टेरेस पर हुई देवर भाभी की चुदाई की कहानी

जैसा की आप सब ने पिछली स्टोरीस में पढ़ा होगा मेरे और भाभी के सेक्षुयल अफेर के बारे में. वो कैसे चालू हुआ, और हमने कैसे दोपहर भर चुदाई की. अब मैं उसके आयेज के इन्सिडेंट्स शेर करने वाला हू. तो अगर आपने पिछली स्टोरी नही पढ़ी है, तो पहले वो पार्ट पढ़िए. तभी आपको स्टोरी आचे से समझ आएगी.

उस दिन भाभी के साथ सेक्स करने के बाद शाम को जब उनका बच्चा आया घर, तो मैं कपड़े पहन कर बेडरूम से बाहर आया. फिर फ्रेश हो कर उसके साथ बैठ कर मस्ती करने लगा.

रात को 8 बजे तक भैया भी घर पे आ गये. भैया ने मुझे पूछा की मैने पुर दिन में क्या किया. कही घूमने गया था या नही. भाभी को घर पे मदद किया या नही, एट्सेटरा. (मैं मॅन में हेस्ट हुए सोच रहा था मैने दिन भर क्या किया था)

हम बातें कर रहे थे सोफा पर बैठ के. और भाभी अंदर के रूम में झाड़ू-पोछा कर रही थी. तब मेरी नज़र भाभी पर पड़ी. झाड़ू मारते हुए जब वो झुकी थी, तब उसके ढीले टॉप में से उसके बाबलो का क्लीवेज दिख रहा था.

ये बात भाभी को पता चल गयी, की मैं उसे देख रहा था, तो वो मुझे और टीज़ करने लगी. जैसे अपने निपल पे पिंच करना, अपने बूब्स को दबाना, आँख मारना, और फ्लाइयिंग किस देना. मेरा तो वाहा बैठे-बैठे लंड टाइट हो गया था भाभी की वजह से.

कुछ देर बाद भाई जब टाय्लेट में गया, मैं भाग के भाभी के पास गया, और उसको पीछे से हग कर लिया. मेरा लंड उसकी गांद पे डब रहा था, और मैं उसके बब्ले दबा रहा था, और उसकी नेक पे किस करते हुए.

मैं इतना एग्ज़ाइटेड था की मैने देखा ही नही की बाल्कनी का दरवाज़ा खुला था. नसीब से किसी ने देखा नही हमे. भाभी ने मुझे पीछे धकेल दिया, और गुस्से से देखा मेरी तरफ और मुझे कहने लगी-

भाभी: ये क्या कर रहा है तू? तेरे भैया ने देख लिया तो दोनो को घर से निकाल देगा.

तो मैने भी कहा: ये आपकी ग़लती है. आपने ही मुझे टीज़ किया है, और मेरा लंड खड़ा किया है. भाभी ने मुझे सॉरी बोला, और एक किस कर दिया. मैं भाभी की गांद दबाने ही वाला था, पर उतनी देर में हमने फ्लश की आवाज़ सुनी. तो मैं वाहा से चला गया.

उस रात को खाना खाने के बाद मैने भैया से पूछा: क्या मैं भाभी को लेकर वॉक करके आ जौ?

भैया ने कहा: ठीक है जाओ, पर घर की चाबी लेकर जाना साथ में. मैं सोने जेया रहा हू.

ये सुनते ही मैं खुश हो गया, और भाभी समझ गयी अब क्या होने वाला था. भाभी ने भैया से कहा-

भाभी: चलो ठीक है, हम दोनो ही जेया कर आते है.

फिर उसने मेरी तरफ देख कर एक आँख मारी और कहा: 2 मिनिट्स रूको, मैं तैयार हो कर आती हू.

जब भाभी तैयार हो कर बाहर आई, तो कुछ फराक नज़र नही आया. क्यूंकी वो अभी भी अपने नाइट गाउन में थी. तो भैया ने भाभी से पूछा-

भैया: क्या तैयार हुई इसमे तुम?

भाभी ने मेरी तरफ देख के शरमाते हुए कहा: अर्रे वो तो मैं सिर्फ़ हल्का सा मेकप करने गयी थी.

मैं और भैया दोनो हासणे लगे. फिर मैं भाभी को लेकर निकल गया. सीडी से नीचे उतरते वक़्त भाभी ने मेरे कान में हल्के से आ कर कहा-

भाभी: तुम्हारा क्या इरादा है वो मैं साँझ गयी हू. पर तुम नही समझ पाए, मैं तैयार होने क्यूँ गयी थी.

मैं: अभी तो तुमने बोला ना सिर्फ़ तोड़ा मेकप करने गयी थी?

भाभी: ज़रा मेरा गाउन पीछे से उठा के देख एक बार.

मैने भाभी के गाउन को कमर तक उठाया तो देखा उसने पनटी नही पहनी थी. फिर भाभी हेस्ट हुए पीछे पलटी, और अपने गाउन के 2 बटन खोल कर मुझे अपने बब्ले दिखा दिए, और कहा की ब्रा भी नही पहनी है.

मैं: श बहनचोड़, तुम तो बड़ी जल्दी संस्कारी से शरारती बन गयी.

भाभी: ये सब तेरी वजह से हो रहा है. तूने आज मुझे फिरसे जवान महसूस कराया है.

मैं: भाभी सुनो, नीचे नही जाते है. मैं सोच रहा हू टेरेस पे चलते है ना.

भाभी समझ गयी मैं क्या बदमाशी सोच रहा था. तो वो भी हेस्ट हुए राज़ी हो गयी, और हम अब टेरेस के तरफ जाने लगे. टेरेस पे बहुत अंधेरा था. वाहा पहुँचते ही हमने एक बार टेरेस आचे से छान लिया, ताकि हम मज़े कर सके.

जैसे ही हमने सब छान-बिन कर लिया, और सब ठीक लगा वैसे ही भाभी आके मुझसे लिपट गयी, और मुझे चूमने लगी. मैं समझ गया था की उसको बहुत हवस चढ़ि हुई थी.

कुछ देर तक किस करने के बाद अब भाभी ने मेरे शॉर्ट्स के अंदर हाथ डाला, और मेरा लंड हिलाते हुए मुझसे पूछा-

भाभी: इसी इरादे से लाया था ना तू मुझे टेरेस पे?

मैं: इरादा तो और बहुत कुछ करने का है

भाभी (हेस्ट हुए): हा सब आचे से समझ गयी हू मैं. और जो तू चाहता है वो भी मिलेगा तुझे.

मैं: यार तुम सच में यहा चूड़ने को तैयार हो?

भाभी: इसलिए तो निघट्य के नीचे नंगी हो कर आई हू मैं.

ये सुनते ही मैने मेरी शॉर्ट्स नीचे कर दी, और भाभी को नीचे बिता कर अपना खड़ा लंड उसके मूह में घुसेध दिया. भाभी इस बार मेरा पूरा लंड अंदर तक लेने की कोशिश कर रही थी. मैने भाभी के बाल पकड़ लिए, और उसका मूह छोड़ना शुरू किया धीरे-धीरे.

भाभी ने मेरा लंड पूरा गीला कर दिया था थूक से. फिर वो मेरे गोते चाटने लगी. ये देख कर मैं हैरान रह गया, मेरी संस्कारी भाभी जो कल तक लंड चूसने के बाद मूह धो लेती थी, आज उसने मेरे गोते चाटना भी शुरू कर दिया था. कुछ ही देर में भाभी ने मेरा लंड और गोते दोनो गीले कर दिए थे.

मुझे भाभी का ये रूप बहुत पसंद आया. वो मानो लंड की प्यासी हो गयी थी. मैने उसको खड़े होने कहा. खड़े होते ही उसने मुझे दीवार पे धकेल दिया, और अपना थूक से भरा मूह लेकर मुझे स्मूच करने लगी. मैने कुछ देर तक उसको स्मूच करने के बाद अपनी गोदी में उठा लिया और गांद पे ज़ोर से एक थप्पड़ मारा. फिर भाभी ने मेरे कान में हल्की आवाज़ में पूछा,

भाभी: आज तो मैने तेरे लंड और गोते दोनो चाट लिए. तू अपनी भाभी की छूट नही चातेगा?

मैं: ऐसे कैसे हो सकता है भाभी. आज तो ऐसे चाटूँगा की तुम्हारी छूट से नदी बहने लगेगी.

मैं फिर वैसे ही उसको गोदी में लिए हुए टेरेस के एड्ज पे चला गया, और वाहा उसको नीचे उतरा.

भाभी: ओये यहा क्यूँ ले आया? कोई देख लेगा तो?

मैं: आज तो यही चाटूंगा मैं तुम्हे.

भाभी: पागल हो गये हो क्या? यहा पर नही.

मैने भाभी की एक बात नही सुनी, और भाभी को एड्ज पे झुका दिया, और उसके पीछे बैठ कर निघट्य के नीचे चला गया, और उसकी गीली छूट चाटने लगा. भाभी भी बड़े मज़े ले रही थी. टेरेस पे ठंडी हवा चल रही थी. वो एड्ज पे से नीचे देख रही थी, और मैं उसके पीछे से उसकी छूट चाट-ते हुए उसकी गांद मसल रहा था.

भाभी इतनी एग्ज़ाइटेड हो गयी थी ऐसे खुले में ये सब करके, की वो 10 मिनिट्स में 2 बार मेरे मूह पे झाड़ गयी. अब मैं उसकी निघट्य से बाहर आया, और खड़े होते समय मैने उसकी निघट्य नीचे से उपर खींच ली और उतार दी. उसने मुझे एक-दूं शॉक्ड होके देखा और कहा-

भाभी: ये क्या कर रहे हो कोई देख लेगा कही से. अट लीस्ट टेरेस के बीच में तो चलो, वाहा अंधेरा है.

मैं: पर मुझे तो लगा यहा एड्ज पर तुमको ज़्यादा मज़ा आ रहा है. इसी कारण 2 बार मेरे मूह पे झाड़ गयी ना तुम?

भाभी: हा पर तुमने तो अब पूरा नंगा कर दिया है. मुझे कोई देख लेगा यार, चलो यहा से.

ऐसा बोल कर भाभी टेरेस के बीच में भागते हुए आई एक-दूं नंगी. मैं हेस्ट हुए उसके पीछे गया उसकी निघट्य मेरे हाथ में लेकर. वाहा जाते ही भाभी ने मेरी त-शर्ट उतार दी, और मुझे कस्स के पकड़ लिया. अब हम दोनो टेरेस पे नंगे एक-दूसरे से लिपटे हुए थे.

थोड़ी देर किस करने के बाद मैने भाभी की निघट्य नीचे बिछा दी, और मेरी पंत के पॉकेट से कॉंडम ले आया. भाभी निघट्य पे लेट कर अपने पैर फैला कर रेडी थी, और मैं उसके सामने खड़ा रह कर कॉंडम पहन रहा था.

कॉंडम पहनते ही मैने भाभी की टांगे मेरे कंधे पे ली, और अपना लंड तोड़ा चूत पे रगड़ने के बाद अंदर धकेल दिया. भाभी के मूह से चीख निकल पड़ी, और उसने मेरे बाल पकड़ कर मुझे किस कर लिया, ताकि उसकी आवाज़ ना गूँजे.

हम दोनो 10 मिनिट में ही झाड़ गये, और मैं उसके बदन पे गिर गया और उसको चूमने लगा. फिर मैने उठ कर अपने लंड से कॉंडम निकाला और भाभी से पूछा इसको कहा फेंके? भाभी ने वो कॉंडम लिया और कपड़े पहन लिए. मैने भी कपड़े पहने और हम दोनो नीचे चले गये.

घर से थोड़ी डोर एक सुनसान सा रास्ता था, वाहा एक कचरे की पेटी में कॉंडम फेंका और हम दोनो अब घर चले गये और घर पे पहुँच कर मैने भाभी को एक आखरी बार स्मूच किया. फिर वो बिना मूह धोए या फ्रेश हुए ऐसे ही भैया के बगल में जेया कर सो गयी.

आयेज की स्टोरी नेक्स्ट पार्ट में.

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