मैं अब फिर से झड़ने वाली थी तो उत्तेजना और दर्द के कारण चिल्लाने लगी- रुकना मत… रोहन… आआहहह… उफफफ्फ़… उफफफ्फ़… और अंदर तक… और ज़ोर से… चोद… मुझे… चोद मेरी चूत… चोद अपनी माँ की चूत… हे भगवान… हाए… हाए… उफफ्फ़… चोद अपनी माँ को… चोद डाल..
“हाय… मैं मरी… हा… हा… उफफ्फ़… कितना मोटा लण्ड है मेरे लाल का… लगा दे पूरा ज़ोर… मेरे बेटे… ऐसे ही चोद… उफ़फ्फ… मैं फिर से झड़ने वाली हूँ… मैं फिर से झड़ने वाली हूँ… रोहन..’
और फिर मेरे शरीर ने झटके देना शुरू कर दिए।
मैं झड़ने लगी!
तभी रोहन ने अपना लण्ड बाहर निकाला और मेरी चूत पर मुँह लगा दिया और मैं रोहन के मुंह में ही झड़ने लगी।
रोहन ने मेरा सारा पानी चाट चाटकर साफ कर दिया।
रोहन अभी तक नहीं झड़ा था तो वो फिर से मेरी चूत में लण्ड डालने लगा।
ज्यादा चुदाई के कारण मेरी चूत में दर्द होने लगा था और मैं थक भी गई थी तो मैंने रोहन से कहा- रोहन, अब नहीं मुझे दर्द हो रहा है प्लीज…
तो रोहन बोला- पर मम्मी, अभी तक मेरा हुआ नहीं है।
मैंने बोला- मैं तेरे लण्ड को चूस कर झड़ा देती हूँ।
पर वो मना करने लगा और बोला- मम्मी, मैं आपकी गांड में लण्ड डाल दूं?
रोहन के मुख से यह सुनकर मुझे आलोक के साथ मेरी गांड की चुदाई याद आ गई जब मैं दर्द से बिलबिला उठी थी और रोने लगी थी।
मैंने रोहन से बोला- नहीं, मुझे नहीं डलवाना तेरा लण्ड अपनी गांड में, बहुत दर्द होता है!
तो रोहन बोला- मम्मी, अगर आपको जरा भी दर्द होगा तो मैं लण्ड बाहर निकाल लूंगा और फिर आप मेरे लण्ड को मुंह में लेकर झड़ा देना।
रोहन ने मुझे बहुत समझाया पर मैंने उसे साफ मना कर दिया।
मेरे मना करने से वो नाराज़ हो गया तो मैंने उसे हाँ बोल दिया और उससे बोला अगर ज्यादा दर्द हुआ तो मैं गांड में लण्ड नहीं डलवाऊंगी।
रोहन ने मेरी बात मान ली और तैयार हो गया।
इससे आगे की कहानी अगले भाग में!
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