Hay Re Chacha Ka Mota Lund

पापा बोले- जाने दो.. वो कल आकर ले लेंगे.. अभी बाहर मत जाना।
मेरा मन बैठ गया।

दूसरे दिन उठी.. तो पापा की तबीयत कुछ ठीक नहीं थी.. उन्हें कुछ बुखार सा आया था।
वो बोले- मैं आज खेत पर नहीं जा पाऊँगा.. थोड़ा घर पर ही आराम कर लूँगा।

मेरी चूत की आग
उतने में चाचा आ गए.. उनको देख कर फिर से मेरी चूत में चुल्ल मचने लगी, मैंने उनको देख कर एक हवस भरी स्माइल दी।
उन्होंने भी देखकर एक स्माइल दी।

उन्हें खेतों में जाना था.. तो वो पापा से बोले- साहब आप आराम कीजिए.. आज मैं ही खेत पर चला जाता हूँ। लेकिन मेरे पास खाने के लिए डिब्बा नहीं है.. मैं वहाँ पर खाना क्या खाऊँगा?

तो मम्मी बोलीं- आप जाइए मैं थोड़ी देर में आकर आपको खेत पर खाने का डिब्बा दे दूँगी।
वो ‘ठीक है’ कहकर चले गए और जाते हुए मुड़कर मेरी तरफ देखकर स्माइल करने लगे.. जैसे कोई इशारा दे रहे हों।

मैं उनको देख कर मुस्कुरा दी।

पता नहीं ये क्या था.. उनके लण्ड का क्या जादू था वो ही जाने.. उसी के सदके दोपहर को मैं खाने का डिब्बा देने गई।

मैं एकदम तैयार होकर मस्त लिपस्टिक लगा कर जैसे एक दुल्हन सज-धज कर अपने दूल्हे के पास चुदने जा रही हो।

मैं खेत में पहुँची.. तो वो सामने बैठे हुए थे, उन्होंने मुझे देखा और झट से खड़े हो गए.. जैसे कि वो मेरी ही राह देख रहे हों।
वो मेरे पास आए और वहाँ पर एक कुटिया बनी हुई थी.. उन्होंने मुझसे वहाँ अन्दर जाकर बैठने को बोला।

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मैं फिर थोड़ा सा डर गई.. मैं अन्दर जाकर बैठ गई थी।

नंगा नौकर
वो मेरे पीछे से आए मैंने पीछे मुड़कर देखा.. तो एकदम दंग रह गई। वो पूरे नंगे मेरे पीछे खड़े थे।

उनका लण्ड मेरे मुँह के पास था और वो हँस कर मेरी तरफ देख रहे थे। अब तो मुझे कंट्रोल नहीं हुआ। मैंने झट से उनका लण्ड पकड़ कर हिलाना चालू कर दिया।
इतना बड़ा लण्ड था.. मैंने सोचा मैं तो आज पक्की मर जाऊँगी।

मैं लण्ड हिलाती रही.. तो वो बोले- जल्दी से मुँह में लो मेरी रानी।
मैंने मना किया.. पर उन्होंने जबरदस्ती मेरे मुँह में अपना लण्ड ठूँस दिया।

मैं कुछ बोल भी नहीं पा रही थी.. इतना बड़ा लण्ड था। उसका एकदम अलग सा स्वाद था.. कुछ नमक जैसा खारा था.. पर ना जाने क्यों मीठा लग रहा था।

वो मेरे मुँह को चोदे जा रहे थे और कुछ मिनट के बाद वो झड़ गए। मुझे अपने मुँह में उनका वीर्य एकदम मीठा लगा जैसे मैं लस्सी पी रही होऊँ।

हय.. क्या स्वाद था.. मजा आ गया।

वो थोड़े खुश लगे.. ऐसा लगा कि बहुत दिनों के बाद कोई माल खाने वाली मिली हो।

मेरी चूत की चुदाई पहली बार
अब उन्होंने मुझे पूरा नंगी किया और नीचे लेटा दिया.. और पागलों की तरह मुझे चूमने लगे।
वो मुझे समझो खूब खा रहे थे.. मेरा पूरा मुँह गीला कर दिया। वो ऐसे चाट रहे थे.. जैसे कोई कैदी जेल से निकल कर खाना देखकर कैसे टूट पड़ता है.. वो वैसे ही टूट पड़े थे।

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मुझे भी बहुत आनन्द आ रहा था।

कुछ ही देर में वो फिर से तैयार हो गए और उन्होंने अपना लण्ड मेरी चूत पर रखा और रगड़ने लगे.. ताकि मेरी चूत गीली हो जाए। पहले मैं मना कर रही थी.. पर मुझे उनके लण्ड का स्पर्श जन्नत की सैर करा रहा था।

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