ही दोस्तों, मेरा नाम है पूजा. 19 यियर्ज़ की एक रस्स-भारी मादक और कामुक लड़की हू. मेरा रंग गोरा है, और 36-32-38 की वर्जिन सेक्सी फिगर है. हमारे गाओं के सारे लड़कों से लेकर बुद्धो तक मुझे देख के अपना लंड खड़ा कर लेते है.
मेरे घर वाले बहुत स्ट्रिक्ट है. ज़्यादा टाइम मेरे साथ ही होते है, इसलिए मेरा कोई बाय्फ्रेंड भी नही हुआ है. मेरी एक दोस्त है अनिषा. मेरे घर वाले सिर्फ़ उसके घर जाने को ही अलो करते है. ज़्यादा तार टाइम हम दोनो ऑनलाइन पे लड़कों से बातें करते है, या फिर हेडफोन्स लगा के पॉर्न देखते है.
एक दिन मुझे अनिषा ने बुड्ढे की चुदाई दिखाई. उसमे जो बुद्धा चुदाई कर रहा था, उसका लंड बहुत बड़ा था. मुझे लगने लगा की बुद्धो के पास बड़ा लंड होता है. उसके बाद से मुझे लड़कों से ज़्यादा बुड्ढे पसंद आने लगे. रात को मैं बुड्ढे की चुदाई देखती थी. एक दिन कॉलेज जाते हुए एक 57 यियर्ज़ का बुद्धा मिला. बुड्ढे ने पूछा-
बुद्धा: ये अड्रेस कहा है ज़रा बताना?
मैने अड्रेस को देखते हुए बोला-
मे: अंकल ज़्यादा डोर नही है. आप यहा से सीधा जाके रिघ्त ले लीजिए (हेस्ट हुए बोला).
बुद्धा तोड़ा और मेरे पास आया और बोला-
बुद्धा: क्या तुम यही की रहने वाली हो? (मेरी पूरी बॉडी को चेक-आउट करते हुए बोला)
मे: हा अंकल, मेरा घर उसके पास में ही है.
बुद्धा: अंकल मत बोलो, मेरा नाम समीर है. मुझे समीर बुला सकती हो.
ये बोल के वो हाथो को सहलाने लगा. मुझे बहुत हॉर्नी फील हो रहा था. मैं उनकी पंत की तरफ देखे जेया रही थी. लग रहा था मानो अभी पंत उतार के देखु कितना बड़ा लंड च्छूपा रखा था. फिर मैं बोली-
मे: समीर मुझे कॉलेज के लिए लाते हो रहा है.
ये बोल के शरमाते हुए वाहा से भाग गयी. कॉलेज में सारा दिन मैं समीर के बारे में ही सोचने लगी. मानो कोई जादू चल गया हो मुझ पर समीर का. कॉलेज ख़तम होते ही मैं उस अड्रेस पे चली गयी. देखा की वो बाहर खड़ा हुआ था. मैं उसके पास गयी और बोली-
मे: अड्रेस ढूँढने में कोई प्राब्लम तो नही हुई ना?
समीर (मेरा हाथ पकड़ा और साइड के एक छ्होटे से कमरे में ले गया): अड्रेस तो मुझे पता था. मुझे तो बस तुमसे बात करनी थी.
ये बोल के समीर मेरी गर्दन पे किस करने लगा. मुझे दर्र लग रहा था, लेकिन समीर का एक हाथ मेरी शर्ट के अंदर से कमर पे था. मुझे बहुत हॉर्नी फील हो रहा था. बिन सोचे मैने समीर के लंड पे हाथ रख दिया (इतना बड़ा और मोटा, इसे तो एक बार देखना ही पड़ेगा).
समीर: क्यूँ बड़ा है ना?
मे (शरमाते हुए बोली): मैं वर्जिन हू.
समीर: कभी लंड देखा है सामने से?
मे: नही, लेकिन ये शायद देख के जौंगी.
ये सुनते ही समीर ने मेरे बाल पकड़ के नीचे बिताया, और बोला-
समीर: तू खुद निकाल ले.
मैने पंत के बटन खोले, और नीचे कर दिया पंत को. अब मेरे सामने 7 इंच का लंड था, जिसमे से बहुत गंदी स्मेल आ रही थी. मैं पीछे जाने लगी, तो बुद्धा मेरे बाल पकड़ के बोला-
समीर: साली आज तो बिना चुड़े यहा से नही जाएगी तू.
ये बोल के वो अपना गंदा लंड मेरे मूह पह ज़ोर-ज़ोर से मारने लगा और फिर डाल दिया मूह के अंदर. 7 मिनिट बाद लंड बाहर निकाला, मेरे मूह पे थूका, और फिर लंड से मेरे मूह पे मारने लगा. मुझे बहुत दर्द हो रहा था. साथ-साथ मज़ा भी बहुत आ रहा था.
30 मिनिट तक बुड्ढे ने मेरे मूह की चुदाई की और माल अंदर ही झाड़ दिया. इतना गरम माल मैने पूरा निगल लिया था. फिर बुड्ढे ने मुझे बोला-
समीर: चल कपड़े उतार, तेरी छूट फादनी है आज.
ये सुन के मैं ये तो समझ गयी की आज मेरी हालत खराब होने वाली थी. उसका लंड इतना बड़ा, और मैं वर्जिन. कही मैं मॅर नही जाती, ये दर्र था. मैं ये सोच ही रही थी इतने में बुद्धा मेरे पास आके एक ज़ोर से थप्पड़ मारा मेरे बूब्स पे और बोला.
बुद्धा: कपड़े उतार जल्दी. आज तुझे ऐसा छोड़ूँगा इसके बाद तू बार-बार आएगी.
इतने में मैने अपने कपड़े उतार दिए थे. खाली मेरी पनटी बाकी थी. उसने मुझे उठाया, और पुराने गद्दे के उपर उल्टा लिटाया. फिर अपना लंड मेरे मूह के सामने कर दिया, और मेरी छूट चूसने लगा. मैं ज़ोर-ज़ोर से मोन कर रही थी आ अया अयाया. फिर मैने उसके लंड को आचे से चूसा, अपने जीभ से छाता, पूरा गले तक ले लिया. इस बार फिरसे उसने मेरे मूह के अंदर ही अपना माल छ्चोढ़ दिया, जो मैने पी लिया.
मुझे उसका गरम माल पीना अछा लग रहा था. बुड्ढे ने मुझे खड़ा किया, और मेरी छूट पे अपने लंड को रखा. फिर थूक लगाई और बोला-
समीर: 3 गिन, फिर मैं घुसौंगा.
मैने गिनना स्टार्ट किया. 1, 2, इतने में बुड्ढे ने मेरी सील फाड़ दी. उसका 4 इंच लंड अंदर था मेरे, और मैं चिल्ला उठी. उसने फिर भी लंड को बाहर नही निकाला. वो डॉगी स्टाइल में मुझे छोड़ता रहा. घर में कोई नही था तो किसी को भी मेरी आवाज़ नही सुनाई दे रही थी.
ज़मीन पे ब्लड गिर रहा था. लेकिन बुड्ढे ने फिर भी छोड़ना बंद नही किया. जब भी उसका गिरने वाला होता था, वो अपना लंड बाहर निकाल के पोज़ चेंज करके फिर छोड़ना स्टार्ट कर देता.था.
2 घंटे ऐसे ही उसने मुझे छोड़ा. मुझे तब उतना पाईं नही हो रहा था, और मैं एंजाय कर रही थी. वो मुझे किस करते हुए हुए छोड़ रहे थे. फिर अचानक बुद्धा मुझे गोद में उठा के छोड़ने लगा और बोलने लगा-
समीर: आज रात यही रुक जेया. तुझे और मज़े दूँगा.
इतने में ही दरवाज़े की बेल बाजी, और बुड्ढे ने ग़लती से मेरी छूट के अंदर ही अपना माल डाल दिया.
बुड्ढे ने मुझे बोला: जल्दी से कपड़े पहन और जेया. किसी ने देखे लिया तो गये.
मैने जल्दी से अपने कपड़े पहने, और पीछे के रास्ते से धीरे-धीरे चली गयी. मुझे बहुत पाईं हो रहा था, लेकिन एक खुशी भी थी, की आज से मैं लड़की नही औरत थी.
आयेज की स्टोरी नेक्स्ट पार्ट में बतौँगी. पर आप लोग प्लीज़ स्टोरी पे कॉमेंट करिए, और मुझे मैल करिए. मैं आप सभी से बातें करूँगी. मेरी मैल ईद मरफ्रीलँसेरोफ़्फिसीयाल98@गमाल.कॉम है.