गांव की मौसी की चुदाई कहानी

Gaav ki mausi ki chudai kahani मेरा नाम दीपक है और मैं शहर जो हमारे गांव से लगा हुआ है, में एक ( जगत) मौसी के घर मैं रहकर पढ़ता हूँ. घर मैं एक मौसी, भाई और भाभी है मौसी की उमर कोई 47 साल की है. भैया की उमर 25 साल है और भाभी की 23 साल. मैं 20 साल का हॅट्टा कॅट्टा युवक हूँ गाँव का काम ठेकेदार सम्हालता है. पर मौसाजी की म्रत्यु के बाद भैया गाँव में ठेकेदार की मदद करते हैं और सप्ताहान्त पर आते हैं. इन लोगो के पास काफ़ी पैसा था और एक कार भी थी और काफ़ी ज़मीन जायदाद. मैं 20 साल का हो चुका था और पिछले 6-7 सालो से मूठ मार कर गुज़ारा कर रहा था. मुझे भारी बदन की औरते बहुत पसंद थी शायद यही वजह थी कि मुझे बड़ी उमर की औरते भी पसंद थी खास कर के औरत का भारी चूतड़ों पर तो मैं फिदा था. और मेरे घर मैं तो दो दो औरत जिनके चूतड़ बहुत भारी थे.

मौसी जो की 47 की हो चुकी थी उनका फिगर कोई 38 34 42 था. चूचियाँ और चूतड़ बहुत भारी थे साथ ही पेट भी हलका उभरा सा था और नाभी बहुत गहरी थी. भाभी का फिगर भी कुछ कम नही था 36 30 40. भाभी भी काफ़ी भारी चूतडो की मालकिन थी. जब से शादी हो कर आई थी तब से उनके चूतड़ और चूचियों मैं और भी उभार आ रहा था. मैं तो पूरे दिन मौसी और भाभी के चूतडो को ही निहारा करता और दिन मैं 4-5 बार मूठ मार कर अपना रस बर्बाद कर देता था. भैया की शादी को 2 साल हो चुके थे पर उनके कोई संतान नही थी. भाबी बहुत ही अच्छी थी और मुझे बहुत प्यार करती थी और मेरा बहुत ख़याल भी रखती थी. भैया सप्ताहान्त पर आते और भैया भाभी काफ़ी अपना समय अपने कमरे मैं ही बिताते थे. मौसी मौसाजी के जाने से पहले तो बहुत रंग बिरंगे कपड़े पहनती थी पर मौसाजी के बाद क्योंकि गाँव मैं रह रहे थे इसलिए जायदातर साड़ी ही पहनती थी कभी कभी चोली और लहंगा पहन लेती थी पर वो भी एक दम सीदा साधा. पर चोली लहँगे मैं मौसी एक दम गजब लगती थी. उनकी भारी भरकम चूचियाँ उसके अंदर समाँ ही नही पाती थी वो अपनी चुनरी से अपनी विशाल छातियों को छुपाने की नाकाम कोशिश करती थी. और उनका चूतड़ लहँगे को फाड़ कर भर आने को तैयार रहता इतना कसा होता

था उनके चूतड़ो पर. वो 47 की हो चुकी थी पर क्योंकि उन्होने घर मैं शुरू से ही काफ़ी मेहनत की थी इसलिए उनके अंगे अभी ढीले नही पड़े थे और उनमे एक कसाव अभी भी था यहाँ तक चूचियाँ भी भारी थी पर ढीली नही हुई थी. उनकी चोली में से झाँकती हुई चूचियाँ ये सॉफ बयान करती थी. दो इतने खूबसूरत औरते मेरे घर मैं थी और मुझे मूठ मार कर काम चलाना पड़ता था कभी कभी तो मुझे बड़ा गुस्सा आता और सोचा मौसी और भाभी पकड़कर चोद डालूँ पर मन मार कर रह जाता था. भाभी भी शहर की थी पर उन्होने अपने आप को गाँव मैं अच्छे से ढाल लिया था. शहर मैं तो पश्चमी ढंग के कपड़े पहनती थी पर अब घर मैं सिर्फ़ साड़ी या घाघरा चोली ही पहनती थी. पर उनके कपड़े मौसी की तरह सादे नही होते थे और उनके ब्लाउज़ के कट बहुत ही गहरा होता था जिससे से उनकी 1/4 चूचियाँ बाहर झाँकती थी और उनकी दोनो चूचियाँ मिल कर क्या मस्त कट बनाती थी. और वह ल़हेंगा नाभी की नीचे ही पहनती थी जिससे उनकी गहरी नाभी सॉफ दिखाई पड़ती थी. जब वह घाघरा चोली पहनती तो चुनरी अपने सर पर रखती थी जिससे उनकी साड़ी छाती खुली रहती और मुझे उनके मोटी नुकीली छातियों के दर्सन होते रहते जिससे मेरा लण्ड हमेशा खड़ा रहता.

दिन मे मैं गांव जा खेतो मे काम देखता कभी वहाँ पर भी मूठ मार कर अपने लण्ड की भूख को शांत करता. मेरी भाभी बहुत ही नयी ढंग के ब्रा पॅंटी पहना करती थी कभी कभी भैया के साथ शॉपिंग पर शहर जाती थी शायद तभी वह ये मस्त ब्रा पॅंटी ले कर आती क्योंकि शॉपिंग कवर से पता चल जाता था कि वो कोई अच्छी शॉप मे

गयी थी. घर मे मौसी अपने कपड़े खुद धोती थी बाकी सबके कपड़े भाभी धोती थी. हम लोगो के घर एक बाथरूम था उससे मे एक बड़े बर्तन मैं हम गंदे कपड़े रखते थे भाभी भी अपने और कपड़ो के अलावा अपनी सेक्सी ब्रा पॅंटी भी बर्तन मैं रखती थी. एक बार मैं जब अपने कपड़े धुलने के लिए डालने गया तो मैने देखा कि भाभी की लाल रंग की पॅडेड ब्रा और छोटी से पॅंटी बर्तन मैं पड़ी थी. उससे देख कर तो मेरा लण्ड एक दम मचल गया. भाभी के बदन पर उस ब्रा और पॅंटी की कल्पना से ही मैं उत्तेजित हो गया सोचने लगा ये ब्रा कैसे भाभी के बड़ी चूचियों को अपने अंदर समाती होगी और ये कच्छी पहन कर तो भाभी के चूतड़ पूरे ही नंगे हो जाते होंगे और भाभी किसी मस्त अप्सरा से कम नही लगेंगी. मैं ब्रा और पॅंटी को अपने हाथ मैं लिए क्या मुलायम कपड़ा था एक सुंदर अन्चुयि औरत के लिए बनी थी वो ब्रा पॅंटी. पॅंटी को मैं अपनी नाक तक ला कर शुंघा क्या मदमस्त महक थी मेरी भाभी की चूत की. उसकी कच्छी पर जहाँ चूत होती के एक गहरा निशान था शायद भाभी की चूत गीली हो गयी थी जब भाभी ने वह पॅंटी पहनी थी.मैने अपनी नाक पूरी भाभी की कच्छी पर रख कर सुंगने लगा. मेरा लण्ड एक दम लोहे के रोड की तरह खड़ा हो गया था. अब मेरा रुकना बहुत मुस्किल था. मैने थोड़ी देर भाभी की पॅंटी सूँघी और फिर बाथरूम से बाहर झाँककर देखा बाहर कोई नही था मैने भाभी की ब्रा पॅंटी अपने शॉर्ट मैं छुपाई और अपनी कमरे की तरफ चल दिया. अपने कमरे मे पहुँच कर मैंने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया. और भाभी की ब्रा पॅंटी बाहर निकाल ली. और उनकी पॅंटी सूंघने लगा. जब मैं पहली बार उनकी पॅंटी को सुँघा था तब पॅंटी थोड़ी गरम थी जैसे अभी अभी किसी गरम बदन से उतरी हो. मैं बिस्तर पर लेट गया और भाभी की पॅंटी अपने मुँह पर रख कर सुंगने लगा. मेरा लण्ड अब मेरे शॉर्ट मैं रहने को बिलकुट तयार नही था. मैं लण्ड बाहर निकाल और उससे सहलाने लगा. भाभी की चूत की महेक मे मैं खो सा गया था. मैने अपने लण्ड को ब्रा के दोनो कप्स से पकड़ लिया. पॅडेड कप मेरे लण्ड पर छुए तो मुझे बड़ा अच्छा लगा. मैने अपने लण्ड को ब्रा से कस कर पकड़ लिया और मूठ मूठ मारने लगा. ब्रा मैं मूठ मारने का मज़ा ही कुछ और था. ऐसा लग रहा था जैसे मैं भाभी के बड़ी बड़ी चूचियाँ चोद रहा हूँ और साथ ही साथ उनकी पॅंटी से उनकी चूत भी चाट रहा हूँ.

मैने भाभी की छोटी से कच्छी को चाटना शुरू कर दिया और ब्रा मैं ज़ोर ज़ोर से मूठ मारने लगा. जहाँ पर भाभी की चूत से गिरा रस लगा था मैं वोही भाग ज़ोर ज़ोर से चाट रहा था और यह सब करते हुए भाभी के मोटे बदन को पूरा नंगा सिर्फ़ यह ब्रा पॅंटी मैं देख रहा था. अब मैं जल्दी से जल्दी अपना रस निकाल देना चाहता था. मैं उठा और बिस्तर के नीचे खड़ा हो गया. भाभी की पॅंटी मैं अपने चेहरे पर पहेन ले जिससे पॅंटी का वो हिस्सा जहाँ उनकी चूत थी सीधा मेरे नाक पर था और मैं ज़ोर ज़ोर से उसको सुंगने लगा. एक हाथ से मैं भाभी की ब्रा पकड़ी और दूसरी मैं अपना मोटा 8 इंच का लण्ड और ज़ोर ज़ोर से मूठ मारने लगा. मैं भाभी की ब्रा के कप को अपने रस से भर देना चाहता था. मैं बहुत ही ज़ोर ज़ोर से मूठ मार रहा था. थोड़ी ही देर मैं झड़ने के करीब आ गया ओर अपना सारा रस भाभी की ब्रा के दोनो कप्स मैं भर दिया. भाभी की ब्रा मेरे रस से भीग गयी. अपना पूरा रस निकाल कर ही मुझे शांति मिली. जब मैं बिल्कुल शांत हो गया तब मैने अपना लण्ड भाभी की पॅंटी से सॉफ किया. मेरा मान तो नही था भाभी की पॅंटी को वापस रखने का पर मन मार कर मैने ब्रा पॅंटी फिर से अपने शॉर्ट मैं रखी और बाथरूम मैं जा कर कपड़ो के बीच छुपा दी और वापस कर तैयार होकर खेतो के लिए निकल गया.

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जब मैं शाम को लौट कर आया तो बाथरूम के सारे कपड़े धूल चुके थे और छत पर सुख रहे थे. भाभी अपनी ब्रा पॅंटी अपने कपड़ो के नीचे छुपा कर फैलाती थी. भाभी 3 जोड़ी ब्रा पॅंटी सुख रही थी. एक लाल थी बाकी दो सफेद थी. और वो दोनो भी उस्सि ढंग की थी. भाभी बड़े ही सेक्सी ढंग की ब्रा पॅंटी पहनती थी. उस दिन के बाद मैं भाभी और मौसी दोनो के ब्रा पॅंटी जब ऊपर छत पर सुखती तो जा कर देखता भाभी ब्रा पॅंटी हमेशा मस्त ढंग की होती पर मौसी की एक दम सादी सफेद कोन शॅप की और पॅंटी पूरा चूतड़ को ढकने वाली. मैं मौसी की ब्रा पॅंटी भी सूँघी पर क्योंकि मौसी अपनी ब्रा पॅंटी खुद ही धोती थी इसलिए उनकी ब्रा पॅंटी मैं कभी मूठ नही मार सका. पर भाभी की ब्रा पॅंटी मे मैं रोज मूठ मारता और मज़े करता. भाभी कपड़े 2-3 दिन मैं एक बार धोती थी तो उनके 3-4 जोड़ी ब्रा पॅंटी जमाँ हो जाते थे. तो मैं रात को भी भाभी की ब्रा पॅंटी रूम मैं ले आता और 3-4 बार मूठ मार कर अपनी गर्मी शांत करता. और सुबह होते ही ब्रा पॅंटी वापस रख देता. यह सिलसिला कुछ दिनों तक चलता रहा. फिर एक दिन रात को भाभी की काली ब्रा पॅंटी मे मूठ मारने के बाद मैं अपने तकिये के नीच रख कर सो गया. सुबह उठा तो पेशाब लगी और जा जल्दी से बाथरूम मैं चला गया. जब मैं वापस आया तो मेरी चाय सिरहाने रखी थी और भाभी की ब्रा पॅंटी तकिये के नीचे से गायब थी.

मुझे सुबह चाय रोज भाभी देती थी. तो मुझे लगा भाभी ने मेरी चोरी पकड़ ली है. मैं तो बहुत घबड़ा गया कि अब क्या किया जाए. मैं जल्दी से जल्दी खेत भाग जाना चाहता था ताकि भाभी से आँख ना मिलाने पड़े. मैं जल्दी से नाहया और खेत जाने के लिए तयार होने लगा. मैं कमरे से बाहर निकल रहा था कि मौसी ने आवाज़ लगाई मैने पूछा कि क्या हुआ तो बोली तेरी भाभी रचना आंटी के यहाँ जा रही है उन्होने बुलाया है तो तेरा नाश्ता थोड़ी देर मैं देती हूँ. मैं बोलो मैं खेत जाता हूँ दोपहर मैं ही खाना खा लूँगा मौसी ने माना किया और बोली अपना नाश्ता कर के ही जाना. अब तो और भी दुविधा थी तो मैं अपने कमरे मैं ही बैठ गया कि भाभी से नज़र ना मिलानी पड़े. थोड़ी देर बाद भाभी चली गयी और घरपर मैं और मौसी ही रह गये अब मुझे थोड़ी शांति हुई. मौसी मेरे कमरे मैं नाश्ता लेकर आई. आज मौसी कुछ बदली बदली लग रही थी. मौसी हमेशा सादे कपड़े ही पहनती थी. पर आज तो माँ ने अपनी एक पुराना चोली घाघरा पहन रखा था. वो थोडा छोटा हो गया था. जिसे से चोली मौसी की चूचियों पर थोड़ी टाइट थी. मौसी की चोली का रंग भी लाल था और उससे सलमाँ सितारे जड़े थे. बड़े दिनों बाद माँ ने यह चोली पहनी थी. और मौसी ने चुनरी अपनी चोली पर नही बल्कि सर पर रखी थी. चोली का कट गहरा था जिससे मौसी की मोटी बड़ी बड़ी चूचियाँ बाहर निकल कर आने को तैयार थी और चूचियों के बीच एक गहरी खाई बना रहे थे.

मौसी ने अपना लहंगा भी नाभी के नीचे पहना था. थोड़ी मोटी थी और जैसा की मैं कहा मुझे बड़ी उमर की मोटी औरते पसंद है तो मेरे लिए एक दम अप्सरा लग रही थी. मौसी की गहरी नाभी मेरी जीभ को बुला रही थी कि घुस जा नाभी की गहराई मैं. मौसी ने नाश्ता ला कर बगल की मेज़ पर रख दिया. जिसके लिए वो मुड़ी तो उनका मोटा हिलता चूतड़ मेरी आँखो के सामने था. जो की मौसी के घाघेरे पर चिपका हुआ था. मौसी बिस्तर पर मेरे बगल मैं बैठ गयी और मुझे नाश्ता दिया और मैं उनकी छातियों और पेट को घुरते हुए नाश्ता करने लगा. जब नाश्ता ख़त्म होने वाला था तो मौसी ने अपनी चोली मैं हाथ डाल कर कुछ बाहर निकाला और पूछा लल्ला ये क्या है मुझे आज तेरे बिस्तर पर मिला. मौसी के हाथ मैं भाभी की छोटी सी काली कच्छी थी जो कल रात मैने मूठ मारने के लिए यूज़ पुष्ट थी. मेरी तो आँखे फटी की फटी रह गयी. इसका मतलब आज सुबह चाय देने मौसी कमरे मैं आई थी भाभी नही. मुझसे कुछ बोले नही बना मैं बहुत घबड़ा गया की आज तो मौसी मुझे बहुत माँ रेगी और मेरी खाल उधेड़ देगी. वो मेरे चेहरे को देख कर बोली ये तो तेरी भाभी की कच्छी है ये तेरे कमरे मैं क्या कर रही है लाल मेरे. अब मैने मौसी को सच बताना की ठीक समझा और सोचा मौसी से माँ फी माँग लूँ क्योंकि इसको सब पता चल गया था. शायद माँ फ़ कर दे.

मौसी मैं भाभी की पॅंटी बाथरूम से ले कर आया था. मौसी मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गयी अब मैं इसको कभी हाथ नही लगाउन्गा माँ मुझे माँ फ़ कर दो . तू अपनी भाभी को इस नज़र से देखता है और उसकी ब्रा पॅंटी को इस काम के लिए यूज़ करता है बोल. प्लीज़ मुझे माँ फ़ कर दो अब ऐसा नही होगा . मैं मौसी से आँख नही मिला पा रहा था. आज जब सुभह मैं तेरे को चाय देने आई क्योंकि तेरी भाभी को कुछ काम था तब मैने तेरे बिस्तर पर ये तेरी भाभी की ब्रा पॅंटी और कुछ किताबे रखी हुई पाई उनको देख कर मुझे अहसास हुआ के मेरा बेटा जवान हो गया और उसकी भी कुछ उमंगे है खेत मैं काम करने के अलावा और उसके शरीर की भी कुछ इच्छाए हैं जो हर एक जवान लड़के ही होती है जो वो पूरा नही कर पा रहा है और अपनी जवानी की इच्छा को दबा रहा है. मौसी के ये शब सुनते ही मैं तो एकदम सकते मैं आ गया की ये क्या कहा रही है और उनकी तरफ देखने लगा. हां मेरे लल्ला आज मुझे पता चला बेटे की जवानी कितनी तड़प रही है. तू अगर अभी शहर मैं होता तो अपनी गर्ल फ्रेंड बना कर उसके साथ संभोग कर के अपनी गर्मी को शांत करता पर तुझे यहाँ अपने खेतो मैं काम करना पड़ रहा है.

मैने भी आज सोच लिया बेटा क्योंकि तुझे अपने मौसाजी के काम संभालने पड़ रहे है तो तू उनका एक और काम को पूरा कर कह कर वो मेरी ओर देखने लगी. मैने अचरज़ से पूछा वोक्या मौसी.

तेरे मौसाजी का एक फ़र्ज़ अपनी पत्नी यानी की तेरी मौसी की तरफ भी है वो यह कि अपनी पत्नी के जिस्म की भूख को शांत करना और मेरा फ़र्ज़ था अपने पति के जिस्म की भूख को शांत करना. जब तूने अपने मौसाजी के बाकी काम संभाल लिए है तो आज से तू यह काम भी करेगा अपनी मौसी के जिस्म की गर्मी तू शांत करेगा और ये तेरी मौसी भी तुझे अपना पति मान कर तेरे साथ संभोग करेगी. मौसी की बात सुन कर तो मैं हकबका रहा गया. ना जाने कितनी बार सपने मे मैने मौसी मौसाजी को चोदने के बारे मैं सोचा था और आज मौसी खुद कह रही थी मैं उसको चोदु और उसके साथ चुदाई करू. मौसी तुम ये क्या कह रही हो. सच ही तो कह रही

हू बेटा मेरे जिस्म मैं भी आग लगती है उसको भुझाने वाला तो कोई चाहिए और अपने भान्जे से अच्छा प्यार करने वाला किसी को और कौन मिल सकता है. सच मौसी तुम सच कह रही हो मैं तुमको चोद सकता हूँ तुम्हारी चूत मैं अपना लण्ड डाल कर उसको चोद सकता हूँ. मैं इतना उत्तेजित हो गया कि एक बार मैं सब कुछ बोल गया. मौसी मुझे देख कर मुस्कुराइ बेटा तेरी मौसी का तो भोसड़ा है हाँ पर तू मेरा भोसड़ा चोद सकता है

मेरा लण्ड मौसी की बात सुन कर एक दम टन्ना गया. मैं जाने कब से तुमको चोदने की सोचा करता था तुम तो मेरे लिए किसी अप्सरा से कम नही हो ना जाने कितने बार मैने तुम्हारे बारे मैं सोच कर मूठ मारी है तुम्हारी बड़ी बड़ी चूचियाँ और तुम्हारे मोटे चूतडो को प्यार करने की कल्पना से ही मेरा लण्ड लोहे की तरह खड़ा हो जाता है.

हां बेटा मैं कई बार तुझे मेरी छाती और पिछवाड़ा घूरते हुए देखा है मेरा भी मन करता था तुझसे चुदवाने का पर अब तक मैं मन दबा कर रह रही थी. इसलिए तो तेरी भाभी को रचना के यहाँ भेजा ताकि हमको पूरा मौका मिल सके मज़े करने का आज शाम तक तेरी भाभी घर नही आने वाली तो अपने पास पूरा दिन है चुदाई करने के लिए. वैसे मैं तेरी भाभी जितनी सेक्सी तो नही हू पर तुझे पूरा मज़ा दूँगी. क्या मौसी मुझे तुम्हारे जैसे मोटी औरत ही पसंद है मेरी नज़र मैं तुम भाभी से ज़यादा सेक्सी हो जयदा भरपूर बदन वाली हो जो मुझे पसंद है. ठीक है लाल मेरे जैसे तू कहे. तूने कभी किसी औरत के साथ कुछ किया है.

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नही मैं आज तक किसी औरत को नही भोगा यहाँ तक कि नंगा भी नही देखा.

हाए तो आज भोग अपनी मौसी को और नंगा भी देख. पर उससे पहले अपने कपड़े उतार कर नंगा हो जा मैं भी तो देखु मेरे लाल का लण्ड कितना मोटा और लंबा है.

ओ मौसी तुम तो कितना खुल कर लण्ड और चूत बोल रही हो मुझे तो बहुत मज़ा आ रहा है तुम्हारे मुँह से ये सब्द सुन कर अपनी कमीज़ उतारते हुए मैं बोला.
क्रमशः………………..

गतांक से आगे………………………

बेटा चुदाई मैं कोई शर्म नही करनी चाहिए तबी तुम पूरा मज़ा ले सकते हो. तब मैने अपने कपड़े उतार कर पूरा नंगा हो गया. मैं बिस्तर के नीच मौसी के सामने खड़ा था मौसी बिस्तर पर बैठी थी और मेरा लण्ड एक दम उनके चेहरे के सामने था जो मौसी की खूबसूरती को मस्त कपड़ो मैं बंद देख कर तन कर एक दम मोटा हो गया था.

दैया रे क्या मोटा लण्ड है तेरा बेटा इतना बड़ा और मोटा लण्ड तो मैं आज तक नही देखा. 8 इंच लंबा है बहुत मोटा है मेरी चूत तो मस्त हो जायेगी तेरे लण्ड से चुदवा कर.

मौसी तुम क्या कई लण्ड से चुदवा चुकी हो.

“हां बेटा मैं शादी से पहले बड़ी चुड़दकड़ औरत थी और कई मूसल लण्ड घोंटे है मैने अपनी चूत की ओखली मैं पर तेरा लण्ड अब तक का सबसे बड़ा लण्ड देखा है मैने”

कह कर मौसी अपने मुलायम हाथो से मेरे लण्ड को सहलाने लगी. मेरा लण्ड तन कर खड़ा होने लगा.

“कितना प्यारा लण्ड के मेरे लाल का और सूपाड़ा तो देखो क्या हथौड़े जैसा”.

कह कर मौसी ने मेरा लण्ड चूम लिया.

“आज तुझे खेत मैं जाने की कोई ज़रूरत नही आज तू मौसी को चोद कर अपने फ़र्ज़ को पूरा कर.”

“ठीक है मौसी जैसा आप कहो.”

मौसी मेरे लण्ड को ज़ोर से सहला रही थी. उसने अभी तक कपड़े पहन रखे थे और मेरी नज़र उनको मोटी चूचियों पर था.

“मौसी सहलाने से बहुत मज़ा आ रहा था.”

“अरे बेटा मज़ा तो तब आएगा जब तेरा लण्ड मेरी चूत मैं घुसेगा चल अब मैं तुझे अपना बदन दिखाती हूँ मेरा बदन देखना है ना. बोल हां ठीक है ले मेरी चोली के बटन खोल ज़रा.”

मौसी की चोली के बटन आगे से मैं अपने काँपते हाथो से उसके बटन खोलने

लगा. मेरे हाथ उसकी गु्दाज चूचियों से टकरा रहे थे. बड़ा अच्छा लग रहा था मुझे. मैने चोली के बटन खोल दिए और चोली एकदम खुल गयी. मौसी की बड़ी बड़ी दूधिया चूचियाँ भाभी की काली ब्रा मैं क़ैद थी जिससपर रात मैं मैने मूठ मारी थी. वह ब्रा बहुत ही टाइट थी मौसी के ऊपर बड़ी मुस्किल से बँधी लग रही थी. जैसे चूचियों के ज़ोर से अभी खुल जाएगी. वो नज़ारा देख कर तो मेरा मन मचल उठा. तभी मौसी ने चोली उतार दी. और मौसी की चूचियाँ मेरे सामने थी. वो भाभी की उस छोटी से ब्रा मैं बिल्कुल नही समा रही थी और बाहर निकलने को तैयार थी. मौसी के निपल्स भी कड़े हो गये थे और ब्रा मे छेद करने के कोशिश कर रहे थे. मैने अपने हाथ मौसी की गोल दूधिया चूचियों पर रखे और धीरे से उनको सहलाने लगा.

वो बड़े ही प्यार से बोली. “बड़े दिनो बाद किसी मर्द का हाथ मेरी चूचियों पर लगा है बड़ा अच्छा लग रहा है. बेटा इतने प्यार से क्यों खेल रहा है चूची तो बेरहमी से मसलने के लिए बनाई गयी ज़रा खुल के खेल तेरी मौसी को तेरी कोई भी हरकत पर कोई ऐतराज नही है जैसे चाहे खेल अपनी मौसी के बदन से. तेरा पूरा हक है मेरे बदन पर. मैं मौसी की चूचियाँ अपने हाथ मे लेकर धीरे से दबाने लगा. और धीरे धीरे मैं अपने हाथो को दवाब चूचियों पर बढ़ा दिया और मेरे ज़ोर से दबाने से मौसी की मुँह से कराह निकलने लगी मौसी अपने होंटो को कातिलाना ढंग से दबा कर अपने मस्ती को जाहिर कर रही थी. मौसी के निपल्स भी उनकी चूचियों की तरह बड़ी थी जो अब तन कर खड़ी हो गयी थी मैं कभी ब्रा की ऊपर से उनकी निपल्स भी मसल देता.

“मौसी अब मुझे नही रहा जा रहा अब तो मुझे अपनी चूचियों के दर्शन करा.”

“उतार दे बेटा मेरी ब्रा मैने कब मना किया है”

मैने मौसी की ब्रा का हुक खोल दी. मौसी ने खुद ही उसको अपने नंगे बदन से अलग कर दिया.

अब मौसी की मस्त गोल पपीते की मानिन्द चूचियाँ फ़ड़फ़ड़ाकर आजाद हो बिल्कुल नंगी मेरे सामने थी और मैं आँखो से उसका रस पान कर रहा था. मैं अपना हाथ फिर से एक चूची पर रखा और मसल्ने लगा. दूसरी चूची के निपल पर मैं अपना मुँह लगा दिया और चूसना शुरू कर दिया. मौसी की हालत चूची चूसने से खराब होने लगी. मौसी को बहुत दिनों बाद किसी मर्द का साथ नसीब हुआ था. मैं ज़ोर ज़ोरसे मौसी का एक निपल्स चूसने लगा और पूरी बेरहमी से दूसरी चूची मसल्ने लगा. मौसी की हालत बहुत खराब हो गयी और अब मौसी बिस्तरपर लेट गयी और मैं मौसी के पेट के दोनो और पैर करके उनकी चूचियों पर झुक गया बड़ी बड़ी चूंचियाँ अपने हाथों मे थाम बारी बारी मुँह मारते चूसते हुए निपल चूसने चुभलाने लगा. मौसी मस्ती मैं अपना सर पटक रही थी और मेरे सर को अपनी बड़ी बड़ी चूंचियों पर दबा रही थी. मेरा मस्त मोटा लण्ड टन्नाकर मौसी की नाभी से रगड़ खा रहा था और मौसी की नाभी को अपने लण्ड रस से गीला कर रहा था.

तभी मौसी ने मेरा हलव्वी लण्ड अपनी शानदार सुडोल संगमरमरी गुदाज और रेशमी चिकनी जांघों के बीच दबा लिया और मसलते हुए बोली

“ओह बेटा तू क्या मस्त चूची चुभलाता चूसता है बड़ा मज़ा आ रहा है चूसवाने मैं और ज़ोर से मसल इन निगोड़ियों को बड़ा परेशान करती है साली मुझे.”

मैं तब तक मौसी की बड़ी बड़ी चूंचियाँ चुभलाता चूसता और मसलता रहा जब तक वो मेरे थूक से पूरी तरह सन नही गयी.

इस बीच मेरे लण्ड और मौसी की की चूत ने एकदूसरे को खोज लिया और अब उनकी दूध सी सफ़ेद पावरोटी सी चूत अपने मोटे मोटे होठ मेरेलण्ड के सुपाड़े पर रगड़ र्ही थी जैसे

लण्ड को खा जाने की धमकी दे रही हो।

तभी चाची ने मुझे अपनी चूचियों से उठा दिया और अपनी शानदार सुडोल संगमरमरी गुदाज और रेशमी चिकनी जांघों के बीच दूध सी सफ़ेद पावरोटी सी चूत के मोटे मोटे होठों को अपने एक हाथ की उंगलियों से फ़ैलाकर दूसरे हाथ से के मेरे हलव्वी लंड का हथौड़े जैसा सुपाड़ा चूत के मुहाने पर धरा और सिसकारी ले कर बोली

“इस्स्स्स्स्स्स्स्स आआआआह. अब रह नही जाता बेटा जल्दी से डाल के चोद दे मौसी का भोसड़ा, शाबास कर दे मुझे गर्भवती।”

मैने जोश मे भर कर धक्क मारा।

“आ—आ—ईईईईईह”

मौसी की चीख निकल गई पर बोली “शाबास बेटा रुक मत चोद साली को धका पेल।

बस फ़िर क्या था मैं मौसी की बड़ी चूंचियाँ अपने हाथों मे थाम बारी बारी मुँह मारते चूसते हुए चूत मे अपना लंड धाँसते हुए धका पेलचोदने लगा। मौसी अपने भारी चूतड़ उछाल कर चुदवाते हुए मेरा साथ दे रही थी।

” आ—आ—ह आ—आ—ह उ—ईईई आ–ईईई आ—आ—ह आ—आ—ह उ—ईईई आ—ईईई

आ—आ—ह आ—आ—ह उ—ईईई आ–ईईई आ—आ—ह आ—आ—ह उ—ईईई आ–ईईई हाई बेटा राजा, तुम्हारा लंड तो लाखों मे एक है, तुम्हारा लंड खा कर मेरी चूत के भाग्य खुल गये। अब मैं रोज तुम्हारे प्यारे प्यारे लंड से अपनी चूत फ़ड़वाऊंगी।”

करीब बीस मिनट तक धुँआधार चुदवाने के बाद मौसी के मुंह से निकला।

“ह्म्म आ—आ—ह आ—आ—ह उ—ईईई ह्म्म आ–ईईई आ—आ—ह आ—आ—ह उ—ईईई आ—ईईई शाबाश बेटा बस दोचार धक्के और मार दे, मैं झड़नेवाली हूँ ।”

चार ही धक्कों में हम दोनो झड़ गये।

समाप्त



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