Chud Gai Papa Ki Pari Ki Kamsin Choot- Part 2

एक दिन मेरे घर पर कोई नहीं था, मैंने कॉल करके अविनाश को बुलाया हुआ था, हम दोनों पूरी तरह से प्यार भरी चुदाई के खेल में डूबे हुए थे।
तभी दरवाज़ा खोलकर किसी के दबे पाँव अन्दर आने की आवाज़ हुई।

इससे पहले कि हम दोनों अपने आप को सम्भालते, मम्मी ने घर में घुसते ही हम दोनों को देख लिया। मैं तुरंत बेड से उतर कर वाशरूम की तरफ भाग गई। मेरे जिस्म पर मोज़े और खुली हुई सफ़ेद शर्ट थी।

मम्मी ने अविनाश को बहुत बुरा भला कहा, उसको मम्मी ने थप्पड़ भी लगा दिए थे।
शाम को बात पापा तक पहुँच गई, उन्होंने ‘अभी बच्ची है!’ कहकर मुझे सीने से लगा लिया।
इस घटना के बाद अविनाश अचानक कहीं चला गया, फिर नहीं आया।

मम्मी की वजह से मैंने अपने बॉयफ्रेंड को खो दिया था लेकिन अविनाश की मुहब्बत मेरे जिस्म पर साफ दिख रही थी, कच्ची उम्र में भी मेरा फिगर 36-27-38 हो गया था।
पापा की मौत के बाद मेरा घर में रहना मम्मी को पसंद नहीं था, बात बात पर मेरी उनसे लड़ाई होती थी, शायद मैं उनके वैवाहिक या सेक्स जीवन में कवाब में हड्डी की तरह हो गई थी।

अभी मेरे नए पापा में और मम्मी में नया-नया जोश भी था।
मम्मी पापा का कमरा ऊपर था, नीचे सिर्फ़ एक कमरा और बैठक थी, मैं बैठक में ही सोती थी।

मेरे चूतड़ थोड़े से भारी हैं और कुछ पीछे उभरे हुए भी हैं… मेरे ब्लू टाईट शॉर्ट्स में चूतड़ बड़े ही सेक्सी लगते हैं। मेरे चूतड़ों की दरार में घुसी पैन्ट देख कर किसी का भी लंड खड़ा हो सकता था… फिर पापा की नजर तो मेरे पर ही रहती थी, वह जवान ही थे और कभी-कभी मेरे चूतड़ों पर हाथ मार कर अपनी भड़ास भी निकाल लेते थे।
उनकी यह हरकत मेरी शरीर को कम्पकपा देती थी।
‘मेरी सेलेना गोम्स…’ कहकर वह हँस देते।

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मैं भी उनको कामुक मुस्कान दे देती थी जिससे मम्मी चिढ़ जाती थीं, उनको मेरा पापा के साथ हंसी मज़ाक पसंद नहीं था।

मुझे मम्मी से बदला लेना था, मैं अन्दर ही अन्दर जल रही थी, कैसे बदला लूं इस बात को लेकर सोचती रहती थी।

मम्मी की अनुपस्थिति में पापा मुझसे छेड़छाड़ भी कर लिया करते थे और मैं भी पापा को आँखों में इशारा करके मज़ा लेती थी। मैं उन्हें जान-बूझ कर के और छेड़ देती थी।

रात को हम डिनर करते थे, फिर पापा और मम्मी जल्दी ही अपने कमरे में चले जाते थे।
लगभग दस बजे मैं अकेली हो जाती थी… और कम्प्यूटर पर कुछ-कुछ खेलती रहती थी।

ऐसे ही एक रात को मैं अकेली रूम में बोर हो रही थी… नींद भी नहीं आ रही थी… तो मैं घर की छत पर चली आई।
ठण्डी हवा में कुछ देर घूमती रही, फिर सोने के लिये नीचे आई।

जैसे ही मम्मी के कमरे के पास से निकली मुझे ससकारियों की आवाज आई। ऐसी सिसकारियाँ मैं पहचानती थी… जाहिर था कि मम्मी चुद रही थी… मेरी नज़र अचानक ही खिड़की पर पड़ी… वो थोड़ी सी खुली थी।

मेरी जिज्ञासा जागने लगी, दबे कदमों से मैं खिड़की की ओर बढ़ गई… मेरा दिल धक से रह गया…
मम्मी बिस्तर पर सलवार खोले घोड़ी बनी हुई थी और पापा पीछे से उसकी गोरी गांड चोद रहे थे।
मुझे सिरहन सी उठने लगी।

पापा ने अब मम्मी के बोबे मसलने चालू कर दिये थे… मेरे हाथ स्वत: ही मेरे स्तनों पर आ गये… मेरे चेहरे पर पसीना आने लगा… पापा को मम्मी की चुदाई करते पहली बार देखा तो मेरी चूत भी गीली होने लगी थी।

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