हैलो फ्रेंड्स, अन्तर्वासना में आपका स्वागत है।
मैंने इस साइट की सभी हिन्दी सेक्स स्टोरीज पढ़ी हैं, कुछ तो बिल्कुल फेक लगती हैं और कुछ सही भी।
मैंने भी सोचा मैं भी अपनी कहानी को आपके साथ शेयर करूँ।
मेरा नाम राज है.. मैं लखनऊ का रहने वाला हूँ। मेरी बॉडी स्लिम है और मैं थोड़ा सा स्मार्ट सा दिखता हूँ.. ये लोग बोलते हैं।
मैं लखनऊ से ग्रेजुएशन कर चुका था। मेरी फैमिली में मैं और मेरे भाई और पेरेंट्स हैं।
बात कुछ पुरानी सी है.. जब मैं मैंनेजमेंट का कोर्स करने के लिए दिल्ली में था।
फर्स्ट ईयर कम्पलीट होने के बाद कुछ दिनों के लिए घर पर आया। तभी पता चला कि हमारे गाँव में शादी थी.. तो मैं और मेरी फैमिली से मम्मी को गाँव जाना पड़ा।
शादी मेरे मामा के घर पर थी, मुझे उनके घर पर अच्छा नहीं लगता था.. इसलिए मैं अपने घर यानि चाचा-चाची के घर चला गया।
वहाँ पर मेरे चाचा अपना घर बनवा रहे थे।
गर्मी के समय में मेरे गाँव में बहुत से लोग वापस आते हैं। वैसे तो मेरा सभी के साथ घुलना-मिलना होता है.. लेकिन मुझे मेरी चाची के घर वालों से एलर्जी है। इसलिए मैं अपने पुराने घर पर था।
देसी लड़की
बात ऐसे शुरू हुई मेरी चाची को लड़की हुई थी.. तो इसी वजह से उसकी बहन आई हुई थी, मतलब वो मेरी मौसी थी..
पर मैं उससे बात नहीं करता था, मुझे वो बिल्कुल पसंद नहीं थी।
उधर घर में बहुत से लोग थे और आपस में दिन भर सभी बिजी से रहते थे।
बात यूं हुई कि एक दिन हम लोग लेटे हुए थे.. शाम का समय था, घर में लाइट नहीं थी, एक कमरे में मैं अपने बिस्तर पर था।
पता नहीं कब वो भी आकर उधर लेट गई.. मुझे पता ही नहीं चला।
थोड़ी देर बाद मैं जब उठा.. तो गलती से मेरा हाथ उसके कमर के नीचे सीधे उसके दोनों टांगों के बीच पड़ गया।
वो उठी और बोली- ये क्या बेहूदगी है।
मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि वो क्या कहना चाहती है।
मैंने ‘सॉरी’ बोल दिया.. तो उसने बोला- अपना हाथ देखा करो.. कहाँ रख रहे हो।
मैं संकोचवश कुछ बोल नहीं पाया.. पर उसने बोला- अच्छा हुआ यहाँ पर कोई था नहीं.. वरना मेरी इंसल्ट हो जाती।
वो दिन तो चला गया और दो दिन बीत गए, अब हमारे बीच में बात होने लगी थी।
एक दिन हम सब बच्चों के साथ खेल रहे थे.. तो वो बोली- मैं भी खेलूंगी।
वो भी हम सभी के साथ आ गई।
छुपा-छुपाई का खेल तो आप जानते ही हैं, हम लोग भी बच्चों के साथ बच्चे बन गए थे।
मैं जाकर एक अँधेरे कमरे में छुप गया।
गलती से वो भी उसी कमरे में आ गई और दरवाजे के पास खड़ी हो गई, मैं भी दरवाजे से लग कर खड़ा था।
वो बोली- इधर ही आ जाओ.. नहीं तो दिख जाओगे।
मैं उसके पीछे जा कर खड़ा हो गया और बाहर देखने लगा।
मैं पीछे था.. इसलिए देखने के लिए मुझे उसके सर के ऊपर से देखना पड़ रहा था।
मैंने उसके ऊपर से देखने की कोशिश की, जिससे हुआ ये कि मैंने अपने हाथ से उसकी कमर को पकड़ा और ऊपर देखने लगा।
इस पर वो बोली- क्या कर रहे हो?
मैं बोला- कुछ नहीं।