Bhai Se Chut Chudwai Bahana Bana Kar

यह मेरे लिए एक गोल्डन चान्स था, मैंने इसके लिए एक प्लान बनाया और उसी के मुताबिक रात को छत से आते वक्त मैं सीढ़ियों से फिसल गई और ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला कर रोने लगी।

पंकज दौड़ता हुआ आया और मुझे उठाकर पूछने लगा कि कही चोट तो नहीं लगी।
तो मैंने बताया कि घुटने और कमर में मोच आ गई है, तो वो डॉक्टर के पास जाने के लिए कहने लगा, लेकिन मैंने कहा कि ऐसे ही ठीक हो जायेगा।

उसने मुझे दर्द की गोली दी और मुझे लिटा दिया, लेकिन रात को 10 बजे मैंने भाई को बुलाया और उसे मालिश करने के लिए कहा तो उसने हाँ कर दिया और किचन में तेल लेने चला गया।

मैंने उस दिन सूट और खुली वाली सलवार पहन रखी थी।
मैंने कहा कि मेरे घुटने और कमर की मालिश कर दे!

वो आकर मेरे पास बैठ गया, मैंने अपनी सलवार को घुटने के ऊपर तक उठा लिया और भाई मालिश करने लगा तो मुझे बहुत मज़ा आने लगा।
फिर मैंने कहा- भाई, थोड़ा और ऊपर तक कर!
वो अपना हाथ मेरी जाँघ तक लाकर मालिश करने लगा।

मैंने जब तिरछी नज़रो से देखा तो वो मेरी गांड को घूर रहा था और उसके पजामे में बहुत मोटा टेंट बना हुआ था।
मेरी तो चूत टपकने लगी थी।

फिर मैं ऊपर कमर करके लेट गई और उसे कमर की मसाज करने के लिए कहा तो वो तुरंत बोल पड़ा कि उसके कपड़े गंदे हो जायेंगे। तो मैंने कहा कि भाई शर्ट पजामे को उतार दे और फिर मालिश कर!
तो उसने सुनते ही अपना पजामा हटा दिया और मेरे पास आ गया।

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मैंने अपना शर्ट और ब्रा स्ट्रिप्स तक हटा लिया और उसे इशारा किया, वो तो जैसे इस पल के लिए तड़प रहा था, अपने हाथ में तेल लेकर मेरी कमर पर मलने लगा तो मेरे मुँह से आह्ह्ह निकल गई।

उसने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- आराम मिल रहा है, भाई ऐसे ही कर!

फिर वो अपना हाथ मेरी ब्रा तक लाने लगा और कहने लगा- शिखा तेरी ये अटक रही है!
मैं- क्या भाई?
पंकज- ये बनियान!

मैं- इसे बनियान नहीं कहते हैं।
पंकज- तो क्या कहते हैं?
मैं- भाई, इसे ब्रा कहते हैं।

पंकज- तो ये मालिश करने में अटक रही है।

फिर मैंने अपनी ब्रा का हुक खोल कर उसे हटा दिया और उसे लगातार मालिश करने का इशारा किया।

वो मेरे कूल्हों को टच करने लग गया और ऊपर मेरे बूब्स पर उंगलियां लगाने लगा।

मैं- भाई, थोड़ा बीच में कमर पर करो, आराम मिल रहा है।
पंकज- मुझसे ऐसे नहीं हो रहा, उसके लिए तेरी कमर के दोनों तरफ पैर रखने पड़ेंगे।

मैं कुछ सोचते हुए- तो रख लो!
उसने अपने दोनों पैर मेरी कमर के दोनों तरफ रख लिए और मालिश करने लगा।

‘आआहह… बहुत आराम मिल रहा है भाई ऐसे ही करो!’
वो मेरे कूल्हों पर बैठ गया और उसका लंड मेरी मोटी गांड में अटकने लगा, मैं तो जैसे मर रही थी, मेरा मन कर रहा था कि वो अभी अपना लंड मेरी चूत में पेल दे और खूब चोदे, लेकिन ऐसा नहीं हो सकता था।

वो अपना हाथ ऊपर से लेकर नीचे मेरी गांड तक लाता था और जब हाथ ऊपर जाता तो उसका लंड मेरी सलवार में से अंदर घुसा जा रहा था।

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उसने अपने लंड को शायद मेरी गांड के छेद पर सेट कर दिया था और हल्का-हल्का पुश करने लगा था।
फिर मैंने अपनी गांड को थोड़ा और ऊपर उठा लिया तो भाई का लंड मेरी सलवार के ऊपर से चूत को टच होने लगा और आआहह के साथ में झड़ गई।

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