होटेल में बाप-बेटी के रोमॅन्स की सेक्सी कहानी

ऐसे ही बातें करते हुए हम दूसरी वाली सिटी में एंटर हो गये. फिर यूनिवर्सिटी के पास वाली एक होटेल में हमने चेक-इन किया. फिर मैने मों को वीडियो कॉल की, और उनको होटेल दिखाया, रिसेप्षन के पास जेया कर. उनको बताया की मैं और पापा पहुँच गये थे, और कल सुबहा यूनिवर्सिटी में जाएँगे. (ये इसलिए की होटेल वालो को भी यकीन हो की हम बाप-बेटी यूनिवर्सिटी के काम से यहा आए थे, और उनको कोई शक ना हो. क्यूंकी कभी पोलीस वाला पंगा भी रहता है होटेल में, इसलिए).

पापा बेज़ार से खाना वग़ैरा लेने गये थे, और मैं उनका इंतेज़ार करने लगी. मैने हमारे डॉक्युमेंट्स भी रिसेप्षन पे सब्मिट कर दिए, और वाहा जेया कर पापा को रिसेप्षनिस्ट के सामने कॉल की-

मे: पापा, कितनी देर है, जल्दी आओ. मुझे ज़ोरो की भूख लगी है.

पापा: हा मेरी जान. मुझे पता है तुझे किसकी भूख लगी है. मैं आ कर तेरी सारी भूख-प्यास मिटाता हू. बस तोड़ा और वेट कर ले.

मैने रूम में जेया कर चेक किया, और तकिया चादर वग़ैरा अछा करवाया. उनको मैने बोला की पापा को बॅकएक की प्राब्लम है, तो वो मुलायम वाला गद्दा डलवाया. फिर मैं पापा के आने का वेट करने लगी. कुछ टाइम के बाद पापा आए बहुत सा समान लेकर. उसमे खाना वग़ैरा था.

पापा: बेटी क्या करना है, पहले खाना खाना है या? (पापा ने मेरी छूट की और देखा. ये सुन कर मैं शर्मा गयी)

पापा: अब इसमे शरमाना कैसा, जल्दी बताओ ना?

मे (पापा के लंड की और इशारा करते हुए): मुझे पहले ये खाना है (क्यूंकी मैं इंतेज़ार कर सकती थी, पर मेरी छूट नही. और मैने ज़्यादातर स्टोरी में पढ़ा है की जब ऐसे फॅमिली रीलेशन में कोई किसी की चुदाई करता है, तो कोई ना कोई बीच में तपाक पड़ता है. जैसे लास्ट टाइम मों बीच में आ गयी थी. इसलिए मैं इस बार कोई रिस्क नही लेना चाहती थी. खाना तो रोज़ ही मिलता है, पर दाद का लंड लेने का ऐसा मौका रोज़-रोज़ नही मिलता.)

पापा: बेटा, मुझे भी तुमसे यही उमीद थी. अगर तुमने पहले खाना खाने का बोला होता, फिर भी मैं पहले तेरी चुदाई ही करता. (ये सुन कर मैं फिरसे शर्मा गयी) ओक फिर तुम जल्दी से वॉशरूम में जेया कर चेंज कर लो. (और पापा ने बाग में से मों के ब्लॅक ड्रेस के नीचे मों की रेड माक्ष्य और अंडरगार्मेंट्स जो च्छूपा के रखी थी, उसे मेरी और फेंका, और वॉशरूम की तरफ इशारा किया).

मैं वॉशरूम गयी, और नहा कर कपड़े चेंज किए. छूट तो में यहा के लिए निकालने से पहले ही घर पे शेव कर दिया था. जब चेंज करके बाहर आई, तो रूम में बेड के उपर गुलाब की पंखुड़िया थी, और पुर रूम में एग्ज़ोटिक रूम स्प्रे की खुश्बू आ रही थी. पापा ने भी चेंज कर लिया था.

मे: ये सब क्या है?

पापा: भले ही हम दोनो सिंगल की ये पहली ना हो, पर हम दोनो की तो ये पहली ही चुदाई है ना. तो इसको यादगार बनाते है.

और पापा ने मुझे हाथ पकड़ के बेड पे खींचा, और मेरे होंठो को अपने होंठो से जाकड़ लिया. वो मुझे किस करने लगे. एक हाथ को पापा ने मेरे बूब्स के उपर रखा, और उसे आचे से मसालने लगे.

वाउ, पापा क्या मस्त होंठो को चूस रहे थे, एक-दूं आराम से, मज़े लेते हुए. वो मेरे उपर के होंठ और नीचे के होंठ को बारी-बारी से अपने मूह में भर के चूस रहे थे. मैं भी मदहोश हो रही थी. दूसरे हाथ से मेरे बूब्स को वो उपर से सहला रहे थे. तो मैने उनका हाथ पकड़ के अंदर डाल दिया, और अपने बूब को डबवाने लगी.

पापा: वाउ बेटी, क्या मस्त सॉफ्ट बूब्स है तेरे. आज तो मज़ा आ गया.

मे: क्यूँ दाद, मों के बूब्स उतने सॉफ्ट नही है क्या? आ.

पापा: सॉफ्ट तो है बेटा, पर उसके बूब्स अब काफ़ी बड़े और लूस हो गये है. तो उतना मज़ा नही आता. तेरे जैसे टाइट और सॉफ्ट बूब्स में बहुत मज़ा आता है. जो मज़ा एक लड़की को दबाने, मसालने, और छोड़ने मैं है, वो एक औरत को छोड़ने में कहा.

और पापा मुझे हर आंगल से किस कर रहे थे. मुझे दबा रहे थे. मुझे तोड़ा सा दर्द भी हो रहा था, पर मज़ा भी आ रहा था. कुछ देर के बाद हम दोनो बस 2 कपड़ों में थे. पापा मेरी ब्रा को घूर रहे थे.

मे: क्या सोच रहे हो?

पापा: सोच रहा हू की एक नौ-जवान लड़की के बूब्स कैसे होंगे?

मे: 2 फीट का फांसला है, खुद ही देख लो.

मेरे इतना बोलते ही पापा ने मुझे अपनी और खींचा, और वापस अपने होंठ मेरी पंखुड़ियो पे सत्ता दिए. इस दौरान कब मेरे सीने से मेरी ब्रा अलग हो कर फ्लोर पे जेया गिरी, मुझे पता ही नही चला.

पापा मेरे छ्होटे से बूब्स को कुछ देर तक देखते रहे, जैसे कोई भूखा बच्चा लॉलिपोप देख रहा हो. फिर वो भी अपने उपर के कपड़े निकाल कर मेरे पास आए और मेरे बूब को हाथो में लेकर उसे चूसने लगे. आ, पहली बार मेरे बूब्स को कोई मर्द चूस रहा था.

मैं फुल ओं एग्ज़ाइटेड थी. एक तो पहली बार किसी जेंट्स का हाथ लग रहा था, और वो भी बॉय का नही, एक मेट्यूर्ड आदमी का और वो भी सगे बाप का. तो इन सब चीज़ो के कॉंबिनेशन से मेरी एग्ज़ाइट्मेंट चरम सीमा पे थी. दाद ने मेरे बूब्स को चूस कर और दबा कर लाल कर दिया. उसके बाद पापा मेरी पूरी बॉडी को किस्सिंग करते हुए मुझे सहलाने लगे. फिर वो बेड पर लेट कर मुझे अपनी अंडरवेर की और इशारा करते हुए बोले-

पापा: लो बेटा, अब तुम्हारी बारी.

और उनका इशारा मैं समझ गयी. मैं भी उतावली हो रही थी इस चीज़ के लिए. मैने भी काँपते हाथो से उनके अंडरवेर को उपर से पकड़ा. पापा ने अपनी गांद को तोड़ा उपर उठाया, और मैने आँखें बंद करके उनकी अंडरवेर को निकाल दिया.

पापा: बेटा आँखें खोलो, और इसे हाथ में लेके सहलाओ.

ये सुनते मैने अपनी आँखें खोली, तो पापा का लंड बिल्कुल क्लीन शेव था. जैसे हम लोग पॉर्न वीडियोस में देखते है वैसा काला, बड़ा, और तगड़ा लंड मैने इमॅजिन किया था. पर पापा का लंड मीडियम साइज़ का था. मैं तोड़ा सा डिसपायंट भी हुई. पर पापा को ये मैने फील नही होने दिया, और स्माइल के साथ उनके लंड को अपने हाथो में पकड़ा.

पापा: आ, नाइस बेटा. तुम्हारे हाथ भी कितने सॉफ्ट है, बिल्कुल तुम्हारे बूब्स की तरह. इसे उपर-नीचे करो.

और मैं हाथ से लंड को सहलाने लगी. कुछ देर उपर-नीचे किया. पापा की आँखें बंद ही थी, और वो मोन कर रहे थे. उनके चेहरे पे खुशी सॉफ दिख रही थी. फिर मुझे लगा की नेक्स्ट स्टेप पे जाना चाहिए, तो पापा मुझे कुछ बोले, उससे पहले मैने अपना मूह खोल कर उनके लंड को अपने मूह में समा लिया, और पापा को ब्लोवजोब देने लगी. अपने लंड पे गीला महसूस होते ही पापा ने आँखें खोल कर मुझे अपना लंड चूस्टे हुए देखा.

पापा: वाउ बेटी, तुम सच में बड़ी हो गयी हो. मेरे बोलने से पहले ही तुमने मेरे दिल की बात सुन ली. आ, चूसो इसे, और अंदर लो. आ बेटी, मज़ा आ गया. ऐसे लग रहा है की स्वर्ग से कोई अप्सरा आ कर मेरा लंड चूस रही है, आ.

और ऐसे ही चूस्टे-चूस्टे पापा कुछ देर मैं झाड़ गये. मैने उनका सारा पानी अंदर निगल लिया, और लास्ट में उनके लंड को चूस-चूस कर पूरा निचोढ़ दिया. इससे पापा बहुत खुश हो गये. शायद मों ने कभी पापा का पानी नही पिया होगा पहले. पर मेरा इसके पीछे और ही मकसद था.

मे: पापा, कैसा लगा?

पापा: बहुत मज़ा आया मेरी जान.

मे: क्या मों आपका लंड चूस्टी है, और पानी पीटी है क्या?

पापा: शादी के कुछ साल बाद तक पिया, फिर नही पीटी वो. हा, कभी-कबार लंड चूसने को मान जाती है. पर अब तू आ गयी है ना, अब मुझे कोई टेन्षन नही. तुझे मैं रोज़ पिलौँगा. तू पिएगी ना?

मे: हा दादी, मैं हर तरह से आपको हॅपी करूँगी. और ये तो बस शुरुआत है. आयेज देखो की मैं आपको आपकी जवानी याद दिलाती हू. लो पापा, अब आपकी बारी.

और मैने अपने पैर फैला दिए. पापा मेरा इशारा समझ गये, और नीचे झुक कर मेरी छूट के पास आ गये. हल्के से उन्होने मेरी पनटी को पकड़ा, और नीचे उतारने लगे. पर मैने उनको रोक लिया. आधी पनटी उतार चुकी थी, और मेरा हाथ उनके हाथो को रोके हुए था.

मे: पापा मुझे आपको एक बात बतानी है. पर इससे पहले एक बात बताओ, की जब आपने फर्स्ट टाइम अपनी गफ़ के साथ सेक्स किया होगा. तब उसे कुछ गिफ्ट दिया होगा?

पापा: एस, टीनेज लड़कियाँ बिना कुछ लिए कहा कुछ देती है.

मे: और मों को भी आपने गिफ्ट दिए होंगे?

पापा: एस, ढेर सारे.

मे: तो आप मेरे लिए कुछ नही लाए?

पापा: सॉरी बेटा, मैं जल्दबाज़ी में भूल ही गया. तू बता दे तुझे क्या चाहिए? कल हम शॉपिंग में से ले आएँगे.

मे (कुछ सोचते हुए): पापा, मुझे एक नया स्मर्टफ़ोने चाहिए (मुझे लगा पापा शायद ताल देंगे).

पापा: डन बेटा. कल मैं तुम्हे नया लेटेस्ट मॉडेल फोन दिला दूँगा.

मे: थॅंक्स पापा. और एक चीज़ में आपको बताना चाहती हू.

पापा: वो क्या है?

मे: पापा, आप पहले मर्द है जो मेरी छूट का उद्घाटन करेंगे, ई’म आ वर्जिन.

पापा: क्या? सच में?

मे: एस दाद, समझ लो की मेरी छूट में आपके ही लंड का नामे लिखा है.

पापा: ऑम्ग! मुझे यकीन ही नही हो रहा है. तेरी मों की छूट भी खुली हुई थी, तो मैने सोचा की मेरे नसीब में कुवारि छूट है ही नही. पर आज मों की कमी को बेटी ने पूरा कर दिया.

फिर एक जी झटके में पापा ने मेरी पनटी को निकाल फेंका, और मेरी छूट को एक भूखे जानवर के जैसे घूर्ने लगे.

पापा: सच में बेटी, क्या कमाल की गुलाबी छूट है तेरी. मस्त डबल रोटी जैसी, फूली हुई, और नाज़ुक पंखुड़ियो जैसी. आज तो इसे मसालने में मज़ा आएगा. आज तो छोड़-छोड़ कर तेरी छूट का भोंसड़ा बना दूँगा मैं.

मे: पापा, जो भी करना प्लीज़ आराम से करना. मैं बेटी हू, कोई रंडी नही. और मेरा फर्स्ट टाइम है. सो प्लीज़ आराम से.

पापा ओक बोल कर मेरी छूट को हाथ से मसालने लगे, और मेरे पैर फैला कर मेरी जांघों को चूमने लगे. उनका एक हाथ मेरे बूब को मसल रहा था, और दूसरे हाथ से वो मेरी जांघों को मसल रहे थे.

ऐसे ही कुछ देर करने के बाद मेरी छूट के होंठो (लेबिया) को उन्होने अपनी दो उंगलियों से खोल कर अपनी ज़ुबान को अंदर डाल कर उसे चूसने लगे. मैं तो जैसे हवा में उड़ने लगी. पापा अपनी टंग को अंदर-बाहर करते हुए मस्त सक कर रहे थे, और साथ ही मेरी छूट के दाने (क्लाइटॉरिस) को भी अपने मूह में भर कर जैसे चबा रहे थे. मेरे अंदर तो जैसे एक करेंट सा दौड़ने लगा.

इसके साथ-साथ मेरा पानी भी निकालने लगा, जिसे पापा ने भी पी लिया. फिर वो खड़े हुए, और बगल में पड़ा हुए एक टवल को लेकर मेरी गांद के नीचे रख दिया.

पापा: लो बेटा, अब तुम्हारी छूट लूब्रिकेट हो गयी है, तो तुम्हे दर्द कम होगा. अब बेटा, मैं तुम्हारी छूट में अपना लंड डालने जेया रहा हू. इसके बाद हमारा रिश्ता पूरा चेंज हो जाएगा. क्या तुम रेडी हो?

मैं कुछ आन्सर देती उससे पहले ही गाते पे नॉकिंग हुई, और मैं और पापा एक-दूसरे को देखने लगे. हम दोनो की आँखों में जो चुदाई की हवस छाई हुई थी, वो जैसे गायब हो गयी.

पापा अपना खड़ा लंड हाथ में पकड़े हुए मेरे अंदर डालने को रेडी थे, और नीचे लेती हुई मैं अपनी टांगे फैला कर अपनी छूट में पापा का लंड सामने के लिए रेडी थी. और गाते पे नॉकिंग हो रही थी.

तो क्या इस बार भी मेरा लंड लेने का सपना अधूरा रहेगा? जानिए नेक्स्ट पार्ट में. कॉमेंट्स ज़रूर कीजिएगा. कॅन कनेक्ट उस ओं ए-मैल/गूगले छत ओं लज़्यलीहास@गमाल.कॉम

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