दोस्तो, अब मैं बताती हूँ आपको पूरा किस्सा- मैं 25 साल की थी जब मेरा निकाह अफ़रोज़ के साथ हुआ।
मैं ससुराल गई और वो दिन आया जिस दिन का हर लड़की इंतज़ार करती है।
हाँ, सुहागरात वाली शाम… मेरे पास सबसे पहले मेरी ननद आई।
वह बोली- भाभी आज तो चुदेगी झमाझम तेरी चूत!!!
मैंने मन में सोचा कि ‘अरे यहाँ तो लोग खुल कर गाली से बातें करते हैं। अब तो वाकयी मज़ा आएगा क्योंकि मेरे पास तो गालियों का भण्डार है।’
मैं बोली- तो ठीक है न ननद जी, चूत तो होती ही है चुदने के लिए।
वह बोली- आज तो अफ़रोज़ भाई जान के अलावा भी लोग चोदेंगें तुम्हें।
हालांकि मैं यहाँ के रीत-रिवाज़ जानती थी फिर भी मैंने कहा- हाय दईया, क्या मुझे मेरे शौहर के अलावा भी कोई और चोदेगा?
वह बोली- हाँ भाभीजान, आज की रात तो दुल्हन को कोई भी चोद सकता है और उसे चुदाना भी पड़ता है, दुल्हन चुदाने को मना नहीं कर सकती।
मैंने पूछा- अच्छा, तेरी तो शादी हो चुकी है, तुझे कितने लोगों ने चोदा था तेरी सुहागरात में?
वह बोली- हाय भाभी मुझे भी तीन लोगों ने चोदा था उस रात!
मैंने मजाक किया और कहा- बस? केवल तीन? बस तीन में ही तेरी चूत की पों बोल गई थी क्या?
वह बड़ी जोर से हंस पड़ी।
इतने में मेरी सासू जी आ गई, वे बोली- बहू, देखो आज के दिन किसी को नाराज़ नहीं किया जाता, आज सबको खुश रखना पड़ता है, जो भी आये उसे खोल कर देना, सबका अन्दर ले लेना किसी को नाराज़ नहीं करना, आज के दिन जितने अन्दर घुसेड़ेगी उतना अच्छा है।
मैंने उसके कान में कहा- सासू जी, सिर्फ आज ही के दिन या आगे भी?
वह मेरे कान में बोली- अरी बहू, आज तू सबसे चुदवा ले… आगे मैं तेरी बुर चुदवाती रहूंगी। तू चिंता न कर !
मैं मस्त हो गई सासू जी की बात सुनकर !
मैं तो बड़ी बिंदास पहले से ही थी।
चुदाने में अव्वल, लण्ड पीने में अव्वल, लण्ड चाटने में अव्वल…
मैंने कमर कस ली कि आज मैं सारे मर्दों को पानी पिला कर रहूँगी।
आने दो सालों को सबके लण्ड की माँ चोदूँगी मैं आज!
सबसे पहले मेरा शौहर आया, उसने मेर घूंघट उठाया और चुम्मा-चाटी की।
मैंने भी वैसे ही किया।
फिर वह मेरे कपड़े खोलने लगा।
मैं धीरे धीरे नंगी हो गई, मैंने उसके कपड़े उतारे और उसे नंगा किया।
मेरी निगाह उसके लण्ड पर पड़ी, देखने में तो अच्छा लगा।
मैंने उसे पकड़ लिया और उसने मेरी चूची पकड़ ली।
लण्ड बढ़ने लगा।
मैं खुश हुई कि चलो लौड़ा औसतन ठीक ही है।
फिर उसने लण्ड मेरे मुँह में घुसेड़ दिया।
मैं लण्ड चूसने लगी।
इतने में मुझे लगा कि सिसी ने मेरे कंधे पर कुछ छुआ दिया।
मैंने मुड़ कर देखा तो वह भा एक लण्ड था।
मैं चौंक पड़ी?
अरे ये क्या है? कौन है? किसका का है यह?
मेरा मियां बोला- डार्लिंग यह मेरा दोस्त है मुनव्वर, यह भी मनायेगा मेरे साथ सुहागरात!
मैंने कहा- यार सुहागरात में ही पराया मर्द?
वह बोला- आज कोई पराया नहीं है जानेमन, आज तो तुम्हें कोई भी चोद सकता है।
मैंने कहा- और कल भी यह साला भेन्चो… आ गया मुझे चोदने तो?
वह बोला- कल तुम इसे निकाल सकती हो, इज़ाज़त केवल आज के लिए है बस।
मैं बोली- और अगर मैं इसे न निकालूँ तो?
वह बोला- तो क्या फिर चुदवा लेना, मस्ती करना!
मैंने कहा- तुम्हें तो कोई ऐतराज़ नहीं होगा न?
वह बोला- कतई नहीं, मेरी तरफ से तुम बिल्कुल आज़ाद हो, जिससे चाहो चुदाओ।
बस मुझे सुहागरात के ही दिन पराये मर्दों से चुदवाने की इज़ाज़त मिल गई।
ऐसा कह कर उसने मेरी चूत में लण्ड घुसेड़ दिया।
उधर उसके दोस्त ने मेरे मुंह में लण्ड घुसेड़ दिया।
मैं दो दो लण्ड का मज़ा एक साथ लेने लगी।
थोड़ी देर में मेरा मियां बोला- डार्लिंग, अब तुम मेरे दोस्त से चुदाओ, मैं अपनी भाभी चोदने जा रहा हूँ।
वह चला गया, मैंने मुनव्वर का लौड़ा घुसवा लिया अपनी बुर में और कहा- यार, लौड़ा पूरा बाहर निकालो और फिर जल्दी से अन्दर घुसाओ। इसे जल्दी जल्दी करो।
मेरी गांड के नीचे लगा लो तकिया ताकि मेरी चूत ऊपर उठ आये!
वह चोदने लगा, मैं भी गचर गचर चुदाने लगी।
मैंने उसकी कमर पकड़ रखी थी, मैं चिपक कर गांड उठा उठा कर चुदाने लगी।
मैंने कहा- अहा और जोर से चोदो… अपनी बीवी समझ के चोदो राजा… तेरी भाभी हूँ चोदो भोसड़ी कस के…
बस वो खलास होने लगा।
मैंने कहा- मेरी चूची पर गिराओ, मेरे मुंह में गिराओ, मेरी चूत के ऊपर गिराओ।
मैं उसका लण्ड चाट रही थी।
तब तक एक आवाज़ आई- इसे भी तो चाटो भाभीजान!
मैंने देखा कि मेरा देवर नंगा होअकर अपना लण्ड खड़े किये हुए मेरे सामने आ गया।
मैंने उसे पकड़ा और हिलाने लगी।
तब तक मेरा ननदोई आ गया, बोला- यार मेरी रानी, मेरा भी लौड़ा हिलाओ न?