बंध मकान में कजिन बहन का सिल तोडा

दोस्तों जम्मू से आप के दोस्त सुदीप का आप को बहुत बहुत प्यार. मेरी ये चोदने की पहली कहानी हे. ये स्टोरी हे मेरी और मेरी एक कजिन दीपाली की. ये एक साल पुरानी बात हे. उस टाइम मेरी उम्र 23 साल की थी और मेरी कजिन 18 साल की.

वो क्या गजब की चीज थी. गोरा रंग, परफेक्ट फिगर, उसके बूब्स ज्यादा बड़े नहीं थे पर आग लाहने के लिए काफी ही थे. वो गाँव में रहती थी और मैं भी वहाँ जाता रहता था. पहले तो मुझे उसके लिए ऐसी कोई गन्दी फिलिंग नहीं थी. लेकिन लास्ट इयर जब मैं उसके वहां गया तो उसे देखते ही पागल हो गया. उसको चोदने का मन तो होता था पर ये सब इतना आसान भी नहीं था.

मैंने सोचा की की कोशिश तो करनी चाहिए एक बार. तो मैंने अपनी तरफ से कोशिश चालु कर दी. जहा वो जाती मैं उसे फोलो करता था. वो उस टाइम 12वी में पढ़ती थी और स्कुल जाती थी. तो मैं उसे छोड़ने भी चला जाता था और छुट्टी के टाइम उसे लेने के लिए स्कुल पर पहुँच जाता था.

स्कुल से घर कोइ एक किलोमीटर दूर था. और रस्ते में एक घर था जो बहुत टाइम से बंद ही था. वो रास्ता पैदल ही चलना पड़ता था. मुझे जब मौका मिलता था तो मैं उसके बूब्स की तरफ झाँकने का कोई भी मौका नहीं छोड़ता था. वो घर में अक्सर टी शर्ट और ट्राउजर पहनती थी.

एक दिन वो मोर्निंग में स्कुल जाने के लिए रेडी हो रही थी. तो मैंने उसे कपडे बदलते हुए देख लिया. क्या बॉडी थी उसकी 32-28-32 ये फिगर होगी उसकी. एक कच्ची कलि के जैसी सेक्सी लगती थी तो.

उस टाईम के बाद तो जैसे मुझे उसे चोंदने का भूत सवार हो गया था. फिर तो मैंने उसके पास आने के तरीके ही ढूंढता रहता था और किसी न किसी बहाने से उसे छूने की कोशिश करता.

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एक दिन की बात हे वो स्कुल जाने के लिए निकली तो मैं भी उसके पीछे पीछे चला गया. रस्ते में मैंने उसे कहा की आज स्कुल मत जाओ हम घुमने चलते हे. तो उसने मना कर दिया. पर मेरे थोड़े जोर देने पर वो मान गई. और मेरी अच्छी किस्मत से उसी टाइम भी बारिश भी चालू हो गई. तो हम भीगने से बचने के लिए उस घर में चले गए. वो बोली की अब हम कहा घूमेंगे इस से अच्छा हे की मैं स्कुल चली जाती हूँ.

तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा की एक बात बोलू? उसने कहा हां बोलो ना. तो मैंने उस से कहा की तू बहुत सुंदर हे. तो वो थोडा हंसी बट उसे डर भी लगा की क्यूँ मैं उसे ऐसा कह रहा था.

उसने हाथ छुड़ाने की कोशिश की पर मैं कहा छोड़ने वाला था. वो बोली की छोड दो मेरा हाथ प्लीज़ मुझे स्कुल जाना हे. मैंने कहा की आज तो तू कही नहीं जायेगी. वो घबरा गई तो मैंने उसे अपनी तरफ खिंचा और हग कर लिया. वो छुडाने के की कोशिश करने लगी और बोली की ये क्या कर रहे हो आप, प्लीज़ मुझे जाने दो मैं आप की कजिन हूँ!

तो मैंने कहा जब से मैं यहाँ आया हु इस दिन का ही वेट कर रहा था और आज ये दिन आया तो कैसे छोड़ दूँ तुझे!

मैंने अब उसे किस करना चालू कर दिया. और एक हाथ को उसके देसी बूब्स के ऊपर रख दिया. वो अभी भी छूटने के लिए लिए पूरा जोर लगा रही थी. फिर मैंने धीरे से हाथ उसकी ब्रा के अन्दर कर दिया और बूब्स को प्रेस करने लगा. मेरे होंठ उसके होंठो को चूस रहे थे जिस वजह से वो कुछ बोल नहीं पा रही थी. बट छूटने के लिए कोशिशे चालु ही थी उसकी.

फिर मैंने उसकी सलवार खोल दी और मैंने अपना एक हाथ उसकी पेंटी में रख दिया. औरे उसके ऊपर से ही पुसी को रब करने लग गया. वहां रब करते करते मैंने हाथ उसकी पेंटी के अंदर डाल के पुसी को रब करना चालू कर दिया.

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जैस ही मैंने उसकी पुसी को छुआ, उसके मुहं से आह निकल पड़ी. रब करते करते मैंने एक ऊँगली उसकी पुसी के अन्दर डाल दी और उसे अन्दर बहार करने लगा. थोड़ी ही देर में वो गरम हो गई और अब आहिस्ता आहिस्ता उसकी छूटने की कोशिश बंद हो गई और वो मेरा साथ देने लग गई. फिर मैंने उसकी कमीज खोल दी. अब वो मेरे सामने ब्रा और पेंटी के अन्दर थी. उसका गोरा बदन और गोरी टाँगे!

मैंने उसके पुरे बदन को अपने होंठो से छुआ और फिर उसे किस करना चालू कर दिया, और एक हाथ से उसके बूब्स दबाने लगा. अब वो भी मेरा साथ दे रही थी. मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी. अब उसके बूब्स मेरे सामने थे. मैं उसे एक तरफ ले गया और वहां लिटा दिया.

मेरा लंड तो अब पूरी ताकत और जोश के साथ खड़ा हो चूका था. मैंने अपनी पेंट और शर्ट भी उतार दी और उसके ऊपर आ के उसके बूब्स को चूसने लगा. मैं तो उसका पूरा बूब्स ही मुह में लेना चाहता था. फिर मैंने उसकी पेंटी भी उतार दी. उसकी पुसी पे बाल कम ही थे और वो कलर में एकदम पिंक थी. उसे देखते ही मेरी तो हालत खराब होने लगी थी. और मैं उसे सक करने लग गया.

मैं उसकी पुसी को चाटने लग गया. चाटते चाटते मैंने अपनी जीभ उसकी पुसी में अन्दर डाल दी और अन्दर बहार करने लगा. उसके मुहं से अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह उह्ह्ह की आवाजे निकलने लगी. वो बोली की बस करो अब और बर्दाश्त नहीं कर सकती हूँ मैं. और वो मेरे मुहं में ही झड़ भी गई.

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