भतीजे पर चाचा की गंदी नजर पड़ने की सेक्सी कहानी

हैलो दोस्तो।

मैं बहुत समय से गे सेक्स स्टोरी पढ रहा हूं। ये मेरी पहली कहानी है। अगर लिखने में कोई गलती हो तो माफ करना, और ये मेरा रियल लाइफ एक्सपीरियंस है, जो मेरे और मेरे अंकल के बीच हुआ था जब मैं 12वीं क्लास में था, और 18 साल का था, और मेरे अंकल उस समय 32 साल के रहे होंगे।

मेरा नाम रोहित (बदला हुआ नाम) है। मैं दिल्ली रहता हूं। मेरा रंग गोरा है। ऊंचाई 5.2 फीट (जब ये इवेंट हुआ था)। मैं बचपन से ही थोड़ा मोटा सा रहा हूं, खास कर मेरे छाती और मेरी गांड एक दम गोल-मटोल रही है हमेशा से, और अब तो और भी ज्यादा हो गई है।

मेरी बॉडी पर बाल भी बिल्कुल ना के बराबर है, जैसी कोई लड़की का जिस्म हो। बल्की उसका जिस्म भी मेरे आगे फेल हो जाए। मुझे अगर कोई लौंडेबाज देख ले तो बिना मेरी गांड मारे वो रह ही नहीं सकता। बहुत बकवास हो गई अब कहानी पर आते हैं।

बात तब की है, जब हमारे घर पर मेरे चाचा की शादी थी। शादियों के फंक्शन के टाइम हमारे गांव से हमारे बहुत सारे रिश्तेदार आए हुए थे, जिनमे से एक संजय चाचा (जो मेरे दूर के चाचा है) थे।

चाचा के बारे मे बताऊं तो।

चाचा की ऊंचाई 5.9 फीट, रंग सावला, होंठ हल्के गुलाबी, छाती तो पूरी बालो से ही भरी हुई थी। वो उदयपुर पुलिस में एस.पी. की पोस्ट पर थे। तो आप आइडिया लगा ही सकते हो कि उनकी बॉडी किसी पहलवान से कम तो हो ही नहीं सकती।

शादी के फंक्शन में वो (चाचा) घर वालों के साथ मिल कर सभी काम करने में लगे हुए थे। और मैं अपने कजिन्स के साथ फंक्शन एन्जॉय कर रहा था। तभी मेरी मम्मी आई।

मम्मी: रोहित फंक्शन एन्जॉय करने के लिए जाएंगे, एग्जाम है कल बोर्ड का उसका क्या?

मैं: हां मम्मी जा रहा हूं।

मम्मी: चल अभी एन्जॉय कर ले। लेकिन टाइम से रूम में चले जाना।

मैं: ओके मम्मी। और थैंक्स।

हम सब कजिन्स हमारे घर की छत पर अंताक्षरी खेल रहे थे।

मैं बहुत टाइम से नोटिस कर रहा था, कि चाचा बार-बार किसी ना किसी काम से छत पर आ रहे थे, और पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लग रहा था कि वो बार-बार मुझे ही देख रहे थे। अब शाम को फंक्शन का टाइम स्टार्ट हो गया था।

मैं भी रेडी होने के लिए अपने रूम मे चला गया, और रूम का दरवाजा बंद करना ही भूल गया। तब मैं अपने रूम में कपड़े चेंज कर रहा था। मैं फ्रेची अंडरवियर ही पहना करता हूं। जिसमें मेरी मोटी उभरी हुई गांड अलग ही नजर आती है।

मैंने अपनी पैंट उतार कर पजामा पहनने के लिए जैसे ही पीछे हुआ, तभी मेरी नजर दरवाजे पर खड़े चाचा पर गई, जो मेरी गांड को ही अपनी नजरों से नाप रहे थे।

मैंने हड़बड़ाहट में आचनक से पजामा आपने आगे कर दिया, और चाचा को बोला-

मैं: आप यहां क्या? क्यों? मेरा मतलब है कुछ काम था क्या?

चाचा: अरे… वो…….

मैं: बोलो चाचा क्या हुआ? कुछ काम था क्या?

चाचा: नहीं। वो मार्केट से कुछ सामान लाना था, तो क्या साथ में चलोगे?

मैं: अभी चलना है क्या?

चाचा: हां, नीचे कोई भी नहीं है साथ चलने के लिए।

मैं: अच्छा ठीक है। मैं पजामा पहन लूं।

जैसे ही मैं पजामा पहनने के लिए पीछे हुआ। मेरे सामने लगे हुए मिरर से नजर आ रहा था कि चाचा लगातार मेरी गांड ही देख रहे थे। उसके बाद हम दोनो मार्केट के लिए निकल गए। चाचा बाइक को लंबे रास्ते से लेकर जा रहे थे।

मैं: आप यहां से क्यों जा रहे हो?

चाचा: आज रोड बहुत ज्यादा खराब है इसलिए।

मैं: अच्छा।

रोड का तो पता नहीं, लेकिन चाचा की नीयत खराब जरूर हो रही थी।

चाचा: मुझे अच्छे से पकड़ लो।

मैं: कोई बात नहीं।

इतना बोलते ही चाचा ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी कमर से होते हुए आपने लंड के पास रख दिया। चाचा का शरीर मुझे बहुत ही गर्म सा लग रहा था। जिस वजह से पता नहीं क्यों मुझे पूरी बॉडी में करंट सा लग रहा था। ऐसा मेरे साथ फर्स्ट टाइम हो रहा था। वो अहसास मैं कभी भूल नहीं सकता।

तभी चाचा मुझे स्कूल और एग्जाम के बारे में पूछने लग गए। बातें करते-करते हम मार्केट के पास आ गए थे। सभी समान लेने के बाद चाचा ने बोला कि चाय पीते है। हम दोनों अब बहुत ज्यादा कंफर्टेबल हो गए थे।

शायद चाचा भी यहीं चाहते थे। तभी मजाक करते-करते मेरी कमर पर चाय वाले से गलती से चाय गिर गई। चाचा आचनक से चाय वाले पर गुस्सा करने लग गए, और जल्दी से कोल्ड वाटर मेरी कमर पर डाला, जिससे मेरा कुर्ता पूरा गीला हो गया।

तभी चाचा ने बोला: कुर्ता ऊपर तो कर रोहित

मैं: मुझे घर जाना है जल्दी-जल्दी ( रोते हुए )।

चाचा: रो मत। चुप हो जा, चलते है।

हम अब घर आ गए थे। मैं आते ही रूम में चला गया और मम्मी ने फिर मुझे दावा लगा कर बोला-

मम्मी: अब कल के एग्जाम की तैयारी कर, और बाहर मत जाना। जब देखो बस कुछ ना कुछ होता ही रहता है तेरे साथ।

मां तो मां होती है। अब नाइट हो गई थी, और 2-3 घंटे हो गए थे। रात के 11:30 बजे पापा मेरे कमरे में आए।

पापा: रोहित बेटा अब कैसे हो?

मैं: ठीक हूं ( जलन हो रही थी। पापा को टेंशन ना हो इसलिए झूठ बोला)।

मैं: आप सोए नही?

पापा: नहीं, वो चाचा तुम्हारे साथ ही रूम में सोएंगे। उनको ऑफिस का कुछ काम करना है। तुम तो लाइट जला कर रखोगे, इसलिए तुम दोनों साथ सो जाना।

मैं: ठीक है पापा।

पापा: गुड नाईट बेटा।

मैं: गुड नाइट पापा।

10 मिनट बाद रूम मे चाचा अपना बैग लेकर आए।

चाचा: और रोहित कैसा है अब दर्द?

मैं: है अभी जलन है थोड़ी।

दवाई लगाई क्या? ( चाचा ने बोला )।

तभी रूम मैं मम्मी आई और बोली: दर्द कैसा है? और कल की तैयारी हो गई क्या?

मैं: है बस थोड़ा रह गया है

मम्मी: संजय तुम इसको सोने से पहले यह दवाई लगा देना। यह भूल जायेगा।

चाचा खुश होते हुए बोले: ठीक है भाभी।

मम्मी: और रोहित, चाचा को परेशान मत करना। (यह तो रात ही बताएगी की कौन किसको परेशान करेगा )

तभी चाचा ने मम्मी को नमस्ते बोला, और रूम का गेट अंदर से लॉक कर दिया।

फिर चाचा ने बोला: दवाई लगा दूं क्या?

मैंने माना कर दिया: अभी नहीं चाचा, अभी एक चैप्टर रहता है। फिर सो जाऊंगा, तब लगा देना

तभी चाचा अपने कपड़े उतार कर रखने लगे। पहले कुर्ता उतारा, जिससे उनकी बगल दिख रही थी। जिसे शायद उन्होंने एक दो दिन पहले ही क्लीन करा था, तभी छोटे-छोटे बाल दिख रहे थे। पता नहीं क्यों ऐसा लग रहा था कि चाचा मुझे दिखाने के लिए इतने आराम से कपड़े उतार रहे थे। फिर वो अपना पजामा उतार रहे थे कि तभी मैंने बोला-

मैं: ये क्या कर रहे हो आप?

चाचा: क्या हुआ बेटा?

मैं: कपड़े क्यों उतार रहे हो आप सारे?

चाचा ( हंसते हुए): मुझे अंडरवेयर और बनियान में सोने से ही नींद आती है। और सारे नही उतार रहा, औजार अभी कवर ही है।

मैं: हमारे घर पर कोई इस तरह नहीं सोता, इसलिए बोला।

चाचा: अगर तुम्हें परेशानी है तो कोई बात नहीं, मैं नॉर्मल भी सो जाउंगा।

मैं: नहीं चाचा, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है।

इतना बोलते ही चाचा ने अपना पजामा मुझे दिखाते हुए इतने मदहोश तरीके से उतारा, जिसे देख कर खुद कामदेव भी शर्मा जाए।

उन्होंने क्लेविन का व्हाइट वी-शेप अंडरवेयर पहना हुआ था। जिसमें उनके लंड का उभार साफ़ नजर आ रहा था। उनका लंड बिना खड़े भी 5 इंच जितना लंबा और 3 इंच जितना मोटा लग रहा था।

उनकी पूरी बॉडी पर बहुत बाल थे, जिसके पसीने की महक से पूरे रूम में एक अलग सा माहौल बन गया था। जिसे देखते ही मेरे रोंगटे खड़े हो गए, और मुझे उनके अंडरवीयर का उभार देखते हुए उन्होंने मुझे नोटिस कर लिया था। तभी वो अचानक से बोले, जिससे मैं डर गया-

चाचा: क्या हुआ? क्या देख रहे हो रोहित बेटा?

मैं: कुछ भी नहीं।

इतना बोलते ही मैं अपना चैप्टर कंप्लीट करने लग गया।

चाचा को पता चल गया था कि मुझे उनको ऐसे देख कर अच्छा लगा है। इसलिए वो अपने बैग से अपना लैपटॉप लेकर मेरे ही पास आकर बैठ गए और ऑफिस का काम करने लग गए (या फिर ड्रामा कर रहे थे। मुझे कुछ दिख नहीं रहा था कि वो क्या कर रहे थे )

उनकी बॉडी देखने के बाद मेरे बॉडी में एक अलग से करंट सा महसूस हो रहा था। जिस वजह से मेरा मन चैप्टर पर लग ही नहीं रहा था।

आगे की कहानी जल्दी ही आपके सामने आएगी। अगर लिखने में कोई गल्ती हुई हो, तो सुझाव जरूर देना।

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