ही दोस्तों, ज़्यादा समय ना गावते हुए सीधे स्टोरी पे आता हू. ये इस कहानी का तीसरा हिस्सा है. अब तक मैने मा को गवार से मॉडर्न बनाने के चक्कर में छोड़ दिया था. मा वीडियो जैसे लंड लेना, चूसना सब सीख गयी थी.
हमे पार्टी में एक औरत ने रंगे हाथ पकड़ा था, जिसका नाम मिथिला आंटी था. वो एक-दूं प्रोफेशनल रांड़ महँगी वाली जो होती है, वैसे दिखती थी. बदन भी वैसा ही था उसका. गांद निकली हुई थी उसकी, माममे लटक रहे थे. चाल ऐसी थी जैसे अभी-अभी सांड़ आके गांद मार गया हो.
तो मैं कॉलेज में था. वाहा मा का फोन आता है, की मिथिला आंटी घर आई थी. वो मुझसे मिलना चाहती थी, तो मा ने मुझे घर बुलाया था. मेरी फटत के हाथ में आ गयी थी, की कही वो आके पापा को ना बता दे, और बड़ा पंगा ना कर दे.
जब मैं घर गया, तो आंटी और उनका लड़का आया था रोहन. वो मेरे ही आगे का था. शायद मुझसे छ्होटा ही था 1-2 साल. आंटी बॉम्ब लग रही थी आज काले कलर की ड्रेस में. मा घर में थी, लसलीए उन्होने निघट्य पहनी हुई थी.
मेरे को देख आंटी उठी, और मुझे गले लगा लिया. इस बार के गले लगने में हवस महसूस हो रही थी.
फिर आंटी ने अपने बेटे का इंट्रोडक्षन कराया. आयेज कुछ बोलती इससे पहले मेरी भोली मा बोल पड़ी-
मा: देखिए मिथिला जी, उस दिन आपने जो भी देखा, वो सच नही है. आप अगर उसका इश्यू ना खड़ा करे तो बेहतर है.
इतना सुन कर मिथिला जी ने अपने पर्स में से उस दिन मैने मम्मी को दी हुई पनटी निकली, और मुझे दी. उतने में मा फिरसे बोल पड़ी-
मा: ये हमारा नही है जी. आप क्या बच्चे के हाथ में कुछ भी थमा रही है.
फिर उन्होने अपने बेटे को बोला: बेटा दिखा दो आंटी को उनकी फिल्म.
रोहन ने मोबाइल में वीडियो लगाई, जिसमे मा मेरा लंड चूस रही थी बड़े मज़े से. फिर मैं मा को टेबल पर बिता देता हू, और छूट चाट-ता हू. उसके बाद मैं मा को छोड़ने लगता हू. हमारे फेसस नही दिख रहे थे, सिर्फ़ कपड़े दिख रहे थे सॉफ-सॉफ. कॅमरा उपर दीवार पर था शायद.
ये देख कर मा रोने लग गयी. मा रोने लगी, तो मिथिला जी दर्र गयी. उन्होने रोहन को वीडियो डेलीट करने को बोला.
फिर वो मा को बोली: देखिए उर्मिला जी, आप ख़ामखा बात का बतंगद बना रही है. निसंकोच रहिए. ये बात मेरे मरने के बाद मेरे साथ ही चली जाएगी. किसी को कुछ नही पता चलेगा.
ये सुन कर मेरी मा में जान आई. उनॉःने रोना बंद किया, और उनसे जाके गले लगी. मैने आंटी से पूछा-
मैं: फिर आप क्या चाहती है आंटी?
मा भी बोल पड़ी: जी, फिर आपका कैसे आना हुआ?
तो मिथिला जी ने नॉटी स्माइल पास की, रोहन को बुलाया, उसको मा और अपने बीच बैठाया, और उसको एक थप्पड़ मारा सर पर और बोली-
मिथिला: ये जो मेरा रोहन है ना, इसका दिल आ गया है आप पर उर्मिला जी.
हम लोग सुन कर बेचैन हो गये. मुझे तो इतना गुस्सा आया, की मैं आग-बाबूला हो गया था. पर हमारी किस्मत उनके हाथ में थी, इसलिए मैं चुप था.
मा बोली: मैं कुछ समझी नही जी, आप क्या बोल रही है?
मिथिला आंटी: अब इतनी भी भोली मत बानिए उर्मिला जी. उस दिन घर पे जो अपने सपूत के साथ कर रही थी, वही मेरे बेटे रोहन के साथ कीजिए, और उसको खुश कीजिए.
ये सुन कर मा चिल्लाने लग गयी. वो उसको गालिया देने लग गयी. तो मिथिला जी मुझे साइड में लेके गयी और बोली-
मिथिला आंटी: देखो गुड्डू, तुम समझदार हो. तुम अपनी मा को मेरे बेटे के साथ भेज दो, और उसको खुश करने को बोलो. बदले में मैं वो वीडियो डेलीट कर दूँगी, और चाहिए तो मैं तुम्हे खुश करती हू. क्या बोलते हो?
वैसे उनकी डील अची थी.
मैने बोला: रूको, कुछ करता हू.
फिर मैं मा को लेके बाजू में गया, और मा को समझाया. मा सुनने को राज़ी नही थी.
मैने बोला: अगर आप ये नही करोगी, तो वो उनके हज़्बेंड को बोल के पापा के बिज़्नेस से अलग हो जाएगे. और अगर पापा को पता चला इस सब के ज़िम्मेदार हम दोनो है, तो सोचो उन पर क्या गुज़रेगी.
ये सुन कर मा रेडी हो गयी. मा मिथिला जी से जेया कर बोली-
मा: आप मेरे पति को मत बताना.
तो मिथिला जी ने मोबाइल में फोटोस दिखाई, और तो उसमे पापा एक लड़की को छोड़ रहे थे.
मिथिला बोली: जब आप आपके बेटे के साथ उपर थी, आपके पति नीचे खन्ना के बेटी के साथ रंगरलिया माना रहे थे.
मा और मैं ये देख के हक्के-बक्के हो गये. मा गुस्से में तैयार हो गयी, और रोहन का हाथ पकड़ कर उसको अपने कमरे में लेके गयी. वाहा नीचे मिथिला जी मुझे देख कर मस्त अदाए बरसा रही थी.
फिर मैं उनके पास जाके बैठ गया. हमारी बातें चलने लगी. वो और मैं एक दूं आजू-बाजू चिपक के बैठे थे.
फिर वो बोली: क्यू गुड्डू, सिर्फ़ मम्मी ही पसंद है क्या, मैं नही?
मैने कहा: ऐसा नही है आंटी. आप तो मा से भी कड़क माल हो.
मिथिला जी हस्स के उठी, और मेरी गोदी में आ कर बैठ गयी. और हम भी नीचे चालू हो गये. मैने उन्हे नंगा किया, और मूह में लंड देने ही वाला था, की वो बोली-
मिथिला आंटी: जल्दी क्या है गुड्डू? तुम्हारी मा के पास जाते है. चलो वाहा मज़े करते है.
फिर मैं उनको लेके उस कमरे में गया. वाहा मा और रोहन नंगे बेड पर एक दूसरे को चिपक के किस्सिंग कर रहे थे. उसका हाथ मा की छूट पर मंडरा रहा था.
मिथिला आंटी बोली: अर्रे वाह, हमारे बिना चालू हो गये?
मिथिला जी की आवाज़ सुन कर मा ने हमारी तरफ देखा. मुझे और आंटी को नंगा देख कर मा शर्मा गयी. एक ही बेड पर मैं और मिथिला, और मेरी मेरी मा आंड रोहन मस्त चुम्मा-छाती कर रहे थे. मिथिला आंटी बीच-बीच में मा को चूमती, मा की छूट में उंगली कर रही थी.
फिर दोनो ने बारी-बारी रोहन का लंड चूसा. और फिर दोनो मेरे पास आ कर मेरा लंड चूस रही थी. मैं मिथिला को बाहों में भर कर बेड की एक बाजू ले गया. वाहा पैर फैला कर मैने उसकी छूट में लंड डाला.
उधर रोहन ने नीचे लेट कर मेरी मा को उपर चढ़ा रखा था. और फिर चुदाई चालू हो गयी. तभी पता नही आंटी को क्या हुआ, की आंटी उठ कर उन दोनो के पास गयी.
वाहा मा को डॉगी बना कर रोहन छोड़ रहा था. सो आंटी डॉगी बन कर मा के साथ चुम्मा-छाती कर रही थी. मैं पीछे से जेया कर उन्हे छोड़ने लगा. दोनो एक-दूसरे को देख कर हस्स रहे थे. फिर रोहन मेरी मा के अंदर ही झाड़ गया, और वो दोनो रुक गये.
लेकिन मेरा और मिथिला आंटी का चालू था. आंटी ने मा को बुलाया, और मा की छूट को चड्डी से सॉफ करके चाटना चालू किया. मा अब वापस जोश में आ गयी थी. मा आंटी को साइड करके खुद कुटिया जैसे बैठ कर लंड छूट में लेने लगी. और मिथिला आंटी पैर फैला कर मा के सर को पकड़ कर अपनी छूट पर ले गयी.
मा छूट चाटने लगी. मैं झड़ने वाला था, सो दोनो नीचे बैठ गयी, और मैने दोनो के उपर हिला-हिला के मेरा माल दोनो के उपर गिरा दिया. दोनो एक-दूसरे को चाट-चाट कर सॉफ कर रही थी. उन्होने मेरा लंड भी चूस कर सॉफ कर दिया.
मा और मिथिला जी दोनो मुझे देख कर हस्स रहे थे.
फिर मिथिला जी बोली: आपका गुड्डू तो बहुत ही माँझा हुआ खिलाड़ी है. आप तो बहुत मज़े करती हो.
उन्होने हमे एक इवेंट के बारे में बताया. वाहा मा-बेटे की साथ एंट्री थी. वो 2 दिन का था, और उसमे 15 मा-बिटो को एंट्री थी. 2 दिन तक दारू, खाना, और सेक्स कर सकते थे. कोई किसी को भी छोड़ सकता था, और 2 दिन में 15 औरते किसी से भी चुड सकती थी.
मिथिला जी बोली: मैं आपकी एंट्री का बंदोबस्त कर देती हू.
आने वाले इतवार को इवेंट था. मा और मैं सुन के तो मॅन में लड्डू फूटने लगे. उनके जाने के बाद मा और मैं एक-दूसरे को चिपक के चूम रहे थे.
फिर मा बोली: बेटा सच में जाए क्या? वाहा इतने सारे लोग होंगे. मुझे तो सोच के ही छूट में रोंते खड़े हो रहे है.
मैने मा की गांद पर फाटका मारा और कहा: मेरी मा, बस मज़े लो. उस दिन हम ज़रूर जाएँगे.
मेरा हाथ मैं ऐसे ही मा की गांद पे सहला रहा था.
तभी मा बोली: बेटा इसका उद्घाटन कब करोगे? अब मैं पूरी तैयार हू.
मैं: नेकी और पूच-पूच.
मैने मा को पलटा, मा की गांद हाथो से खोली, और गांद को चाटने लगा. जीभ ठीक से अंदर नही जेया रही थी, तो मा कुटिया जैसे बैठी, और अपने हाथ से गांद फैला कर चाटने को बोली.
फिर मैं मस्त चाटने लगा.
मा बोली: बेटा मत तडपा. अब डाल दे अपना मस्त लंड, और गांद की खुजली मिटा दे बेटा.
मैने लंड रखा, और थूक लगा कर धक्के देने लगा. मा मस्त होकर गांद को लंड पर मारे जेया रही थी.
मा: अया, बेटा एयाया, तू सच कह रहा था, बहुत मज़ा आ रहा है. अब से तू मेरी गांद ही मारना. आआआ, ओह, क्या मज़ा आ रहा है. गांद मरवाने में इतना मज़ा आता है मुझे पता नही था.
मैं मा के बाल पकड़ कर उनकी बेरेहमी से गांद मार रहा था. आख़िर में मैने मा की गांद में अपना माल डाल दिया. मा बहुत खुश थी. अब हमे इंतेज़ार था तो बस उस इवेंट का. चुदाई के वो 2 दिन, और रातों की वाहा क्या हुआ, ये अगले हिस्से में पढ़िएगा.