भाभी नंदोई के बीच सेक्स की शुरुआत की कहानी

और फिर नंदोई जी ने बड़े ही रोमांटिक मूड में मेरे हाथों को पकड़ा, और मुझे अपनी बांहों में भर लिया। उन्होंने मुझे अपने हाथों से जकड़ लिया। मैं उनके बदन की गर्मी महसूस कर रही थी। मैंने भी सोचा कि ये मौका अच्छा था। शायद वो समझ गये थे कि मैं बहुत प्यासी थी। और मुझे भी लंड की ज़रूरत थी। फिर उन्होंने मुझे किस करना शुरू किया। और मेरे गाल को काटते हुए मेरे गाल पर पप्पी लेने लगे।

वो धीरे-धीरे मेरे लाल-लाल रसीले होंठों के पास अपने होंठ ले आये, और मेरे होंठो को ज़ोर-ज़ोर से अपने मुंह में खींचने लगे। उनकी जीभ मेरे मुंह में थी, और वो मेरी जीभ को ज़ोर-ज़ोर से चूस रहे थे। मैं अपने नंदोई के सामने पूरी नंगी थी। वो मेरे होंठों को चूस-चूस कर पीने लगे। मुझे बहुत मजा आ रहा था।

मैंने भी उनको अपने पति की तरह बाहों में भर लिया, और उनके थोड़े मोटे होंठों को चूसने लगी। में अपने दोनों हाथों से नंदोई जी के पूरे बदन पर अपने नाख़ून गढ़ा रही थी। मुझे अपने हट्टे-कट्टे बदन वाले नंदोई से लिपट कर अलग ही आनंद मिल रहा था। नंदोई जी के पूरे बदन पर बाल ही बाल थे, और उनका खुरदरा बदन मेरे चिकने नंगे बदन में एक अजीब सी उत्तेजना पैदा कर रहा था।

उनका जोश धीरे-धीरे बढ़ रहा था। हम दोनों एक-दूसरे की बाहों में कसे हुए थे, और बेतहाशा एक-दूसरे को चूम रहे थे। धीरे-धीरे हमारा चुम्बन बहुत गहरा हो गया था। ऐसा लग रहा था कि हम एक-दूसरे के होंठों को खा जायेंगे।

वे मेरे कान और गर्दन पर पागलों की तरह किस करने लगे, और उनका एक हाथ मेरी चिकनी पतली कमर पर चलाने लगे। उनकी गर्म सांसों ने मुझे पागल बना दिया था।

बहुत देर तक मेरे होंठ के पूरे रस को चूसने के बाद नंदोई जी धीरे-धीरे मेरी मुलायम गोल-गोल तनी हुई चूचियों को सहलाने लगे, और फिर थोड़ी देर के बाद अपने हाथ से ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगे। इससे मेरी चूचियों के निप्पल तन गये थे।

चूचियां मसलने से मैं गरम हो गयी थी। अब वो मेरी चूचियों को और जोर से मसलने लगे। मैं चुप-चाप ख़ड़ी हो कर उनसे अपनी चूचियों को मसलवा रही थी। मेरी चूंचियों को मसलते-मसलते उनका लंड खड़ा होने लगा था।

मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। अब वो अपनी एक उंगली और अंगूठे से मेरी निप्पल को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगे। वो जितनी बार मेरी निप्पल को दबा रहे थे, उतनी बार मैं कसमसा रही थी। फिर दबी आवाज में मैं उनसे बोली रही थी-

मैं: धीरे दबाओ नंदोई जी।

तो नंदोई जी धीरे-धीरे दबाने लगे। वो मेरी चुचियों को अपने हाथों से, कभी धीरे-धीरे और कभी ज़ोर-ज़ोर से मसल रहे थे। अब वो एक हाथ मेरे बालों में फेरने लगे, तो मुझ में भी एक जोश आ गया।

मुझे अब थोड़ी सी शर्म आ रही थी, क्योंकी मैं अपने नंदोई जी के सामने पूरी नंगी खड़ी थी। मैंने अपने आपको नंदोई जी के सामने नंगा समर्पण कर दिया था। वो अपने एक हाथ से मेरी चूची दबा रहे थे, और दूसरे हाथ को मेरे सपाट चिकने पेट पर घुमा रहे थे।

फिर वो अपना हाथ मेरी चूत की तरफ ले गये और मेरी चूत में उंगली करने लगे। तो मेरी उत्तेजना बढ़़ने लगी। मेरी चूत रस छोड़ रही थी। मेरी हल्की-हल्की सिसकियां निकलने लगी-

मैं: आहहहह ओऊऊऊ ओह आआआहहहह और तेज आहहह।

फिर उन्होंने मेरा निप्पल अपने हाथ में पकड़ कर जोर से दबा कर देखा, तो उस में से दूध की धार निकली। वो बहुत खुश हुए और फिर दबा-दबा कर मेरे दूध की पिचकारियां अपने जिस्म पर इधर-उधर मारने लगे।

वो बोले: भाभी मेरी पैंट उतारो।

उनकी पैंट में उनका लंड तो पहले से तना हुआ था। मैंने उनकी बेल्ट और पैंट खोल कर उतार दी। नीचे अंडरवियर में उनका लंड अपना पूरा आकार ले चुका था। मैंने झटपट अंडरवियर नीचे उतारा, तो उनका लंबा लंड फूंकार भरता हुआ मेरी आंखों के सामने आ गया।

मैं बोली: अरे वाह, क्या शानदार लंड है नंदोई जी। मोटा मूसल की तरफ बिल्कुल सीधा और लोहे की तरह सख्त।

फिर धीरे से बोली: नंदोई जी ये तो बहुत बड़ा है यार।

तो वो बोले: नाप लो भाभी अपने हाथ से।

मैं बोली: फिर क्या विचार है नंदोई जी?

तो वो बोले: आपको रगड़ना है भाभी। आज आपको असली सुख दूंगा। आज तो मैं आपकी प्यास बुझा दूंगा मेरी जान। आज मैं आपको जन्नत दिखाउंगा।

मैंने नंदोई जी के मोटे लंड को अपने हाथों में लिया, तो उनका मोटा लंड मेरी मुट्ठी में आ गया, और मैं उनके लंड की मोटाई और मजबूती महसूस करके कांप उठी। अपने नंदोई के तगड़े मोटे लंड को अपने सामने देख कर मेरे अरमान जाग उठे थे। उन्होंने बिना समय गवाए तुरंत अपने सारे कपड़े उतार दिए।

उनका लंड मेरे हाथों में आ गया था। मैंने हाथ से लंड का मुआयना किया। सच में उनका लंड बड़ा और सख्त था।

वो मुझसे बोले: कैसा लगा भाभी मेरा लंड?

तो मैं बोली: आपका लंड बहुत बड़ा और सख्त है नंदोई जी।

उन्होंने मुझसे कहा: आज आपकी चूत में अपना पूरा लंड पेल कर फाड़ दूंगा तुम्हारी चूत को। भोसड़ा बना दूंगा इसका भाभी।

दोस्तों मैं उनकी बात सुन कर शरमा गई।

वो बोले: चुदाई का पूरा मज़ा तभी लिया जा सकता है, जब इंसान अपनी शर्म का चोला उतार फेंके, और पूरा बेशर्म बन जाए। यह शर्म तो कुछ देर की है। अभी कुछ देर में आपको जैसे ही गरमी और जोश आएगा, आप मजे लेने लगोगी।

फिर मैं लंड को पकड़ कर ऊपर-नीचे करने लगी। ‌मुझे समझ आ गया कि मेरे पति के लंड से लंबा और मोटा, करीब-करीब 7 इंच का तो ज़रूर होगा, और मोटा भी 3 इंच का होगा।

मुझे डर भी लग रहा था कि इतना बड़ा लंड कैसे लूंगी, और खुशी भी हो रही थी कि कि मुझे मोटा लंड मिला था। उनका लंड पूरा चिपचिपा हो गया था। मैं समझ गयी कि नंदोई के लंड पर मेरे नाम का रस लगा हुआ था। मैं मन ही मन सोच रही थी कि कब नंदोई जी अपने लंड को मेरी चूत में डालेंगे।

फिर उन्होने लंड मुंह में लेने को बोला तो मैं उनके सामने घुटनों पर बैठ गयी, और वो खड़े हो गये। फिर मैं अपने हाथों से उनके घुटनों से होते हुए उनकी जांघों को सहलाने लगी। अब हम दोनों की नज़रे एक-दूसरे से अटक गयी थी और कोई भी नज़र नहीं हटा रहा था।

तो मैं बोली: नंदोई जी, और कितना मजा चाहिए? अब बुझा दूं आपकी प्यास?

फिर मैं लंड को सूंघ कर उसकी खुशबू का आनंद लेने लगी। मैंने अपनी जीभ निकाली और अपने नंदोई के लंड के सुपारे पर फिराने लगी। मेरी इस हरकत से उनकी सिसकारी निकल गई।

मैं उनका लंड मुंह में लेने लगी, लेकिन मैं पूरा लंड अन्दर नहीं ले पा रही थी। तभी उन्होंने पीछे से मेरा सर पकड़ा और लंड को मेरे मुंह में दे दिया। जिससे उनका गर्म लंड मेरे गले तक चला गया। उनका पूरा लंड मेरे मुंह में था। मैं सांस भी नहीं ले पा रही थी। लंड हलक तक गया तो मेरी आंखों में पानी आ गया।…

आपको मेरी यह कहानी कैसी लगी मुझे मेल करके जरूर बताएं। आप सबके प्रत्युत्तर से ही मैं आगे और कहानी लिखूंगी। कोई भी सुझाव आप मुझे मेरी मेल आई पर दे सकते है। मैं आपके मेल का इंतजार करूंगी। मिलती हूं अगली चुदाई की कहानी के साथ

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