जवान लड़की के साथ सेक्स

दोस्तो आपके लिए फिर एक मस्त कहानी आरएसएस पर लाया हूँ आपको पसंद आए तो कमेंट ज़रूर देना,,,
“पद्मा जल्दी करो, स्कूल के लिए देर हो रही है !” कहते हुये पवन अपने किरायेदार सुरेंद्र सिंह की बहन के कमरे में दाखिल हुआ, पद्मा उस समय स्कूल ड्रेस पहन कर झुकी अपने जूते पहन रही थी।
झुकी हुई पद्मा के स्कूल शर्ट से बाहर आने को बेताब उसकी मुसम्मियों के उभार और झुके होने से घुटने के ऊपर तक के स्कर्ट से झांकती उसकी गोरी सुडोल नंगी टाँगों को देख पवन के अंदर एक अजीब सी कसमसाहट हुई। पवन बहुत दिनों से पद्मा को भोगने की ताक में था।

27 साल का पवन एक जवान युवक था और सुरेंद्र की बीवी डॉली और सुरेंद्र की छोटी बहन पद्मा को अपने मकान में किरायेदार के रूप में रखे हुये था। पवन के परिवार में सिर्फ उसकी माँ ही रहती थी और पवन एक सरकारी नौकरी करता था। घर में खाना की दिक्कत थी तो उसने सुरेंद्र को इसी शर्त पर अपने घर में रखा हुआ था कि उसकी बीबी डॉली ही उसके और उसकी माँ के लिये खाना बनाएगी और बदले में वो उनसे किराया नहीं लेगा।
सुरेंद्र की नौकरी पक्की नहीं थी और वो एक प्राइवेट कम्पनी में काम करता था और उसको कम्पनी के काम से कई कई दिन बाहर टूर पर रहना पड़ता था, तो उसको यह शर्त सहर्ष मंजूर भी हो गई थी और सुरेंद्र को दारु पीने की लत भी थी, पवन अपने पैसे से उसको दारु पिला कर उसकी इस तलब को पूरी करता था।

पद्मा पढ़ाई के लिए शहर आई हुई थी और अपने भैया और भाभी के साथ ही रहती थी, वो एक कमसिन और खूबसूरत 18 साल की किशोरी थी जो गाँव में रहने के कारण अभी बारहवीं में पढ़ रही थी। जवानी में कदम रखती वो लड़की दिखने में ग़ज़ब की सुंदर तो थी ही, उस पर उसके अल्लहड़पन, शोखी और चंचलता ने उसको और भी खूबसूरत बना दिया था।
स्कूल की ड्रेस में उसकी चूचियों के बड़े उभार साफ दिखाई देते थे और उसके ड्रेस की स्कर्ट के नीचे दिखती गोरी-गोरी चिकनी टाँगें पवन को पागल बना देती थी।
पवन जानता था कि डॉली भाभी की ननद को भोगने की इच्छा करना ठीक नहीं है पर वो वासना के अधीन हो चुका था और उसकी जवानी का रस लेने के लिए बेताब था पर कोई सही मौका हाथ नहीं लग रहा था। एक बात और थी कि वो अपनी डॉली भाभी से छुपा कर यह काम करना चाहता था क्योंकि उसको डर था कि कहीं उसकी भाभी डॉली गुस्सा न हो जाए।

डॉली जैसी हरामी और चुड़क्कड़ औरत उसने कभी नहीं देखी थी। बेडरूम में अपने रंडियों जैसे अंदाज़ से शादी के 3 माह के अंदर ही उसने अपने मकान मालिक पवन को अपना चोदू बना लिया था और उसका पति भी बेबस होकर कुछ नहीं बोलता था क्योंकि साला नपुंसक था, डॉली की गांड और चूत की खुजली मिटाने में असफल रहता था।
चूंकि पवन दौलतमंद भी था सो डॉली के पति को दारु भी मिल जाती थी और वो भी कुछ नहीं बोलता था और इस तरह पवन को डॉली ने अपना दीवाना बना लिया था। पवन को डर था कि डॉली को यह बात पता चल गई कि उसकी निगाह पद्मा की कमसिन जवानी पर है तो ना जाने वो गुस्से में क्या कर बैठे।

जबकि वास्तव में उसका यह डर सिर्फ़ एक डर ही था क्योंकि डॉली पवन की इच्छा को बहुत अच्छे से पहचान गई थी। पद्मा को घूरते हुये पवन के चेहरे पर झलकती वासना उसने तो कब की पहचान ली थी, सच तो यह था कि वो खुद इतनी कामुक थी कि पवन से हर रात चुद कर भी उसकी कामुकता को तृप्ति नहीं मिलती थी और ऊपर से वो अपने पति की बहन को भी बिगाड़ कर उसे अपने वश में करना चाहती थी क्योंकि शादी से पहले डॉली एक लेस्बियन लड़की थी और उसने अपने स्कूल के दिनों में अपनी कुछ टीचर्स और ख़ास सहेलियों के साथ संबंध बना रखे थे। उसको लेस्बियन सेक्स में काफ़ी आनन्द आता था।
रात की चुदाई के बाद दोपहर तक उसकी चूत में फिर से खुजली होने लगती थी, वासना से उद्दीप्त योनि की अग्नि पर किसी कमसिन कन्या या खाई खेली औरत की जीभ की ठण्डक पाने के लिए उसकी निगाह भी पद्मा पर थी लेकिन फिलहाल उसे हस्तमैथुन से अपनी आग शांत करनी पड़ती थी।

शादी के बाद वो किसी और मर्द से संबंध नहीं रखना चाहती थी लेकिन क्योंकि सुरेंद्र जैसे नपुंसक से उसकी शादी और घर में ही मजबूत काठी का पवन और उसकी मस्त जवानी और मज़बूत लंड उसके पुरुष सुख के लिए पर्याप्त था। वो भूखी तो थी ही पर उसकी पहली पसंद तो लेस्बियन सेक्स ही थी। अब उसकी इच्छा यही थी कि कोई उसके जैसी चुदक्कड़ लड़की या औरत मिल जाए तो मज़ा आ जाए।
पिछले दो माह में वो भी पद्मा की उभरती जवानी की ओर बहुत आकर्षित होने लगी थी। अब डॉली मौका ढूँढ रही थी कि पद्मा को कैसे अपनी चंगुल में फंसाया जाए। पवन के दिल का हाल पहचानने पर उसका यह काम थोड़ा आसान हो गया।
एक दिन उसने जब पवन को स्कूल के ड्रेस ठीक करती पद्मा को वासना भरी नज़रों से घूरते देखा तो पद्मा के स्कूल जाने के बाद पवन को ताना मारते हुये बोली- क्यों लाला, मुझसे मन भर गया क्या? जो अब इस कच्ची कली को घूरते रहते हो, और वो भी अपने दोस्त की सग़ी छोटी बहन को?

पवन के चेहरे से हवाइयाँ उड़ने लगी कि आख़िर उसकी चोरी पकड़ी गई, वो कुछ ना बोल पाया।तब डॉली ने उसको एक दो और बातें सुनाई, फिर खिलखिला कर हंस पड़ी और पवन के होंठो को चूमते हुए कहा- मैं भी इस कमसिन गुड़िया की दीवानी हूँ, इसके बदन से खेलना चाहती हूँ और इससे अपनी फ़ुद्दी की आग ठण्डी करवाना चाहती हूँ।
तो पवन खुशी से उछल पड़ा।
डॉली ने पवन से कहा- तुम तो ऑफीस चले जाते हो दोपहर को, इधर अपनी वासना शांत करने में मुझे बड़ी तकलीफ़ होती है, मैं उंगली से ही अपनी मार मार कर परेशान हो जाती हूँ। इस चूत की आग बुझती ही नहीं, तुम बताओ मैं क्या करूँ?
और उसने अपनी शादी के पहले की अपनी सारी समलैंगिक प्रेम-वासना-कथाएँ पवन को बता दी।
पवन उसको चूमते हुये बोला- पर डार्लिंग, मैं तो हर रात तुमको चोदता हूँ।

डॉली उसे दिलासा देते हुये बोली- तुम तो लाखों में एक हो जानू, इतना मस्त लंड तो किस्मत वालियों को ही मिलता है। पर मैं ही ज़्यादा गर्म हूँ और मुझे लेस्बीयन सेक्स की आदत पड़ गई है, मुझे भी किसी लड़की की चूत चाटने और चूसने का दिल करता है। पद्मा पर मेरी नज़र बहुत दिनों से है, क्या रसीली छोकरी है। दोपहर को ये मेरी मस्त ननद मेरी बाहों में आ जाए तो मेरी किस्मत ही खुल जाए।
पवन फ़ौरन ही मान गया और उसने डॉली से कहा- अभी तो तूने मेरे लौड़े को ही खड़ा कर दिया है रानी, अब जरा जल्दी से मेरे लौड़े को बैठाने का इंतजाम कर दे !

डॉली भी गर्म हो गई थी, उसने भी पवन के कपड़े उतार कर फेंक दिये, जल्दी से अपनी साड़ी ब्लॉउज उतार कर सिर्फ ब्रा-पैंटी में अपने भरपूर मस्त और गुन्दाज बदन को पवन के सामने पेश कर दिया और एक मादक अंगड़ाई लेकर बोली- लो लाला, लगाओ भोग तेरी जवान भौजी तैयार खड़ी है चुदने को…
पवन का मूसल सा लंड तनतना कर आसमान की तरफ देखने लगा, जल्दी से उसने डॉली की ब्रा पैंटी को भी उतार फैंका और उसके रूप के सागर में गोते लगाने लगा… धचाधच फ़चाफ़च चुदाई से माहौल गर्म हो गया, करीब 20 मिनट की मस्त चुदाई लीला के बाद पवन ने अपना माल डॉली की चूत में छोड़ दिया।

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चुदाई के बाद पवन ने डॉली से एक सिगरेट सुलगाने के लिये कहा। डॉली ने पवन की पैंट में से सिगरेट निकाल कर बड़ी अदा से सिगरेट अपने होंटों से लगा कर माचिस से सुलगाई और खुद ही एक जोरदार सुट्टा लगा कर पवन की तरफ सिगरेट बढ़ा दी।
फिर दोनों सोचने लगे कि पद्मा को कैसे पटरी पर लाया जाये, शुरूआत कैसे की जाए।
तभी डॉली ने कहा- कल मैं किसी भी बहाने पद्मा को स्कूल नहीं जाने दूँगी और अपने बेडरूम के तकिये के नीचे नंगी तस्वीरों वाली पत्रिका रख कर उसको कमरे की साफ सफाई के काम में लगा कर वो कुछ घंटों के लिए मार्केट चली जाऊँगी। पद्मा जब बिस्तर की चादर ठीक करेगी तब उस किताब को ज़रूर पढ़ेगी और यही वक्त होगा जब तुम वहाँ पहुँचोगे, और फिर प्यार से, उसकी मर्जी से उसको चोदकर फिर ऑफ़िस के लिए निकल जाना। फिर मैं आकर दर्द से रोती उस मासूम छोकरी को पूछने और सहलाने के बहाने खुद भी भोगूँगी।
उस रात पद्मा की मस्त जवानी को चोदने के ख्याल से पवन को नींद भी नहीं आई और उसकी जुगाड़ डॉली भी उस रात उससे चुदने नहीं आई।

सुबह पवन ने नहा धोकर ऑफ़िस में फोन किया कि वो आज लेट आएगा और उधर रात को पवन के साथ सम्भोग न करने के कारण डॉली भी पद्मा के साथ देर तक जागती रही और उससे बातें करके उसे भी जगाये रही। इससे हुआ यह कि पद्मा सुबह स्कूल जाने के लिये समय पर ही नहीं उठी और डॉली ने पद्मा को जगाया ही नहीं जिसके कारण उसका स्कूल टाइम निकल गया।
और अब कुछ देर सुबह की दिनचर्या समाप्त होने के बाद डॉली ने नाश्ते में डॉली ने हलवा बनाया और उसमें कामोत्तेजक दवाई मिला कर पद्मा को बड़े प्यार से हलवा खिलाया, फ़िर अपने बिस्तर के तकिये के नीचे चुदाई की कहानियों और तस्वीरों वाली किताब रखकर पद्मा से बोली- पद्मा, मुझको बाजार जाना है, काफ़ी खरीददारी करनी है, इसलिए देर हो जाएगी, जरा मेरा कमरा ठीक कर देना, चादर, तकिया कवर भी बदल देना, उधर अलमारी में सब रखा है, मुझे आने में कुछ देर हो जायेगी।

“ठीक है !” पद्मा ने हलवा खाते हुए सहमति में सर हिलाया- जी भाभी, आप जाओ, मैं सब ठीक से कर लूँगी।
डॉली घर से बाहर चली गई और पद्मा कमरे में जाकर अपने काम में जुट गई। दवा का असर पद्मा के ऊपर होने लगा था उसको कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि अचानक उसके हाथ उसकी मुसम्मियों को क्यों सहलाने लगे हैं।
जब पद्मा अंदर चली गई तब डॉली ने घर के बाहर खड़े पवन से कहा- जाओ डार्लिंग, मज़े करो आज अपनी धर्म बहन को चोद लो। वो रोए चिल्लाये पर तुम उसकी परवाह मत करना। पवन को आँख मारकर वो दरवाज़ा बंद कर के चली गई।
दस मिनट बाद पवन ने अपने पूरे कपड़े उतार दिये और अपने फनफनाते लौड़े को अपने हाथ से सहलाया और बुदबुदाया- चल आज तुझे जबरदस्त चूत मिलने वाली है !

और उसने अपनी कमर से सिर्फ एक लुंगी बाँध ली और उसे भी नीचे से उठा कर लौड़े के ऊपर दोहरा बाँध लिया ताकि उसके लंड का उभार आसानी से न दिखे और फिर धीरे से अंदर जा कर देखा तो पद्मा बिस्तर पर बैठ कर नंगी चुदाई की तस्वीरों वाली देख अपनी गोरी टाँगों को आपस में रग़ड रही थी। उसका चेहरा कामवासना से गुलाबी हो गया था।
पवन उसके पास पहुँचा और बोला- देखूँ तो मेरी बहना क्या पढ़ रही है?
पद्मा सकपका कर किताब छुपाने लगी, तब पवन ने किताब उसके हाथ से ले ली जिसमें एक औरत को तीन पुरुष चूत, गांड और मुँह में चोद रहे थे।

पवन ने पद्मा को एक थप्पड़ मारा और चिल्लाया- तो तू आजकल ऐसी किताबे पढ़ती है? बेशरम लड़की, तब ही ऐसे ही चुदवाना चाहती है? तेरी हिम्मत कैसे हुई? देख आज मैं तेरा क्या हाल करता हूँ।
पद्मा रोने लगी और उसने कहा- यह किताब मुझको तकिये के नीचे से मिली है, मैंने आज पहली बार ऐसी किताब देखी है।
लेकिन पवन ने उसकी नहीं सुनी और उसको अपनी बाहों में दबोच लिया और उसके कपड़े निकाल दिए। पवन उसकी गोल गोल, कड़ी चूचियों को दबाने और सहलाने लगा। कामोत्तेजक दवा के असर के कारण थोड़ी देर में पद्मा को भी मज़ा आने लगा और उसने अपने आप को अपने भैया के हवाले कर दिया।

तभी पवन ने उसकी चूची को बहुत ज़ोर से मसल दिया। पद्मा चीख पड़ी- भैया, यह तुम्हारी बहन की ही चूची है, ज़रा धीरे से दबाओ ना।
पवन इतना सुनकर और भी पागल हो गया और अपनी लुंगी भी उतार दी, पद्मा उसके हल्लबी लंड को देख सहम गई और बोली- भैया इतने बड़े लंड से तो मेरी चूत तो फट जाएगी, प्लीज़ मुझे मत चोदो ! मैं अपने हाथ से आपकी मुट्ठ मार देती हूँ।
तब पवन ने कहा- मेरी बहना रानी, बहुत प्यार से तेरी चूत की सील तोडूंगा, तू चिंता मत कर..
और उसने अपना मुँह पद्मा की चूत की फांकों पर लगा दिया।

पद्मा मदहोश होने लगी। धीरे धीरे पद्मा के मुँह से रुलाई की जगह मादक सिसकारियाँ निकलने लगी। उसकी चूत पसीजने लगी और उसका कुंआरा बदन मस्ती के कारण कंपकपाने लगा। उसने अपने भैया का सर पकड़ अपनी बुर पर दबा लिया और एक मद भरा सीत्कार लेकर बोली- भैया, मेरी बुर को और ज़ोर से चूसो, जीभ डाल दो मेरी चूत के अंदर !
पद्मा की चूत पर हल्के हल्के झांटों के रेशे थे जो बहुत ही रेशमी और मुलायम थे, वासना की आग में जल रहे पवन को पद्मा की झांटों में अपनी जीभ फिराने में बहुत मजा आ रहा था, उसके दायें हाथ में पद्मा की एक गोल गोल चूची थी जिसको पवन बड़े ही मजे से हॉर्न जैसे मसक रहा था, उसको ऐसा लग रहा था जैसे पद्मा का दुद्दू दबाने से ही उसकी बुर में से नमकीन पानी छूट रहा हो जितना दुद्दू को मसलो, उतना अधिक रस पद्मा की चूत से निकलेगा।

कामवासना से सिसकते वो अपने भैया का मुँह चोदने लगी। पवन ने देखा कि उसकी छोटी धर्म बहन की चूत से मादक सुगंध वाला चिपचिपा पानी बह रहा है। उस शहद को वो प्यार से चाटने लगा। उसकी जीभ जब पद्मा के कड़े लाल कली जैसे क्लाइटॉरिस पर से गुज़रती तो पद्मा मस्ती में अपनी जांघें अपने भैया के सर को दोनों बाहों से जकड़ कर अपनी गांड उछालने लगती।
कुछ ही देर में पद्मा एक मीठी चीख के साथ झड़ गई। उसकी चूत से नमकीन शहद की नदी बहने लगी जिसे पवन बड़ी बेताबी से चाटने लगा। उसको अपनी बहन के चूत का पानी इतना अच्छा लगा कि वो पद्मा की चूत को वैसे ही बहुत देर तक चाटता रहा और पद्मा जल्दी ही फिर से वासना के खुमार में मस्त हो गई।

अब पद्मा पूरी तरह से पवन के काबू में आ चुकी थी, उसके मन से पवन का भय निकल चुका था, उसने मद भरी आवाज में पवन से कहा- भैया अब मैं तो झड़ गई हूँ ! अब तुम क्या करोगे? लाओ, मैं अपने हाथ से आपके लौड़े का पानी निकाल देती हूँ। पवन बोला- नहीं रे, मेरी छुटकी अभी देखना तेरी चूत फिर से गर्म कर दूँगा मैं, जैसे रोज रात को तेरी भाभी को कई कई बार चोदता हूँ न ! मैं उसी तरह तुझको भी आज पूरा मजा दूंगा।
पद्मा मुस्कुरा उठी, बोली- मुझे मालूम है, और मैंने खिड़की से कई बार आप दोनों की चुदाईलीला भी देखी है।
अब पवन पद्मा को चोदने के लिए बेताब था। वो फ्रिज से मक्खन उठा लाया और अपने सुपाड़े पर लगाने लगा। पद्मा उसके सूजे हुये कड़े लंड को देख फिर से डरने लगी क्योंकि उसको पता था कि अब उसका भैया उसकी नाज़ुक चूत का बुरा हाल बनाएगा। लेकिन उसको अब चुदाई से मिलने वाले आनंद को भी महसूस करने का मन था। इस आनंद के बारे में उसने अपनी सहेलियों से सुना था, और किताबों में पढ़ा और देखा भी था।

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पवन ने सुपाड़े पर मक्खन लगाने के बाद पद्मा को पकड़ उसकी चाटने से लाल हो चुकी चूत पर भी मक्खन मला और उसकी नाज़ुक कमसिन चूत की फांकों को एक हाथ फैलाया और अपने अपनी एक उंगली को उसकी बुर में मक्खन के साथ घुसेड़ दिया उसकी एक ऊँगली सट से अंदर चली गई अब पवन ने पद्मा को सीधा लेटा कर उसके पैरों को चौड़ा किया और उसकी चूत के मुहाने पर अपना मूसल जैसा लंड रख दिया, पद्मा की तरफ देखा और उससे कहा- जरा सा दर्द होगा बेबी तुमको, फिर देखना कितना मजा आएगा… ठीक है?
और यह कहते हुये पवन ने अपने लौड़े को जरा सा धक्का दिया मक्खन से सराबोर उसका लंड और चूत के खूनी मिलन का आगाज हो गया !!!

पद्मा दर्द से चीख पड़ी लेकिन पवन का लंड धीरे धीरे उसकी चूत में जगह बनाता हुआ घुसता रहा। उसको ऐसी नाज़ुक चूत चोदने में इतना मज़ा आ रहा था कि उससे रहा नहीं गया और उसने एक तेज धक्का लगा दिया। पद्मा को दर्द से छटपटा उठी लेकिन पवन ने उसके मुहँ पर अपने होंठों को जमा दिया और उसके होंठों को चूसते हुये हौले हौले धक्के लगाने लगा।
ज़्यादा आनन्द सहन ना हो पाने के कारण पवन को लगा कि वो झड़ जाएगा तब वो अपनी पूरी इच्छा शक्ति लगा कर रुक गया और पद्मा के होंठ चूसने लगा। कुछ देर में संभालने के बाद फिर से अपने धक्के शुरु कर दिये और पद्मा को भी तब तक अपनी चूत में दर्द कम हो कर मस्ती का एहसास होने लगा था, आख़िर वो भी एक जवान और चुदाई की प्यासी लड़की थी।

उसको मज़ा आने लगा और जब उसने अपनी आँखों को बंद करके किताब में चुदाई करवाती हुई औरत को याद किया तो एक अज़ीब सी सनसनाहट उसके शरीर में दौड़ गई। उसकी चूत पानी छोड़ने लगी जिससे पवन को उसकी बुर को चोदने में और भी आसानी होने लगी।
पद्मा ने अब अपनी बाहों को पवन के गले में डाल अपनी टाँगों को खोल उसको जकड़ लिया, उसको बेतहाशा चूमने लगी और अपनी कमर को उछाल उछाल कर चुदवाने लगी… आअहह भैया और ज़ोर से चोदो, फक मी हार्ड…
और पद्मा ना जाने कितनी बार उस चुदाई की आँधी में झड़ गई…

लेकिन पवन उसको लगातार चोदता ही रहा.. पवन के जबरदस्त धक्के वो बर्दास्त ना कर पाई और लगभग बेहोश सी हो गई… आखिरकर पवन भी अंत में कुछ ज़ोरदार धक्के मार कर झटके लेते हुए उसके ऊपर निढाल हो गया। झड़ जाने बाद पवन पद्मा के लगभग बेहोश पड़े शरीर पर लेटे हुये उसकी चूचियों से मज़ा लेता रहा फिर उठ कर नंगा ही बाहर चला गया।
बाहर डॉली उसका इंतज़ार कर रही थी। पवन की तृप्त आँखों में देख वो समझ गई कि चुदाई मस्त हुई है।
“चोद आए मेरी गुड़िया जैसी प्यारी ननद को?”
पवन खुशी से उसको चूमता हुआ बोला- हाँ मेरी जान, चोद दिया साली को, बहुत रो रही थी।

डॉली वासना के जोश में घुटने के बल पवन के सामने बैठ गई और उसका रसभरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगी। लंड पर पद्मा की चूत का पानी और पवन के वीर्य का मिलाजुला मिश्रण लगा था, जिसको पूरा साफ कर के ही उठी।
पवन कपड़े पहन कर ऑफीस जाने के लिए तैयार हुआ, फिर अपनी कामुक जुगाड़ डॉली से पूछा- अब तुम क्या करोगी?
डॉली बोली- पहले उसकी चूत चुसूंगी जिसमें तुम्हारा यह मस्त रस भरा हुआ है, फिर उससे अपनी चुसवाऊँगी। हम लड़कियों के पास मज़ा लेने के लिए बहुत से प्यारे प्यारे अंग हैं, आज ही सब सिखा दूँगी उसको !
पद्मा होश में आ गई थी और बेड पर लेट कर दर्द से सिसक रही थी। चुदवाने की प्यास ख़त्म हो जाने पर अब उसकी चुदी हुई चूत में बहुत दर्द हो रहा था।

डॉली उसके पास बैठ कर उसके नंगे बदन को प्यार से सहलाने लगी- क्या हुआ मेरी पद्मा रानी को? तू नंगी क्यों पड़ी है और तेरी टाँगों के बीच से चिपचिपा क्या बह रहा है?
पद्मा शर्म से रो दी- भाभी, पवन भैया ने आज मुझे चोद डाला।
डॉली ने नाटक करते हुए कहा- ओह ! ज़रा देखूँ तो, और वो पद्मा की चूत को झुक कर देखने लगी। उसकी चुदी हुई चूत को देखकर डॉली की चूत भी गीली होने लगी, डॉली बोली- चिंता मत कर तेरी चूत फटी नहीं, बस थोड़ी खूल गई है, पर क्या तू पहले भी किसी से चुद चुकी है? तुझको खून क्यों नहीं निकला?
पद्मा बोली- नहीं भाभी, वो तो स्कूल में मैं जिम्नास्टिक करती हूँ तो उसी में मेरी झिल्ली फट चुकी थी।

डॉली बोली- अच्छा इसी कारण तुझको खून नहीं निकला ! खैर तुझे दर्द और जलन हो रही होगी, मैं अभी ठीक कर देती हूँ।
ऐसा कहकर उसने पद्मा की चूत पर अपना हाथ फेरना शुरू किया तो पद्मा को फिर से अच्छा लगने लगा और उसने अपनी दोनों टांगों को फैला दिया अब डॉली को समझ में आ गया कि इसकी चूत को मेरा हाथ फिराना अच्छा लग रहा है, सो वो उसको चूमने लगी। फिर उसको जीभ से दो तीन बार चाटा, ख़ासकर लाल अनार जैसे दाने पर जीभ फेरी। पद्मा चहक उठी- भाभी, यह क्या कर रही हो? “कुछ नहीं, बस, तेरा दर्द कम कर रही हूँ, तुझे अच्छा नहीं लग रहा?” डॉली ने उसकी चिकनी जाँघों को सहलाते हुये कहा।
“बहुत अच्छा लग रहा है भाभी, और करो ना !”

डॉली ने झुक कर उसको चूत को चाटना और चूसना शुरू कर दिया। पद्मा काफ़ी गर्म हो गई और अपने चूतड़ उचका उचका कर अपनी चूत डॉली के मुँह पर रगड़ने की कोशिश कर रही थी। डॉली ने उसकी चूत को फैला कर बीच में अपनी जीभ डाल कर तेज़ी से उसकी चूत चोदने लगी तो पद्मा इस आनन्द को बर्दाश्त नहीं कर पाई और झड़ गई।
फिर डॉली ने अपने कपड़े उतार कर उसको भी अपनी चूत चाटने को बोला। पद्मा वैसे भी ऐसा करना चाहती थी क्योंकि उसकी एक सहेली लेस्बीयन थी जो अपनी कहानी अक्सर बताया करती थी। तभी से पद्मा की भी इच्छा थी कि वो भी कभी ्किसी सखी-सहेली या अपनी भाभी के साथ यह खेल खेले।

पद्मा ने अपनी पूरी मस्ती से डॉली के साथ इस लेस्बियन सुख के तालाब में गोते लगाये और डॉली को खुल कर यह भी बता दिया- भाभी, मुझको पवन भैया और तुम्हारे सम्बन्धों के बारे सब कुछ मालूम है और मैं खुद आपके साथ पवन का लौड़ा अपनी चूत में पिलवाना चाहती थी ! यह तो सब आपकी मेहरबानी से आराम से हो गया नहीं तो वो खुद ही रोज पवन के सामने झुक कर अपने दुद्दुओं का नजारा दिखा कर उसके लौड़े को अपने काबू में करना चाहती थी।

तो दोस्तो, उस पूरी दोपहर ननद और भाभी एक दूसरे की चूचियाँ और चूत दबाती और मसलती रही और एक दूसरे को संतुष्ट करती रही। और जब रात हुई तो एक बार फिर से सेक्स का मस्त खेल पवन, डॉली और पद्मा तीनों के बीच चला। अब तो उनकी यह नियमित दिनचर्या का एक अंग बन गया है।



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