कहानी जवान नौकरानी की मज़ेदार चुदाई की

जब मैं 23 साल का था, तब मेरी नौकरी वेस्ट बेंगल के एक स्टील प्लांट में लगी थी. मुझे कंपनी की तरफ से घर मिला था. मेरे घर काम करने एक लड़की आती थी. उसका नाम था रानी. रानी थी तो 38 साल की, पर 30 साल की दिखती थी. उसका बदन तोड़ा भारी था, पर उसका झुक के झाड़ू लगाना मुझे बड़ा बेचैन करता था. मैं और मेरे सारे दोस्त रानी को लाइन मारा करते थे. पर वो किसी को भाव नही देती थी.

अब मुझे उमीद भी ख़तम हो गयी थी, और उसे काम करते हुए 3 साल हो गये. पर कुछ महीनो से रानी बहुत गुस्सैल हो गयी थी, और मैने उसे काम से निकालने का सोचा. मैं सोच ही रहा था की साल के एंड में उसे निकाल दूँगा. पर एक दिन वो सुबह घर आते ही बोली-

रानी: मैं आपके घर काम नही कर सकती.

मैने सोचा चलो बाला टली.

वो बोली: अब मेरी बेटी प्रिया यहा काम करेगी. वो 20 साल की है, और शाम को आ जाएगी.

शाम को दरवाज़े पे आवाज़ सुन के मैने खोला तो देखा एक पतली कमर की सेक्सी लड़की मेकप लगा के, सस्ते कपड़ों को स्टाइल से पहने हुए खड़ी थी.

मैने पूछा: तुम कों?

प्रिया: मैं प्रिया, रानी की बेटी. आपके घर काम करने आई हू.

मे: तुम सारा काम संभाल लॉगी?

प्रिया: हा मैं संभाल लूँगी.

मैने सोच चलो प्रिया ही सही. प्रिया बड़ी चुलबुली थी, और मज़ाक में मेरा हाथ पकड़ लेती थी. मैं भी उसकी कमर पर या गले पर हाथ फेर देता था. एक दिन मैं बेडरूम पर टीवी पर ‘ग़मे ऑफ थ्रोन्स’ देख रहा था, और प्रिया बाहर काम कर रही थी. तभी रानी ने मुझे आवाज़ दी-

प्रिया: काम हो गया है.

मे: हा ठीक है, जाओ.

प्रिया: आपसे बात करनी है.

मैं रूम से बाहर निकल कर: क्या हुआ?

प्रिया: मा बाहर गयी है. घर में टाला लगा है. मैं कुछ देर यही रुक जौ?

मे: ठीक है, तुम एक काम करो, मेरे रूम में चलो. मोविए देखते है.

ये कह कर मैं बातरूम चला गया, और वो रूम में चली गयी. जब मैं रूम में आया तो देखा प्रिया बेड से लगी हुई चेर में बैठी थी, और टीवी पर एक सेक्स सीन पे पॉज़ किया हुआ था. मेरी हवा निकल गयी. मैं भूल गया था प्रिया को रूम पर बुलाने से पहले.

इतने में प्रिया ने बोला: लगता है आपको शादी कर लेनी चाहिए. कब तक यही सब देखोगे?

मे: शादी तो तुमको भी कर लेनी चाहिए.

प्रिया: मेरी शादी हो चुकी है. मा ने 18 की होते ही शादी करा दी ताकि मेरा पति मुझे ले जाए. एक कमरे के घर में काम नही चलता, पर मेरा पति कामचोर है. वो भी उसी घर में रहने आ गया, तो काम करना भी बंद कर दिया.

उस दिन से हमारा खुल के बात करना चालू हो गया. शाम को दोस्तों के साथ सिगरेट पीते हुए एक दोस्त ने बताया की रानी का पति उसे छ्चोढ़ के भाग गया था. रानी अब अपनी वासना तृप्त करने के लिए एक 50 साल के आदमी को घर पे ले आई थी.

प्रिया शाम 6 बजे के पहले घर नही जेया सकती थी, क्यूंकी वही खाली टाइम मिलता था ठुकाई का उन दोनो को. मैने पूछा और प्रिया का पति?

तो उसने बताया: उसका क्या? उनको सोने की जगह मिल जाती है वही बहुत है. एक कमरे में कितने मज़े ले सकते है.

कुछ रोज़ बाद एक दिन एक आदमी रात 10 बजे मेरे घर आया, और कहने लगा: बाबू आपसे ज़रूरी काम है तोड़ा, पोलीस थाने चलिए.

मैने कहा: कों हो तुम, और मैं क्यूँ जौ?

आदमी: मैं रानी के साथ रहता हू. प्रिया का पति चोरी करते पकड़ा गया है, और पोलीस पुर घर के लोगों को थाने ले गयी है. वो पैसे माँग रहे है.

मैं पोलीस थाने पहुँचा तो बात करने पे ती ने कहा: 5000 देना पड़ेगा और कुछ दिन के लिए सब को यहा से डोर जाना पड़ेगा. क्यूंकी जिन्होने चोरी देखी है वो जानते है की वो लड़का इनका रिश्तेदार है, और साथ रहता है.

मेरे दिमाग़ में एक प्लान आया. मैने 5000 दे दिए, और रानी को पूछा: अब कहा जाओगी?

रानी: 100 केयेम डोर एक गाओं में मेरा भाई है. उसके घर कुछ दिन रह लेंगे.

मे: और मेरे पैसे?

रानी: मेरे पास अभी कुछ नही है. कमा के चुका दूँगी.

मे: काम तुम करोगी नही, और पैसे लेके भाग जाओगी.

रानी: तो क्या करू?

मे: प्रिया को यही छ्चोढ़ दो. मेरे घर में रहेगी च्छूप के. काम करती रहेगी, खाना भी वही हो जाएगा. तू जब वापस आएगी तो ले जाना. वैसे भी बिना पैसे के उतनी डोर पहुचेगी कैसे? बेटी के साथ धक्के खाते फ़िरेगी.

रानी: ठीक है. प्रिया आपके साथ रहेगी तो कम से कम मुझे अपने घर की खबर तो मिलती रहेगी. वरना उस पर कोई क़ब्ज़ा कर लेगा.

मे: और प्रिया का पति?

रानी: उस हरमज़ड़े को सड़ने दो जैल में. सारे फ़साद की जड़ वही है.

मेरी खुशी का ठिकाना नही था. पर प्रिया बड़ी गुम-सूम सी थी. मैने सोचा इसे तोड़ा जाए. मैने घर जेया कर चटाई दी सोने को. वो हॉल में बिछा के सोने लगी. ठंडी का दिन था. उसने बड़ी मुश्किल से रात काटी. मेरा तिफ्फ़िं सुबह और रात को आता था, और दोपहर में मैं ऑफीस में खाना खाता था. सुबह हमने साथ में नाश्ता किया और मैं चला गया.

शाम को पहुचा तो देखा की वो भूख से बेचैन थी, पर उसने कुछ कहा नही. मैं भी अपने कमरे में चला गया. रात का खाना आया तो वो हड़बड़ा के खाने लगी. सोने के टाइम उसने धीरे से कहा-

प्रिया: कंबल है क्या?

मे: मैं अकेला रहता हू तो एक ही कंबल है.

उस रात मैने देखा की वो खुद को उंगली कर रही थी. शायद गर्मी के लिए. मैं समझ गया काम होने वाला था. अगले दिन जब शाम को मैं घर आया, तो मैने गुस्सा होने का नाटक किया और प्रिया से कहा-

मैं: देखो तुमको अगर इस घर में रहना है तो इस घर की ठीक से सेवा करो. मेरी ठीक से सेवा करो. ऐसे मॅर हुए रहने का कोई मतलब नही है.

प्रिया: मैने कुछ किया क्या?

मे: तुम्हे कुछ चाहिए होता है तो मुझे बोला करो. पर ऐसे मुर्दे जैसे पड़ी मत रहा करो. तुम्हे भूख लगी है की नही?

प्रिया: हा (शरमाते हुए).

मे: तो बोलती क्यूँ नही? तुम्हे कुछ हो जाएगा तो रानी तो मुझे ही दोष देगी. ये लो.

मैने उसे समोसे दिए जो मैं लेके आया था. फिर उसे कुछ कपड़े और ब्रश दिए, क्यूंकी उसे अपने घर से कुछ लाने का टाइम नही मिला था, और एक पतला कंबल दे दिया.

फिर उसे कहा: नहा के कमरे में आ जाओ, मोविए देखते है.

30 मिनिट बाद मेरे कमरे का दरवाज़ा खुला और मैने देखा प्रिया केवल पनटी और कमीज़ में आई थी.

मे: ये क्या है?

प्रिया: आपने कहा था आपकी सेवा करनी होगी. ये चाहिए था ना आपको?

इतना बोलते ही प्रिया अपनी पनटी उतारने लगी. मैने उसे रोकते हुए पूछा-

मैं: क्या कर रहो हो?

वो बोली: यही तो करना है ना?

मे: करना तो यही है, पर ऐसे नही करना है.

प्रिया: मेरे पति तो ऐसे ही करते थे. घर में टाइम कम होता था, या जगह बड़ी मुश्किल से मिलती थी, तो वो जल्दी से मेरी पनटी उतार कर मुझे झुका कर पेलते थे. 2 मिनिट में हो जाता था, और मैं डरती रहती थी कोई देख ना ले.

मे: रूको मैं तुम्हे सिखाता हू ये कैसे होता है.

मैं मुस्कुरा के बाहर चला गया दरवाज़ा बंद करने. वापस आया तो वो वही खड़ी थी. मैं धीरे से उसके कमीज़ के अंदर हाथ डाल कर उसके कमर को सहलाने लगा. फिर उसके गले पर किस किया. उसकी आ निकल गयी. मैं धीरे-धीरे उसके शरीर के हर हिस्से को चूमता गया, और फिर उसकी कमीज़ उतार दी.

वो मेरा साथ तो दे रही थी, पर जोश में कमी थी. मैने धीरे-धीरे उसके बूब्स को सहलाना चालू किया. उसके साइज़ छ्होटे थे, पर शेप में थे. वो भी तोड़ा गरम होने लगी थी. मैं उसके बूब्स चूसने लगा. मैं तोड़ा भी अग्रेसिव होके अपना काम नही बिगाड़ना चाहता था.

फिर मैने अपने कपड़े खोल दिए. उसके बाद उसकी पनटी निकाल कर धीरे से उसके छूट को सहला दिया. फिर उसे बेड पे लिटा कर धीरे-धीरे उसकी जांघों को चूमते हुए उसकी छूट को चूमने लगा. वो मोन कर रही थी. अब वो पूरी खुल गयी थी, और उसका पानी निकल गया था.

मैने उसकी आँखों में देख के कहा: प्रिया तू मेरा एहसान मान कर ये करना चाहती है या तुझे सच में सेक्स करना है?

प्रिया: अब मत रूको प्लीज़. मुझे सच में करना है. प्लीज़ मत रूको.

मैने धीरे से अपना लंड उसकी छूट में डाला. वो अचानक अपने मूह पे हाथ रख के दबी हुई आवाज़ में आ करने लगी. उसे पता था उसकी आवाज़ बाहर नही जानी चाहिए. अब मैं धीरे-धीरे धक्के मारने लगा. उसकी आँखें उपर की और जाने लगी.

उसके पैर हवा में थे, और उसकी पायल की आवाज़ के साथ मैं धक्के मारता रहा. फिर मैने अपना सारा वीरया उसकी छूट में छ्चोढ़ दिया, और उसके उपर ही लेट गया.

थोड़ी देर बाद मैं उठा, और उसे गोद में उठा के शवर करने ले गया. उसने कहा उसके पॅड्स और अंडरगार्मेंट्स नही है. मैने कहा यहा वो कोई अंडरगार्मेंट्स नही पहनेगी. वो मुस्कुरा दी. हमने शवर में एक बार और सेक्स किया. फिर हम नंगे ही बिस्तर पर एक साथ सो गये.

सुबा मैने ऑफीस से बहाना करके छुट्टी लेली. मैने उसे अपने लाए हुए कपड़े ट्राइ करने को कहा. मैने पहले ही उसके लिए शॉर्ट लेंग्थ की फ्रॉक, शॉर्ट स्कर्ट और ट्यूब टॉप जैसे कपड़े लाए थे.

वो बोली: ऐसे कपड़े पहनने का मुझे बहुत शौक है. पर पैसे नही थे.

मैने पूछा: कल की चुदाई कैसी लगी?

उसने कहा: मैने पहली बार ऐसा फील किया है. मेरा पति तो 10-12 धक्के मार के चला जाता था.

ये बोलते हुए उसने मुझे किस कर दिया. उसके बाद 1 महीने तक हमने खूब चुदाई की. मैं जब जॉब पर जाता वो टीवी पर ब्फ देख के सीख कर मुझे मज़ा देती रही.

अब रानी को मैने कैसे छोड़ा, ये अगले भाग में बतौँगा.

अगर कहानी अची लगी हो तो प्लीज़ मैल में बताए प्रट्यूश88@मययहू.कॉम

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