Chud Gai Papa Ki Pari Ki Kamsin Choot- Part 2

इतने में पापा झड़ने लगे… उसके वीर्य की पिचकारी मम्मी के सुन्दर गोल गोल चूतड़ों पर पड़ रही थी।

मैं दबे पाँव वहाँ से हट गई और नीचे की सीढ़ियां उतर गई।
मेरी साँसें चढ़ी हुई थीं, धड़कनें भी बढ़ी हुई थीं। दिल के धड़कन की आवाज़ कानों तक आ रही थी।

मैं बिस्तर पर आकर लेट गई… पर नींद ही नहीं आ रही थी, मुझे रह रह कर मम्मी पापा की चुदाई के सीन याद आ रहे थे।
मैं बेचैन हो उठी और अपनी चूत में उंगली घुसा दी… और ज़ोर-ज़ोर से अन्दर घुमाने लगी, कुछ ही देर में मैं झड़ गई।

मुझे मम्मी से बदला लेने के लिए युक्ति मिल गई थी, दिल कुछ शान्त हुआ।

सुबह मैं उठी तो पापा दरवाजा खटखटा रहे थे।
मैं तुरन्त उठी और कहा- दरवाजा खुला है… पापा!

पापा चाय ले कर अन्दर आ गये, उनके हाथ में दो प्याले थे, वो वहीं कुर्सी खींच कर बैठ गये- गुड मोर्निंग मेरी बेबी, मजा आया क्या?
मैं उछल पड़ी… क्या पापा ने कल रात को देख लिया था?
‘जी क्या… किसमें… मैं समझी नहीं…?’ मैं घबरा गई।

‘वो बाद में… आज तुम्हारी मम्मी को दो दिन के लिए नानी के घर जाना है… अब आपको घर संभालना है।’
‘हम लड़कियाँ यही तो करती हैं ना… फिर और क्या क्या संभालना पड़ेगा?’ मैंने पापा पर कटाक्ष किया।
‘बस यही है और मैं हूँ… संभाल लेगी क्या?’ पापा भी दुहरी मार वाला मज़ाक कर रहे थे।

‘पापा… मजाक अच्छा करते हो!’ मैंने अपनी चाय पी कर प्याला मेज़ पर रख दिया।
मैंने उठने के लिए बिस्तर पर से जैसे ही पाँव उठाए, मेरी स्कर्ट ऊपर उठ गई और मेरी नन्ही सी नंगी चूत पापा को नज़र आ गई।

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मैंने जानबूझ कर पापा को एक झटका दे दिया, मुझे लगा कि आज ही इसकी ज़रूरत है।
पापा एकटक मुझे देखने लगे… मुझे एक नज़र में पता चल गया कि मेरा जादू चल गया।
मैंने कहा- पापा… मुझे ऐसे क्या देख रहे हो?
‘कुछ नहीं… सवेरे-सवेरे अच्छी चीजों के दर्शन करना शुभ होता है!’
मैं तुरंत पापा का इशारा समझ गई… और मन ही मन मुस्कुरा उठी।

शाम को मैंने अपनी टाईट मिनी स्कर्ट पहन ली और मेकअप कर लिया। पापा के आते ही मैंने डिस्क जाने की फ़रमाईश कर दी।

वो फ़िर से कार में बैठ गये… मैं भी उनके साथ वाली सीट पर बैठ गई। पापा मेरे साथ बहुत खुश लग रहे थे। कार उन्होंने कोल्ड-ड्रिंक की दुकान पर रोकी, कोल्ड-ड्रिंक पापा ने कार में ही मंगा ली।

‘हाँ तो मैं कह रहा था कि मजा आया था क्या?’
मुझे अब तो यकीन हो गया था कि पापा ने मुझे रात को देख लिया था।
‘हां… मुझे बहुत मज़ा आया था!’ मैंने प्रतिक्रिया जानने के लिए तीर मारा।

पापा ने तिरछी निगाहों से देखा और हँस पड़े- अच्छा, फिर क्या किया?
‘आप बताओ कि अच्छा लगने के बाद क्या करते हैं?’ पापा का हाथ धीरे धीरे सरकता हुआ मेरी जांघों पर आ गया। मैंने कुछ नहीं कहा… लगा कि बात बन रही है।

‘मैं बताऊँगा तो कहोगी कि अच्छा लगने के बाद आईसक्रीम खाते हैं।’ और हँस पड़े और मेरा हाथ पकड़ लिया।
मैं पापा को तिरछी नजरों से घूरती रही कि ये आगे क्या करेंगे, मैंने भी हाथ दबा कर इकरार का इशारा किया।
हम दोनों मुस्कुरा पड़े, आँखों आँखों में हम दोनों सब समझ गये थे।

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