होली वाले दिन बेटे के मा को चोदने की कहानी

दोस्तों मेरा नाम विकी है, और मैं देल्ही साकेत का रहने वाला हू. ये कहानी इसी होली के दिन की है, जब मैं और मों दारू पीक बहक गये. हमारी फॅमिली में हम चार लोग है, मैं, दाद, मेरी बेहन और मेरी मों. अब मैं सभी का इंट्रोडक्षन दे देता हू.

मेरे दाद का नाम रंजीत है, और उनकी आगे 52 साल है. दाद देल्ही के बेहद अमीर व्यक्ति है. हमारा अपना माल और रेस्टोरेंट्स है, जिससे हमारी अची इनकम होती है. इसलिए हमारा लाइफस्टाइल बेहद पोरशे है. बावजूद इसके मों दाद के बीच रिश्ता अछा नही है.

खैर, मेरी बेहन का नाम रीमा है, और वो 19 साल की है. बेहन मुंबई के एक कॉलेज से बिज़्नेस मॅनेज्मेंट कर रही है, इसलिए वो वही अपने कॉलेज हॉस्टिल में रहा करती है.

बेहन भी मों की तरह ही बेहद सेक्सी है, और उसके अक्सर अफेर होते ही रहते है.

अब मैं इस कहानी की लेड हेरोयिन के बारे में बता देता हू. मेरी मों का नाम स्मिता है, और मों आगे अब 42 साल है. हा मों दाद से लगभग 10 साल छ्होटी है. जिस कारण वो दाद से सेक्षुयली कभी संतुष्ट नही रहती है, और अक्सर बाहर जाके चुडवाया करती है.

मों का फिगर 48-38-48 है, और उनकी हाइट 5 फीट 9 इंच है. जिस कारण मों काफ़ी हेवी माल लगती है. मेरा भी मों पे बचपन से ही क्रश है. मैं मों को ही देख-देख के जवान हुआ हू. और पिछले काफ़ी टाइम से मैं मों को छोड़ने के फिराक में भी हू.

अब मैं बिना देर किए स्टोरी पे आता हू. बात इस होली के दिन की है. जब दाद अपने बिज़्नेस तौर पे थे, और बेहन अपने हॉस्टिल में. मैं और मों घर में अकेले थे. यहा मैं बता डू की मैं और मों बहुत आचे फ्रेंड्स है, और आपस में अपनी हर बात शेर करते है.

क्यूंकी होली के दिन दारू की शॉप बंद ही रहती है. इसलिए मैने पहले ही बलेनडर्स प्राइड की एक फुल बॉटल खरीद ली थी. ताकि फ्रेंड्स के साथ दारू पीक होली माना सकूँगा. और ये बात मैने मों को भी नही बताई थी. ताकि वो अपने फ्रेंड्स के साथ मिल के गतक ना ले.

रात दो बजे का टाइम रहा होगा. मैं अपने रूम में सोया हुआ था. की तभी मेरे रूम में किसी ने एंटर किया. अब मैने हल्की सी आँख खोल के देखा तो मों ही थी. शायद मों पार्टी से अभी-अभी ही आई थी. वो अक्सर लाते नाइट दारू पीक अपनी किटी पार्टी से आती है.



मैं वैसे ही आँखें बंद करके लेता रहा, की तभी मुझे कुछ गिरने की आवाज़ आई. मैने आँख खोल के देखा तो मों झुक के अपना फोन उठा रही थी. अब मों सिर्फ़ ब्रा-पनटी में ही थी, और उनके बड़े-बड़े बूब्स मेरे सामने ही लटक रहे थे.

ये देख मेरी आधी खुली आँखें पूरी तरह से खुल गयी, और मेरी धड़कने भी तेज़ चलने लगी. वही अब मों की हेवी गांद मेरी तरफ थी, जिसे देख मेरा लंड बिल्कुल टाइट हो गया. मुझे जागता देख मों एक स्माइल पास की, और ‘गुड नाइट’ बोल के मेरे साथ ही सो गयी.

मों तो सो गयी पर मेरी नींद वो उड़ा चुकी थी. उनकी हेवी गांद और मोटे चूचों को अब मैं मसलना चाहता था. पर ऐसा करने के लिए हिम्मत नही जुटा पा रहा था. पर मों की गांद सहलाते हुए अपने लंड को रग़ाद के उसका माल निकाल दिया, और फिर सो गया.

जब आँख खुली तब 9 बाज चुके थे. अब मैने बाहर निकल के देखा तो मों बहुत पुरानी और ट्रॅन्स्परेंट निघट्य पहन के किचन में काम कर रही थी. मैने पीछे से जाके मों को हग कर लिया, और उन्हे हॅपी होली विश कर दिया. मों ने भी बदले में हॅपी होली विश की.

मों: तो क्या प्लान है आज का तेरा?

मैं: अभी दोस्तों को कॉल करूँगा, और आपका?

मों: हमारी होली रात को ही हो गयी, वो भी दारू से.

मैं: मतलब आपने रात को ही होली खेल ली?

मों: हा बेटा, वो फ्रेंड्स यूयेसे जेया रहे थे, इसलिए हम रात को ही होली खेल लिए.

मैं: अछा, यानी आप आज होली के दिन भी रंग नही लगाने वाली?

मों: कोई है ही नही रंग लगाने वाला.

मैं: मैं हू ना मों.

मों: अछा ठीक है, लगा लेना रंग.

अब मैने मों को और ज़ोर से हग किया, तो पता लगा की मों ने निघट्य के अंदर ब्रा-पनटी नही पहनी थी. अब मेरा लंड टाइट हो गया, जिसको मों भी फील करने लगी. तभी मेरा फोन बजा, तो मैं मों से अलग हो गया और अपने रूम में जाके फोन पे बातें करने लगा.

भले ही मैं बात फोन पे कर रहा था, पर दिमाग़ में तो मों के साथ होली खेलने का प्लान चल रहा था. मैने फ्रेंड्स को बहाना दे दिया की मुझे फीवर था, इसलिए मैं नही आ पौँगा. और मॅन में मों को छोड़ने का प्लान भी बनाने लगा.

तभी एक आइडिया आया की क्यूँ ना मों को दारू पिलाने के बाद और होली खेलने के बहाने छोड़ा जाए. अब मैं मों को बस छोड़ देना चाहता था. यही सोचते हुए अब मैं मों के पास पहुँचा, और एक-दूं साद फेस बना के बोला-

मैं: मेरे फ्रेंड्स भी गद्दार निकले.

मों: क्यूँ, ऐसा क्या कर दिया उन्होने?

मैं: वो भी होली खेलने नही आ रहे.

मों: क्यूँ?

मैं: वो सब बिना बताए ही गोआ चले गये.

मों: कोई नही, हम आपस में ही होली खेल लेते है.

मैं: मों, एक बात बोलू, आप गुस्सा तो नही करोगी ना?

मों: नही, बोलो बेटा.

मैं: मैने दारू खरीद ली थी, ताकि फ्रेंड्स के साथ पियुंगा होली पे.

मों: अछा तो कोई बात नही, मैं हू ना.

मैं: अछा, आप साथ डोगी मेरा?

मों: शुवर दूँगी, पर किसी को पता नही चलना चाहिए.

मैं: शुवर मों.

मों: चल पहले कुछ खाएँगे. उसके बाद अपनी महफ़िल जमाएँगे.

मैं: ओक मों.

और मैने मों के गाल पे एक किस कर दिया.

मों के चेहरे पर अब एक मुस्कान आ गयी थी, जो उन्हे और खूबसूरत बना रही थी. मैं अब रंग और गुलाल लाने के लिए बाहर चला गया. लौट के देखा तो मों निघट्य उतार के फ्रॉक पहन ली थी, जो साइज़ में बेहद छ्होटी थी.

अब मों की मोटी-मोटी जांघों को देख मेरा बुरा हाल हो रहा था. वही उनके 75% बूब्स भी उपर से दिख रहे थे. फ्रॉक उनकी हेवी गांद को भी धक नही पा रहा था. ऐसे में मों की गांद को भी मैं देख पा रहा था. अब मेरे जाते ही मों ने मुझे ब्रेकफास्ट करवाया

लगभग 12 बजे से हम दारू की बॉटल लेके बैठ गये. अब मों ने बॉटल खोली, और हमारे लिए पॅक बनाने लगी. मैं भी काफ़ी खुश हो रहा था, की आज मों को छोड़ने को मिलेगा. जिसके मैं बरसो सपने देखता रहा, वो आज मेरे बिस्तर में होगी.

कुछ ही देर में हम दोनो ने 3-3 पॅक लगा लिए. मुझे हल्का नशा हो चुका था और अब मों मुझे पारी जैसी दिखने लगी थी. तभी मैने मों की आँखों में देखा, तो वो भी नशे में थी. अब बहाने से मैं अंदर गया, और बाल्टी में रंग घोल के ले आया.

मों अब नशे में थी, और बोली: ये तू क्या करेगा?

मैं: आपको उपर से नीचे तक आज रंगूंगा मों.

मों: अभी नही, एक-दो पॅक और लगते है. फिर चाहे जितना रंग लगा लेना.

मैं: अछा तो फिर जल्दी पॅक बनाओ.

मों: तूने आज मेरी होली मनवा दी, वरना आज दारू कहा मिलती.

अब हमने दो-दो पॅक और लगा लिए. फिर उसके बाद मैने तोड़ा कलर लेके मों के गाल पर लगा दिया. इससे मों चौंक गयी, और वो भी पलट के तोड़ा रंग मुझपे डाल दी. अब मैं तोड़ा गीला हो गया. मैने पूरी बाल्टी उठाई, ओर मों पे पलट दी, जिससे वो पूरी भीग गयी.

अब मों के कपड़े उनसे एक-दूं चिपक से गये. जिससे मों के बूब्स का निपल्स छ्चोढ़ सब दिखने लगा. ये देख मेरा लंड एक-दूं से टाइट हो गया. अब मों मेरी तरफ आई और अपने हाथ का कलर मेरे सीने पर रगड़ने लग गयी. उनका ये स्पर्श ने मुझे पागल कर दिया.

अब मैं मों को अपनी तरफ खीचा, और मों की हेवी गांद को मसलने लगा. मों मेरी आँखों में देखी, और स्माइल की. मैं मों का सिग्नल समझ गया, और उनके होंठो पे अपने होंठ रख दिए. मों भी एक-दूं वाइल्ड हो कर मेरे होंठो को चूसने लगी.

देखते ही देखते मों ने मेरे और मैने मों के कपड़े फाड़ दिए. अब हम न्यूड हो चुके थे, बस चुदाई बाकी रह गयी थी. अब मैं मों को बिस्तर तक उठा के ले गया. वो अब भी मेरे होंठो को चूस और काट रही थी. ऐसा लगा जैसे वो बरसो से लंड की भूखी हो.

बिस्तर पे पटकते ही मों ने अपने पैर फैला दिए, और मुझे छोड़ने का इशारा करने लगी. मैने भी बिना देर किए मों की छूट पे अपने होंठ लगा दिया. और मों की छूट के नमकीन पानी को चाटने लगा. मों ने भी जितना हो सकता था अपने पैरों को फैला दिया, और मोनिंग करने लगी.

मों: उम्म आअहह.

अब मैं बीच-बीच में तोड़ा हल्के से छूट पे दाँत भी गाड़ा रहा था.

मों: श ओह मी गोद, बहुत अछा करता है तू बेटा, आहह आहह.

मैं: मों अपने दोनो हाथो से मेरे सर को अपनी छूट पे दबाने लगी, और मैं भी मों की रसीली छूट के रस्स को चाट रहा था.

मों: आह चूसो मेरे लाल. अपनी मों की छूट को और आचे से चूसो.

मैं: काफ़ी टाइम छूट को चाटने के बाद, अब मों की छूट में लंड डाल दिया.

मों: आ ऑश बेटा, तेरा लंड तो काफ़ी मोटा है.

ये सुनते ही मेरा जोश और बढ़ गया, और अब मैं एक-दूं वाइल्ड होके ज़ोर-ज़ोर से शॉट मारने लगा. इससे पुर कमरे में आहों और ठप-ठप की आवाज़ गूंजने लगी. मों भी नीचे से अपनी गांद उछाल-उछाल के मेरा पूरा साथ दे रही थी.

हम मा बेटा अब बेहद वाइल्ड हो चुके थे. क्यूंकी अब मों मेरी पीठ में अपने नाख़ून गाड़ा रही थी. और मैं मों की नेक और बूब्स पे अपने दाँत के निशान बना रहा था. 20 मिनिट की चुदाई के बाद अब मों मेरे उपर आ चुकी थी, और फुल साउंड में चिल्ला रही थी.

मों: एयेए आहह आहह ऑश छोड़ो मुझे, और ज़ोर से छोड़ो.

मैं: एस मों, आज आपकी छूट फाड़ दूँगा, आहह.

और मैं नीचे से झटके मारने लगा.

मों: फाड़ दो बेटा, आज पुर टीन साल बाद किसी जवान लंड से छुड़वा रही हू ऊहह.

अब मों की छूट से फॅक-फॅक की आवाज़ आने लगी थी. वही मों अब और ज़ोर से चिल्ला रही थी. वो बोल रही थी-

मों: छोड़ो मेरे लाल, फाड़ दो अपनी मों की छूट. भर दो अपनी मों की छूट में अपने लंड का पानी.

मों की बातें सुन कर मैं घपा-घाप मों की छूट मारता रहा. इस एक घंटे की चुदाई में मों 2 बार झार चुकी थी. लेकिन अब मेरा माल निकालने वाला था. इसलिए अब मैने मों को नीचे पटक दिया, और उनकी छूट में अभी तक के सबसे तेज़ शॉट मारने लगा.

मों की जांघें मोटी होने के कारण रूम से अब फटत-फटत की आवाज़ आने लगी. लगभग 75 मिनिट की चुदाई के बाद मैने मों की छूट में अपना पूरा रस्स निचोढ़ दिया. मों भी मेरी आँखों में देख के स्माइल कर दी, और मेरे होंठो को छूने लगी.

काफ़ी देर तक मैं मों के उपर ही लेता रहा. मों अब भी नशे में थी, जो उनकी आँखें बता रही थी. मों के उपर लेते-लेते कब नींद आ गयी पता ही नही चला.

जब आँख खुली तो रात के 11 बाज रहे थे. पर मों मेरे बिस्तर में नही थी. मेरा नशा बिल्कुल उतार चुका था. इसलिए मैं बाहर निकल के मों को ढूँढने लगा. देखा मों नहा चुकी थी, और किचन में खाना बना रही थी.

मैं पीछे से जेया कर मों को पकड़ लिया, और उनके बूब्स को दबाने लगा. मों भी पलट के मेरे होंठो को चूसने लगी और बोली-

मों: अभी नही बेटा, अब डिन्नर के बाद.

फिर डिन्नर के बाद मैने मों को जी भर के चोदा. आज होली बीते लगभग एक महीना हो गया है, पर हमारी चुदाई अब भी जारी है.

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