बेटी ने खोला बाप का राज़ बाप के सामने

अब आयेज…

क्यूकी मेरे पापा मुझे छोढ़ना चाहते हैं मुझसे सेक्स करना छाते है. मेरे सभी सवालो के जवाब मुझे अब मिल चुके थे और मेरे माइंड में अब सब क्लियर था. मैने अपने पापा के लिए बहुत कुछ किया लेकिन उन्होने मेरे लिए अछा नही किया.

यूयेसेस दिन मैने सुबा से शाम तक कुछ नही खाया और काफ़ी देर तक रोटी रही और शाम तक बहुत कुछ सोचने समझने के बाद मैने अपने पापा से बात ना करने का फ़ैसला किया. की अब मैं कभी अपने पापा से बात नही करूँगी.

इश्स दिन मेरी लाइफ का सब्से खराब दिन था. मैं पूरा दिन बस रो ही रही थी. मेरा मूड बहुत जयदा खराब था. मेरी हालत बहुत जयदा खराब हो चुकी थी.

इशी बीच पापा के स्मस भी आते जा रहे थे. लेकिन मैं अब कोई भी रिप्लाइ नही कर रही थी.

यूयेसेस दिन शाम के 7 बाज गये.

मम्मी पापा ऑफीस से घर आ गये थे. पापा का घर आने के थोड़ी देर बाद भी मेरे पास स्मस आया. मैने कोई रिप्लाइ नही किया.

फिर रात हो गयी. मैने खाना बनाया और फिर हम सब ने खाना खाया. फिर हम सब सोने के लिए अपने अपने रूम में चले गये. रात को भी पापा के स्मस आते रहे लेकिन मैं फोन को साइड में रख कर सो गयी.

मैने पापा मम्मी के रूम में भी जाना बंद कर दिया था. जब पापा ऑफीस चले जाते तब मैं उनके रूम की सफाई वगेरा करने जाती.

मैं फेस तो फेस भी पापा से नज़ारे नही मिलती थी. मैं सुबा जान के लाते उठती जब पापा ऑफीस चले जाते और शाम को जब ऑफीस से आते तो मैं जल्दी से खाना बना कर रात को भी जल्दी सो जाती.

ऐसे करते करते 2 दिन बीत गये. पापा के स्मस बार बार आते रहते की क्या हुआ नीलम बेटा. बात क्यू नही कर रहे बेटा.? नाराज़ क्यू हो.? बहुत से स्मस आते लेकिन मैने रिप्लाइ बिल्कुल भी नही किए.

क्यूकी मैं अब बिकुल बात नही कर रही थी तो अगले दिन शाम को पापा जब ऑफीस से आए तो मम्मी किचन में काम कर रहे थे और भाई पापा मम्मी वेल रूम में था. तो मोका देख कर पापा मेरे रूम में आए और मेरे पास एक गिफ्ट रखा. और जल्दी से मेरे रूम से बाहर चले गये.

इतने में मम्मी ना देख ले और घर में कोई प्रॉब्लम्स ना हो जाए इसलिए मैने यूयेसेस गिफ्ट को तो खोल कर नही देखा लेकिन अपनी आल्मिरा में छुपा के रख दिया. जहाँ मैने पापा की गिफ्ट दी हुई क्रॉप त-शर्ट “डॅडी प्रिन्सेस” रखी हुई थी.

पापा को लगा की मैं किसी बात से नाराज़ हू और इसलिए वो मेरे लिए गिफ्ट लाए और उन्हे लगा की वो मुझे इश्स बार माना लेंगे. लेकिन बात बहुत बड़ी थी. सारी लिमितेस क्रॉस हो चुकी थी. और मैने पहले ही पापा को बोल दिया था की हम तब तक गफ़ ब्फ बन के नॉर्मली बात करेंगे लेकिन मुझे कोई ऐसी दिक्कत नही होनी चाहिए. लेकिन अब वो दिक्कत बढ़ गयी थी.

उन्हे लगा पापा मुझे इश्स बार भी माना लेंगे लेकिन उन्हे ये नही पता की मैने उनका गिफ्ट तक भी खोल के नही देखा.

ऐसे ही 5 दिन बीत गये मैं घर में बस भाई के साथ तोड़ा हसी मज़ाक कर लेती और मम्मी के साथ थोड़ी बहुत बाते कर लिया करती थी. और बाकी टाइम मेरा घर के काम सॉफ सफाई और खाना वगेरा ब्नाने में लग जाता था. और रात को जल्दी सो जाने पर दिन का टा ही नही चलता था.

धीरे धीरे पापा के भी बहुत से रिक्वेस्ट के स्मस आने लगे. और मेरे कोई भी स्मस का ना रिप्लाइ करने पर धीरे धीरे स्मस आने बंद हो गये. और पापा भी अब सब्से कम बात करने लगे और घर से ऑफीस और ऑफीस से घर ही आया जया करते.

10 दिन हो गये. अब पापा के बिल्कुल ही स्मस आना बंद हो गये. 10 दिन से पापा की मेरे से ना तो बाइ फेस और ना ही स्मस के ज़रिए बात सब बिल्कुल बंद हो गयी.

धीरे धीरे पापा अब रात को खाना बिना खाए ही सो जाते. और दिन में भी कभी कभी बिना खाना खाए ऑफीस में काम जयदा है का बोल कर जल्दी ऑफीस चले जाते.

लेकिन मुझे इश्स बार कोई असर नही था उनके खाना खाने या ना खाने से. मैं बस अपनी लाइफ में नॉर्मल मम्मी और भाई के साथ ही खुश थी.

15 दिन ये सब चलता रहा. पापा ने खाना पीना बहुत जयदा केयेम कर दिया. और जब भी घर होते अपने रूम में ही बेते रहते. छोटे भाई से भी बात करनी बंद कर दी.

और कुछ दिन में पापा बीमार हो गये. घर में सबको टेन्षन हो गयी. और एक दिन सुबा के 8.30 ब्जे थे और पापा बेहोश हो गये.

मम्मी पापा अपने रूम में थे मम्मी ने ज़ोर से चीख मार कर मुझे बुलाया. छोटा भाई और मैं भागते हुए उनके रूम में गये. और मैने देखा पापा काफ़ी बीमार हुए पड़े थे और बेहोश पड़े थे. ये देख मम्मी मेरे भाई हम सब के होश उध गये.

हुँने उनपर पानी की चीते मारी और पापा को हल्का होश आया तो मैं और मम्मी पापा को जल्दी से गद्दी में बेता कर हम अपने फॅमिली डॉक्टर के हॉस्पिटल में ले गये. डॉक्टर अंकल पापा के काफ़ी आचे दोस्त थे.

हॉस्पिटल पहुँचते ही पापा को उन्होने एक सेपरेट रूम में अड्मिट किया और पापा को ग्लूकोस वगेरा की बॉटल लगाई और एक इंजेक्षन दिया. और पापा के जल्दी से टेस्ट वगेरा किए.

अंदर ही अंदर मैं रोने लगी. और बहुत प्रेशन होने लगी और अपने आप को ब्लेम करने लगी की ये सब मेरी वजह से हुआ है.

डॉक्टर अंकल हमारे सारे काम जल्दी जल्दी करवा रहे थे. और पापा को अलग से जिस रूम में अड्मिट किया था यूयेसेस रूम में काफ़ी फेसिलिटीस थी.



दोफर के 1 ब्जे तक मैं मम्मी के साथ हॉस्पिटल बेती रही और फिर मैं घर आ गयी और घर से खाना बनाया और भाई को खाना खिलाया और फिर मम्मी के लिए खाना पॅक कर के और भाई घर पर अकेला था तो भाई को भी हॉस्पिटल में ले आई.

शाम तक पापा की रिपोर्ट्स वगेरा आ गयी थी. मम्मी और मैं डॉक्टर के कॅबिन में गये.

डॉक्टर अंकल ने मम्मी और मुझे ब्टाया की…

डॉक्टर – इनको डिप्रेशन है. घबराने की कोई बात नही है. ई थिंक किसी बात का स्ट्रेस है उन्हे. टेन्षन से उनका ब.प लो हो गया है इसलिए वो सुबा एक दूं चाकर खा कर गिर गये और बेहोश हो गये. और उन्हे वीक्नेस्स भी बहुत आ गयी हैं.

मम्मी – हन.. खाना भी कभी कभी नही खाते और ऑफीस की भी बहुत टेन्षन रहती है.

डॉक्टर – डॉन’त वरी. आप बस उन्हे खुश रखिए. और किसी बात की स्ट्रेस या टेन्षन ना होने दे. बाकी हम इलाज़ कर रहे हैं जल्दी ही खाना पीना आचे से शुरू कर देंगे और जल्दी ही वीक्नेस्स भी दूर हो जाएगी.

रात के 8 बाज गये.

फिर मैं और भाई घर आ गये. और मम्मी पापा के साथ हॉस्पिटल में रह रहे थे.

मैं घर आते ही रोने लगी. छोटा भाई मुझे चुप करने लगा. मैं काफ़ी प्रेशन हो गयी थी.

मैं अपने आप को ब्लेम करने लगी की ये सब मेरी वजह से हुआ है. मैने पापा से बिना उन्हे कोई रीज़न ब्टायाए बात करना बंद कर दी. इसलिए वो इश्स टेन्षन में बीमार हो गये.

फिर मैने पापा को याद करते हुए उनका दिया हुआ गिफ्ट जल्दी से ओपन किया. उसमें एक प्यारी सी कमरबन्द चैन थी. जो की लड़किया अपनी कमर में पहनती हैं.

मैं पूरी रात यही सब सोच सोच के रोटी रही. मुझे पूरी रात नींद नही आई. मैने रात में 3-4 बार मम्मी को कॉल कर के पापा का हाल चल पूछा.

और मैने कहीं ना कहीं सोचा की मेरी वजह से ये सब हुआ है अब मुझे ही सब ठीक करना है.

अगले दिन सुबा 9 ब्जे मैने जल्दी से उठ कर घर की सॉफ सफाई की और भाई को बर्कफ़ास्ट क्रवाया और मैं भी जल्दी से नहा ली. मैने यूयेसेस दिन ब्लॅक टॉप और जीन्स पहनी और टायर हो गयी.

और मैं सुबा 11 बजे मम्मी के लिए खाना ले कर होस्टपितल पहुँच गयी. मैं हॉस्पिटल के रूम में पहुँची जहाँ पापा अड्मिट थे.

मैने देखा पापा बेड लेते हुए थे और उन्हे ग्लूकोस की बॉटल लगी हुई थी और मम्मी साथ में चेर में बेते हुए थे. मैने मम्मी को खाना दिया.

और पापा से मैं 15 – 20 दिन के बाद पहली बार बोली….

मैं – कैसे हो पापा.?

पापा – ठीक हू नीलम बेटा…

फिर मम्मी ने खाना खाया. और फिर मम्मी से थोड़ी बहुत बात की. और काफ़ी देर मैं और मम्मी पापा के साथ बेते रहे. पापा ने तोड़ा बहुत फ्रूट खाया.

फिर दोपर को डॉक्टर अंकल पापा को देखने आए. फिर उन्होने ह्यूम थोड़ी बहुत दवाई लिख के दी.

डॉक्टर – पहले से ठीक हैं अब.. सब शी है. आप अब थोड़ी देर रेस्ट करे और सो जाए. मैं अब रात को फिर से देख जौंगा.

डॉक्टर दिन में 3 बार पापा का इनस्पेक्षन करने आते थे. सुबा दोफर को और फिर रात को देखने आते.

दोफर 2.30 का टाइम था. मैं और मम्मी डॉक्टर की लिखी हुई दवाई वगेरा लेने गये. डॉक्टर भी पापा को रेस्ट करने के लिए बोल कर चले गये थे.

हॉस्पिटल तोड़ा खाली खाली था. और दोफर का टाइम था तो हर कोई अपने अपने रूम में रेस्ट कर रहा था.

मैं – मम्मी अब आप घर जाओ. मैं यहाँ पापा के साथ बेती हू. आप कल रात से सोए नही हो आप घर जा के आराम करो और सो जाओ. भाई और आपके लिए मैं लंच बना के आई हू. आप खाना खा के सो जाना. और रात को आ जाना.

मम्मी – ओके नीलम बेटा. तू भी लगता है नही सोई पूरी रात. तेरी आँखे भी भारी पड़ी हैं. तू भी थोड़ी देर यहाँ रेस्ट कर लियो. अब रात में ही आएँगे डॉक्टर तेरे पापा को चेक करने.

मैं – ओके मम्मी. आप मेरी टेन्षन मत लो. आप घर जाओ और आराम से रेस्ट करो अब. और रात को आराम से आ जाना.

मैं मम्मी से बात करते करते मम्मी को हॉस्पिटल के बाहर तक छोढ़ आई और मम्मी गाड़ी में घर के लिए चले गये.

मम्मी के जाने पर मैं रूम में वापिस आए. पापा लेते हुए थे. मैने रूम में आते ही पापा को हग किया और पापा को हग कर के रोने लगी.

पापा – क्या हुआ नीलम बेटा. मैं ठीक हू रो मत पागल.

मैं – (रोते हुए) नही पापा. ये सब मेरी वजह से हुआ है. ई’म सॉरी पापा. मुझे माफ़ कर दो ये सब मेरी वजह से हुआ है पापा. मैने आपको इतनी टेन्षन दी. सॉरी पापा…

पापा – ऐसी बात नही ह बेटा. तू तो मेरी प्यारी बेटी है. तेरी वजह से थोड़ी कुछ हुआ है. वो तो बस ऑफीस वर्क की थोड़ी टेन्षन में हो गया बस. मैं ठीक हू तू प्रेशन मत हो.

पापा ने मुझे चुप कराया. और मैं पापा का हाथ पकड़ के वहीं बेती रही और पापा से बात करने लगी.

मैने सोच लिया की अब सारी बाते सॉफ सॉफ क्लियर कर डू और पापा की इश्स टेन्षन को दूर कर डू. की मैने पापा से बात करना इतने दिन से क्यू बंद कर दिया था. मैने थोड़ी हिम्मत की और पापा को बोला.

मैं – नही पापा.. आप झुत बोल रहे हो. आपको कोई ऑफीस वर्क की टेन्षन नही है. मुझे पता है मम्मी भी आपको अब खुश नही रख पति. इसलिए आपको कहीं से प्यार नही मिलता. इसलिए आप प्रेशन रहते हो.

पापा – ऐसी बात नही है नीलम बेटा. मुझे तो सब प्यार करते हैं तेरी मम्मी कार्तिक और तू भी मेरी बेटी. तू भी तो मुझे बहुत प्यार करती है पागल.

अब मैं जो बोलने वाली थी उसके लिए मैने काफ़ी कुछ सोचा और काफ़ी हिम्मत की और म्न में सोचा की जो भी होगा देखा जाएगा आज सब बात बोल दे सॉफ सॉफ.

फिर मैं खड़ी हुई और मैने रूम के डोर को बंद किया और कुण्डी लगा दी.

पापा – ये क्या कर रही हो नीलम बेटा. कुण्डी मत लगाओ.

मैं – कुछ नही. अब कोई भी नही आता डॉक्टर अंकल ने बोला है की आप सो जाओ. वो रात को आएँगे. और अब कोई नही आता डॉक्टर अंकल चेक अभी ही कर के गये हैं.

और मैं पापा के पास बेती और उनका हाथ पकड़ा और एक हाथ उनकी चेस्ट पर रखा और हिमात कर के बोली.

मैं – (हिम्मत करके बोली ) पापा.. आप जितना भी च्छूपा लो. मुझे पता है की ये सब क्यू हुआ. मैने आपके फोन की दाद डॉटर वाली सारी वीडियोस और अपनी वीडियो भी देख ली हैं और आपकी “मी डेरी” फाइल्स में जो अपने मेरे बारे में सब लिखा है वो भी मैने सब पढ़ लिया है.

थोड़ी देर के लिए तो पापा हेक बेक ही रह गये. और पापा एक दूं शोकेड से हो गये थे. मुझे अब इश्स सिचुयेशन को सम्भालना था. और डॉक्टर ने जैसा कहा की आप इन्हे जयदा टेन्षन और स्ट्रेस ना दे. ये सब ढयन में मैने रखा और मैने पापा को बोला…..

उनका एक हाथ पकड़ के और दूसरा हाथ उनकी चेस्ट पर रखते हुए मैं बोली…

मैं – इट्स ओके पापा. आप टेन्षन मत लो. ई नो आप मुझसे बहुत प्यार करते हो. और मम्मी और आप काफ़ी टाइम से फिज़िकली रीलेशन में नही आए. मैं साँझ सकती हू. की किसी इंसान को ज्ब प्यार नही मिलता तो वो पागल सा हो जाता है. हर इंसान को प्यार की जरूर्त होती है. और आपको मुझ में आपकी शादी से पहले वाली मम्मी ही तो दिखती है. इसलिए आप वो प्यार मुझ में ढूढ़ रहे हैं. इट ओके पापा… ई अंडरस्टॅंड. आप टेन्षन म्ट लो.

मैने पापा को इश्स तरीके से सब बाते करी ताकि पापा जयदा प्रेशन ना हो और पापा भी अब तोड़ा रेलेक्ष फील करने लगे.

लेकिन पापा कहीं ना कहीं अभी भी चुप ही थे उनके पास कोई शबाद नही थे बोलने के लिए. मैं साँझ सकती थी वो थोड़े घबराए हुए थे. क्यूकी मैने उनके फोन से सब कुछ देख लिया है. जिनकी उन्हे कोई उमीद भी नही थी.

मैने ऐसी शॉकिंग सिचुयेशन को और ईज़ी बनाने के लिए और पापा को रेलेक्ष फील करने के लिए अपनी जीन्स की पॉकेट से पापा की गिफ्ट दी हुई कमरबन्द चैन निकली जो की मैं घर से साथ ही ले आई थी.

मैं – पापा… थॅंकआइयू सो मच.. मुझे इतना प्यारा गिफ्ट देने के लिए. बहुत अछा गिफ्ट है पापा. लोवे योउ पापा.

पापा बेड पर लेते हुए थे और मैं बिकुल पास बेती हुई थी. फिर मैने पापा के हाथ में वो कमरबन्द चैन दी और मैं पापा के सामने खड़ी हुई.

मैने हिम्मत कर के पापा की खुशी के लिए पापा के सामने अपनी टॉप को अपने पायट और नाभि से उपर किया और बोली…

मैं – पापा.. अब आप ही मेरे लिए ये गिफ्ट लाए हो तो आप ही मुझे ये कमरबन्द चैन अपने हाथो से पहनाओ.

पापा थोड़ी देर के लिए तो शोकेड ही रह गये. उनको इश्कि उमीद नही थी. उनको कुछ साँझ नही आ रहा था की इश्स सिचुयेशन में वो कैसे रिक्ट करे. इसलिए वो चुप छाप बिना कुछ बोले एक बार तो हेक बेक रह गये और मेरे पायट और नाभि की तरफ ही बस देखते रहे.

मैं इश्स सिचुयेशन और उनकी इश्स हालत को साँझ सकती थी. इसलिए मैने उन्हे बहुत ही इनोसेंट हो कर प्यार से बोला..

मैं – पहनाओ ना पापा अपने हाथो से प्लीज़….

पापा – (हल्की कन्फ्यूषन में) हन हन ओके.

फिर पापा मुझे कमरबन्द चैन मेरे पायट के उपर पहनने लगे. पापा अपने दोनो हाथ मेरी कमर के पीछे ले गये और चैन को मेरे पायट पर नाभि के बिल्कुल पास पहनाया और नाभि के पास चैन को लॉक करने लगे. जिससे पापा के हाथ मेरे पायट और नाभि में टच होने लगे.

पापा ने जैसे ही चैन को पहनाया तो मैने उन्हे और कनफोर्मब रेलेक्ष करवाने के लिए पापा का एक हाथ पकड़ कर अपने पायट नाभि के उपर रखा और बोली…

मैं – कैसी लग रही हू मैं पापा. और कैसा लग रहा है आपका गिफ्ट पहने हुए.

पापा – बहुत अछा नीलम बेटा. बहुत प्यारी लग रही हो.

फिर मैने अपनी टॉप को अपनी नाभि के उपर कर के ही फोल्ड कर के बाँध दिया जिससे वो क्रॉप टॉप बन गयी अब मेरी टॉप मेरा पायट और मेरी नाभि से उपर थी.

फिर मैं कुछ सोचने लगी और बहुत कुछ सोचने समझने के बाद पापा की खुशी और अपनी फॅमिली की खुशी के लिए कुछ सोचा…

पापा लेते हुए थे तो मैं उनके पास बेती और मैने हल्का सा उनके उपर झुक कर उनके शोल्डर पर अपना सर रखा और अपने दोनो हाथ पापा की चेस्ट पर रख कर उनको हग किया और काफ़ी हिम्मत कर के बोली…

पापा मुझे पता है आप मुझे बहुत जयदा प्यार करते हो. और जब से अपने मुझे न्यूड देखा है तब से आपका नज़रिया मेरे लिए बदल गया है. आपको मम्मी से प्यार नही मिलता. इसलिए आप मुझे फील कर के दाद डॉटर पॉर्न देखते हो. और यूयेसेस दाद डॉटर पॉर्न में आप मुझे और अपने आप को इमॅजिन करते हो.

फिर आप मुझे फील कर के खुद से अपने आप को प्यार करते हो और मेरी अंडरगार्मेंट्स के साथ खेलते हो. जब मैं कपड़े चेंज कर के आपको न्यूड हो कर दिखा रही थी तब अपने मेरी वीडियो बना ली. और आप अब मेरी वीडियो देख देख कर अपने आप को संतुष्ट करते हो.

यूयेसेस दिन भी अपने मेरी पनटी के साथ क्या किया मुझे पता है. मैने आपके फोन की दाद डॉटर वाली पॉर्न वीडियो सारी देख ली है. जिससे मुझे अब सेक्स के बारे में सब साँझ है.

और पापा मैं जानती हू आप मेरे साथ सेक्स करना चाहते हो. आप मुझे छोढ़ना चाहते हो. मेरा प्यार पाना चाहते हो.

( ये सब बोलते हुए मेरे दिल की हेअरताबेअत बहुत तेज हो गयी थी और मुझे सॉफ फील हो रहा था पापा की भी धड़कने काफ़ी तेज चल रही हैं. )

लेकिन पापा मैं आपकी बेटी हू. आपको नही लगता की ये सब ग़लत है. आप अपनी बेटी को छोढ़ना चाहते हो.

( पापा बिल्कुल चुप थे उनके मूह में बिल्कुल बोलने को कुछ नही था. वो चुप छाप बस सुन रहे थे. )

पापा मैं आपके साथ सब कुछ सेक्स तो नही कर सकती. क्यूकी मैं आपकी बेटी हू. लेकिन यूयेसेस दिन आप अपने हाथो को अपने लोवर में डाल कर जो अपने आप को प्यार कर रहे थे, वैसे ही मैं आपकी खुशी के लिए आपको अपने हाथो से प्यार कर दूँगी. और आप भी मुझे नंगा देख सकते हो और मेरे जिस्म को च्छू सकते हो. सिर्फ़ इतना ही प्यार दे सकती हू मैं आपको पापा बस इससे ज़्यादा कुछ भी नही.

(ये सब बोलते हुए मैं हल्की बहुत काप सी रही थी. और बहुत जयदा दर भी रही थी लेकिन मैं अपने पापा और अपनी फॅमिली की खुशी चाहती थी तो मैने यही एक रास्ता निकाला)

आप जब कहोगे मैं आपको अपने हाथो से बहुत ज़्यादा प्यार दूँगी. और आप मेरे जिस्म को देख और अपने हाथो से टच करके उपर उपर से बस मुझे प्यार कर लेना.

ये बोलते हुए मेरी आँखे बंद हो गयी और अपना एक हाथ पापा की चेस्ट से हटा कर धीरे धीरे नीचे पापा के लोवर के उपर ले जाने लगी.

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