मैंने भी कमर उछाल कर उनको रिस्पॉन्स दिया और ऐसे ही करते-करते मेरी चूत पूरी गीली हो गई थी।
तभी एकदम से उन्होंने अपना मूसल लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया।
‘ओह माआ’ मैं ज़ोर से चिल्लाई.. मेरी चूत बहुत दर्द कर रही थी पर उनको उसका कोई गम नहीं था।
वो ज़ोर से चोदते गए.. मैं चिल्लाती रही और आख़िरकार नॉनस्टॉप चोदने के बाद वो झड़ गए।
उसके बाद वे मेरे होंठ अपने मुँह में लेकर चूस रहे थे जैसे कोई आम खा रहा हो और ऐसे ही मुझे जकड़ कर सो गए।
मेरी भी आँख लग गई थी। जब दो घंटे बाद मेरी आँख खुली तो 5 बज चुके थे।
मैं उठ कर कपड़े पहनकर भाग रही थी कि चाचा ने मुझे फिर पकड़ लिया।
मैं बोली- चाचा अब नहीं.. बहुत देर हो गई है.. घर पर दिक्कत हो जाएगी। कल मैं फिर आ जाऊँगी।
पर उन्होंने ऐसे रिएक्ट किया.. जैसे वो बहरे हों.. मुझे सुन कर भी अनसुना कर दिया। फिर मेरी पैन्ट निकाल कर फेंक दी और मेरी पैंटी ना जाने कहाँ गायब कर दी।
वो एक बार फिर मेरे पर चढ़ गए। मेरी चूत बुरी तरह सूज गई थी.. फिर भी बेरहमी से लौड़ा मूसल की तरह घुसा दिया।
इस बार मैं सह नहीं पाई थी.. पर दो मिनट के बाद मुझे भी आनन्द आने लगा। कुछ देर जबरदस्त चुदाई के बाद वो फिर से झड़ गए।
इसके बाद उन्होंने मुझे जाने दिया और मैं घर आ गई।
घर पर सब कुछ ठीक था.. किसी ने मुझसे कुछ नहीं पूछा।
दोस्तो, आपको मेरी पहली कहानी कैसी लगी.. मुझे ईमेल करके ज़रूर बताइए.. मेरा ईमेल है।