दोस्त की सेक्सी मम्मी, और उसकी गरम चूत

हेलो दोस्तों, मैं हर्ष पाटिल एक बार फिर आया हू एक नयी कहानी लेकर. आशा करता हू आप सब ठीक होंगे. मैं बस यही कहना चाहूँगा आप सब सुरक्षित रहे, और अपना ख़याल खुद रखे. जो नये रीडर्स है, उन्हे अपना परिचय देता हू. मेरी उमर 30 साल है, और मैं नवी मुंबई में रहता हू.

आप सभी की फीडबॅक के मेल्स आते है, तो बहुत अछा लगता है. ऐसे ही अपना प्यार देते रहिए. अभी आपको ज़्यादा बोर ना करते हुए सीधा स्टोरी पे चलता हू. आज की ये कहानी मेरे दोस्त की मों के साथ हुई रियल घटना के बारे में है.

मेरे दोस्त का नाम विकास है, और हम दोनो की दोस्ती जिम से शुरू हुई थी. हम दोनो साथ में ही जिम में जाते थे, और एक-दूसरे के जिम में पार्ट्नर थे. उसकी फॅमिली में टीन ही मेंबर है, एक विकास, उसके पापा, और उसकी मा. उसकी मा का नाम कुसुम है, और आगे करीब 48 यियर्ज़ होगी.

मैने जब उन्हे पहली बार देखा था, तब मेरे मॅन में ऐसा वैसा कुछ ख़याल नही था. मैं डेली सुबा विकास के घर से उसको पिक करता था जिम जाने के लिए. उसके बाद हम दोनो जिम में एक्सर्साइज़ करते, और वापस घर आने के बाद अपने-अपने ऑफीस चले जाते थे.

ऐसे ही एक सुबा मैं विकास के घर गया, और बेल बजाई. तभी दरवाज़ा आंटी ने खोला. मैं उन्हे देखता ही रह गया. वो अभी-अभी नींद से उठी थी शायद, और उन्होने जो निघट्य पहनी थी, वो बहुत डीप गले की थी. उसमे से उनके बूब्स का क्लीवेज क्लियर दिख रहा था. बस उनके निपल्स ही बाकी थे दिखाने. वो सब देख कर तो मेरा दिमाग़ ही खराब हुआ. फिर भी जैसे-तैसे मैने खुद को संभाला और आंटी से पूछा-

मैं: आंटी विकास उठा नही क्या अभी तक? उसे फोन कर रहा हू, उठा भी नही रहा है.

आंटी: हा वो आज नही आएगा जिम. कल वो तोड़ा लाते ऑफीस से आया था, और उसकी तबीयत भी थोड़ी ठीक नही है इसके लिए.

मैं: ठीक है आंटी, उसका ख़याल रखना, मैं चलता हू.

इतना कह कर मैं वाहा से आ तो गया. लेकिन मेरे दिमाग़ में अभी भी आंटी का ही ख़याल आ रहा था. बस उस दिन के बाद मेरे दिमाग़ में आंटी के लिए अलग ही ख़याल आने चालू हो गये. उस दिन मैं जान-बूझ कर शाम को विकास के घर चला गया उसका हाल-चाल पूछने.

उस वक़्त घर में विकास और आंटी दोनो ही थे. अंकल कही बाहर गये हुए थे. मैं सीधा जाके विकास के रूम में गया, लेकिन वो सो रहा था. फिर आंटी मेरे लिए पानी का ग्लास लेकर आई. मैने पानी पिया और आंटी ने मुझे इशारे से कहा बाहर चलो उसे आराम करने दो. फिर हम दोनो बाहर हॉल में आ गये. अब हम दोनो सोफे पर बैठ कर धीरे-धीरे बातें कर रहे थे.

मैं: अभी कैसी है विकास की तबीयत?

आंटी: अभी ठीक है. थोड़ी देर पहले ही वो डॉक्टर के पास जा कर आया है.

मैं: कल सुबा तो ठीक था, फिर अचानक कैसे?

आंटी: अर्रे वो कल किधर बाहर गया था अपने ऑफीस के दोस्तों के साथ, और लाते आया रात को. इसलिए शायद उसे तकलीफ़ हुई होगी.

अब मैं बस आंटी की बातें सुन रहा था, और उन्हे बस नोटीस कर रहा था. क्यूंकी उस दिन का आंटी का रूप मेरे दिमाग़ से अभी तक गया नही था. थोड़ी देर बाद शायद आंटी ने भी ये बात नोटीस की, की मैं कुछ ज़्यादा बोल नही रहा था, और उन्हे ही घूर रहा था बस.

फिर वो अचानक से उठ कर अंदर चली गयी. और तभी विकास उठ कर अपने रूम से बाहर आ गया. फिर मैने थोड़ी देर उससे बात की, लेकिन आंटी बाहर ही नही आई. मैं फिर ऐसे ही उसके घर से वापस आ गया. आज फिर मैं आंटी को इमॅजिन करके मूठ मार कर सो गया. उसके बाद मैं भी कुछ दिन नही गया विकास के घर.

फिर एक दिन शाम के समय मैं कुछ शॉपिंग के लिए मार्केट गया था. तभी वाहा मुझे आंटी मिल गयी.

मैं: ही आंटी.

आंटी: हेलो बेटा, तुम यहा कैसे?

मैं: जी कुछ ज़रूरी समान लेने आया था. हो गया सब लेके, अभी बस निकल ही रहा था.

आंटी के हाथ में दो बॅग्स थे, जो देख कर भारी भी लग रहे थे.

आंटी: अछा मेरी भी शॉपिंग हो गयी है. मैं भी निकल रही थी घर के लिए.

मैं: ओक, यहा पे एक होटेल में कॉफी अची मिलती है. अगर आपको जल्दी ना हो तो चलते है.

आंटी भी इस बात के लिए अग्री हो गयी और हम दोनो वाहा के एक होटेल में कॉफी पीने चले गये. फिर मैने कॉफी ऑर्डर की, और दोनो थोड़ी देर ऐसे ही इधर-उधर की बातें करने लगे. अब भी मैं आंटी को घूर रहा था. ये बात आंटी ने नोटीस कर ली, और मुझसे पूछा-

आंटी: एक बात बताओ, तुम इतना क्यूँ घूरते हो मुझे?

ये बात सुनते ही मेरी तो सिट्टी-पिटी गुल हो गयी. मैं 2 मिनिट के लिए एक-दूं शांत था, और आंटी ने फिरसे वही सवाल पूछा. अब मैने तोड़ा अपने आप को संभाला और कहा-

मैं: नही ऐसा नही है कुछ. बस ऐसे ही आपको जब भी देखता हू, तो बस देखते ही रहने का मॅन करता है. आप मुझे बेहद अची लगती हो. प्लीज़ इस बात का बुरा मत मानना.

आंटी: अछा ऐसी बात है. और कहा से तुमको मैं अची लगती हू? मैं तो अब बुद्धि हो चुकी हू.

मैं: नही आंटी ऐसा मत कहो. मुझे आपको देख कर बिल्कुल भी ऐसा कुछ ख़याल नही आता की आप बुद्धि हो. आप आज भी बेहद खूबसूरत हो सच में.

फिर आंटी भी थोड़ी शरमाई और फिर हम दोनो वाहा से निकल कर घर की तरफ जाने लगे. इस बार आंटी मुझसे एक-दूं चिपक कर बैठी थी बिके पे. थोड़ी देर बाद आंटी का घर आ गया, और आंटी उतार गयी. और मैं भी उतार गया. तभी मैने आंटी से कहा-

मैं: आंटी आज जो मैने आपसे कहा, आप प्लीज़ उस बात का बुरा मत मानना. और हा, सच में आप बेहद खूबसूरत हो.

और इतना बोल कर मैं बिके पे बैठ कर अपने घर आ गया. उस दिन मेरे ख़यालों में सिर्फ़ आंटी ही घूम रही थी. उसके बाद रात में करीब 11:30 बजे मैं अपने बेडरूम में था. मेरे व्हातसपप पे ही एक मसाज आया अननोन नंबर से.

मैने वो मेसेज रेड किया, और उसका प्रोफाइल पिक चेक किया. ये तो आंटी का मेसेज था. मैं पूरा शॉक और खुशी में झूम उठा था. फिर मैने भी उसको रिप्लाइ किया.

मैं: ही आंटी, आप?

आंटी: हा मैं सोई नही अभी तक.

मैं: नही बस सोने ही जेया रहा था. तभी आपका मेसेज देखा. आपको मेरा नंबर कहा से मिला?

आंटी: अर्रे वो मैने विकास से लिया था.

मैं: अछा, खाना हो गया आपका?

आंटी: हा हो गया. अछा एक बात बताओ, जो तुम सुबा कह रहे थे. क्या तुम्हे मैं सच में अची लगती हू?

मैं: जी आंटी बिल्कुल, आप सच में मुझे बहुत अची लगती हो. मॅन तो करता है आपको ऐसे ही देखता राहु दिन भर और…

आंटी: और क्या?

मैं: और भी बहुत कुछ है. लेकिन ऐसे नही बता सकता. हम जब कभी मिलेंगे, तब आपको बतौँगा.

आंटी: अछा.

मैं: अभी आपकी एक पिक भेजिए ना, मुझे आपको देखने का मॅन कर रहा है.

आंटी: रूको भेजती हू.

फिर आंटी ने एक फोटो भेजी जिसमे उन्होने सेल्फी निकली थी, और उन्होने निघट्य पहनी थी. उन्होने तोड़ा हल्का मेकप किया था.

मैं: श आंटी, आप कितनी खूबसूरत लग रही हो. मॅन तो कर रहा है अभी आपके पास आ जौ, और आपको… (अब मैं तोड़ा रुक गया)

आंटी: और क्या बेटा.

मैं: ऐसे ही आपको और करीब से देखता राहु. सच में बहुत प्यारी लग रही हो आप (और मैने एक किस वाला एमोजी सेंड किया).

आंटी: अछा अब बाइ, मुझे नींद आ रही है. तुम भी सो जाना.

मैं: जी आंटी बाइ, लोवे योउ.

और इतना मेसेज सेंड करके मैने आंटी के रिप्लाइ का वेट किया. लेकिन उन्होने कुछ रिप्लाइ नही दिया. फिर थोड़ी देर बाद मुझे भी नींद आ गयी, और मैं सो गया.

उस दिन के बाद आंटी और मैं रात में तोड़ा बहुत रोमॅंटिक छत करके सो जाते थे. और फिर वो दिन आ गया जिसकी मुझे तलाश थी. एक रोज़ सुबा मैं जिम जाने के लिए विकास के घर गया और बेल बजाई. दरवाज़ा आंटी ने खोला. उन्होने बस एक ट्रॅन्स्परेंट निघट्य पहनी थी. मैं तो उन्हे देखता ही रह गया था.

मैं: आंटी, विकास?

आंटी: अर्रे वो और उसके पापा दोनो गाओं गये हुए है सुबा जल्दी. वाहा एक डोर के रिश्तेदार गुज़र गये है इसके लिए. शाम तक आ जाएँगे.

मैं: अछा ऐसी बात है.

आंटी: हा, आओ अंदर.

मैं भी बिना कुछ कहे अंदर आ गया, और सोफे पर बैठ गया. आंटी भी आ कर मेरे बाजू में बैठ गयी.

मैं: कैसे हुआ उनका?

आंटी: अर्रे वो बीमार थे. और उनकी आगे भी हो गयी थी.

मैं: अछा ऐसी बात है.

और मैं भी उनके तोड़ा और करीब गया. अब वो भी मंद-मंद मुस्कुरा रही थी. फिर वो उठ कर अंदर किचन में चली गयी.

आंटी: मैं छाई बनती हू, साथ में पीते है.

मैने कुछ कहा नही, बस उनकी तरफ देख रहा था. फिर पाँच मिनिट बाद मैं भी अंदर किचन में गया. अंदर आंटी ने गॅस पर छाई चढ़ाई थी, और उसमे चीनी डाल रही थी. मैं बस उन्हे देख रहा था. आंटी ने मुझे देखा और फिर छाई बनाना लग गयी. अब मैं धीरे से उनके करीब गया.

आंटी: ऐसे क्या देख रहे हो?

मैं: वही जो इतने दीनो से मेरे मॅन में था. आपको करीब से देखना. सच में बेहद लाजवाब हो आप. बेहद हसीन हो.

और मैं उनकी तारीफ करता चला गया. फिर उन्होने मेरे होंठो पर अपना हाथ रखा, और कहा.

आंटी: बस.

फिर मैं धीरे से उनका हाथ पकड़ कर उसे चूमने लगा. उनकी कलाई को पकड़ा और उन्हे अपनी तरफ खींच कर उनके होंठो से अपने होंठ लगा दिए. अब वो भी बेतहाशा मुझे किस रही थी. मैं भी उनके बालों को और उनकी पीठ को सहला रहा था.

करीब पाँच मिनिट हम दोनो एक-दूसरे को किस कर रहे थे. अब हम दोनो से भी नही रहा जेया रहा था. उन्होने फ़ौरन गॅस बंद किया, और मेरा हाथ पकड़ कर बेडरूम में लेकर चली. फिर वाहा हम दोनो एक-दूसरे को बेतहाशा चूमने लगे थे. उसके साथ ही हम दोनो ने एक-दूसरे के कपड़े भी निकाल दिए. आंटी मेरी पंत निकाल कर नीचे घुटनो के बाल बैठ गयी.

आंटी: आह हर्ष, कितना मस्त है तुम्हारा लंड उम्म्मह.

और इतना बोल कर वो मेरा लंड चूसने लगी. सच में क्या मस्त चूस रही थी आंटी, मैं तो जैसे जन्नत में था. वो लंड के साथ-साथ मेरे आँड भी चूस रही थी. बहुत मज़ा आ रहा था.

मैं: आहह आंटी, क्या मस्त चूस रही हो आप. सच में बहुत अछा लग रहा है आहह.

फिर थोड़ी देर बाद मैने उनको उठा के बेड पर लिटा दिया, और अब मैं उनकी छूट पर अपनी ज़ुबान फेर रहा था, और धीरे-धीरे उनकी छूट चाटने लगा था. शायद आंटी को पहले से पता था, इसलिए उन्होने अपनी छूट एक-दूं चिकनी करके रखी थी.

मैने पहले एक ज़ोरदार चुम्मि लगाई उनकी छूट पर. और फिर धीरे-धीरे उनकी छूट को चाटने लगा था. सच में बेहद लाजवाब थी उनकी छूट का स्वाद. मैं बड़े मज़े से उनकी छूट चाट रहा था, और उनको भी बहुत मज़ा आ रहा था.

आंटी: आह बेटे चाट मेरी छूट को आहह, बहुत मज़ा आ रहा है.

अब मैं उनकी छूट चाट-ते वक़्त उनकी छूट में उंगली भी कर रहा था. आंटी को भी बहुत मज़ा आ रहा था, और वो मेरे बालों को सहला रही थी. वो मेरा मूह अपनी छूट के उपर दबा रही थी. फिर कुछ 10 मिनिट बाद आंटी ने मुझे अपने उपर खींच लिया.

आंटी: आह हर्ष, अब नही रहा जाता. जल्दी से अपना लंड मेरी छूट में डाल दे.

अब मुझसे भी रहा नही जेया रहा था, तो मैने भी अपना लंड आंटी की छूट के उपर सेट किया, और आंटी ने अपने हाथो से मेरे लंड को छूट के मूह पर लगा दिया. अब मैने एक ज़ोरदार धक्का देके आंटी की छूट में अपना लंड गद्दा दिया, और फिर आंटी की ताबड़तोड़ चुदाई करने लगा.

हम दोनो मिससिओनेरी पोज़ में चुदाई कर रहे थे. फिर थोड़ी देर बाद आंटी मेरे उपर आ कर मुझे छोड़ने लगी थी. और मैं उनके बूब्स को और गांद को दबा रहा था. काफ़ी मज़ा आ रहा था आंटी के साथ में चुदाई करने में. फिर हम दोनो भी एक साथ झाड़ गये, और आंटी मेरे उपर ही लेट गयी.

फिर थोड़ी देर आंटी के साथ सो कर मैं भी अपने घर आ गया. उसके बाद कैसे मैं ऑफीस में से छुट्टी लेके आंटी घर गया, और फिर हम दोनो ने दिन भर चुदाई करी, ये सब अगले पार्ट में लिखूंगा. तब तक के गुडबाइ.

आपको मेरी कहानी कैसी लगी प्लीज़ मुझे मैल करके बताना. मेरी मैल ईद है-

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