धोखे के बाद ट्रेन में चुदाई

ही दोस्तों, तो चलते है गे सेक्स कहानी पर.

जैसे ही उस लड़की ने हमे चुदाई करते देखा, वो बहुत गुस्सा हो गयी. उसने रोहित के गाल पर थप्पड़ मारा और बोली-

लड़की: इसीलिए मेरे बाप से तूने ये रूम लिया है. शादी हो चुकी है, और फिर भी ऐसे रंडियन छोड़ रहे हो? शरम आनी चाहिए तुम्हे.

रोहित बहुत घबराया था, और मेरे से नज़रें चुरा रहा था. तभी वो लड़की मेरे पास आई. उसने मेरे बाल पकड़े, और उसने मेरा लंड देख लिया. फिर उसने मुझे एक थप्पड़ मारा और बोली-

लड़की: साली तू तो रांड़ भी नही है, किननेर कहीं की, छिनाल!

उसने मुझे वैसे ही छ्होटे कपड़ों में बिना मेरे कपड़े लिए ही घर से निकाल दिया. मेरे पास बस मेरा फोन था, और कुछ नही. मैं रोते-रोते हॉस्टिल गयी. मुझे हॉस्टिल में भी नही लिया. मुझे समझ नही आ रहा था मैं क्या करू. मैं कॉलेज तो जेया नही सकती थी, और घर भी किस मूह से जाती?

तभी मेरे पापा और मम्मी मुझे दिखे. मुझे ऐसे देख वो दर्र गये. उन्होने मुझे कार में बिता लिया, और फिर पास के ही होटेल में चले गये. वहाँ जेया कर उन्होने मुझे पूछा की ये सब क्या था, और क्या हालत बना ली थी मैने?

तभी मैने पापा को हग किया, और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी. पापा ने मुझे शांत किया, और प्यार से मुझे समझते हुए बोले.

पापा: बेटा क्या हुआ है, बताओगे? जब तक तुम बताओगे नही, हम क्या कर सकते है? देखो मैं जानता हू तुम्हारे साथ क्या हुआ है? तुम बताओगे तभी हम तुम्हारी हेल्प कर पाएँगे बेटा.

तो मैने मम्मी-पापा को रोते-रोते सब कहानी बता दी. पापा थोड़े गुस्से में लग रहे थे. मैने रोते-रोते पापा से कहा-

मैं: मैं जानता हू पापा आप भी मेरी इन हरकतों से परेशन है. आप चाहो तो मैं हमारा घर भी छ्चोढ़ दूँगा पापा.

तभी पापा ने मुझे गले लगाया और रोते-रोते बोले: ऐसा क्यूँ सोचते हो बेटा? मैं तुम्हारी आदत से परेशन बस इसलिए था, क्यूंकी मैं जानता था एक ना एक दिन आज के जैसा कुछ होगा. पर ठीक है, तुम्हे समझ आ गया ना. देखो तुम जैसे हो हमे पसंद हो. दुनिया क्या कहती है उससे कुछ फराक नही पड़ता बेटा. देखो आज के बाद ध्यान रखना, ये ग़लती फिर मत करना.

पापा: देखो जैसे तुम्हारी लाइफ है तुम जान चुके हो बेटा, की तुम्हे एक अछा और लायल लाइफ पार्ट्नर मिलना कितना मुश्किल है. मैं ये नही चाहता की इसका मतलब तुम तुम्हारी लाइफ एंजाय ना करो. बस बेटा पहले अपना कॅरियर बनाओ, अची जॉब करो, पैसे कमाओ. फिर ये सब मज़े के लिए करते रहना. देखो हमे तुम्हारे ऐसे रहने से कोई दिक्कत नही है. बुत हमारे लिए इंपॉर्टेंट है तुम्हारा खुश होना, सेफ होना.

उसके बाद हमने होटेल में खाना खाया, और अपने गाओं वाले घर चले गये. सुबह पापा कॉलेज मुझे लेकर गये, वहाँ सारा इश्यूस हॅंडल किए, और फिर मुझे मुंबई ले गये ये बोल कर की चलो 2-4 दिन रह कर वापस आ जाना.

मैं बहुत खुश थी पापा-मम्मी भी अभी मेरे पीछे खड़े थे. मैने तान लिया था की अब मैं किसी भी छूतियापे में नही फसूंगई बस अपनी पढ़ाई और अपने कॅरियर पर ध्यान दूँगी.

मुंबई आने के बाद पापा ने मुझे नये कपड़े दिलाए. इस बार पापा ने मुझे लड़कों वाले नही बल्कि लड़कियों वाले इननेरवेार, नाइटीस, मॅक्सी और थोड़े बहुत लड़कों के भी कपड़े ले दिए. क्यूंकी मैं मेरे सारे कपड़े भी रोहित के घर पर छ्चोढ़ कर आई थी.

उसके 3 दिन बाद की 1स्ट्रीट क्लास एसी की टिकेट निकाल कर, रात का खाना बाहर करके ही हम घर आ गये. आज सच में बहुत खुश थी मैं अपने मम्मी-पापा और बहें के साथ. 2 दिन तो आचे से बीते, पर रात को मुझे नींद नही आ रही थी. 1 साल हो गया था. मुझे रोहित की जैसे आदत सी हो गयी थी. हम दिन भर में एक बार तो सेक्स करते ही थे.

इस वजह से मुझे सेक्स की जैसे लत्ट सी लग गयी. दूसरे दिन मुझे शाम को 6 बजे मुंबई सेंट्रल से ट्रेन लेनी थी सतारा के लिए. पापा मुझे छ्चोढने के लिए स्टेशन आए, और फिर चले गये.

मैं स्टेशन के वेटिंग रूम में बैठ के ट्रेन का वेट कर रही थी. तभी एक लड़का मेरे बगल में बैठ गया. 25-26 साल का होगा. दिखने में एक-दूं गोरा, और बीड वाला था. वो एक-दूं हॅंडसम लड़का था.

उसने मुझे ही कहा, और मेरा नाम पूछा. मैं बस उसे मगन हो कर देख रहा था. तभी उसने मुझे हिलाया, और मैं होश में आ गया. मैने उससे हाथ मिलते हुए कहा-

मैं: ई आम निखिल. तो उसने अपना नाम रोहित बताया.

मैं गुस्सा दिखाते हुए बोली: तुम भी रोहित हो.

और उसका हाथ छ्चोढ़ कर बोली: सब लड़के तो एक जैसे ही होते है, धोखेबाज़!

और मैं वहाँ से उठ गयी. मुझे अब रोहित नाम से ही जैसे चिढ़ आने लगी थी. मैं बातरूम चली गयी, और बाहर आते ही थोड़ी देर बाद अनाउन्स हुआ की ट्रेन आ चुकी थी. तो मैं अपनी सीट ढूँढने लगी.

मुझे सीट मिल भी गयी, लेकिन देखा तो वो रोहित भी मेरे ही कॉमपार्टमेंट में बैठा था, मेरे सामने वाली सीट पर. मैने फिर से उसकी तरफ गुस्से से देखा, और अपनी सीट पर बैठ के मोबाइल चलाने लगी. ट्रेन चल पड़ी. थोड़ी देर बाद त्क आ गया. उसने हमारी टिकेट्स देखी. मैने त्क से पूच लिया-

मैं: सिर क्या प्लीज़ मुझे सीट चेंज करके मिल सकती है सिर? मैं यहाँ अनकंफर्टबल हू.

तभी त्क बोला: बेटा यहीं बैठ लो, दोनो लड़के हो एक उमर के. क्या दिक्कत है? और वैसे भी कोई सीट खाली नही है जहाँ तुम्हे अड्जस्ट करू. बस तुम्हारा ही कॉमपार्टमेंट खाली है, चाहो तो यहाँ 1-2 और लोगों को अड्जस्ट कर लो तुम.

तभी वो रोहित बोला: नही सिर, ऐसा मत कीजिए. सुकून से ट्रॅवेल करने दीजिए हमे.

और फिर त्क चला गया. मैं तोड़ा उदास हो कर अपनी सीट पर लेट गया. रात का वक़्त था, उपर से एसी की वजह से ठंड बढ़ गयी थी. मुझे कुछ समझ नही रहा था. इतने में रोहित बोला-

रोहित: सो गये क्या तुम?

मैने नखरे दिखाते हुए कहा: क्यूँ, सुलाना चाहते हो?

और मेरे इतना कहते ही वो मेरी सीट पर आया, और मुझे पलटा दिया. फिर मेरी आँखों में देखते हुए बोला-

रोहित: क्या हुआ है? इतना क्यूँ गुस्सा हो तुम मुझसे? बात भी नही किए ठीक से.

मुझे ना-जाने क्या हो गया. मैं उससे लिपट गयी, और उसको किस करने लगी. 10 मिनिट तक उसको चूमती रही यहाँ-वहाँ गालों पर, लिप्स पर, नेक पर. 10 मिनिट बाद मैं रुकी तो वो बोला-

रोहित: यार तुम बहुत सुंदर हो सच में. ना जाने किसने तुम्हारा दिल दुखाया है? आज की रात बस तुम मेरी हो.

और इतना कह कर उसने मेरी त-शर्ट उतार दी, मेरी 3/4 निकाल दी, और हम दोनो नंगे एक-दूसरे को चूमने लगे.

उसके बाद उसने वहीं खिड़की पर मुझे झुकाया, और अपना लंड मेरी गांद में डालने लगा. लंड नही जेया रहा था, तो मैं झुक गयी, उसको 3 मिनिट चूस के गीला किया, और फिर से गांद में लेने लगी.

उसके बाद उसने वहीं खिड़की पर मुझे 30 मिनिट तक पेला, और मैं आह ह आराम से रोहित उफफफफफ्फ़ बेबी ब्सस्स आह ह ऐसे ही चिल्ला रही थी.

उस रात 3 बार उसने मुझे छोड़ा, और मैं सुबा 5 बजे स्टेशन उतार गयी. इसके आयेज क्या हुआ. वो नेक्स्ट पार्ट में बतौँगी. दोस्तों स्टोरी अची लगी तो रिप्लाइ करना

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