मेरा नामे समर्थ है. हमारा एक फ्रेंड सर्कल था, जिसमे सिर्फ़ लड़के ही थे. उसमे विजय, मैं, अक्षित, नील, प्रीत और श्रेयंश है.
ये बात तब की है, जब विजय बीमार हो गया था. तो उसे हॉस्पीटलाइज़्ड करना पड़ा था. हम पाँचो भी वही पे रुकते थे आधा दिन, और पूरी रात वही पे बिताते थे. और विजय को मिलने उसके रिश्तेदार आते रहते थे.
एक दिन उसके मामा वाहा पर आए उनकी बेटी और वाइफ के साथ. जब हमने उसके मामा की लड़की को देखा तो देखते ही रह गये. क्या मस्त माल थी. हम भी 20 साल के हो गये थे, और हमारी आँखें अब स्कॅनिंग मशीन बन गयी थी. तो हमने झट से उसका फिगर स्कॅन कर लिया.
उसके बूब्स 34″ के, कमर मस्त पतली सी 24″ की, और गांद इतनी भारी थी, की कोई भी उसे देख के गरम हो जाए, और 36″ की उसकी कमर थी. अभी-अभी जवान हुई थी वो. अभी अभी वो भी 12त पास करके च्छुतटियाँ माना रही थी. 19 साल कमसिन हसीना को देख के हम सब पागल हो रहे थे.
जब वो आई हमने उनको बैठने को जगह दी. उनकी बेटी का नामे जिया था. तो जिया जैसे ही बैठने गयी, वैसे ही उसकी चुननी नीचे गिर गयी. वो तब सलवार कमीज़ में आई थी.
तो हम सब के लंड हार्ड हो गये. ऐसा गोरा बदन, उपर से इतने गोरे मस्त रसीले गोल-गोल बूब्स. हमे नशा चढ़ रहा था. हम बार-बार उसके बूब्स देख रहे थे. और ये बात उसने भी नोटीस की. थोड़ी देर बाद वो चले गये. हमने विजय को कुछ नही बताया, क्यूंकी हम अपनी दोस्ती में दरार नही लाना चाहते थे.
फिर एक दिन डॉक्टर आए, और विजय को बोला: अब तुम ठीक हो गये हो. तुम कल घर जेया सकते हो.
और फिर शाम हो गयी. हम सब अब वाहा पर आ गये थे, और थोड़ी ही देर में जिया वाहा पर आई. हम सब उसे देखते ही रह गये. उस दिन उसने एक मिनी स्कर्ट और एक त-शर्ट पहनी थी, जिसमे से उसके 34″ के मुममे बाहर आना चाहते थे, और उसकी वो ड्रेस बहुत ही टाइट थी. उसमे से उसका फिगर एक-दूं से निखार रहा थम
मैं बता डू की विजय बहुत ही रिच था. उसे पर्सनल रूम में रखा गया था, और रूम अछा ख़ासा बड़ा था. उसमे दो सोफे थे, और एक बेड था. सोफे पे दो जान भी आसानी से सो सकते थे, इतना बड़ा था सोफा.
तो विजय ने उससे पूछा: जिया तुम यहा, क्या हुआ, कैसे आना हुआ?
जिया बोली: भैया आप अकेले यहा पे रहते हो. तो मैं आपको कंपनी देने चली आई.
विजय बोला: अकेला कहा हू. ये मेरे दोस्त है ना, तुम क्यूँ आ गयी?
जिया बोल: अर्रे भैया, इसमे क्या है. इतने दोस्त है तो एक और आपकी दोस्त भी आ गयी.
विजय बोला: ठीक है.
फिर हम ढेर सारी बातें करने लगे, और मैं जिया पे फुल चान्स मार रहा था. ये बात विजय ने भी नोटीस की थी. चान्स मारने के बहाने मैं उसके नाज़ुक से गोरे-गोरे बदन को भी चू रहा था. उसे कोई प्राब्लम भी नही थी.
और फिर बात करते-करते रात हो गयी. हम अपनी जगह पर सो गये थे. मैं एक सोफे पे, जिया एक सोफे पे, और अक्षित और प्रीत मेरी बगल में नीचे सोए थे, और बेड की दूसरी तरफ नील और श्रेयंश नीचे सोए थे.
रात के 12 बाज रहे थे. मुझे नींद नही आ रही थी. बार-बार जिया का बदन सामने आ रहा था. मैने देखा जिया भी सोई नही थी.
मैं बोला: सो जाओ जल्दी.
हम थोड़ी सी हस्स के बात करने लगे. थोड़ी देर बाद उसने बोला, की वो अकेली कभी सोई नही थी.
मैने बोला: हम सब तो है ना.
वो बोली: अकेली मतलब एक ही बेड पे अकेले नही सोई हू.
मैने ये इशारा समझा, और उसे बोला: तुम मेरे साथ सो जाओ.
वो हिचकिचाई. फिर मैने तोड़ा कहा तो वो मान गयी.
अभी तो सब लोग सो रहे थे. मैने उसे अंदर की तरफ सुला दिया, और खुद बाहर की तरफ सो गया. वो मेरी तरफ अपनी गांद करके सो गयी. मैने पहल की, और अपना हाथ उसकी पतली गोरी कमर पर रखा. उसने कोई रेस्पॉन्स नही दिया, और मेरी हिम्मत बढ़ी.
मैने अपने हाथ अब उसके 34″ के बूब्स पे रख दिए, और धीरे-धीरे सहलाने लगा. अब मैं महसूस कर रहा था की वो गरम हो रही थी. क्यूंकी वो तेज़ी से साँस ले रही थी. मैं अब ज़ोर-ज़ोर से बूब्स मसल रहा था. अब मैने अपना दूसरा हाथ उसकी स्कर्ट में से उसकी पनटी पे रखा. उसकी छूट और पनटी गीली हो चुकी थी.
मैने पनटी में से ही उसकी छूट सहलानी स्टार्ट की. अब वो और गरम हो चुकी थी. मैने अब अपना हाथ उसकी पनटी हटा के उसकी छूट पे रखा, और अंदर डाल दिया. उसकी सिसकी निकल गयी. तब मैं समझ गया की अब वो झाड़ गयी थी, और मज़े ले रही थी.
तभी मैने उसको अपने तरफ मोड़ा, और उसको बोला: मैं जानता हू तुम जाग गयी हो.
तो उसने अपनी आँख खोली. अब मैं उसकी रसीली आँखों में देख रहा था. मैं तोड़ा करीब गया, और उसके मस्त रसीले होंठो को चूमा. मैं हैरान था, की वो भी साथ दे रही थी, और ज़ोर-ज़ोर से होंठ चूस रही थी. मैने अपना लंड उसके हाथो में पकड़ा दिया और उसे हिलने को कहा. उसके कोमल हाथ पागल कर रहे थे मुझे.
मैने अब उसकी त-शर्ट उतार दी. अब उसके बूब्स सिर्फ़ ब्रा के सहारे थे. मैं उसकी ब्रा में से उसके बूब्स काटने और चाटने लगा. वो धीरे-धीरे सिसकियाँ ले रही थी. अब मैने उसके 34″ के बूब्स को ब्रा से आज़ाद किया.
तभी मैने चुपके से प्रीत को जगाया और बोला: सब को जगा दे, और हा, विजय को मत जगा देना.
उसने सब को जगा दिया, और दरवाज़ा अंदर से लॉक कर दिया. अब वो सब आके हमारे आजू-बाजू खड़े हो गये. जिया डरने लगी, तो मैने उसे बोला-
मैं: दर्र क्यूँ रही हो? ये सब अपने ही है.
और फिर उसकी स्कर्ट और पनटी दोनो एक साथ निकाल दी. अब वो हमारे सामने नंगी थी. सब के लंड तंन गये थे. मैने अपने कपड़े निकले, और उसको पीठ के बाल लिटा दिया. और अब मैं उसकी छूट चाट रहा था. तभी प्रीत और अक्षित दोनो उसके बूब्स के साथ खेलने लगे, और श्रेयंश ने उसके हाथ में लंड पकड़ा दिया.
अब नील ने उसको लंड मूह में लेने को बोला. वो ना कहने लगी, तो नील ने मूह खोल के सीधा लंड गले तक उतार दिया. वो कुछ कर भी नही पा रही थी. अब वो नील का लंड चूस रही थी. मैं उसकी छूट चाट रहा था. वो श्रेयंश का लंड ज़ोर-ज़ोर से हिला रही थी, और प्रीत और अक्षित उसके बड़े बूब्स से खेल रहे थे
थोड़ी देर बाद वो झाड़ गयी, और मैं उसका सारा पानी पी गया. नील भी झड़ने वाला था, तो उसने ज़ोर-ज़ोर से मूह छोड़ना चालू कर दिया. और अब वो साँस भी नही ले पा रही थी. फिर थोड़ी देर में वो उसके मूह में ही झाड़ गया, और जिया उसका सारा पानी बड़ी आसानी से पी गयी. अब वो ज़ोर-ज़ोर से साँस ले रही थी.
नील झाड़ गया था. अब वो थोड़ी देर दूसरे सोफे पे बैठ कर ये सब देख रहा था. मैं अब छोड़ने के लिए तैयार था. मैने अपना लंड उसकी छूट पे घिसना स्टार्ट किया. थोड़ी देर घिसा, और अब वो बोली-
जिया: छोड़ दो मुझे. इसी के लिए ही तो मैं आई थी यहा पे.
ये सुन के मैं और गरम हो गया और बोला: कितनी बड़ी रंडी है तू साली. छुड़वाने के लिया यहा तक आ गयी. साली कुटिया, चल बोल समर्थ सिर मेरी छूट का भोंसड़ा बना दो, मैं आपकी रंडी हू.
मैने जैसा कहा, वो बोली: समर्थ सिर मेरी छूट छोड़ कर भोंसड़ा बना दो. मैं आपकी रंडी हू. जब आप छोड़ना चाहो मैं छुड़वाने के लिए तैयार हू. मुझे छोड़िए.
ये सुन कर मैने अब अपने लंड से झटका मारा.
आयेज की कहानी के लिए बने रहिए.