जीजा और साली ने लिया चुदाई का सहारा

हेलो दोस्तों, मैं देसीकाहानी पर बहुत पुराना हू. इसलिए मैं आपको अपने बारे में ज़्यादा बतौँगा नही. जिसको मेरे बारे में जानने की थोड़ी बहुत रूचि हो, वो मेरी पुरानी कहानियाँ रॉबिनेरा91 के नाम से सर्च करके पढ़ सकता है.

बहुत सालों बाद मैं कोई कहानी बता रहा हू, क्यूंकी शादी के बाद कुछ इंट्रेस्टिंग था नही. अब मेरी सेक्स लाइफ का एक नया सफ़र शुरू हुआ है, मेरी साली नूवर के साथ. दरअसल हम दोनो की लाइफ में कुछ ऐसे हालात बने की हम लोग अपना-अपना दुख शेर करने के लिए फोन पे बात करने लग गये थे.

यहा से नूवर बहुत ज़्यादा मेरे नज़दीक आ गयी. पति के आक्सिडेंट पर उसने सबसे पहले फोन मुझे किया और सबसे पहले मदद मैने उसे भेजी. नूवर रोज़ मुझे फोन करती, और ऐसे हमारी बात फोन पर रोज़ होने लग गयी. हस्सी मज़ाक करते-करते हम बहुत देर तक बात करते.

आक्च्युयली हम दोनो को एक-दूसरे की कंपनी अची लगती थी. वो अपने बीमार पति के कारण दुखी थी, और में अपनी ओवर स्ट्रेस्ड वाइफ की वजह से. कही ना कही हम दोनो को दिल हल्का करने वाले मिल गये थे.

एक दिन किसी काम से मैं ससुराल गया था, तो नूवर वही थी. रात को खाना खा कर मैं च्चत पे चला गया. काफ़ी देर बैठ के जाने लगा तो नूवर भी आ गयी और बोली-

नूवर: बैठो रॉबिन. अभी इतनी जल्दी कहा सोने वाले हो?

उसके हाथ में कॉफी के 2 कप थे. कॉफी पीते-पीते हमारी बातें शुरू हो गयी. हमने महसूस किया की हम दोनो कितने अकेले से थे अपनी लाइफ में. नूवर अपने हालात बयान करते-करते 2 बार मेरे कंधे पर सर रख के रो पड़ी थी.

मैने उसे हॉंसला देने के लिए उठाया, तो पहली बार हम दोनो ने एक-दूसरे के लिए कुछ महसूस किया. एक-दूसरे से नज़रों में कुछ सहमति सी बन गे, की हम दोनो एक ही डगर से गुज़र रहे थे. फिर मैने बोला-

मैं: दीदी मैं आपको जितनी हो सके मदद करता रहूँगा. चलो नीचे मम्मी-पापा ढूँढ रहे होंगे.

तो वो बोली: तुम जाओ अभी यही बैठुगी.

सो मैं चला गया और सासू मा को बोला की नूवर दीदी उपर ही थी.

सासू बोली: वो अब अपनी मर्ज़ी से ही नीचे आएगी. तुम बैठो वो आ जाएगी.

मैं बैठ के टीवी देख रहा था, और 11 बजने को आ गये थे. मैने भी सोने का सोचा क्यूंकी सास-ससुर 10 बजे अपने रूम में चले गये थे. फिर जाके नूवर को देखने का सोचा तो वो अभी तक रूम में नही आई थी.

मुझे थोड़ी चिंता हुई, तो उसे देखने उपर गया. उपर वो चेर पर पैर उपर करके बैठी थी. मैं पास गया, और उसे आवाज़ दी. वो चौंक सी गयी और मुझे बोली-

नूवर: तुम क्यूँ आए?

मैने कहा: तुम अभी तक उपर ही हो, तो चिंता सी होने लगी. तो देखने आ गया.

वो बोली: मेरा ऐसे ही चलता है. मुझे कुछ समझ सा नही आया तो मैने बोला: चलो फिर नीचे चलो सो जाओ.

वो बोली: तुम जाओ, मैं आ जौंगी.

मैने ज़िद की, और उसे बाजू से पकड़ के उठा दिया. मेरी धड़कन 100 पर पहुँच गयी. दरअसल उसकी सलवार खुली हुई थी, और एक-दूं से नीचे आ गयी. उसने एक हाथ से संभालने की कोशिश की, लेकिन फिर भी एक तरफ से वो तकरीबन-तकरीबन नंगी हो गयी थी. मैने मूह फेर लिया तो उसने फटाफट सलवार बँधी और बोली-

नूवर: तुमको बोल रही थी जाओ-जाओ, पर तुम्हे समझ ही नही आया.

मैने कहा: दीदी मैने ऐसा कुछ सोचा भी नही था.

उसने मुझे धक्का सा मारा, और कहा: जाओ अपने कमरे में. मैं अभी हैरान हो कर हक्का-बक्का खड़ा था.

वो पीछे मूडी और बोली: क्यूँ इतना हैरान हो? मैं इसी से अपना मॅन बहलाती हू. तुम तो ऐसे देख रहे हो जैसे तुमने कभी हाथ इस्तेमाल किया ना हो. या फिर है कोई बाहर रखी हुई ये सब के लिए?

मैने कहा: दीदी ऐसा कुछ नही है. आप जानते हो हम एक ही कश्ती में सवार है. अगर आपका मॅन है तो आप रुक जाओ मैं चला जाता हू.

वो बोली: नही बस हो गया. चलो चलते है अपने-अपने रूम में.

मैने उसे एक साइड हग सी की, और कहा: सब ठीक हो जाएगा.

तो वो सिसक-सिसक के रोने लगी, और बोली: मैं तंग आ गयी हू ऐसी लाइफ से.

मैने उसे गले से लगाया, तो उसने भी मुझे हग कर ली. फिर मैने उसे हल्का सा पीछे किया, और बिना सोचे समझे उसे किस कर दिया. उसने मेरी तरफ देखा और मीठा-मीठा हासणे लगी. फिर हम दोनो ने एक-दूसरे को पकड़ लिया, और बस बिना किसी की सोचे हम किस करने लगे. 10 मिनिट तक हमने एक-दूसरे को चूमा.

फिर नूवर बोली: यहा कोई देख सकता है.

हम च्चत वाले कमरे में जहा से स्टेर्स उपर आती थी वाहा चले गये, और एक-दूसरे को लिपट गये. मेरे दिल की धड़कन अपना रास्ता भटक चुकी थी, और उसके साथ ही हम अपने रास्ते भटक कर अपनी हदों से आयेज आ गये थे. मैने नूवर की त-शर्ट उपर कर दी, और उसके दूध पर टूट पड़ा.

वो मेरा सिर अपनी छ्चाटी पर दबा रही थी. नूवर का फिगर मेरी वाइफ से 100 गुना अछा था. उसके 32″ के गोरे-गोरे लाल दूध मैने चूस-चूस के रसीले सेब की तरह कर दिए थे. फिर मैने उसकी सलवार खोल दी, और उसकी पनटी नीचे करके बीच वाली उंगली गीली पड़ी छूट में डाल दी.

नूवर पागल हो गयी, और दबे हुए होंठो में सिसकियाँ भांरे लगी. फिर मैने नीचे हो कर देखा तो उसकी छूट बुरी तरह गीली पद गयी थी. उसकी छूट पर हल्के-हल्के बाल थे.

नूवर की गीली छूट एक रस्स भरे शहद के छठे की तरह लग रही थी. हल्के-हल्के बालों पर छूट का पानी बल्ब की रोशनी में छ्होटे-छ्होटे मोतियों जैसे चमक रहे थे. मैने इतनी खूबसूरत छूट कभी देखी नही थी.

हल्के-हल्के बाल, एक-दूं गोरी और अंदर से लाल. मुझे छम-छम की मिठाई जैसा फील हो रहा था. जब मैने अपना मूह छूट पे लगाया था, मैं मदहोशी के सागर में बह गया. ऐसी खुश्बू आई की जैसे मैने कोई नशा कर लिया हो. नूवर ने मेरे बालों को इतना कस्स के पकड़ा था, पर मुझे एक पल के लिए भी दर्द महसूस नही हुआ.

नूवर धीमी-धीमी आवाज़ो में ह्म ह्म कर रही थी. उसकी छूट चाट-चाट के मैने सूखा दी. लेकिन पानी तो जैसे बंद ही नही हो रहा था. फिर मैं उठा और कहा-

मैं: दीदी अब तुम्हारी बारी.

नूवर घुटनो के बाल बैठी, और मेरा पिजामा नीचे करके लंड निकाल लिया. फिर एक सेकेंड में लंड ने अपना रौद्रा रूप धारण कर लिया. नूवर मुझे देख की हस्स पड़ी, और सिर हिलने लगी. मैने भी स्माइल की, और इशारा किया की रूको मत. नूवर ने लंड का टोपा मूह में डाला, और धीरे-धीरे आयेज बढ़ने लगी.

मैं सातवे आसमान पर था. बरसो से मेरे लंड को किसी ने चूसा नही था. मेरी वाइफ ने तो कभी देखा भी नही होगा. मेरा आनंद अपनी चरम सीमा पर था. नूवर ने इतनी आचे से चूसा की मैं ममता (मेरी पिछली स्टोरीस में ) को भी भूल गया.

फिर हम दोनो से रहा नही गया. मैने नूवर को उठाया, और पास पड़ी चेर पर घोड़ी बना दिया. मैने जैसे ही नूवर की छूट पर लंड भिड़या, उसकी आअहह निकल गयी. छूट से पानी बह रहा था. वो एक बार झाड़ भी चुकी थी. लंड का टोपा अंदर गया, और नूवर ने मेरा उसकी कमर पर रखा हाथ पकड़ लिया.

फिर नूवर बोली: ज़्यादा ज़ोर मत लगाना. तुम्हारा मोटा है, और मुझे किए हुए बहुत टाइम हो गया है.

मैने आराम-आराम से अंदर-बाहर किया, और धीरे-धीरे लंड उसकी गीली छूट में अपनी जगह बनाने लगा. कुछ पलों में लंड पूरा अंदर हो गया, और मैं सहजता से उसकी पतली कमर को पकड़ के उसकी छूट की पूजा में लग गया. नूवर आ आ उम्म अफ की सिसकियाँ भर रही थी. उसकी आँखें बंद थी, जिससे उसके सुखद भाव को मैं समझ पा रहा था.

यू लग रहा था की किसी प्यासे को बरसो बाद मानो पानी नही अमृत मिल गया हो. फिर उसने रोका और खड़ी हो गयी, और बोली-

नूवर: मुझे सामने से करना है. तुम्हारा लंड अंदर-बाहर जाते हुए देखना है.

उसने सूखने को डाले हुए जो कपड़े रखे थे, वो उठाए और चेर पर रख के उपर बैठ गयी, और दोनो टांगे उपर उठा ली. इस बार मैने पूरा लंड एक ही बार में डाला, लेकिन ज़रा प्यार से. नूवर ने उउउंम्म करके पूरा लंड अपनी छूट में समा लिया.

नूवर हेस्ट हुए बोली: मुझे ऐसे बहुत अछा लगता है.

इतनी गोरी लाल छूट में अपना लंड जाते देख मेरा जोश बढ़ गया, और मैने 4-5 ज़रा ज़ोर से शॉट्स लगाए.

नूवर सहम गयी और बोली: धीरे-धीरे ही करो, नीचे चेर भी आवाज़ कर रही है, और घर में सन्नाटा है.

छुआड़ी करते हुए 15-20 मिनिट हो चुके थे. मेरे लंड के अंदर माल उबाले मार रहा था. मैने नूवर को कहा की अब निकाल डू क्या? नूवर ने सहमति में सर हिलाया और मैने लंड बाहर निकाल के अपने लंड का दूध उसके पेट के उपर चिड़क दिया.

हमने अपने-अपने कपड़े पहने, और दबी आवाज़ में बात करते-करते अपने रूम्स की और चले गये. नूवर ने बताया की उसने भी पहली बार लंड चूसा था. उसका मॅन नही था, पर मोटा लंड देख के मेरा मॅन रखने के लिए चूसा था.

मैने बताया की छूट तो बहुत देखी थी, पर उसकी छूट का अलग ही नशा था. रूम में जाते-जाते उसने मुझे किस की और हम सोने चले गये. ये मेरी एक सॅकी घटना थी, इसलिए मैने कोई बढ़ा-चढ़ा के ज़्यादा डाला नही. वही लिखा जो मुझे फील हुआ और जो उसे फील हुआ. अगली कहानी में बतौँगा कैसे हमने अगले दिन बातरूम में रंगरलियाँ मनाई. अपने व्यूस और कॉमेंट्स देने लिए मुझे मैल करे रॉबिनेरा91@गमाल.कॉम पर. थॅंक योउ.

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