चाची की बहन की खुली छत पर चुदाई

अब मैं उसकी नाड़े की तरफ बढ़ा और खोलने की कोशिश की.. पर वो फंस गया.. तो मैंने उससे खोलने को कहा।
वो मना कर रही थी.. लेकिन फिर मान गई और खोल दिया।

देसी लड़की की सलवार में हाथ
मैंने धीरे से सहलाते हुए अपना हाथ उसके पेट से ले जाते हुए उसकी सलवार के अन्दर डाला और पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को छुआ।

मुझे कुछ अजीब सा चिपचिपा सा महसूस हुआ।
मैं धीरे-धीरे सहलाते हुए उसकी पैंटी के अन्दर हाथ डालने लगा।

वो पूरी तरह से गरम थी, उसकी चूत पर कुछ हल्की-हल्की झाटें उगी थीं।

मैं उठा और उसके ऊपर आ गया और मुँह से उसकी नाभि को किस करने लगा, फिर अपने हाथों से उसकी सलवार को नीचे उतार दिया।

अब वो सिर्फ मेरे सामने पैंटी में थी। चाँद की रोशनी में उसका जिस्म देखकर मुझे हल्का सा नशा छा रहा था।

मैं रात में सोते समय सिर्फ चड्डी और बनियान में सोता हूँ… तो मैं उठकर जब उसके ऊपर आया, उस समय अपनी चड्डी उतार दी, जिससे मेरा लण्ड फुंफकार मारने लगा।

मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी.. अब वो पूरी नंगी मेरे सामने थी।

फिर धीरे से मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाली और अन्दर-बाहर करने लगा, जिससे उसकी टाँगें फैलने लगीं और वो मस्त होने लगी।

अब वो हल्की सी आवाज़ करने लगी थी। फिर मैंने अपनी दूसरी उंगली को अन्दर डाला और कुछ मिनट तक अन्दर-बाहर किया। कुछ देर बाद उसका शरीर अकड़ने लगा और वो मुझसे चिपक गई.. मुझे समझ में नहीं आया।

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फिर मैंने थोड़ी देर बाद अपना लंड को उसके हाथ में पकड़ाया और वो उससे खेलने लगी।

उसकी चूत से बदबू आ रही थी.. लोग पता नहीं कैसे चूत को चाट लेते हैं।

वो मेरा लंड हाथ से आगे-पीछे कर रही थी।

मेरा लंड अब अन्दर जाने की तैयारी कर रहा था, लौड़ा बिल्कुल टाईट हो गया था।

वो सीधे लेटी हुई थी.. मैंने अपना लंड पकड़ा और उसकी चूत पर फिराना शुरू कर दिया। वो लंड लेने के लिए अपनी गांड उठाने लगी।
मैंने धीरे से अपने लंड को उसकी चूत में डाला और टोपे ने चूत से छूने के बाद एक झटका दिया और मेरा लंड उसकी चूत में सरक गया।

अब वो मुझे पीछे धकेलने लगी और खुद पीछे को होने लगी।
मैं वैसे ही रुक गया और करीब तीस सेकंड बाद मैंने अपने लंड को थोड़ा सा बाहर निकाला और फिर अन्दर किया।

जब हल्की सी आवाज़ के साथ वो हथियार झेल गई तो मैं समझ गया कि अब ये रेडी है।
फिर मैं धीरे-धीरे उसकी चूत में लंड को अन्दर-बाहर करने लगा।

करीब दस मिनट बाद मैंने अपना लंड पूरा बाहर निकाला और फिर से तेज़ी से अन्दर डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा।

थोड़ी देर बाद मेरे लंड ने चूत में ही अपना फव्वारा छोड़ दिया। मैं उसके ऊपर ही लेट गया।

करीब दो मिनट बाद मैं उठा और दूसरी तरफ हो कर लेट गया, पर करीब दस मिनट बाद मेरा लौड़ा फिर से खड़ा हो गया और हमने फिर से चुदाई की।

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उस दिन हमने दो बार चुदाई की और तब तक चार बज गए थे, सो हम सो गए।

पांच दिन बाद उसकी शादी हो गई और चूंकि उसकी शादी थी.. इसी का फायदा भी था कि मुझे ज्यादा मज़ा आया क्योंकि गर्भ का कोई टेंशन नहीं था।

आप लोगों को मेरी कहानी कैसी लगी.. ज़रूर बताना।

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