स्टोरी जिसमे बेटे ने मा को बाप के सामने चोदा

हेलो दोस्तों, मैं मान. आज मैं बतौँगा कैसे मैने सग़ी मा के साथ रात को मज़े किए.

मैं 19 का हो गया था, कद ठीक तक था. 12त ख़तम हो गयी थी. मैं मा को बिके पर लेकर नानी के घर आया था. क्यूंकी नानी बीमार थी, और उनका ख़याल रखने वाला कोई नही था, सिवाय बुड्ढे नाना के.

शाम को हम वाहा पहुँचे. फिर मम्मी खाना बनाने लग गयी. खाना खा कर मैं नणु वाले कमरे में सोने चला गया. नणु बेसूध सोए थे. फोन में आज मा बेटे की चुदाई देख रहा था. मेरे मॅन में भी ख़याल आया जब मा खाना बना रही थी, तो उनके बूब्स देखे.

पहले मा का हुस्न पढ़ो. वो 39 की हो कर भी सेक्सी लगती थी, ख़ास कर निघट्य में. उनके बूब्स जीतने दिखे दूध जैसे और मोटे थे शायद 34″ के थे. गांद तो 36″ की थी. तभी लाइट चली गयी. गर्मी और मच्छर तो गाओं में थे ही.

नणु को तो आदत थी, लेकिन मैं बाहर निकला. नीचे कमरे में इनवरटर था जिसमे मम्मी सोई थी. यही एक ऑप्षन था अब. मैं दरवाज़ा खोल कर अंदर गया. मा तभी उठी और बोली-

मा: लाइट चली गयी? चल मेरे साथ बेड पे सोजा.

मान: आपके साथ?

मा: छ्होटे होते भी तो मेरे साथ ही सोता था.

हम दोनो लेट गये. बेड चौड़ा कम था तो मा के साथ लग कर सोया. तभी मा की तरफ करवट ली तो उनके मोटे बूब्स लगे.

मा: कोई नही जगह कम है. याद है तू छ्होटा होता बूब्स छ्चोढता ही नही था. सारा दिन बस दूध पीना था तुझे. भूखद था तू ( हेस्ट हुए).

मैं: हा!

मा: दूध एक बूँद नही छ्चोढता था. दर्द हो जाते थे मेरे बूब्स.

मान: हा मुलायम और मोटे है.

मा: चल पागल, तू भी ना.

फिर मा आँखें बंद करके सोने लगी.

मैं खुद से बोला: मान बेटे, आज मौका है, कुछ करू या नही? लेकिन अगर मा उठी तो? नही धीरे-धीरे आराम से टच करूँगा.

फिर मैने धीरे से मा का बूब दबाया. मा ने कोई रेस्पॉन्स नही दिया. अब मैने मूह लगाने की हिम्मत की. पहले हाथ फेरने लगा, जिसमे मज़ा आ गया. पहले एक बूब दबाया, फिर दोनो. तब एहसास हुआ की इन बूब्स में मेरा बचपन गुज़रा था, और मैं कितना खुश-नसीब था.

मा अब गरम साँसे छ्चोढ़ रही थी. मैं समझ गया की वो भी उत्तेजित हो चुकी थी. फिर क्या था. अब उंगली से उनके बूब पर निपल ढूँढने लगा. निपल मिलने पर उसे मैने छेड़ना शुरू किया. फिर ग़लती से उत्तेजित हो कर मैने निपल ज़ोर से खींच दिया.

मा: आ! क्या कर रहा है?

मान: करने दो ना.

मा: शरम कर, मैं तेरी मा हू.

मान: आज करने दो, सिर्फ़ अभी के लिए.

मैं कामुक हो गया था बड़े स्टान्नो को देख. वो मेरे हाथ में भी नही आ रहे थे. मैने मा के दोनो बूब्स को ज़ोर से सहलाया. मा भी मेरी तरफ देख मुस्कुराइ और सिसकारियाँ लेने लगी.

मा: आह उऊफ़ एम्म.

मैने बटन खोल मा की छ्चाटी नंगी कर दी. इससे उसके बूब्स खुल गये. नज़ारा हसीन था. बूब्स थोड़े ढीले थे, पर गोरे और बड़े थे. फिर मैं मा के निपल्स चूसने लगा. पुर बूब को चाटने लगा और दूसरे को दबाने लगा. मा भी मेरा सर सहला कर साथ दे रही थी. फिर मैने उनकी निघट्य पूरी नीचे कर कमर सहलाई. अब उनकी गांद पर हाथ फेरा.

मा: आ जल्दी करना, कही मा ना आ जाए.

मैने उनकी गांद दबाई बूब्स चूस्टे हुए. अब मैने मा को सीधा किया, और उनके पाजामे में हाथ डाल उनकी छूट का च्छेद ढूँढने लगा. पर पाजामा टाइट था तो हाथ ज़्यादा अंदर नही गया. मा ने भी पाजामा पकड़ उठा दिया, ताकि मुझे छूट मिल जाए.

छूट बालों से भारी थी, और च्छेद मुश्किल से मिला. बाल हटा कर च्छेद में दो उंगलियाँ घुसा दी. एक बार में ही उंगलियाँ गहराई में चली गयी.

मा: कुत्ते ये मत कर, मा हू मैं तेरी आ.

बूब्स चूस्टे हम दोनो ने करीब 30 मिनिट मज़े किए. मा अब थोड़ी गरम हवा छ्चोढ़ रही थी, और कमर हिला रही थी, और गांद उठा रही थी.

मैं समझ गया की मा झड़ने वाली थी. मैने ज़ोर से छूट सहलाई, और मा ने पूरा पाजामा गीला कर दिया. मैं उनकी टाँगो में लेट कर काफ़ी देर उनके बूब्स चूज़. फिर हम दोनो सो गये. उस रात से मा मुझसे शरमाने लगी.

मेरा मा का बूब्स चूसने का सपना पूरा हो गया था. मैं हैरान भी था की 19 साल के लड़के ने 39 की उमर की मा की छूट में उंगली की. मा ने भी माना नही किया. शायद उन्हे भी मज़ा आया था. वो रात मेरी हसीन रात हो गयी.

अब जब भी मॅन करता मा को पकड़ता और बूब्स चूस्टा था और कमर को छेड़ता था. छूट में उंगली, और जीभ से भी चाट लेता था. गांद पकड़ कर मुश्किल से वो लंड रगड़ने देती है. बस छोड़ने की आक्टिंग कर मॅन खुश करता था. लेकिन मैं खुश था.

जब तक झाड़ता नही मैं उनको धक्के मारता था. एक बार मा झाड़ू लगा रही थी. सामने पापा टीवी पर मॅच देख रहे थे. मा की गांद उस दिन मस्त थी. झाड़ू करते हुए उन्होने गांद उठा रखी थी. मा का मूड भी अछा था. मा पापा के पीछे झाड़ू लगा रही थी.

मुझसे रुका ना गया. बस पापा का दर्र था. मैने आइडिया लगाया और टीवी का वॉल्यूम बढ़ा दिया. और उनकी ज़रूरत की चीज़े जैसे पानी, बिस्कट, छाई सोफे के पास रख दी. पापा खुश हो गये. मा सोच ही रही थी की मैने चुपके से उनकी गांद पकड़ ली.

मा: कुत्ते, तेरा बाप सामने है.

मान: चुप रहो, आप बस सोफा पकड़ लो.

मैने उनकी पंत नीचे कर पनटी नही उतरी.

मा: अर्रे जल्दी कर (धीरे से).

मैने भी लोवर नीचे कर लंड निकाला और ऐसे ही पनटी भी नीचे कर दी.

मा: नही बेटा.

मान: कुछ नही होगा. प्रेग्नेंट नही होगी.

मैने धीरे से लंड घुसाया. लंड आसानी से गया. फिर मैं धीरे से छोड़ने लगा. सोफा हिल रहा था.

पापा: परेशन मत करो.

मैने चुपके से मा को पकड़ कर पीछे कर दिया. इधर मॅच एंडिंग में था. मैने ज़ोर-ज़ोर से स्पीड बधाई और मॅच एंडिंग में झाड़ गया. फिर मैं लंड निकाल अपने कमरे में दौड़ा. मा पंत उपर करके झाड़ू लगाने लगी. अब जब भी पापा नही करते थे, और मा का मॅन होता था, तो वो मुझसे चुड़वति और दूध पिलाती. धन्यवाद.

यह कहानी भी पड़े  चाची को पाटने की तैयारी की - 1


error: Content is protected !!