ही, मेरा नाम हर्ष है, और उमीद करता हू की आप सब ने मेरी पिछली कहानी पढ़ी होगी. अब इस कहानी को आयेज बढ़ते है.
फिर मैने भाभी को उठाया, और बेड के कोने बिताया, और उनकी एक टाँग मेरे कंधे पर रखी, और एक हाथ से मैने उनका गला पकड़ा. फिर लंड को छूट पे सेट करके एक धक्का लगाया, और मेरे लंड का आधा हिस्सा अंदर चला गया.
भाभी को बहुत दर्द हुआ, और वो ज़ोर से चिल्ला उठी: आ, मार डाला. इतना बड़ा लंड, आ.
मैने तुरंत ही भाभी के मूह पर हाथ रखा, क्यूंकी भैया भी वही पे ही सोए थे. पर भाभी की छींख इतनी ज़ोर से थी की भैया उठ गये. उठते ही भैया ने लाइट चालू की और हम दोनो को एक साथ नंगा देखा, और बोले-
भैया: ये सब क्या है पूजा? और हर्ष तू भी? रुक अभी मैं पोलीस बुलाता हू.
भाभी: विवेक, तुम्हे भी पता है तुमसे कुछ होता नही है. अगर मैं तोड़ा मज़ा ले रही हू, तो तुम्हारा क्या बिगड़ता है? और वैसे भी मैने तुम्हे बताया था ना की मुझे हर्ष के साथ चुदाई करनी है. तभी तुमने ही कहा था की कर लेना.
भैया: हा मैने कहा तो था. पर मुझे लगा था तुम ऐसे ही बोल रही होगी. मैं नही जानता, बंद करो ये सब, और हर्ष तू निकल घर से.
भाभी: तुम कही नही जाओगे हर्ष. और विवेक अगर तुम्हे इतना ही बुरा लग रहा है, तो तुम बाहर जेया कर सो जाओ.
भैया: रूको, तुम लोग ऐसे नही मानोगे. तुम्हे तो सबक सीखना पड़ेगा.
और फिर भैया उठे और उन्होने अपने कपड़े उतरे, और भाभी को कहा चूस इससे.
भाभी: हा, तुम्हारे लंड का साइज़ देखो, और हर्ष के लंड का साइज़ देखो. तुम्हे लगता है इतने बड़े लंड को मूह में लेने के बाद मैं तुम्हारा लंड चूसूंगई?
भैया: वो सब मैं नही जानता. अगर तुमने नही चूसा तो मैं, हर्ष की पोलीस कंप्लेंट कर दूँगा.
भाभी: एक शर्त पे चूसूंगई. अगर तुम झाड़ जाओ, और हर्ष मेरी चुदाई करता रहा, तो तुम उसको पूरा देखोगे. चलेगा?
भैया: ठीक है, तू शुरू तो कर.
मैने फिर से अपना लंड भाभी की छूट में डाला, और इस बार तोड़ा धीरे से धक्का दिया, और आयेज-पीछे करता रहा. भाभी भी भैया का लंड अपने हाथ में लेकर हिलने लगी. बड़ी मुश्किल से भैया का लंड खड़ा हुआ.
पर भाभी ने अब तक मूह में नही लिया था. भाभी बहुत ज़ोर से भैया का लंड हिलने लगी. कुछ 5 मिनिट बाद भैया भाभी के हाथ में ही झाड़ गये. फिर भाभी बोली-
भाभी: आ गया मज़ा बेइज़्ज़ती करवा कर? अब तक तो सिर्फ़ हिलाया ही था की झाड़ गये. अब वापस आधा घंटा लगेगा तुम्हारा खड़ा होने में.
भाभी फिर उठी और कहा: रूको, मैं हाथ धो कर आती हू. और विवेक तुम सोना मत. तुम्हे हमारी चुदाई देखनी पड़ेगी.
फिर भाभी हाथ धो कर आई, और मेरे होंठ चूसने लगी, और अपने हाथ से मेरा लंड हिलने लगी, और बोली-
भाभी: जान, दीवार पे जाके खड़े हो जाओ, और पीछे मूड कर खड़े रहना.
फिर भाभी मेरे पीछे आई, और मेरी पीठ को चूमते हुए मेरी बगल के अंदर से हाथ मेरे लंड पे लेकर उसको हिलने लगी, और आवाज़े निकालने लगी.
भाभी: कितना बड़ा है तुम्हारा, आ मज़ा आ रहा है, आ. देखा विवेक कितना बड़ा है हर्ष का?
और फिर नीचे बैठ गयी, और कहा: तुम अपनी टांगे फैला कर अपने लंड को पीछे लाओ, और मैं उससे चूसूंगई.
मैने अपनी टांगे फैलाई, और मेरा लंड पीछे से भाभी के मूह में दे दिया, और भाभी भी उससे मज़े से चूसने लगी. फिर भाभी ने एक उंगली मेरी गांद के च्छेद में डाल दी, और अंदर-बाहर करने लगी. मुझे तो मानो जानत का एहसास हो गया.
फिर भाभी ने मेरा लंड मूह से बाहर निकाला, और मेरी गांद पे अपना थूक लगाया, और फिर उसको जीभ से हर जगह फैलाया. उसके बाद भाभी खड़ी हुई, और दीवार पे चली गयी और वो भी पीछे मूड कर खड़ी थी.
मैं समझ गया था की भाभी क्या चाहती थी. तो मैने भाभी को पीछे से पकड़ा, और उनके होंठ चूमने लगा, और एक हाथ से उनकी छूट मसालने लगा. फिर मैने भाभी की गर्दन को चूमा और चूमते हुए नीचे आ गया.
मैने भाभी को बोला: आप भी अपनी टांगे फैला दीजिए.
और भाभी ने भी अपनी टांगे फैला दी. फिर मैं घुटनो के बाल जाके उनकी गांद को दोनो साइड से दबा रहा था. और फिर मैने भाभी की गांद के च्छेद पे थूका और उसको बाहर से अपनी जीभ से चाटने लगा. भाभी को मज़ा आने लगा, और वो आवाज़े निकालने लगी-
भाभी: आ, कितना अछा चाट-ते हो जान. आ, आज तक किसी ने ऐसा नही छाता, आ.
फिर मैने अपनी एक उंगली भाभी की गांद में डाली, तो वो और ज़ोर से चिल्लाने लगी. उनकी गांद का च्छेद बहुत टाइट था. बड़ी मुश्किल से मैने उंगली डाल कर, उसको अंदर-बाहर किया. कुछ 5-7 मिनिट उनकी गांद चाटने के बाद मैने उन्हे खड़ा किया, और उनके हाथ पे थूक कर अपने लंड को हिलवाया. फिर मैने भी अपने लंड पे थूका, और उन्हे नीचे झुकाया.
मैने अपने लंड को उनकी गांद की च्छेद पे रखा, और धीरे से एक धक्का मारा. पर मेरा लंड अंदर नही जेया पाया. मैने फिरसे थूक लगाया, और इस बार तोड़ा ज़ोर से धक्का मारा. तो मेरा तोड़ा सा लंड अंदर चला गया. भाभी को बहुत दर्द हुआ, और वो ज़ोर से चिल्लाने लगी.
भाभी: आ, मॅर गयी, आ बाहर निकालो इसको. बड़ी मुश्किल से छूट में लिया था. अब गांद नही मर्वानी आ. विवेक, बोलो ना हर्ष को बाहर निकाले आ. बहुत दर्द हो रहा है.
पर मैने एक भी ना सुनी और मैने फिरसे एक धक्का मारा, और अपने लंड को अंदर-बाहर करता रहा. पहले तो मैं बहुत धीरे से चुदाई कर रहा था, फिर भाभी बोली-
भाभी: और तेज़ करो, आ, और तेज़ आ, मज़ा आ रहा है तुम्हारा लंड मेरी गंद में देख कर. हैईना विवेक? बोलो ना अपनी बीवी को असली मर्द से चूड़ते देख कर मज़ा आ रहा है ना? हा, आ और छोड़ो, आ.
भाभी की ये सब बातें सुन कर मुझसे रहा नही गया, और मैने ज़ोर- ज़ोर से भाभी की गांद मारनी शुरू की. अब मैं काफ़ी तेज़ धक्के मार रहा था, जिससे भाभी की गांद से खून निकालने लगा, और आँखों में से आँसू. भाभी कम से कम 2 बार और झाड़ चुकी थी, पर फिर भी मेरे लंड का मज़ा ले रही थी. फिर मैने भाभी को बोला-
मे: जान, मैं झड़ने वाला हू, कहा पे निकालु?
भाभी: जान, जहा तुम्हारा मॅन करे वाहा निकालो. सब कुछ तो तुम्हारा ही है.
फिर मैने भाभी की गांद में से अपना लंड निकाला, और भाभी को नीचे बैठने को कहा, और भाभी भी नीचे बैठ कर मेरे लंड को चूसने लगी. कुछ 1-2 मिनिट की चुसाई के बाद मैं भाभी के मूह में ही झाड़ गया, और मैने अपना लंड भाभी की मूह में दबा कर रखा.
फिर धीरे -धीरे मैने भाभी के मूह से अपना लंड बाहर निकाला, और भाभी ने मेरा पूरा लंड अपने मूह से सॉफ किया.
भाभी: आ, मज़ा आ गया तुम्हारे साथ चुदाई करके. मॅन कर रहा है की तुम्हारे उपर ही सो जौ आज, और जब भी तुम्हारा लंड खड़ा हो, फिरसे चुदाई चालू कर डू.
फिर हम बेड पे गये, और भाभी ने भैया को बोला: विवेक तुम बाहर सो जाओ. हमे ये बेड चाहिए पूरी रात के लिए.
भैया बेचारे और करते भी क्या. वो बहुत ही ज़लील हो चुके थे. वो बाहर ही चले गये. मैने फिर भाभी से पूछा-
मे: भैया ने कुछ बोला क्यूँ नही? ऐसे ही चुप-छाप देखते रहे.
भाभी: मैने उनको आचे से समझा दिया है सब, की अगर वो मेरे घर पर कंप्लेन करेंगे, तो मैं उनको बदनाम कर दूँगी की वो कुछ नही कर पाते.
मे: ये ठीक नही है भाभी, वो आप के साथ सेक्स नही करते तो क्या हुआ? पर बाकी सब में तो सुखी रखते है ना आपको.
भाभी: तुम छ्चोढो ये सब बातें, और बताओ क्या पसंद आया आज?
मे: जान तुम्हारी हर चीज़ पसंद आई है.
भाभी: अवव, थॅंक योउ मेरी जान.
और फिर मेरे लंड पे हाथ रख कर ऐसे ही मेरे बाजू में सोने लगी. 10 मिनिट बाद भाभी मेरे उपर आई, और मुझे चूमने लगी और कहा-
भाभी: जान कल ऑफीस से छुट्टी लेना ना. मुझे तुम्हारे साथ पूरा एक दिन बिताना है. वो भी बिना कपड़ों के.
मे: मुश्किल है पर ट्राइ करता हू.
भाभी: ओक.
फिर वापस से हमने एक-दूसरे को चूमना शुरू किया, और बेड पे लिपटने लगे. कभी भाभी वो मेरे उपर आती, तो कभी मैं उनके उपर जाता. आख़िर में भाभी ने मेरा लंड पकड़ा और हिलाते-हिलाते सो गयी. मुझे भी नींद आ रही थी तो मैं भी सो गया.
तो ये थी मेरी कहानी, उमीद करता हू की आपको पसंद आई हो. अगले पार्ट्स में मैं बतौँगा की कैसे हमने और चुदाई की.