Bhabhi Sang Meri Antarvasna Part-2

मैं हाथों से अपने लिंग को मसलने लगा मगर फिर भी मुझे चैन नहीं मिल रहा था.. इसलिए मैं जल्दी से बाथरूम गया और हस्तमैथुन किया.. तब जाकर मुझे कुछ राहत मिली।

मगर जब मैं वापस आया तो मेरी साँस अटक कर रह गई क्योंकि भाभी अब बिल्कुल सीधी करवट करके सो रही थीं.. और उनकी नाईटी पेट तक उल्टी हुई थी। भाभी की दूधिया गोरी जांघें व उनकी लाल रंग की पैन्टी दिखाई दे रही थी।

मेरी सांसें फूल गईं.. और मेरा लिंग फिर से उत्तेजित हो गया।

मैं दबे पांव बिस्तर के पास गया और भाभी की दूधिया गोरी जाँघों को देखने लगा। मेरा दिल डर के कारण जोरों से धड़क रहा था कि कहीं भाभी जाग ना जाएं मगर फिर भी मैं भाभी के बिल्कुल पास चला गया।

अब तो मुझे भाभी की पैन्टी में उनकी फूली हुई योनि व योनि की फ़ांकों के बीच की रेखा का उभार स्पष्ट दिखाई दे रहा था.. जिसे देख कर मुझे बेचैनी सी होने लगी।
मेरा दिल कर रहा था कि मैं अभी भाभी की ये पैन्टी उतार कर फेंक दूँ और भाभी के शरीर से चिपक जाऊँ.. मगर डर भी लग रहा था।
मुझे कल वाला ही तरीका सही लग रहा था.. इसलिए मैंने जल्दी से लाईट बन्द कर दी और भाभी के बगल में जा कर सो गया।

मैं खिसक कर भाभी के बिल्कुल पास चला गया और भाभी की तरफ करवट बदल कर धीरे से अपना एक पैर भाभी की जाँघों पर रख दिया क्योंकि अगर भाभी जाग भी जाएं तो लगे जैसे कि मैं नींद में हूँ। अब धीरे-धीरे पैर को ऊपर की तरफ ले जाने लगा।

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मैंने हाफ पैंट पहन रखी थी और उसे भी मैंने ऊपर खींच रखा था.. इसलिए मेरी भी जांघें नंगी ही थीं। जब मेरी जाँघों से भाभी की नर्म मुलायम जाँघों का स्पर्श हो रहा था.. तो मुझे बहुत आनन्द आ रहा था।

कुछ देर तक मैं ऐसे ही करता रहा और भाभी की तरफ से कोई भी हलचल ना होने पर.. मैंने अपना एक हाथ भी भाभी की नर्म मुलायम गोलाइयों पर भी रख दिया और धीरे-धीरे उन्हें सहलाने लगा.. जिससे मुझे बहुत मजा आ रहा था।

मैं काफ़ी देर तक ऐसे ही लगातार करता रहा.. मगर तभी भाभी हिलीं.. तो मेरी डर के मारे साँस अटक गई।

भाभी की नंगी चूचियाँ
मैंने जल्दी से अपना हाथ भाभी के उरोजों पर से हटा लिया और सोने का नाटक करने लगा। डर के कारण मेरी तो दिल की धड़कन ही बन्द हो गई.. मगर भाभी के शरीर में कुछ हलचल सी हुई.. शायद उन्होंने खुजाया होगा और वो फिर से सो गईं।

मैं काफी देर तक चुपचाप ऐसे ही पड़ा रहा.. मगर मुझे चैन कहाँ आ रहा था इसलिए कुछ देर बाद एक बार फिर से हिम्मत करके भाभी के उरोजों पर हाथ रख दिया..
मगर मैंने जैसे ही भाभी के उरोजों पर हाथ रखा.. तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए..
क्योंकि भाभी की नाईटी के बटन खुले हुए थे और ब्रा भी ऊपर हो रखी थी। मेरा हाथ भाभी के अधनंगे नर्म मुलायम उरोजों को छू रहा था।

भाभी के रेशमी उरोजों के स्पर्श ने मुझे पागल सा कर दिया। मुझे डर तो लग रहा था मगर फ़िर भी मैं भाभी के उरोजों पर हाथ को धीरे-धीरे फ़िराने लगा। काफ़ी देर तक मैं ऐसे ही भाभी के उरोजों को सहलाता रहा.. मगर आगे कुछ करने की मुझसे हिम्मत नहीं हो रही थी।

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