खूबसूरत ऑफीस कोलीग की चुदाई

सेक्स स्टोरी के पिछले पार्ट में आपने पढ़ा, की ऑफीस की नयी एंप्लायी दिशा पर मनोज की नज़र थी. एक डॅन्स में फिर वो उसको किस करता है, और उसके बाद वो होटेल पहुँचते है. अब आयेज-

दीक्षा और मनोज का आइ कॉंटॅक्ट होता है. फिर दोनो पागलों जैसे किस्सिंग स्टार्ट करते है. काफ़ी देर ऐसे ही एक-दूसरे को चूमते रहे. किस करते-करते मनोज का एक हाथ दीक्षा की पीठ पे था, और एक हाथ से बूब्स को दबा रहा था.

फिर वो एक हाथ दीक्षा की पनटी में डाल कर छूट को सहलाने लगा. मनोज ने घुमाया दीक्षा का ओनेपीएसए उपर करके, और पनटी को नीचे किया. फिर मनोज ने अपनी पंत नीच करके लंड को बाहर निकाला. उसने दीक्षा के बाल पकड़ कर पीछे से लंड घुसाया. दीक्षा के हार्ट शेप जैसे चुतताड देख कर वो पागल हो गया.

मनोज (अपने मॅन में, स्टेरिंग अट हेर आस): इतनी चिकनी, इतनी पर्फेक्ट… इसे देखते ही लंड खड़ा हो गया यार!

मनोज अपने मॅन में बात करते हुए: क्या किस्मत है मेरी. मेरे जैसे नॉर्मल लड़के को दीक्षा जैसी हॉट लड़की के साथ सेक्स करने का मौका मिल रहा है. क्या ये सब सिर्फ़ एक दिन के लिए मिलेगा? मुझे इस मोमेंट को गवाना नही चाहिए.

और मनोज गांद पर 2-3 थप्पड़ जड़ दिए.

मनोज (टीज़िंग्ली, स्लॅपिंग हेर आस): दीक्षा, ये गांद… क्या चीज़ है यार! एक-दूं गोल, एक-दूं टाइट… जब हाथ लगा रहा हू, तो दिल बोल रहा है थप्पड़ मारते जाओ! भाई, ये पकड़ने में क्या मज़ा है.

दीक्षा (सिसकियाँ लेते हुए): मनोज… फक मे, बेबी…

दीक्षा (एग्ज़ाइटेड, ब्रेतलेस्ली): हा, मनोज… फक मे हार्ड, बेबी… अब रुक मत!

मनोज ने फुल स्पीड में धक्के मारने शुरू कर दिए. हर थ्रस्ट पे दीक्षा के बूब्स उछाल रहे थे, और मनोज ने एक हाथ से उसके एक बूब को ज़ोर से दबाया.

अब मनोज उसकी छूट को कुत्तों जैसे चाट रहा था, और उसकी छूट में ज़ुबान के साथ उंगली भी डाल रहा था. दीक्षा ज़ोर-ज़ोर से सिसकियाँ दे रही थी. मनोज ने उसको अपने पास घुमाया. फिर मनोज ने उसका ओनेपीएसए नीचे से उपर कर के उसको नंगा किया.

मनोज (अपने मॅन में, स्टंड): ये क्या… भाई, ये तो कोई अप्सरा है! एक-दूं पर्फेक्ट… इसकी बॉडी, ये कुवर्व्स, ये ग्लो… क्या चीज़ है यार! सपने में भी नही सोचा था की ऐसा कुछ देखने को मिलेगा. ये स्किन… एक-दूं मलाई जैसी, बिल्कुल फ्लॉलेस. किस्मत ने आज जॅकपॉट खोल दिया मेरा!

उसके गोरे बूब्स और काले निपल देख कर मेरे मूह में पानी आया. दीक्षा के बूब्स का साइज़ और शेप क्या पर्फेक्ट था.
मनोज उसके बारी-बारी से एक बूब को चूस रहा था, और एक बूब को दबा रहा था.

मनोज (टीज़िंग्ली, प्रेस्सिंग हेर बूब्स): जब दबा रहा हू, तो दिल बोल रहा है रुकना मत. ये साइज़, ये शेप… ये बूब्स तो मेरे हाथो में भी फिट नही हो रहे.

चूस-चूस कर उसके बूब्स पुर गीले हो गये. मनोज के लिप्स से चूसने की आवाज़ रूम में गूँज रही थी. दीक्षा के निपल मनोज की फिंगर्स के बीच थे, और वो उन्हे मसालते हुए बोला-

मनोज (टीज़िंग्ली): ये बूब्स… भाई, क्या शेप है! एक-दूं पर्फेक्ट… छ्चोढने का मॅन ही नही है.

दीक्षा (सिसकियाँ लेते हुए): अयाया… मनोज, बस करो… इतना ज़ोर से मत दब्ाओ… ऑश!

मनोज (मोनिंग): दीक्षा, ये टेस्ट… तू एक-दूं मलाई जैसी है… और चूसू?

दीक्षा (गॅसपिंग): मनोज… आहह… बस… थोड़ी देर रुक जाओ… उफ़फ्फ़, कितना वाइल्ड हो तुम!

मनोज ने अपने दोनो हाथ दीक्षा की गांद के नीचे लेकर उसकी गांद को पकड़ कर उठाया. उसने अपनी चिकनी टाँगें मनोज की कमर पे गोल लपेट दी. मनोज ने लंड छूट में डाला, और गोद में पेलने लगा. वो फुल स्पीड में झूला झूला कर पेल रहा था.

दीक्षा आ एयेए ऑश सेक्सी आवाज़े निकाल रही थी. वो मनोज के सीने पर किसी बिल्ली की तरह चिपक गयी थी. वो घबरा रही थी की गिर ना जाए.

दीक्षा: मनोज एयाया एयाया मनोज, उतरो मुझे नीचे.

मनोज: चिंता मत करना. मैं तुम्हे गिरने नही दूँगा. दीक्षा ने मनोज के गले हाथ डाल कर कस्स के पकड़ा था. मनोज ने लगभग 5 मिनिट तक छोड़ा, फिर बेड पर लिटा दिया.

दीक्षा: मैं तुम्हे खुश करती हू अभी.

मनोज बेड पे लेट गया. दीक्षा डॉगी स्टाइल में मनोज के बाजू में बैठ गयी, और लंड को पकड़ कर चूस रही थी. मनोज बीच में दीक्षा की गांद पर छानते मार रहा था. उसका लंड काफ़ी अंदर तक घुसा के चूस रही थी दीक्षा: मनोज का लंड दीक्षा के गले तक अंदर जेया रहा था. आअहह… क्या मज़ा आ रहा था.

अब दीक्षा मनोज के उपर बैठ गयी, और मनोज का लंड छूट में डाल कर जंप करने लगी. जंप करते समय दीक्षा के बूब्स क्या उछाल रहे थे. दीक्षा थोड़ी झुकी गयी, उसके बूब्स मनोज के सामने लटक रहे थे. मनोज ने सामने लटके हुए दोनो बूब्स दबाने स्टार्ट किए.

मनोज (टीज़िंग्ली): ये बूब्स… भाई, कितने सॉफ्ट और बाउन्सी है! एक-दूं चूसने लायक!

मनोज दीक्षा के बूब्स चूस रहा था.

मनोज (मोनिंग): दीक्षा, ये टेस्ट… एक-दूं मलाई जैसी है तू!

फिर छोड़ते वक़्त दोनो किस कर रहे थे. दीक्षा तक गयी थी, और रुक गयी. दीक्षा मनोज के उपर लेट हुई थी.

मनोज: रुक क्यूँ गयी?

दीक्षा: तक गयी हू.

मनोज: मुझे और खुश करो.

मनोज रुकने का नाम नही ले रहा था. वो अपनी गांद उपर-नीचे करके छोड़ना चालू रखा. दीक्षा मनोज पे लेती हुई थी.

दीक्षा: बस हो गया, सो जाते है.

मनोज: ठीक है, किस करके सो जाते है.

दीक्षा मनोज के बाजू में लेट गयी. मनोज दीक्षा को किस करते हुए दीक्षा के निपल को निचोढ़ रहा था. उसका लंड फिर से खड़ा हुआ.

मनोज: 2न्ड रौंद के लिए रेडी हो जाओ. मेरे लंड को शांत करना.

दीक्षा (पंटिंग, वित आ टाइयर्ड स्माइल): मनोज… बस अब… मैं तक गयी हू यार. कितना वाइल्ड है तू!

मनोज (ग्रिन्निंग, टीज़िंग्ली): तक गयी? अर्रे, अभी तो पार्टी शुरू हुई है, दीक्षा! एक रौंद में क्या ताकना? ये तो बस वॉर्म-उप था.

दीक्षा (लाफिंग वीक्ली, नजिंग हिं): वॉर्म-उप?, मैं सच में तक गयी हू… थोड़ी देर सो लेती हू.

वो दीक्षा की आँखों में देखता है, एक नॉटी स्माइल के साथ.

मनोज (सॉफ्ट्ली, फ्लर्टेशस्ली): दीक्षा, थोड़ी सी एनर्जी बची है ना?

दीक्षा (रोलिंग हेर आइज़, बुत स्माइलिंग): मनोज, तू रुकता कब है? मैं अभी भी फील कर रही हू पहला वाला. और तू सेकेंड रौंद की बात कर रहा है?

मनोज (लीनिंग क्लोज़र, विस्परिंग): एक बार और, दीक्षा… प्रॉमिस, ये वाला और मज़ेदार होगा.

दीक्षा तोड़ा हेज़िटेट करती है, लेकिन मनोज का चर्म और उसका कॉन्फिडेन्स उसे थोड़ी एग्ज़ाइट्मेंट भी दे रहा था. वो अपने बाल पीछे करती है, और एक डीप ब्रेत लेती है.

दीक्षा (प्लेफुली, गिविंग इन): अछा, ठीक है… पर ये लास्ट है, समझा? और स्लो-स्लो करना.

मनोज (एग्ज़ाइटेड्ली, सिट्टिंग उप): डील! तू बस एंजाय कर.

मनोज उसके पास आता है, और धीरे से उसकी टाँग को अपने कंधे पे रखता है, उसकी चिकनी टोंड स्किन को फील करते हुए. वो उसकी टाँग पे एक सॉफ्ट किस देता है, और दीक्षा का बदन तोड़ा शिवर कर जाता है.

मनोज (टीज़िंग्ली, किस्सिंग हेर कॅफ): ये लेग्स, यार… एक-दूं पर्फेक्ट. क्या चीज़ है! एक-दूं स्मूद, एक-दूं सेक्सी. इन्हे चूमते जाओ, दिल बोलता है रुकना मत.

दीक्षा (मोनिंग सॉफ्ट्ली, टाइयर्ड बुत इंटो इट): मनोज… तू सच में पागल है…

दीक्षा (ब्रेतलेस्ली, एंजायिंग): मनोज… ये… अफ, जल्दी ख़तम कर!

मनोज (ग्रिन्निंग, विस्परिंग): जल्दी? नही, बेबी… इसे पूरा एंजाय करना है. सेकेंड रौंद पहले जैसा वाइल्ड होगा, लेकिन इनटेन्स और पॅशनेट होगा.

मनोज ने दीक्षा के दोनो टाँगों को अपने कंधो पर रखा, और फुल स्पीड में छोड़ना शुरू किया.

पहला धक्का मरते ही दीक्षा चिल्लाई: एयाया आआ मनोज धीरे.

उसने बेड के दोनो छ्होरों को पकड़ा था, और मनोज ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहा था.

थोड़ी देर बाद दीक्षा (पंटिंग, स्माइलिंग वीक्ली): बस… अब सच में सो जाते है… तू इंपॉसिबल है, मनोज.

मनोज (हगिंग हेर, सॅटिस्फाइड): ठीक है, मेरी जान… अब सो जाते है. पर तू है ही इतनी अमेज़िंग, रुक नही पाता मैं.

फिर मनोज दीक्षा को लिपट कर उसके एक बूब से खेलना लगा, और चूस रहा था. दोनो कब सो जाते है पता नही चलता. सुबह जब दीक्षा आँखें खोलती है, तो सब कुछ उसके लिए तोड़ा हेज़ी होता है. वो अपने आस-पास देखती है और सोचती है, ये क्या हो गया? उसके दिमाग़ में रात के कुछ मोमेंट्स की एक ब्लरी इमेज थी. लेकिन वो पूरी तरह से समझ नही पाती की क्या कुछ हुआ. उसे ये नही याद आता की वो किस तरह से मनोज के साथ इंटिमेट हुई थी.

वो बेड पर से उठती है, खुद को देखती है, और उसकी नज़र नंगे मनोज पर पड़ती है. मनोज उसके साथ बेड पर सो रहा था, और वो दोनो एक-दूसरे के करीब थे. दीक्षा को ये देख कर पूरा शॉक लगता है. उसे अपने आक्षन्स का कोई क्लियर याद नही था.ये सब कब, कैसे हुआ?

वो अपने एमोशन्स को समझने की कोशिश करती है. वो… ये क्या हो गया? दीक्षा अपने आप से सोचती है, उसके दिमाग़ में एक झटका सा होता है. उसे ये याद नही आता की किस तरह वो मनोज के साथ इंटिमेट हुई थी. उसे लगता है की उसने कुछ ग़लत किया था, और उसका दिल तोड़ा घबरा जाता है. वो जल्दी से अपने कपड़े देख कर अपने आप को संभालती है.

दीक्षा तुरंत बेड से उठती है, और अपनी बॉडी को तोड़ा अजीब महसूस करते हुए कपड़े पहनने लगती है. वो अपने आप को संभालने की कोशिश करती है, लेकिन उसे समझ में नही आता की रात को किस तरह वो अपने कंट्रोल को खो चुकी थी. उसे ये भी लगता है की मनोज के साथ उसने कुछ ऐसा किया था, जो अब उसे तोड़ा ग़लत लग रहा था.

वो अपनी ड्रेस को जल्दी से पहनती है. मनोज अभी भी सो रहा होता है, लेकिन दीक्षा उसे देख कर कुछ कहना नही चाहती. उसे लगता है की वो रात के इन्सिडेंट्स को समझने के लिए तोड़ा वक़्त चाहती थी, और अपने आप को सबसे डोर रखना चाहती थी. उसका माइंड भटक रहा होता है, और वो समझती है की अब ये सिचुयेशन ज़्यादा कॉंप्लेक्स हो गयी थी.

दीक्षा होटेल रूम के अंदर के छ्होटे से मिरर में अपने चेहरे को देख कर अपनी आँखों में शरम और घबराहट देखती है. उसे लगता है की वो अपनी पुरानी सेल्फ़ को खो चुकी थी. ये सब कब और कैसे हो गया? वो अपने आप से कहने लगती है. दीक्षा जल्दी से होटेल निकलती है, और कॅब बुक कर लेती है.

उसके अंदर एक स्ट्रेंज फीलिंग थी, जैसे कुछ ग़लत हो गया हो. वो सोचती है की घर जेया कर शायद अपने आप को बेटर समझ सकेगी.

नेक्स्ट दे इन ऑफीस-

दीक्षा तोड़ा हेज़िटेंट होती है, लेकिन फिर बोलती है: मुझे… ये बिल्कुल एक्सपेक्टेड नही था.

मनोज: अर्रे दीक्षा, रिलॅक्स! सब कुछ ठीक है, कोई टेन्षन नही. बस चिल कर, हमने बस वक़्त गुज़ारा था.

मनोज हल्की सी हस्सी के साथ कह रहा था: कभी कभी, मोमेंट्स को सीज़ करना पड़ता है. और जब कोई इतनी स्मार्ट और ब्यूटिफुल हो, तो उसे प्रेज़ करना तो बनता है.

दीक्षा तोड़ा फ्लस्टर्ड थी. लेकिन स्माइल देते हुए बोली: आप बहुत ओवर कर रहे हो, मनोज.

मनोज (मिस्चेवस्ली): ओवर? बिल्कुल नही. तुम्हे पता है मैं सच कह रहा हू.

ऑफीस का यूषुयल वाइब रिटर्न हो गया था, लेकिन मनोज और दीक्षा के बीच का टेन्षन अभी तक था. जैसे ही दोनो कॉरिडर में एक-दूसरे से गुज़र रहे थे, उनकी नज़र एक-दूसरे पर पड़ती है. एक सेकेंड के लिए आँखें मिलती है, फिर दोनो अपने रास्ते चल पड़ते है.

मनोज, तोड़ा कॉन्फिडेंट होते हुए, दीक्षा के डेस्क के पास जाके बोला: तो… कल रात बहुत कुछ हो गया, ना?

दीक्षा अपना काम करते हुए, केर्फुली रिप्लाइ करती है: हा… बहुत कुछ.

मनोज ने तोड़ा रिलॅक्स होकर कहा: पर तुम जानती हो ना, कभी-कभी ऐसे मोमेंट्स को मिस नही करना चाहिए?

दीक्षा ने अपनी डेस्क से उठ कर, तोड़ा सीरीयस होते हुए बोला: केमिस्ट्री ठीक है, पर बाउंड्रीस भी होनी चाहिए.

मनोज अपने आप को तोड़ा अड्जस्ट करते हुए बोला: ई गेट इट. तुम रिघ्त हो. पर जब दोनो के बीच केमिस्ट्री हो, तो उसे इग्नोर करना मुश्किल होता है.

दीक्षा ने अपना फेस तोड़ा तुर्न किया: मुझे अभी तक समझ नही आया की ये क्या था.

मनोज (सॉफ्ट्ली, लीनिंग इन): ई हॅव वांटेड तीस मोमेंट फॉर सो लोंग, दीक्षा.

दीक्षा ने अपनी चेर से तोड़ा गुस्सा हो कर उसकी तरफ देखा, लेकिन वो चुप थी. मनोज को अपनी ग़लती का एहसास हो गया था, और उसने अपने टोने को और प्यार भरा बना दिया.

वो बोला (सॉफ्ट्ली, अप्रोचिंग हेर डेस्क): दीक्षा, एक मिनिट… प्लीज़, सुनो.

मनोज (गेंट्ली, सिन्सियर): मुझे माफ़ करो. कल जो कुछ भी हुआ, वो ग़लत था. तुम्हारे एमोशन्स को समझना चाहिए था.

मनोज (लुकिंग अट हेर, जेन्यूवन): मैं तुमसे सच में बहुत प्यार करता हू, और मैं चाहता हू की तुम मुझसे खुश रहो.

दीक्षा (कामिंग डाउन, वाय्स सॉफ्टर): मैं समझती हू, मनोज. तुमने जो कुछ किया, वो तुम्हारे एमोशन्स का हिस्सा था. मुझे ये समझना चाहिए था.

मनोज (रिलीव्ड, सॉफ्ट्ली स्माइलिंग): थॅंक योउ, दीक्षा. मैं चाहता हू की हम दोनो के बीच कोई मिसांडरस्टॅंडिंग्स ना हो. तुम मेरे लिए इंपॉर्टेंट हो.

दीक्षा के चेहरे पर एक गेंतले स्माइल थी. उसका गुस्सा अब पूरा ख़तम हो गया था.

दीक्षा (स्माइलिंग, लाइट्ली): ओके, मनोज. तुम्हे माफ़ किया.

मनोज (प्लेफुली, वित आ वॉर्म स्माइल): शुक्रिया, दीक्षा. तुम्हारे साथ रह कर सब कुछ सिंपल हो जाता है. तुम खुश रहो, तो मैं खुश हू.

दीक्षा का गुस्सा अब पूरी तरह से ख़तम हो चुका था. उनके बीच एक फ्रेश, अंडरस्टॅंडिंग बॉन्ड बन गया था. अब दोनो अपनी-अपनी लाइफ में आयेज बढ़ने के लिए तैयार थे, बिना किसी बर्डन के.

मनोज (गेंट्ली, अपने हाथ से उसके चेहरे को टच करते हुए): फिर इस मोमेंट को हम अपने तरीके से जीते है.

दीक्षा (विस्परिंग, ब्रेतलेस): मैं भी…(दोनो की बीच का गॅप अब सिर्फ़ एक मोमेंट का था.

मनोज ने धीरे से दीक्षा को अपने पास खींच लिया. मनोज ने गेंट्ली दीक्षा की लिप्स को टच किया. एक प्यार भारी और इनटेन्स किस थी, जो उन दोनो के बीच की फीलिंग्स और एमोशन्स को पूरी तरह से एक्सप्रेस कर रही थी.) किस धीरे-धीरे बढ़ती है, अपने बीच की सब टेन्षन को पीच्चे छ्चोढते है.

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