लड़के ने अपनी दीदी की फिंगरिंग करवाई

मेरा नाम राज है. मैं 22 साल का अट्रॅक्टिव और फिट मीडियम बॉडी वाला लड़का हू. लंड मेरा 6 इंच लंबा, और कभी भी तैयार रहता है. अब कहानी पर आता हू.

मैं करीब 18 साल का था. शहर से 1 रात डोर गाओं दादा और दादी के घर, चाचा जो 26 साल के थे, और चाची 24 साल की, जो उसी गाओं की थी, उनकी शादी में गया था. वही मिला मैं सिंधी से, जो मेरी चाची की दोस्त की बेहन थी (उस समय 18).

गाओं में पता नही क्यूँ सब के घर पास था, पर 2 घर जो दादा और हमारे पड़ोसी थे, उनका घर बाकी घरो से डोर था. बस इतना पता था वो खुद की ज़मीन थी, और दोनो की बड़ी ज़मीन थी. इसलिए वाहा घर बना लिया था.

पड़ोस में उनको चाचा, चाची बुलाते थे, और उनका 1 बेटा और 2 बेतिया थी. सबसे छ्होटा सुंदर भैया. सब घर आए. 3 बेडरूम वाला छ्होटा मिट्टी का घर था, और सिंधी जिसको तब दीदी बुलाया करता था, वो भी आई थी.

सब नहाने गाओं की एक लेक के किनारे जाते, पर मैं हमेशा घर के सामने एक ओपन जगह जिसकी बस दो तरफ वॉल बनी थी, वही नंगा होके नहाता था. आदत सी थी, की कोई देख भी ले तो कुछ नही बोलता था. समय के साथ बड़ा होते-होते दोनो घरो पे कोई ना होने पे नहाता, पर नहाता वही था. फिर सिंधी और चाची की दोस्त सब मुझे देख हासणे लगे.

सिंधी मज़ाक में बोली: अर्रे दीदी (चाची) जीजा जी से पहले इसका नुणु दर्शन हो गया.

और ज़ोर से हासणे लगी.

चाची: चुप कर शैतान. बेटा है. (और शरमाते हुए वाहा से हेस्ट हुए) जल्दी नहा के आजा बेटा.

ये बोलते हुए चली गयी. मैं गुस्सा था, और कुछ बोला नही. रात का समय हुआ, और सब चाचा और चाची की सुहग्रात की तैयारी करके सब घर से बाहर पड़ोसी वाले चाचा के घर गये. वाहा सब पार्टी करने लगे.

मैं ज़िद करने लगा की मुझे वही सोना था. चाची की कोई बेहन नही थी, और 3 भाई ही थे. इसलिए उनकी ख़ास दोस्त रूपा (सिंधी की बेहन)बगल वाले कमरे में दादी के साथ सोने वाली थी. पर मेरी ज़िद पे दादी बोली-

दादी: वैसे भी तक गयी हू. तुम सो जाओ.

कहते हुए मुझे और रूपा दीदी को रहने छ्चोढ़ दिया. रूपा दीदी बहुत खूबसूरत थी. उस समय मुझे चुदाई का कुछ ज्ञान नही था. फिर मैं सो गया, और कुछ समय बाद आवाज़ आई जिससे मेरी नींद खुली.

मैने बगल में देखा रूपा दीदी वुडन वाली वॉल पे कान लगा के पीठ मेरी तरफ करके दूध की टंकी के पास खड़ी थी. उनका एक हाथ ताकि पर, और दूसरा हाथ वो फ्रॉक पर कमर के आस-पास घूमने लगी.

मैं बस उनको देखता रहा, और आवाज़ पे गौर करने लगा, जो बगल वाले चाचा और चाची के कमरे से सुनाई दे रही थी.

चाची: जी दर्द हो रहा है निकालो.

चाचा: चुप कर, कुछ नही होगा. थोड़ी देर दर्द रहेगा.

मैं दर्द सुनते ही उठा, और रूपा दीदी के पास गया, और दीदी के हाथ पे तोड़ा टच किया. फिर मैं बोला-

मैं: दीदी! चाची को दर्द हो रहा है?

रूपा दीदी घबराते हुए मेरी तरफ पलट गयी और अपने स्टान्नो को पकड़ के ब्लाउस सही करने लगी. मेरे होश उडद गये. उनके ब्लाउस के बटन खुला हुआ था, और स्टअंन बाहर निकला हुआ था. और वो तुरंत सही करने लगी

दीदी: कुछ नही बेटा, वो दोनो खेल रहे है.

मैं: मुझे भी खेलना है.

वो घबराई हुई थी, और बोली-

दीदी: चलो सोते है.

मैं फिर पूछा खेलने के लिए तो उन्होने कहा-

दीदी: तुम जब बड़े हो जाओगे तब खेल लेना.

अब चाचा के कमरे से आवाज़ अलग आ रही थी. कमरे से चाची की आह ह की आवाज़े आने लगी. इधर दीदी की साँसे बढ़ने लगी. मैं सॉफ एहसास कर पा रहा था.

मैं: दीदी चाची को बहुत दर्द हो रहा है. मुझे जाना है वाहा. चाचा मेरी चाची को मार रहे है.

रूपा दीदी: अर्रे नही, रूको.

और वो समझने लगी.

बहुत कोशिश के बाद भी ना मानने पे.

रूपा: दूध पिएगा?

मैं: नही, चाची के पास जाना है अंदर.

मुझे कुछ देर समझते हुए और मानने के बाद मुझे वही नीचे लगी हुई चादर पे ले गयी, और अपना ब्लाउस पूरा खोल दिया. मुझे उनकी गोरी पीठ सॉफ दिख रही थी.

फिर उन्होने अपने बाल पीछे से आयेज की तरफ किए, और तिरछी नज़र से मुझे देखने लगी. शायद कुछ सोच रही थी, और बहुत खूबसूरत लग रही थी.

बगल में लाइट्स ऑफ की, और कमरे में अंधेरा हो गया. मुझे ऐसा लगा वो चादर से उठी, और कुछ नीचे गिरा, पता नही क्या था.

फिर वो मेरे पास आई. मुझे उनका गोरा बदन सॉफ दिखने लगा. उनके दूध पे मैने हाथ रखा, और अपना मूह सीधा चूचियों पे रखा, और चूसने लगा, जिससे उनकी हल्की आवाज़ निकली.

रूपा दीदी: धीरे चूसो.

और वो मुस्कुराइ.

मैं: दूध नही आ रहा है.

रूपा: अभी दूध नही बना है. पर तुम इसको चूस सकते हो.

और मेरा सर पकड़ के अपने स्टअंन पे दबा के लेट गयी. लेट-ते ही मैने अपना एक पावं उनके पावं पे डाला तो पता चला वो पूरी नंगी हुई थी. पर मुझे कोई फराक नही पड़ा, और मैं चूसने लगा. कुछ देर बाद वो खुद मेरे उपर चढ़ गयी.

दीदी बोली: राज दूसरे दूध को भी हाथो से दब्ाओ.

और मैं वैसे ही करने लगा. उनकी वो गोरा और खूबसूरत चेहरा मेरे सामने था, और बाल मेरे सर के पास. वो तोड़ा अपने शरीर को झुका के कोने के सहारे लेते हुए मुस्कुराते हुए मेरा सर सहलाने लगी. वो दूध आराम से चूसने को बोल रही थी.

मुझे पता नही था मैं क्या कर रहा था, पर अछा लग रहा था. फिर वो अपना एक हाथ नीचे डालते हुए आँखें बंद करके उसी तरह की आवाज़ करने लगी, जो चाचा और चाची के कमरे से आ रही थी. पर दीदी बहुत धीरे से आवाज़ कर रही थी.

वो मेरे चेहरे के पास आह ह उफफफ्फ़ की साँसे भरते हुए “इसको दबाते रहो” कहने लगी. फिर कुछ देर बाद वो मेरे उपर गिर गयी, और लंबी-लंबी साँसे भरने लगी.

मैं बस अंत तक चूस्टे हुए उनका चेहरा देखता रहा, और कुछ समझ नही आ रहा था. बस मेरे पेट के पास उनकी उंगली हिल रही थी.

मैं: दीदी क्या हुआ?

दीदी मुझे चूमते हुए बोली: कुछ नही, ठीक हू.

और पलट के अपनी जगह पे लेट गयी. वो मुस्कुराते हुए लंबी साँसे भरने लगी. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था, की तभी उन्होने मेरे लंड पे हाथ रखा और मुझे देखने लगी. उन्होने मेरी पहनी हुई पंत खोली, और लंड एहसास किया जो की खड़ा हुआ था. दीदी ने तुरंत लाइट्स ओं की, और मेरे लंड को देखने लगी.

रूपा दीदी ने फिर लंड चूमा, और मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखते हुए बोली-

दीदी: तू जल्दी बड़ा हो जेया राज.

मैने उनको देखा और बोला: मैं अब बड़ा हू.

रूपा दीदी हेस्ट हुए: मुझे खुश रकेगा बड़ा होने के बाद?

मैं नादानी से बोला: हा मैं आपको हमेशा खुश रखूँगा.

उस रात दीदी ने मुझे भी पूरा नंगा कर दिया, और वैसे ही सुबा तक हम सो गये. दोनो जल्दी उठ गये, और दीदी ने मुझे तैयार किया. फिर रात के बारे में किसी को ना बतौ इसका प्रॉमिस लिया, और वाहा से चली गयी.

मुझे बाद में पता चला उन्होने अपनी छूट में उंगली डाल के रस्स निकाला था, और बहुत गरम हो गयी थी. अगले दिन चाची बाहर आई.

मैं: चाची कल रात भैया आपको क्यू मार रहे थे?

चाची पहले घबरा गयी. फिर मेरी आँखों में नादानी देखते हुए बोली-

चाची: तुम्हारे चाचा नही मार रहे थे, मुझे खुश करने की कोशिश कर रहे थे.

पर वो कहते हुए रुक गयी. तभी रूपा दीदी वाहा आई.

रूपा: कल बहुत मज़ा लिया है तेरी चाची ने बेटा

और हासणे लगी.

चाची: तू भी ना, क्या बोल रही है बच्चे के सामने.

मैं: कैसा मज़ा?

चाची: अभी छ्होटा है तू. बाद में खुद पता चल जाएगा. अब तू जेया शैतान.

रूपा दीदी: मैं हू ना राज, तू बड़ा हो जेया बस.

चाची: हा-हा ये है ना.

ये कहते हुए मज़ाक से हासणे लगी. फिर गप्पे लड़ते हुए वाहा से चले गये, और हम भी कुछ दिन के बाद शहर चले गये. मैं गाओं आता रहता और सब के साथ हेस्ट हुए रहता. और उसी बीच रूपा दीदी की भी शादी की तैयारी हो गयी. सब खुश थे.

रूपा दीदी की शादी के समय मैं 20 साल का हो गया था, और अब तक समझ आया था उस रात क्या हुआ था. बड़ी मैदान वाली जगह पे मंडप तैयार किया और सब पहुँच गये. दुल्हन और दूल्हे का अलग-अलग कमरा था.

रात को रिसेप्षन के बाद दूल्हा और दुल्हन खाना खा के अपने कमरे में चले गये, जो कुछ ही दूरी पे था. मैं रूपा दीदी की कमरे पे आँख रखे हुए था की कब सब बाहर जाएँगे, और मैं अंदर घुस जौ.

और अब मौका आ गया. रात के 2 बाज गये, और उनकी कुछ सहेलियाँ बाहर खड़ी थी, और वो अकेली थी अंदर. मैं च्छुपते हुए खिड़की से अंदर घुस गया. वो अपने कपड़े बदलने की तैयारी कर रही थी, की तभी पीछे से मैने उनका मूह पकड़ लिया, और वही ज़मीन पे मूह पकड़ के गिराया.

मुझे वाहा देख कर पहले वो हैरान हुई, और फिर बोली: तू!

तभी बाहर से आवाज़ आई: क्या हुआ.

और तुरंत रूपा दीदी बोली: कुछ नही, कपड़ा गिर गया.

हम दोनो धीरे से बातें करने लगे.

मैं: मुझे बड़ा होज़ा बोल के अब शादी कर रही हो?

रूपा दीदी मुस्कुराते हुए बोली: पागल जेया बाहर, सब के साथ एंजाय कर.

मैं: उस रात आपने उंगली की थी ना?

रूपा दीदी: क्या बोल रहा है?

मैं: भोली मत बनो, चाचा की सुहग्रात की रात. मेरे उपर, और अब मुझे आपके साथ करना है.

रूपा दीदी हैरान हुई, और गुस्सा करते हुए बाहर निकालने लगी.

मैं: मैने आपको पूरा नंगा देखा है, और बहुत बार तुम्हे याद करके हिलाया है.

रूपा दीदी परेशन हो गयी और बोली: तूने प्रॉमिस नही तोड़ा ना?

मैं: नही अगर आप तोड़ दोगे, तो मैं भी तोड़ दूँगा.

रूपा दीदी ने आस-पास देखते हुए अपनी सहेली को बुलाया, और बोली-

दीदी: बाहर देखना, और किसी को अंदर आने मत देना. मैं तोड़ा तैयार होती हू.

उनकी फ्रेंड: हा ठीक है, हम बाहर है.

मैं अंदर से सुन रहा था इनकी बातें. सहेली को पता नही था मैं अंदर हू. और दीदी ने दरवाज़ा बंद करके कुण्डी लगा दी.

फिर क्या हुआ, मैं बतौँगा बहुत जल्द अगले एपिसोड के अंदर. तब तक के लिए स्टे सेफ, टके केर.

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