अब तो मुझमे भी थोड़ी सी हिम्मत आ गई.. मैं सोने का नाटक करते हुए करवट बदल कर भाभी से बिल्कुल चिपक गया और एक हाथ भाभी के उरोजों पर रख दिया व दूसरे हाथ से अपने लिंग को सहलाने लगा।
भाभी के नर्म उरोज ऐसे लग रहे थे मानो मैंने अपना हाथ मक्खन पर रखा हो। मुझे डर लग रहा था कहीं भाभी जाग ना जाएं और मेरा दिल डर के मारे जोरों धक-धक कर रहा था.. मगर फ़िर भी मैं धीर-धीरे भाभी के उरोज को सहलाने लगा।
मैं पहली बार किसी के उरोज को छू रहा था। भाभी के नर्म मुलायम उरोजों के अहसास ने मुझे इतना उत्तेजित कर दिया कि मेरा कपड़ों में ही रस स्खलित हो गया.. जिससे मेरा हाथ और कपड़े गीले हो गए।
मैं डर गया कहीं भाभी को ये बात पता ना चल जाए.. इसलिए मैं जल्दी से करवट बदल कर सो गया और पता नहीं कब मुझे नींद आ गई।
अगले दिन मेरी भाभी से बस एक-दो बार ही बात हो पाई क्योंकि मेरी मम्मी की तबियत खराब थी इसलिए भाभी दिन भर मम्मी के ही पास रहीं।
रात को जब मैं पढ़ाई कर रहा था तो करीब साढ़े ग्यारह बजे भाभी कमरे में आईं.. और मुझसे कहने लगीं- तुम्हें पता है ना कल पापा जी.. मम्मी को इलाज के लिए दूसरे शहर ले जा रहे हैं.. वो शाम तक वापस आएंगे.. इसलिए तुम्हें कल स्कूल नहीं जाना है.. नहीं तो मैं घर पर अकेली रह जाऊँगी।
मैंने हामी भर दी।
भाभी ने झीनी नाइटी पहनी
घड़ी में अलार्म भरते हुए भाभी ने एक बार फिर से कहा- तुम्हें कुछ पूछना है.. तो पूछ लो.. नहीं तो मैं सो रही हूँ.. मुझे सुबह जल्दी उठकर मम्मी-पापा के लिए खाना भी बनाना है।
मैंने मना कर दिया।
भाभी ने कहा- तो ठीक है.. तुम एक बार बाहर जाओ मुझे कपड़े बदलने हैं।
मैंने मजाक में कह दिया- ऐसे ही बदल लो ना..
तो भाभी हँसने लगीं और कहा- अच्छा जी.. आजकल तुम कुछ ज्यादा ही बदमाश होते जा रहे हो.. चलो अभी बाहर चलो..
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बाहर करके अन्दर से दरवाजा बन्द कर लिया।
मैं बाहर खड़ा होकर इन्तजार करने लगा और जब भाभी ने दरवाजा खोला तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं.. भाभी ने उस दिन वाली ही नाईटी पहन रखी थी.. जिसमें से उनकी ब्रा-पैन्टी और पूरा बदन स्पष्ट दिखाई दे रहा था।
भाभी बिस्तर पर जाकर सो गईं.. मगर सोते समय आज भी भाभी की नाईटी उनके घुटनों तक पहुँच गई और भाभी की संगमरमर सी सफेद पिण्डलियाँ दिखने लगीं।
भाभी उसे ठीक किए बिना ही सो गईं और मैं फिर से पढ़ाई करने लगा। मगर मेरा ध्यान अब पढ़ने में कहाँ था.. मैं तो बस टयूब लाईट की सफेद रोशनी में दमकती भाभी की दूधिया पिण्डलियों को ही देखे जा रहा था और मेरे लिंग ने तो पानी छोड़-छोड़ कर मेरे अण्डरवियर तक को गीला कर दिया था।
मैं भगवान से दुआ कर रहा था कि भाभी की नाईटी थोड़ा और ऊपर खिसक जाए। इसी तरह करीब घण्टा भर गुजर गया और फिर तभी भाभी ने करवट बदली.. जिस से उनकी नाईटी जाँघों तक पहुँच गई।
शायद भगवान ने मेरी दुआ सुन ली थी। अब तो मेरे लिए अपने आप पर काबू पाना मुश्किल हो गया था। मेरा लिंग अकड़ कर लोहे की रॉड की तरह हो गया था और उसमें तेज दर्द होने लगा था।