उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया था जो मेरे चूतड़ों पर लग रहा था।
मेरी तो कंपकपी छूट गई थी, लेकिन बहुत ज्यादा आनन्द भी आ रहा था।
अंधेरे में कुछ दिख तो नहीं रहा था, लेकिन टच होने से पता चल रहा था कि उसका लंड बहुत ताकतवर और लंबा मोटा है।
खैर मैं ऐसे ही लेटी रही और उसका लंड अब मेरी गांड के छेद को टच कर रहा था और ऐसा लग रहा था जैसे अभी अंदर घुस कर मेरी गांड ही फाड़ देगा।
मैंने अपनी गांड को थोड़ा ऊपर किया तो उसका लंड चूत के छेद पर टच होने लगा और हम दोनों के अंग आपस में मिल गये।
‘आआआअहह…’ वो क्या अहसास था?
जैसे ही उसका लंड मेरी चूत पर टच हुआ, उसने वही सेट कर दिया और अब सिर्फ़ उसका ऊपर का हिस्सा उड़ रहा था और नीचे का एक जगह ही था।
फिर मैंने कहा- भाई, थोड़ा ऊपर कंधों तक मालिश करो तो अब जब वो अपने हाथों को ऊपर तक लाया तो उसके लंड का प्रेशर मेरी चूत पर बढ़ने लगा और हल्का सा पुश होने लगा।
जैसे ही उसने दोबारा ऊपर की तरफ हाथ किए तो उसका लंड फिर आगे की तरफ हुआ और तभी मैंने भी अपनी गांड को नीचे की तरफ धक्का दिया।
‘आहमम्म…’ मेरी सिसकारी निकल गई, उसका मोटा सुपाड़ा आधा मेरे अंदर जा चुका था।
अब हम दोनों ही ऐसे बर्ताव कर रहे थे जैसे किसी को कुछ नहीं पता हो. तीसरी बार फिर ऐसा ही हुआ और मुझसे रुका नहीं गया और इस बार थोड़ा ज़ोर से गांड को उसके लंड पर पटक दिया और एकदम से उसका लंड चिकनाई की वजह से 3 इंच अन्दर चला गया।
अब भी हम दोनों हल्की-हल्की सिसकारियाँ ले रहे थे।
ऐसे ही धीरे-धीरे उसका 7 इंच का पूरा लंड मेरी चूत में समा गया।
फिर मैंने अपनी गांड को हवा में उठा लिया और वो अब धीरे-धीरे अन्दर बाहर करने लग गया।
‘आआहह ऊऊओ मआअ म्म्म्मम मम्म आआअहह ओ ह्म्म्म्मम म्म्मह…’ मेरे मुँह से आवाज़े आने लगी तो भाई समझ गया कि मुझे मज़ा आने लग़ा है।
अब उसने धक्कों की स्पीड तेज़ कर दी और मेरी गांड पर ठप ठप ठप की आवाज़ आने लगी और अंधेरे में रूम में गूंजने लगी।
मैं अब तेज़-तेज़ सीत्कारें भरने लगी थी- आअहअहह एम्म्म ऊओ और तेज़्ज़्ज़्ज़ यययई यआआ…
फिर मैंने अपने हाथ पीछे ले जाकर भाई के कूल्हों पर रख दिए और अपनी तरफ पुश करने लगी- म्म्म्ममम!
वो भी ताबडतोड़ धक्के लगाने लगा- म्म्म्मआआहह!
और फिर हम दोनों ने पानी छोड़ दिया, इतना मज़ा मुझे आज तक नहीं आया।
अब हम रोजाना सेक्स करके मजे लेते हैं।