Bhai Se Chut Chudwai Bahana Bana Kar

मेरी चूत फड़कने लगी थी और पंकज के लंड को भी गीलेपन का एहसास होने लगा था।

फिर मेरी आँखें थोड़ी देर के लिए बंद हो गई और मैं सो गई, फिर मुझे सोती देख भाई भी चला गया।

अगले दिन भाई मेरे लिए चाय लेकर आया और मुझे देखकर मुस्कुराने लगा, वो चाय देकर कॉलेज चला गया और दोपहर को घर आया तो वो होटल से खाना लाया था।

उसने मुझे उठाकर खाना खिलाया और पूछा कि अब दर्द कैसा है?
मैंने कहा- कल की मालिश से बहुत आराम मिला है।
पंकज- ठीक है, मैं आज भी मालिश कर दूँगा और सारा दर्द ठीक हो जायेगा।
मैं- ठीक है भाई!

चूत चुदाई की तैयारी
फिर रात हुई और मैंने जानबूझ कर आज घुटनों तक की लम्बाई की स्कर्ट पहनी और ऊपर टॉप पहना और अंदर मैंने ब्रा और पेंटी नहीं पहनी।

वो रात को दस बजे रूम में आया, तो मैंने दर्द का नाटक किया और उसे मालिश करने के लिए कहा तो वो तुरंत कटोरी में तेल ले आया।

आज उसने शॉर्ट और ऊपर बनियान पहन रखी थी, उसका लंड आज अलग ही शेप में दिख रहा था, शायद उसने भी आज अन्दर अंडरवियर नहीं पहना था।
वो मेरे घुटने की मालिश करने लगा और मैं पेट के बल लेट गई और वो मेरी स्कर्ट को धीरे-धीरे ऊपर करने लगा और मालिश करने लगा।

मैं फिर से तड़पने लगी। अब मेरी मोटी गांड का उभार दिखना शुरू हो गया था। मैंने जब उसकी तरफ देखा तो वो मेरी गांड को ललचाई नज़रों से देख रहा था।

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मैंने अपनी आँखें बंद कर ली और हल्के-हल्के से कराहने लगी, अब उसकी उंगलियाँ मेरे कूल्हों की लाईन को छूने लगी थी। उसे पता चल गया था कि मैंने पेंटी नहीं पहनी है।

अब फिर मैंने उसे अपनी कमर की मालिश करने को कहा तो उसने मेरा टॉप ऊपर कर दिया, वो भी मेरी गर्दन तक और अब टॉप सिर्फ़ मेरे बूब्स में अटका हुआ था।
फिर भाई पूरी कमर पर हाथ फेरने लगा और नीचे मेरी स्कर्ट को भी नीचे सरका कर गांड को छूने लगा।

अचानक से लाईट चली गई और पूरे कमरे में अंधेरा हो गया।
पंकज- मोमबत्ती जला दूँ क्या?
मैं- नहीं रहने दो भाई, वैसे भी मालिश ही तो करनी है तो ऐसे ही कर दो!

अब वो मेरी कमर के दोनों तरफ पैर रखकर बैठ गया और पूरी कमर को अपने हाथों से मालिश करने लगा।

वो आज मेरे कूल्हों के थोड़ा नीचे बैठ गया और धीरे-धीरे ऊपर होने लगा, उसका लंड अब मेरी स्कर्ट के ऊपर से सीधा मेरी चूत को खटखटाने लगा।

फिर मैंने अपने कूल्हों को थोड़ा ऊपर की तरफ उछाल दिया और मज़े लेने लगी, भाई के बार-बार ऊपर नीचे होने से मेरी स्कर्ट ऊपर होने लगी और मेरी पूरी गांड नंगी हो गई।

अब तो मुझसे सहन करना मुश्किल हो रहा था और शायद भाई से भी सहन करना मुश्किल हो गया था, फिर उसके मुँह से भी एक हल्की सी आहह निकली।

मैंने महसूस किया कि अब वो एक हाथ से मेरी चूचियों को छू रहा है।
मैं सोच में पड़ गई कि इसका दूसरा हाथ कहाँ है।

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अचानक ही मुझे कुछ गर्म हार्ड और मोटा सा अपनी गांड पर महसूस हुआ मेरे तो तोते उड़ गये थे।
मुझे समझने में देर नहीं लगी कि पंकज का दूसरा हाथ कहाँ था और मेरी गांड पर क्या टच हो रहा है?

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