो नहीं, टीटी साहब को सब पता है।

रशीद टीटी को बोला: साहब माल सामने है, आप भी शुरु हो जाओ।

असलम और रशीद सामने की सीट पर बैठ गए। टीटी ने भी अपने कपड़े उतार दिये।

रशीद मुझे बोला: पुजा टीटी साहब को भी खुश कर दे।

टी टी का लंड उन दोनों के लंड से छोटा था। मैं टी टी के पैरों के पास आकर बैठ गई, और उसके लंड को चूसने लगी। कुछ देर में टीटी का लंड खड़ा हो गया। टी टी ने मुझे सीट पर लिटा दिया, और मेरी चूत में लंड डाल कर चोदने लगा। पर मुझे मजा ही नहीं आ रहा था। असलम अपनी सीट से उठा और खड़ा हो गया। तो मैं असलम का लंड पकड़ कर हिलाने लगी।

टीटी मुझे चोदता रहा। करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद टीटी ने भी अपना पानी मेरे मुँह में निकाल दिया। मैं वैसे ही लेटी रही। टीटी ने अपने कपड़े पहन लिए, और जाते हुए बोला-

टीटी: साली बाद में आता हूं मूड बना कर।

और रशीद को बोला: सफर लम्बा है, आराम से मजा करो।

फिर टीटी चला गया। अब फिर से दोनों के लंड खड़े हो गए थे। मैंने फिर से दोनों के लंड चूसे। अब असलम का लंड मेरी चूत में था, और रशीद का मेरी चूत में। दोनों मेरी एक साथ चुदाई करने लगे। मैं भी एक रंडी की तरह चुदने लगी।

मुझे ऐसी चुदाई में बहुत मजा आ रहा था। कभी दोनों मिलकर मुझे चोदते, तो कभी अलग-अलग।

कैसी लगी मेरी कहानी बताना मुझे। अगली कहानी में बताऊंगी मैं अपनी सहेली की शादी में ना जाकर असलम और रशीद के साथ उनके घर जा कर कैसे चुदी।

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