चाची की बहन की खुली छत पर चुदाई

पर अब मैं रोज-रोज के दबाने और सहलाने से और उंगली करने से थक चुका था, मैंने उससे कहा- मैं तुमसे अकेले में मिलना चाहता हूँ।
तो वो बोली- नहीं अभी पॉसिबल नहीं है।

मैंने कहा- ठीक है, रहने दो।
वो बोली- नाराज मत हो।

उसने कहा- अगले हफ़्ते मेरी शादी है, वहां आ जाना!
उस पर मैंने मना कर दिया और जाकर छत पर सो गया।

रात में मेरी नींद खुली तो मैंने देखा कि वो भी मेरे बगल में ही सो रही है। उस वक्त छत पर और कोई नहीं था.. सिर्फ हम दोनों ही अकेले थे।

पर मैंने कुछ न करने की ठानी और जानबूझ कर सोते हुए रहने का नाटक करते हुए उसको एक बार हाथ मारा.. जिससे वो जग गई और वो तिलमिला उठी, उसकी नींद खुल गई।

मैंने सोने का नाटक जारी रखा।
करीब एक मिनट तक यह सीन ज़ारी रहा और फिर मैं उठ कर बाथरूम के लिए चला गया और आकर लेट गया।
मैंने ऐसा शो किया कि मैंने उसको देखा ही नहीं।

जब मैं सोने का नाटक करने लगा तब वो बोली- मुझसे बात नहीं करोगे?
मैंने कहा- तुम?
वो बोली- हाँ मैं भी ऊपर सोने के लिए आ गई थी।
मैंने कहा- तो सो जाओ.. मुझे नींद आ रही है।

मैं करवट लेकर सो गया।

थोड़ी देर बाद वो मेरे पास आकर बोली- मैं तुमसे प्यार करती हूँ।
पर मैंने कोई जवाब नहीं दिया और सोने का नाटक किया।

थोड़ी देर बाद वो मेरे करीब आ गई और मेरे से चिपक गई।
तब मैंने कहा- छोड़ो मुझे और सोने दो।

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पर उसने मेरी नहीं सुनी और मुझे अपने पास खींचा और किस कर लिया।
मेरे मना करने पर वो रोने लगी.. तो मैंने थोड़ी देर बाद उसको मनाया।

मैंने कहा- तो पहले मना क्यों किया था?
वो बोली- अब तो आ गई हूँ।

मैंने उसके होंठों को किस किया और अपना हाथ उसके मम्मों पर रख दिया और धीरे-धीरे दबाने लगा।
पहले मैं उसके चूचों को कपड़े के ऊपर से दबाता रहा, फिर धीरे से अपना हाथ उसके गले और चूची को दबाते हुए उसके कपड़ों के अन्दर हाथ डालने लगा।

तो वो बोली- कोई आ जाएगा।
मैंने भरोसा दिलाया- कोई नहीं आएगा।
मैंने उससे कपड़े उतारने को कहा.. तो वो मना करने लगी।
फिर मैंने उससे कहा- ठीक है।

मैंने फिर से उसके पेट पर हाथ रखा और नाभि के पास मसलना शुरू कर दिया और करीब दस मिनट तक करता रहा।
इससे हुआ ये कि वो गर्म हो गई।

अब मैं फिर से उसके कपड़ों को हटाने लगा।
अबकी बार थोड़ा सा मना करने के बाद उसने अपने कपड़े हटाने की अनुमति दे दी।

मैंने उसको उठाया और उसकी शमीज को उतार दिया।
अब वो सिर्फ ब्रा और सलवार में थी।

इस तरह से देख कर मेरा मन बेकाबू हो गया और उसको चोदने का करने लगा.. पर दिल को समझाते हुए इंतज़ार करने को कहा।

मैंने उसी तरह से उसको लिटा कर उसकी चूची को उसकी ब्रा से आज़ाद कर दिया।
पहले एक को निकाला और खूब दबाया फिर दूसरे को दबाते-दबाते कब निकाल दिया.. उसको पता ही नहीं चला।

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इसके बाद बारी-बारी से एक-एक चूची को मुँह में लेकर पिया और दबाया।
ऐसा करते हुए ज्यादा समय हो गया।

अब उसकी ब्रा के हुक को खोल कर उसको भी निकाल दिया।

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