ग्रूप सेक्स में बहन और बीवी की गांद फादी

ही गाइस, मैं आज स्टोरी के नेक्स्ट पार्ट के साथ हाज़िर हुआ हू. लास्ट पार्ट में आपने पढ़ा था, की किस तरह से असलम साब और शर्मा साब दोनो ने मिल कर राधिका और दीदी को चोदा था. आब आगे-

5 मिनिट्स तक वो ऐसे ही लेते रहे. फिर दीदी और राधिका उठी, और दोनो फ्रेश हो कर आ गयी. उन दोनो ने सिर्फ़ ब्रा और पनटी पहन रखी थी. फिर शर्मा साब और असलम साब भी भी दोनो फ्रेश हो कर आ गये. दोनो बुड्ढे बिल्कुल नंगे थे, और सोफे पर बैठ गये. 10 मिनिट्स के बाद दीदी और राधिका ने खाना लगाया. फिर सब ने मिल कर खाना खाया. खाने के दौरान असलम साब बार-बार राधिका और दीदी दोनो के बूब्स दबा देते.

खाना खाने के बाद सब बैठ कर दारू पीने लगे. 20 मिनिट्स के बाद शर्मा साब ने दीदी को अपने पास बुलाया. दीदी उठ कर शर्मा साब के पास चली गयी, और दोनो एक-दूसरे को किस करने लगे. उनके लाल होंठो को शर्मा साब बड़ी बेदर्दी से चूस रहे थे. दीदी भी शर्मा साब के काले होंठो को चूस रही थी. दूसरी तरफ राधिका ज़मीन पर बैठ कर असलम साब का लोड्‍ा चूस रही थी.

राधिका असलम साब के लोड को मूह के काफ़ी अंदर तक लेकर चूस रही थी. असलम साब का लोड्‍ा राधिका के हलाक तक पहुँच गया. राधिका लोड्‍ा बाहर निकालना चाहती थी, पर असलम साब ने उसका सिर पकड़ लिया. तो राधिका को साँस लेने में काफ़ी मुश्किल हो रही थी.

फिर असलम साब ने राधिका का मूह छ्चोढा तो उसने असलम साब का लोड्‍ा बाहर निकाला, और ज़ोर-ज़ोर से खाँसने लगी. असलम साब सब देख कर हस्स रहे थे. राधिका गुस्से से उठ कर जाने लगी, तो असलम साब ने उसको पकड़ कर गोद में खीच लिया और बोले-

असलम साब: क्या हुआ मेरी जान?

राधिका: आप इतना ज़ुल्म क्यूँ कर रहे हो?

असलम साब: ज़ुल्म नही प्यार मेरी जान.

राधिका: और आपका प्यार मेरी जान ले लेगा.

असलम साब: नही लेता मेरी जान.

इतना बोल कर असलम साब ने राधिका की ब्रा उतार दी, और उसके बूब्स पर किस करने लगे. राधिका का गुस्सा ख़तम हो गया था. वो भी दोबारा से असलम साब का साथ देने लगी.

दूसरी तरफ शर्मा साब ने दीदी की ब्रा उतरी, और ज़ोर-ज़ोर से दीदी के बूब्स दबाने लगे. दीदी की सिसकियाँ पुर हॉल में गूँज रही थी. फिर शर्मा साब ने दीदी को ज़मीन पर लिटा दिया, और दीदी के पुर जिस्म को चूमने लगे.

शर्मा साब कभी दीदी के बूब्स चूस्टे, तो कभी दीदी की नेवेल. फिर शर्मा साब दीदी को उल्टा करके दीदी की कमर चूमने लगे, और पनटी के उपर से दीदी के गांद चूमने लगे. दीदी को बड़ा मज़ा आ रहा था, और वो अपनी आँखें बंद करके सिर्फ़ सिसकियाँ ले रही थी.

दूसरी तरफ असलम साब ने भी राधिका को ज़मीन पर लिटा दिया था, और राधिका के बूब्स चूस रहे थे. राधिका के टाइट बूब्स असलम साब की थूक से गीले थे. फिर असलम साब ने भी राधिका को उल्टा किया, और राधिका की कमर को चूमने लगे. राधिका की भी बड़े मज़े में डूबी हुई थी. फिर असलम साब राधिका के उपर लेट गये, और पीछे से उसकी गर्दन पर चूमने लगे.

असलम साब का काला लोड्‍ा राधिका की गांद के सुराख पर था. राधिका असलम साब के मोटे जिस्म के नीचे च्छूप गयी थी. दूसरी तरफ शर्मा साब भी दीदी के उपर लेते हुए थे, और वो भी दीदी को पीछे से चूम रहे थे. गर्दन को चूमते-चूमते शर्मा साब दीदी के कान के पास आए, और कान में बोले-

शर्मा साब: आज असलम राधिका की गांद फाड़ कर ही छ्चोधेंगे.

दीदी: प्लीज़ उनको माना करो. राधिका शरीफ है. वो बर्दाश्त नही कर सकेगी.

शर्मा साब: तूने भी तो बर्दाश्त किया था ना.

दीदी: वो नही कर सकेगी, प्लीज़.

शर्मा साब: कर लेगी, बस तू चुप रह.

दूसरी तरफ असलम साब ने राधिका के कान में बोला-

असलम साब: तुजको पता है, एक औरत मुकम्मल कब होती है?

राधिका: कब?

असलम साब: जब कोई आदमी उसकी गांद में अपना लोड्‍ा डालता है.

राधिका: ऐसे नही होता. गांद में डालने से तो बहुत दर्द होता होगा.

असलम साब: पहले तोड़ा सा दर्द होता है. फिर मज़ा आता है, और तू भी एंजाय करेगी.

राधिका: नही मैं नही लूँगी.

असलम साब: तुझको तो मैं पूरी औरत बना कर छ्चोधुंगा. तू टेन्षन क्यूँ लेती है.

फिर असलम साब उपर उठे, और सोफे के पास से तेल की बॉटल निकली. राधिका देख रही थी की वो किया कर रहे थे. असलम साब राधिका के टाँगो पर बैठे, और एक तकिया उठा कर राधिका की कमर के नेआचे लगा दिया. इससे राधिका की लेग्स उपर को हो गयी. असलम साब ने अपने लोड पर खूब तेल लगाया. तेल लगने की वजह से उनका लोड्‍ा चमकने लगा था.

फिर असलम साब ने तोड़ा सा तेल राधिका की गांद पर डाला, और उससे उसकी गांद मसलने लगे.

दूसरी तरफ दीदी उल्टी लेती हुई थी, और पीछे से शर्मा साब उनको चूम रहे थे, और दोनो की नज़रे असलम साब और राधिका पर थी. असलम साब ने अपना लोड्‍ा राधिका की गांद पर रख कर एक धक्का मारा. लेकिन राधिका के गांद काफ़ी टाइट थी, इसलिए लोड्‍ा अंदर जाने की बजाए फिसल गया.

राधिका ने पीछे मूड के देखा, और माना करने लगी. असलम साब ने अपने दोनो हाथो से राधिका के गांद को फैलाया, और फिर ज़ोर से धक्का मारा. लोड्‍ा चिकना होने की वजह से आधा राधिका की गांद चीरता हुआ अंदर चला गया. राधिका बड़ी ज़ोर से छीकी, और मछली की तरह मसलने लगी.

दीदी को असलम साब पर बड़ा गुस्सा आया. वो उठ कर राधिका के पास जाना चाहती थी. लेकिन पीछे से शर्मा साब ने दीदी की कमर ज़ोर से पकड़ी, और दीदी को ज़ोर से धक्का मारा जिसकी वजह से शर्मा साब का भी लोड्‍ा दीदी की गांद में चला गया.

दीदी की गांद भी सूखी थी, और शर्मा साब का लोड्‍ा भी सूखा था, जिसकी वजह से शर्मा साब का लोड्‍ा दीदी के गांद में फ़ासस गया. दीदी को भी बड़ी तकलीफ़ हो रही थी. वो भी ज़ोर से चीख पड़ी, और शर्मा साब को माना करने लगी.

दूसरी तरफ असलम साब तोड़ा सा रुके. फिर आहिस्ता से अपना लोड्‍ा तोड़ा सा बाहर निकाला, और आहिस्ता-आहिस्ता राधिका की गांद के अंदर-बाहर करने लगे. राधिका को बड़ा दर्द हो रहा था, और वो बार-बार पीछे मूड कर उन्हे माना कर रही थी. लेकिन असलम साब आहिस्ता-आहिस्ता उसकी गांद में अपना आधा लोड्‍ा अंदर-बाहर कर रहे थे.

2 मिनिट्स के बाद असलम साब ने अपनी टांगे फैलाई, और अपने दोनो हाथ आयेज कर लिए. अब वो पूरी तरह से राधिका को कवर कर चुके थे, और उस पर लेते हुए थे. फिर असलम साब ने अपनी कमर थोड़ी सी पीछे की, और अपना लोड्‍ा राधिका की गांद से बाहर निकाला, अब उनके लोड का टोपा सिर्फ़ राधिका के गांद में था.

असलम साब ने एक ज़ोर का झटका मारा जिसकी वजह से उनका पूरा लोड्‍ा राधिका की गांद के अंदर चला गया. राधिका दर्द से चीख रही थी, और उसकी आँखों में आँसू आ गये थे. असलम साब तोड़ा सा आयेज हुए, और राधिका पर ही लेट गये. उनका लोड्‍ा अभी तक राधिका की गांद में ही था. राधिका उनको अपने उपर से हटा रही थी, लेकिन उन्होने ज़ोर से राधिका को पकड़ा हुआ था.

राधिका का बुरा हाल हो रहा था. उसकी रोने की आवाज़ पुर घर में गूँज रही थी. 1 मिनिट के बाद असलम साब तोड़ा सा उपर हुए, और आराम-आराम से राधिका की गांद में लंड अंदर-बाहर करने लगे. दूसरी तरफ शर्मा साब का लोड्‍ा भी दीदी की गांद में फ़ससा हुआ था, और बड़ी मुश्किल से अंदर-बाहर हो रहा था. दीदी का भी बुरा हाल था, वो भी दर्द की वजह से रोने लगी थी, और बोल रही थी-

दीदी: आह मा मॅर गयी.

लेकिन शर्मा साब का जानवर जाग गया था. उन पर दीदी के रोने का कोई असर नही था. वो पूरी ताक़त से दीदी की गांद के अंदर-बाहर कर रहे थे. पुर घर में दीदी और राधिका के रोने की आवाज़े गूँज रही थे. अब असलम साब के धक्को की स्पीड भी बढ़ गयी थी, और वो भी पूरी ताक़त से राधिका की गांद मार रहे थे. दीदी और राधिका का बुरा हाल था, और दोनो के आवाज़े पुर घर में आ रही थी.

20 मिनिट तक छोड़ने के बाद असलम साब ने अपना पानी छ्चोढा और राधिका की साइड में लेट गये. लेकिन शर्मा साब पानी निकालने के बावजूद दीदी पर ही लेते रहे.

तो बे कंटिन्यूड…

आपको मेरी स्टोरी कैसी लगी, मुझको एमाइल लाज़मी करना.

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