Bhabhi Sang Meri Antarvasna Part-2

उत्तेजना से मेरा तो बुरा हाल हो रहा था और तभी भाभी ने मेरी तरफ करवट बदल ली और भैया का नाम लेकर मुझसे लिपट गईं।

भाभी ने अपनी एक जाँघ मेरी जाँघ पर चढ़ा दी और एक हाथ से मुझे खींच कर अपने शरीर से चिपका लिया। मेरी और भाभी की लम्बाई समान ही थी.. इसलिए मेरा चेहरा भाभी के चेहरे को स्पर्श कर रहा था और भाभी कि गर्म सांसें मेरी साँसों में समाने लगीं।

मेरे लिए यह पहला अवसर था कि मैं किसी औरत के इतने करीब था।
भाभी के उरोज मेरे सीने से दब रहे थे और मेरा लिंग बिल्कुल भाभी कि योनि को छू रहा था।

मैं यह सोचने लगा कि भाभी कहीं जाग तो नहीं रही हैं और वो भैया का बहाना करके ये सब कर रही हों..और ये भी हो सकता है कि भाभी सपने में ही ये सब कर रही हों.. मगर कुछ भी हो मुझे तो बहुत मजा आ रहा था।

अब तो उत्तेजना से मैं पागल हो रहा था।

एक बार फ़िर से भाभी ने ‘आह..’ भरते हुए भैया का नाम लिया और मुझे बाँहों में भर कर सीधी करवट बदलते हुए मुझे अपने ऊपर खींच लिया।

अब मैं भाभी के ऊपर पहुँच गया था और मेर शरीर भाभी के मखमल की तरह मुलायम शरीर को स्पर्श कर रहा था। भाभी के नर्म और मुलायम उरोज मेरे सीने से दब रहे थे और मेरे लिंग को भाभी सुलगती योनि की गर्माहट महसूस हो रही थी।

मैं इतना उत्तेजित हो गया कि भाभी के शरीर के स्पर्श से ही मेरा रस स्खलित हो गया और मेरा लिंग ढेर सारा वीर्य उगलने लगा.. जिसने मेरे कपड़ों के साथ साथ भाभी की भी पैन्टी को भी गीला कर दिया और तभी अलार्म घड़ी बजने लगी।

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आह.. इस साले अलार्म को भी अभी ही बजना था.. मन में खीज भी थी और कुछ आनन्द भी था।

अगले भाग में देखते हैं कि भाभी के संग मेरी इस अन्तर्वासना का क्या हश्र हुआ।

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