हवस भरे बेटे के मा को चोदने की कहानी

मैने आपको पिछले पार्ट में बताया था, की मेरे पापा दारू पी कर घर आए थे, और उनकी वजह से मेरी मा के सर में दर्द होने लगा. जिससे वो कमरे में सोने चली गयी, और मुझे भी माक्चर के कारण अंदर सोने जाना पड़ा.

अब आयेज की कहानी.

मैं अपने कमरे के अंदर चला गया. वाहा मेरी मा भी सो रही थी. जैसा की मैने आपको पिछले पार्ट में बताया था, अचानक बाहर बारिश शुरू हो गयी, और बादल भी गरजने लगे. बादल के गरजने से मेरी मा को दर्र लगता था, और ये बात मुझे बचपन से पता थी.

जब वो पापा के साथ सोती थी, तो उनको पकड़ लेती थी अपना दर भागने के लिए. लेकिन यहा तो उनका पति नही उनका बेटा था, जो उसका पति बनने की चाह में था. अब मुझे उसका इंतेज़ार था की कब मा मेरे करीब आए, और मुझसे लिपट जाए.

बादल और ज़ोर से कडकने लगे, और मेरी मा और भी ज़्यादा डरने लगी, और फिर इंतेज़ार ख़तम. वो मेरे पास आने लगी. उनको भी तोड़ा अजीब लगा, पर दर्र के मारे वो सब छ्चोढ़ कर मेरे पास आ गयी. मैं अब उत्तेजित हो गया था. तभी मेरी मा ने मुझसे कहा-

मा: चिकू, मेरे सिर में दर्द बढ़ गया है बेटा. मेरे रूम के कपबोर्ड में बल्म रखा है. क्या उसको ले आओगे तुम?

मैं: हा मा, अभी ले आता हू.

मैं उनके रूम में गया. पापा सो रहे थे. मैने उनकी कपबोर्ड में ढूँढा, पर मुझे नही मिल रहा था. ढूँढते-ढूँढते मेरी नज़र उनके कपबोर्ड के एक बॉक्स में पड़ी.

मैं उसको देख कर हैरान रह गया, और मेरी आँखें खुली की खुली रह गयी. उसमे एक सेक्स मागज़िने थी, जिसमे खुद को कैसे संतुष्ट करे, और मा बेटे की चुदाई की स्टोरी थी. मेरे लिए तो मानो लग रहा था की मेरी किस्मत आज ही खुलने वाली थी.

तभी मा ने आवाज़ लगाई-

मा: मिला क्या चिकू?

मैं: हा मा, बस लेकर आ रहा हू.

मैने उनके बॉक्स को जैसे का तैसा बंद किया, और भाग कर मा के पास आ गया.

मा: जल्दी लगा बेटा, सर का दर्द बढ़ते जेया रहा है.

मैने बल्म लिया, और मा के सर में लगाना शुरू किया. फिर हल्का-हल्का सर में मसाज करने लगा. कुछ देर बाद मैने मा से पूछा-

मैं: कैसा लग रहा है अब मा?

मा (धीमी आवाज़ में): बहुत अछा लग रहा है बेटा. मुझे इससे आराम मिल रहा है.

ऐसा कहते-कहते उन्होने अपनी आँखें बंद कर ली, और सोने लगी.

मा तो सोने लगी थी, पर मेरा मॅन तो कुछ और ही करने के मूड में था. मेरी मा ने आज नेवी ब्लू कलर की निघट्य पहनी हुई थी, और अंदर ब्लॅक कलर की ब्रा-पनटी पहनी थी.

बाहर सड़क पर हल्की लाइट जल रही थी, और वो उजली रात थी. वो लाइट खिड़की से होते हुए हमारे रूम में आ रही थी, जिससे उनकी गोरी टाँग और उनकी चिकनी कमर पारदर्शी रूप में दिख रही थी.

मैने अपना हाथ अपनी पंत में डाल लिया, और उनके बदन को देख कर अपना लंड मसालने लगा. बादल गरजा, मा की नींद खुली, और वो मेरे और करीब आ गयी, और मुझे आँख बंद करके पकड़ लिया.

मैने दर्र से अपना हाथ अपनी पंत से बाहर कर लिया. कुछ देर बाद मा सोने लगी. यहा मेरे अंदर का अंगार मेरी मा के नाज़ुक बदन को छूने को कह रहा था.

फिर मेरी मा करवट लेकर सीधा सोने लगी. अब मुझसे रहा नही जेया रहा था, और इतने में मैं हिम्मत करके उनकी तरफ मूह करके सो गया. मेरा हाथ मैने उनके गोरे पेट पर रख दिया, और फिर अपना पैर मा के पैर के उपर रख दिया.

अब मैं हल्के-हल्के हाथो से मा के पेट पर हाथ फेरने लगा. मुझे दर्र भी लग रहा था, की कही मा जाग ना जाए. पर मेरा मॅन कहा मानने वाला था. मैने अपनी हिम्मत बढ़ा कर निघट्य के अंदर हाथ डाल दिया, और हल्का-हल्का सहलाने लगा.

और इधर अपने पैरों को मा के पैरों पर रगड़ने लगा.

मेरी काम उत्तेजना बढ़ती जेया रही थी. मैने अपने हाथो को मा की नाभि में फिराने लगा. इस सब में मुझे बहुत आनंद आने लगा था. फिर मेरा हाथ उनकी गोरी गांद की तरफ बढ़ने लगा, और उसको प्यार से सहलाने लगा.

मेरा शरीर गरम होने लगा था, और मुझे ऐसा लगने लगा था, की मा का भी शरीर गरम हो रहा था. अब मैं अपने हाथो से सीधे मा के बूब्स को ब्रा के उपर से सहलाने लगा.

माहौल में गर्मी बढ़ती जेया रही थी. मैं मा की तरफ और भी ज़्यादा करीब जाने लगा था. फिर मैने मा की ब्रा को धीमे से उपर किया, और उनके चूचों को मसालने लगा. मैं उनके बूब्स को धीमे-धीमे दबा रहा था.

याना मैने अपनी सारी हादे पार कर ली थी. मुझे मज़ा आने लगा था, और मेरा 6 इंच का लंड खड़ा हो चुका था. मैं अपने लंड को मा की गांद में हल्का रगड़ने लगा.

मैं अपना ज़्यादा वक़्त ना गावते हुए अपने हाथ को सीधे मा की छूट के पास लेके उसको सहलाने लगा. और मेरी कामुकता बढ़ती जेया रही थी. फिर मैने अपनी उंगली को मा के टाइट छूट में धीरे से डाल दिया.

जब मैने मा की छूट में उंगली डाली, तो वो पूरी गीली हो चुकी थी. ऐसा लग रहा था, मानो मेरी मा जान-बूझ कर ये सब करवा रही थी.

मैं छूट में उंगली फिरते रहा, और अपनी स्पीड धीमे-धीमे बढ़ने लगा. फिर मैं उनकी बगल से उठा, और उनकी टाँगो के पास चला गया. मैने धीरे से उनकी दोनो टांगे फैला ली, और निघट्य के अंदर चला गया.

जब मैं मेरी मा की छूट के पास पहुँचा, तो उनकी छूट की खुश्बू से मेरा मॅन डगमगाने लगा. मैने उनकी पनटी हल्की सी सीधी की, और उनकी छूट पर एक किस किया और उसको चाटने लगा. वाह क्या आनंद था दोस्तों. जिस छूट से मेरा जानम हुआ था, आज मैं उसी छूट को कुत्ते की तरह चाट रहा था.

उनकी छूट का नमकीन पानी मैं चाटने लगा. उनकी छूट से चिप-छिपाहट आने लगी थी. पर मैं रुका नही, और छूट को चाट-ता ही रहा. ऐसा करते-करते उनकी छूट के रेशमी बाल मेरे फेस में पड़ने लगे थे, और वो चुभन मुझे प्यारा सा एहसास लगने लगा था.

क्या माहौल हो गया था. मेरी मा की गरम छूट और मेरा पसीने से भीगा बदन आअहह. मैं छूट चाट-ता रहा. फिर थोड़ी देर बाद मुझे सुनाई दिया, की मा के मूह से सिसकिया निकल रही थी.

मुझे ऐसा लगा की मेरी मा की नींद खुल चुकी थी. इसलिए मैने अपनी मा की छूट से अपना मूह हटाया, और उनको पहले जैसा करके उनकी साइड में आया, और मूठ मारने लगा.

मूठ मारते-मारते मेरे लंड से पानी छ्छूट गया, और मेरी ही पंत में गिर गया. मैने उसको पोंचा, और मा की साइड में आ कर सो गया.

सुबा के 9 बाज रहे थे. मेरी आँखें खुल गयी. मैं रात के बारे में सोच-. कर बहुत खुश होने लगा, और मॅन ही मॅन में अपनी मा को छोड़ने के लिए मेरा लालच बढ़ता जेया रहा था.

तभी मेरी मा ने मुझे आवाज़ लगाई: उठ जेया चिकू, टाइम हो गया है.

मैं: हा मा, उठ रहा हू.

फिर मैं उठा, और फ्रेश होने चला गया. मेरे दिमाग़ में सिर्फ़ अब मेरी मा को छोड़ने के ख़याल चलने लगे थे. मैं फ्रेश हो कर आया, और मा ने मेरे लिए नाश्ता लगाया.

मैने देखा की मा सुबा से खुश नज़र आ रही थी. मैं नाश्ते में कम और किचन में मा के बदन का आनंद ज़्यादा ले रहा था. फिर मेरी मा किचन से वापस आई, और बोलने लगी-

मा: नाश्ता कैसा बना है बेटा?

मैं: आपके हाथो में जादू है मा. इन हाथो का दीवाना हो गया हू मैं तो.

मा: क्यू, पहले नही था क्या?

मैं: पहले भी था, पर अब से कुछ ज़्यादा ही हो गया हम

मा: अछा बच्चू?

फिर उन्होने मुझसे पूछा-

मा: रात में नींद कैसी आई?

मैं: नींद बहुत ही ज़्यादा अची आई मा.

मा: क्यू इससे पहले कभी इतनी अची नींद नही आई क्या?

मैं इस बारे में चुप हो गया, और मा से पूछा: आपको कैसी आई नींद?

मा: बहुत अछा लगा बेटा. काफ़ी दीनो बाद तेरे साथ सोई थी. एक सुकून सा मिला, पर!

मैं: पर क्या मा?

मा: कुछ नही बेटा.

मैं: बोलो ना मा, आप हमेशा ऐसे ही बात को कुछ नही बोल कर ताल देती हो.

मा मुस्कुराते हुए किचन चली गयी. लेकिन उनकी ये मुस्कान पहले जैसी नही थी. उनका मेरी और देखना भी तोड़ा बदला-बदला सा लगने लगा था.

मेरी बेहन अपने कॉलेज और पापा अपनी शॉप जाने के लिए रेडी हो कर आए, और नाश्ता करने लगे. मैने अपने पापा को देखा और सोचने लगा की ये कैसा आदमी है, की इसके पास दुनिया की सबसे अची माल है. और ये उसको खुश भी नही कर पता. मैं अपने पापा को देखे ही जेया रहा था, की इतने में मेरी बेहन ने मुझसे कहा-

अनिता: क्यू भैया, कल की रात कैसी थी? नींद कैसे आई?

मैने भी स्माइल करते हुए कह दिया: बहुत अची, और सुकून भारी रात थी.

अनिता: क्यू, ऐसा क्या था कल रात में, जो बहुत अची नींद आई?

मैं: कल बारिश हो रही थी. उसकी सोंधी-सोंधी खुश्बू आ रही थी. और काफ़ी दीनो बाद मैं अपनी मा के कंधे पर हाथ रख कर सोया था.

अनिता: ओह, ऐसा हुआ क्या?

मैं: हा!

एक पल के लिए मैं दर्रा हुआ था, की वो रोज़-रोज़ यही बात क्यू करती थी, और कही उसने मुझे देख तो नही लिया था.

अनिता: क्या सोच रहे हो भैया?

मैं: कुछ ख़ास नही, बस यही सोच रहा हू, की तू इतनी शरारती कैसे हो गयी.

अनिता हासणे लगी, और कुछ नही बोली.

पापा ने अनिता से कहा: चलो बेटा, अब हमे देर हो रही है. अब हमे चलना चाहिए.

इतने में अनिता ने कहा-

अनिता: हा पापा, चलते है. हम किसी को छुट्टियों में डिस्टर्ब नही करना चाहते.

और वो हेस्ट हुए चली गयी.

अब पापा और अनिता जेया चुके थे, और घर पर मैं और मेरी मा थे बस. मा ने मुझे किचन से आवाज़ लगाई-

मा: बेटा तू जेया अब नहा कर जल्दी से तैयार होज़ा.

मैं: क्यू मा, कही जाना है क्या?

मा: हा बेटा, तोड़ा मार्केट होकर आते है. कुछ घर का समान लेकर.

मैने हा बोला, और नहाने चला गया. थोड़ी देर बाद मैं नहा के, रेडी होके आया, तो देखा की मा नहाने गयी हुई थी, और उनके नहाने की आवाज़ आ रही थी. मैं फिरसे दरवाज़े के पास चला गया, और सुनने लगा, और नीचे से झाँक कर मा को नंगे नहाते हुए देखने लगा.

मा नहा के बाहर निकालने वाली थी, उससे पहले मैं हॉल में आके बैठ गया, और उनकी वेट करने लगा. मेरी मा नहा कर बाहर निकली, पर आज वो सिर्फ़ टवल में थी, और उपर से नीचे अंदर कुछ भी नही पहना था.

मा ने मुझे आवाज़ लगाई, और अंदर आने को कहा. अब मा का नंगा बदन मुझे सॉफ-सॉफ दिख रहा था. उनकी वो मोटी-मोटी जांघें और उनकीी ज़ोरदार गांद आअहह, मेरा तो मॅन करने लगा था की बदन से तौलिया हटा कर उन्हे नंगी कर डू, और कल जैसे उनकी चूत को चातु.

तभी मा ने कहा: क्या सोच रहा है?

मैं: कुछ नही मा.

मा: चल बता, आज कौन सी सारी पहनु?

मैं: कोई सी भी पहन लो मा. आप तो हो ही इतने सुंदर, की कोई भी सारी आप पे जाचेगी.

मा: मुझे पूरी नही, सिर्फ़ एक सारी पहँनी है. बता कौन सी पहनु?

मैं: मेरा फॅवुरेट कलर नेआवी ब्लू है. मा आप वही पहन लो.

मा: ठीक है, तू बाहर जेया. मैं वही पहन लेती हू.

मैं: बाहर क्यू जौ? आपने ही तो मुझसे कहा था कल सुबा, की मैं तेरी मा हू इसमे क्या शरम करके.

मा: पागल कही के, कल मैने कुछ पहना हुआ था आज नही. इसलिए बोल रही हू जेया करके.

मैं: ठीक है मा, मैं बाहर आपकी वेट कर रहा हू. जल्दी आओ तैयार हो कर.

मा तैयार हो कर बाहर आई, और पूछी: कैसी लग रही हू मैं?

ऐसा लग रहा था, की मेरे मॅन में जो भी बातें थी उनके बदन को लेकर, मैं सब बोल डू. पर मैं शांत हो कर उनकी तारीफ करने लगा.

दोस्तों उस दिन मेरी मा ने सिल्क की नेआवी ब्लू सारी पहनी थी. उनके टाइट शरीर में टाइट सारी चिपकी हुई थी, जिससे उनके बूब्स और गांद और भी सुंदर लग रहे थे. उन्होने लेफ्ट हॅंड में ब्लॅक कलर की वॉच पहनी थी, और दूसरे हाथ में भर कर चूड़ियाँ.

उन्होने सारी को नीचे करके पहना था, जिससे उनका पेट और उनकी मोटी टमी कक़ची काली जैसे दिख रही थी. उनकी नाभि भी अब सॉफ-सॉफ दिखने लगी थी

मा: अब बताओगे भी की मैं कैसी लग रही हू?

मैं: बहुत ही सुंदर, सेक्सी, और हॉट लग रही हो मा.

मा: वाह क्या बात है! आज मैं हॉट भी हो गयी हू तेरी नज़रो में.

मैं: हा मा.

मा ने एक प्यारी सी स्माइल दी, मानो की वो मुझे इशारे दे रही हो उनको छोड़ने के लिए. उन्होने अब मुझे चलने को कहा और हम बाहर निकल गये.

मेरे पास पुल्सर की बिके है, उसपे मैं और मेरी मा बैठ कर जाने लगे. मा मेरे पास ही पूरी जगह घेर कर बैठे हुई थी, जैसे की वो मेरी पत्नी और मैं उसका पति हू.

मैं बीच-बीच में स्पीड ब्रेकर में जान-बूझ कर अचानक ब्रेक लगा देता था. ताकि उनके बड़े-बड़े दूध मेरी पीठ को टच करे. ऐसा करते-करते हम मार्केट पहुँच गये.

वाहा हम सब्ज़ी लेने लगे. बाहर धूप थी सुबा, और मा के चलने और धूप के कारण उनको पसीना आने लगा. उनकी कमर पर, और उनके गले में वो पसीना मोटी जैसे मेरे मा की कमर और गले में चमके जेया रहा था.

हाए रे! मेरी हवस अब तो . ही ना रुके जेया रही थी. बस बढ़ती जेया रही थी. हमने घर के लिए समान खरीदा, और हम लोग घर वापस आने के लिए निकल गये.

घर पहुँच कर मा और मैं थके हुए थे. मा ने मुझसे कहा: मैं तेरे लिए छाई बना के लाती हू. मैं उनको हॉल से बैठे-बैठे देख रहा था, और मुझसे रहा नही गया.

फिर मैं किचन में अंदर गया, और पीछे से मा की कमर को पकड़ लिया, और मा के गाल पर किस करके उनको थॅंक योउ बोलने लगा.

मा: बस कर बेटा, सारा प्यार आज ही दिखा देगा क्या अपनी मा को? और वैसे ये थॅंक योउ किस बात के लिए है?

मैं: ऐसे ही मा. बस कभी-कभी थॅंक योउ दिल से निकल जाता है, उसको आक्सेप्ट कर लेना चाहिए.

मा: अछा बाबा, अब मुझे छ्चोढ़, मैं छाई छान लेती हू. तू जा, मैं लेकर आती हू.

मैं: मुझे छ्चोढने का मॅन नही हो रहा है मा तुमको.

मा: जानती हू बाबा, पर अब जेया, वरना मैं छाई कैसे चानूँगी?

मैं: ठीक है मा, आप जल्दी आओ. मुझे आप से कुछ ज़रूरी बात भी करनी है.

मा: हा अब जेया.

मेरी मा हम दोनो के लिए छाई लेकर आई, और हम बात कर रहे थे. तब मा ने मुझसे कहा-

मा: बता क्या ज़रूरी बात करनी थी तुझे?

मैं: वो बात ये है की.

मा: हा बोल.

इतने में मेरी चाची आ गयी, और मैं चुप हो गया.

मा: अर्रे राधिका, आ बैठ.

चाची: क्या बात है, आज मा बेटे में भूत गप्पे-शप्पे हो रहे है?

मा: अर्रे नही रे, बस ऐसे ही हम बातें कर रहे देम

चाची: हमे भी इस खुशी में शामिल होने का मौका डोम

मा: बिल्कुल, तू भी शामिल हो जेया, रुक मैं तेरे लिए भी छाई लेकर आती हू.

मा अंदर से चाची के लिए छाई लेकर आती है. फिर हम तीनो मिल कर कर यहा-वाहा की बातें करने लगे.

इतने में चाची बोली-

चाची: दीदी मैने आपसे जो माँगाया था आप लाए?

मा: हा ले आई हू. तू छाई पी ले, मैं ला कर देती हू.

फिर मा अंदर गयी, और चाची के लिए खीरा ला कर उनको देती है. मैं सोचने लगा ये चाची हर 2-4 दिन में खीरा क्यू ले जाती है.

हमारे बीच ऐसे ही कॅष्यूयली बातें हुई, और चाची अपना खीरा लेकर चली गयी. फिर मैने मा से पूछा-

मैं: मा ये चाची हर 2-4 दिन में खीरा क्यू लेकर जाती है?

मा: वो क्या है ना, तेरी चाची को खीरा बहुत पसंद है खाने में. इसलिए वो ले जाती है.

मैं कुछ और ही सोचने लगा था, की कही ये खीरे का काम कही और तो नही करती.

इतने में

मा: हा तो तू क्या ज़रूरी बात कहने वाला था मुझसे?

मैं (संकोच के साथ): क्या? कब?

मा: वही जो तूने मुझसे कहा था, कुछ बताना है

मैं: भूल गया मा. याद करके आपको बताता हू.

मुझे ऐसा लगने लगा था, जैसे मा मेरी बातों को अनदेखा ना करते हुए मेरे मॅन में चल रहे विचारो को समझने लगी हो.

पर मैने सोचा की वो ये सब कहा सोचेंगी. ऐसा सोच कर मैं चुप हो गया.

मैं अपने रूम में कपड़े चेंज करने गया, और थकान के कारण मैं सो गया.

शाम को मेरी नींद खुली, तो घर पर अनिता और पापा आ चुके थे. मा ने सबको खाने के लिए बुलाया, और हम सब साथ में खाना खा के अपने-अपने रूम में सोने चले गये.

दिन में सोने के कारण मुझे नींद नही आ रही थी. मैं मम्मी पापा के रूम के बाहर चला गया, की कही उनके बीच चुदाई हो रही होगी करके. और मेरा तुक्का एक-दूं सटीक लगा.

दरवाज़ा हल्का खुला था, और अंधेरे में सॉफ-सॉफ तो नही दिख रहा था, पर मेरे पापा मेरी मा को ज़ोरो से छोड़े जेया रहे थे. थोड़ी देर बाद पापा झाड़ गये, और मेरी मा की साइड में लेट गये. मेरी मा गुस्से में लग रही थी, और उनके बीच बातें हो रही थी.

मा: या तो आप मुझे छोड़ना छ्चोढ़ दो, या फिर अपना इलाज कारवओ. रोज़ मुझे आधे में ही छ्चोढ़ देते हो.

पापा: मैं क्या करू यार इसमे? मेरा मॅन तुम्हारे कोमल बदन को देख कर छोड़ने को दौड़ता है.

मा: हा, और आप अपनी हवस निकाल कर सो जाते हो. फिर मेरा क्या?

पापा: तुम उंगली कर लो, जैसे पहले करती आई हो.

मा: मैने क्या छूट में उंगली करने के लिए आप से शादी की है( गुस्से से)?

पापा: चुप हो जाओ, बच्चे सुन लेंगे.

मा गुस्से में थी, और बिस्तर से उठ गयी. वो बाहर आने वाली थी, इसलिए मैं भाग कर अपने रूम में चला गया.

फिर मा अपने रूम से बाहर आई, और हॉल में ज़ीरो लाइट चालू करके उदास हो कर बैठ गयी. वो अकेले ही बैठी थी, और मेरा बाप अंदर अपनी हवस मिटा के सो गया था.

मैं रूम के बाहर से मा को बैठे देख रहा था. थोड़ी देर बाद मैं रूम से पानी पीने के बहाने से बाहर आया, और अचानक से मा को देखने का नाटक किया.

मैं: अर्रे मा! आप यहा क्यू बैठे हो?

मा: बस यू ही (धीरे से).

मैं: क्या हुआ मा, फिरसे सर में दर्द हो रहा है क्या?

मा: नही. (फिर उन्होने मुझे गुस्से से पूछा)

तू सोया नही अब तक?

मैं: सो गया था मा. मैं पानी पीने के लिए जेया रहा था.

मा: ह्म…

वो एक-दूं शांत और उदास थी.

मैं: क्या हुआ मा, आपको सोना नही है क्या?

मा: मुझे नींद नही आ रही है. आज तू जाके अपने कमरे में सोजा.

मैं: क्यू नींद नही आ रही है? आप उदास लग रहे हो. कुछ हुआ है क्या?

मा चुप रहती है.

मैं: बताओ ना क्या हुआ?

मा: कुछ नही, तेरे पापा और मेरे बीच किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ, और मैं बाहर आ गयी.

मैं: कैसी बात?

मा: तुझे इससे क्या लेना देना है( गुस्से में)?

मैं: मैं तो बस आपको उदास नही देखना चाहता. इसलिए पूछा की मैं आपकी हेल्प कर साकु. बताओ ना मा.

मा: तू कुछ नही कर सकता इसमे. हमारा पैसों को लेकर आपस में झगड़ा हुआ है.

मैं: कोई बात नही मा. अब आप अपने रूम में चले जाओ सोने.

मा: मैं उनके साथ नही सोने वाली.

मैं: तो ऐसा करिए, मेरे रूम में चलिए. वाहा तो सो सकते हो? अब आपको ऐसे देख कर मुझे अछा नही लग रहा है. आप नही सोते, तो मैं भी यहा आपके साथ बैठा रहूँगा.

मा: तू ज़िद्दी है ना, नही मानेगा.

मैं: हा.

मा: ठीक है मेरे लाल, चल.

मा ने अपना मूड ठीक किया, और मेरे साथ मेरे रूम में सोने आ गयी.

मैने आज फैंसला कर लिया था, की उनको कैसे भी करके छोड़ कर रहूँगा, और अपने काम को अंजाम दूँगा.

हम आपको अगले पार्ट में मिलते है, की कैसे मैने आज अपना काम पूरा किया, और मा को दबा के छोड़ा.

दोस्तों आपको ये पार्ट कैसा लगा मुझे कॉमेंट करके बताए. आपको इसका अगला पार्ट जल्द ही मिलेगा. मुझे मेरे ईद में मेसेज करके अपना फीडबॅक भी दे सकते है

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