भाभी सेक्स स्टोरी के पिछले पार्ट में आपने पढ़ा, की भाभी ने मुझे बातरूम में उनकी चड्डी सूंघते हुए देख लिया था, और फिर मुझे अपने कमरे में आ कर नींद नही आई. अब आयेज-
रात भर मुझे नींद आई. सुबह हम सभी उठे. भाभी किचन में अपना काम कर रही थी. मैं किचन में गया, तो भाभी मुझे गुस्से से देख रही थी. वो बार-बार आँख दिखा रही थी, पर कुछ कह नही रही थी. मैं किचन से बाहर आ गया.
ऐसे ही कुछ दिन निकलते रहे. फिर भाभी ने भी किसी को कुछ बताया नही, तो मेरी भी कुछ हड्द तक हिम्मत बढ़ी. भाभी भी अब नॉर्मल लग रही थी. रात में फिर से वहीं चलने लगा. मैं भाभी के बातरूम में जाने लगा उनकी चड्डी सूंघने के लिए.
पर अब भाभी ने उनकी चड्डी बातरूम में रखना बंद कर दिया था. इससे मैं निराश हो गया था की अब मुझे भाभी की चड्डी सूंघने को नही मिलेगी.
फिर एक दिन मैने हिम्मत करके, जब भाभी किचन में खाना बना रही थी, और घर में कोई नही था, तब मैं भाभी के पास जेया कर खड़ा हो गया. फिर भाभी से उस रात की हरकत के लिए सॉरी बोला. भाभी तोड़ा गुस्सा हो गयी, और कहने लगी-
भाभी: कब से कर रहे थे वो काम? तुम्हे शरम नही आई तुम मेरी चड्डी सूंघते हुए?
मैने नीचे गर्दन करके सुनता रहा और फिर बोला: भाभी ग़लती हो गयी. अब से नही करूँगा. (और मेरे मूह से निकल गया) भाभी जब आप अपने कपड़ों के अंदर हाथ डाल कर चिल्ला रही थी, तब मैने देख लिया था. उस वक्त मैं ऑफीस से जल्दी आ गया था, तो आपके रूम से आवाज़ आई, और मैं देखने लगा.
भाभी शॉक हुई, और तोड़ा सा घबरा गयी: तूने मुझे देखा था? तूने किसी को कुछ बताया क्या?
मैने कहा: नही, मैने किसी को कुछ नही बोला. पर आप ऐसा करोगी सोचा नही था.
भाभी शर्मा गयी और कहने लगी: देख किसी को भी मत बताना मैं क्या कर रही थी. नही तो सब मेरे बारे में क्या सोचेंगे? वो तो तेरे भैया नही थे, तो मेरा मूड खराब हो गया था. इसलिए मैने वो कर लिया.
मुझे शरारत सूझी, तो मैने भी पूछा: वो क्या कर लिया, तोड़ा ठीक से बताओ?
भाभी गुस्सा करने लगी. फिर मैने बताया: देखो भाभी, गुस्सा होने वाली बात नही है. मैं जानता हू भैया डोर है आपसे. आपकी भी कुछ ज़रूरत है. सभी लॅडीस के साथ होता है.
भाभी तोड़ा सा नॉर्मल हुई, और कहने लगी: देख तू किसी को भी कुछ मत बताना. मैं भी कुछ नही कहूँगी किसी को तेरे बारे में, की मेरी चड्डी सूंघ रहा था.
मैने भी ठीक है कहा, और कहा: भाभी अब से आप भी मुझसे कुछ नही च्छुपावगी, और सब कुछ बताॉगी.
उन्होने हा कहा, तो मैने भी मौका देखा और कहा: भाभी आपने आपकी चड्डी बातरूम में रखना बंद क्यूँ कर दिया?
तो भाभी कहने लगी: क्यूँ, फिर से सूंघनी है मेरी चड्डी? ठीक है मैं रख दूँगी, पर आना, और सूंघ कर चले जाना. कुछ करना, या तुम्हारा कुछ भी मेरी चड्डी पर नही पड़ना चाहिए.
कुछ भी से मतलब था की मेरा कम भाभी की चड्डी पर नही पड़ना चाहिए. क्यूंकी वो गंदी हो जाती है सफेद कम से, जो बाद में दिखने लगता है. मैने भी हा कहा की नही गिरेगा कुछ भी.
मैने कहा: पर चड्डी पर तो पहले से ही कुछ सफेद लगा होता है (जब की मुझे पता था की भाभी का प्रेकुं होता था, जिससे एक धब्बा सा बन जाता था).
भाभी ने जवाब दिया: हा कभी-कभी निकल जाता है रात में तुम्हारे भैया को याद करते वक़्त.
फिर मैने भी जवाब दिया: कब-कब निकलता है ये?
भाभी ने कहा: तुझे तो सब पता है. फिर क्यूँ पूच रहा है.
मैं: एक बार आपसे पूछना था.
फिर भाभी ने तोड़ा ऐसे बताया: जब तुमने मुझे वैसे करते देखा था, तोड़ा आता है, और उसमे से कुछ चड्डी में गिर जाता है, जिससे धब्बा बन जाता है.
मैं समझ गया की भाभी कम की बात कर रही थी.
फिर मैने भाभी से कहा: चलो आप खाना बना लो, फिर बात करते है.
तो भाभी खाना बनाने लगी, और मैं जाते हुए उनकी गांद जो थोड़ी उभरी हुई थी, वो देखने लगा. मेरा हाथ मेरे लंड पे जाने लगा, और मैं पंत के उपर से लंड को रगड़ने लगा. भाभी ने मूड के देख लिया था, तो मैं किचन से निकल आया.
बाहर जेया कर मैने सोचा यार भाभी ने देख लिया की मैं उनकी गांद देख के लंड पर हाथ फेर रहा था, तो कुछ सोचेंगी तो नही? मैने सोचा चलो अछा है, सोचे तो हो सकता है इसमे मेरा कुछ भला हो जाए. भले से पता है आपको मैं भाभी की गांद में लंड डालने के बारे में सोच रहा था.
मेरी पंत में लंड खड़ा हो गया सोच-सोच कर. फिर मैं बातरूम में गया, वो भी भाभी के बातरूम में. वहाँ उनकी गीली चड्डी तंगी हुई थी. वो मैने उठा ली, और देखने लगा की कहाँ था वो सफेद हिस्सा उनके कम का.
वो मुझे मिल गया जिसमे कम लगा हुआ था. मैं उसे देख कर और सूंघ कर अपना लंड हिलने लगा ज़ोरो से. नाम भी ले रहा था की, “भाभी आओ मेरे लंड को चूसो. मेरा लंड आपकी गांद में डालना चाहता हू. मेरा लंड आपकी छूट में घुसना चाहता है. रात को मत करा करो, मेरे साथ मेरे कमरे आया करो. रात भर आपकी छूट छोड़ूँगा. तुम मेरे लंड पर बैठना और चूड़ना.”
और ये सब सोच कर ही मेरे लंड ने बहुत सारा कम का फव्वारा छ्चोढा जो उनकी गीली चड्डी पर भी और दीवारों पर भी गिर गे. फिर मुझे किसी के आने की आहत सुनाई दी. मैने झट से चड्डी टाँग दी, और बाहर आया. वो भाभी ही थी, जो अपना काम पूरा करके बातरूम जाने के लिए आई थी.
उन्होने मुझे और अंदर देखा, तो दीवारों पर मेरा सफेद गाढ़ा कम दिखा. फिर उनकी चड्डी उठा कर देखी, तो उसपे भी मेरा कम लगा हुआ था.
उन्होने कहा: मैने कहा था की कुछ मत करना. फिर ये क्या किया शिवम तूने? तूने मेरी चड्डी खराब कर दी. अभी धो कर सूकने रखी थी. दीवार भी गंदी कर दी तूने. अब कों धोएगा इसे?
मैने कहा: भाभी गुस्सा मत हो. मैं कर देता. मैं तो बस बातरूम करने आया था. आपकी चड्डी देखी तो कंट्रोल नही हुआ और ये हो गया.
भाभी ने कहा: तू क्यूँ कर रहा है ये सब? अपने कमरे में करा कर ना रात को. क्यूँ आता है मेरे कमरे में?
मैं: भाभी आपकी चड्डी देख के रहा नही गया.
भाभी: तो एक काम कर, यहाँ मत आया कर, और मेरी चड्डी मुझसे माँग के ले जया कर अपने कमरे में. फिर तुझे जो करना है वो तू करके मेरी चड्डी वापस मेरे बातरूम में रख दिया कर.
मैं खुश हुआ की मैं तो यहीं चाह रहा था. मैने ठीक है कहा और जाने लगा.
तो भाभी ने कहा: हो गया तेरा या और करने का मॅन है? तो ले जेया मेरी ये चड्डी, गंदी तो कर ही दी है.
मैने कहा: नही हो गया मेरा.
भाभी: तो अब धो कर भी जेया मेरी चड्डी, जो तूने गंदी करी है, और दीवार भी सॉफ करके जेया.
मैने भाभी की चड्डी उठाई, और देखने लगा की कहा मेरा कम लगा था. फिर भाभी ने कहा की-
भाभी: अब तुझे तेरा निकाला हुआ भी नही दिख रहा. दिखा इधर.
तो मैने चड्डी उनको दिखाई. उसमे बहुत ही गाढ़ा मेरा माल लगा हुआ था.
भाभी: इतना सारा और इतना गाढ़ा!
उनकी आँखें फाटती रह गयी, और कहने लगी: कैसे निकाला ये तूने?
मैं: भाभी वो बस आपकी चड्डी सूँगते हुए निकल गया.
भाभी: मेरी चड्डी में क्या इतनी खुश्बू आ रही थी, जो तेरा इतना सारा निकल गया?
मैं: सॉरी भाभी.
भाभी: ठीक है धो उसे.
मैं: ठीक है (और ढोने लगा).
भाभी: आचे से धो, कही रह ना जाए. क्यूंकी मुझे वापस पहँनी है वो सूखने के बाद.
मैं: भाभी आपके पास और चड्डी नही है क्या?
भाभी: है तो पर दोनो में च्छेद हो रहे है, इसलिए मैं उनको पहन नही सकती.
मैं: भाभी तो आप नयी लेलो.
बाकी स्टोरी नेक्स्ट पार्ट में.