बेटे ने दी सारी, मा ने देखा लंड

हेलो दोस्तों, आज मैं आप सब के सामने अपनी एक फॉलोवर की कहानी शेर कर रही हू, जो उसने मुझसे खुल के शेर की. क्यूंकी वो ज़्यादा पढ़ी लिखी नही है, तो उसने मुझे पूरी कहानी खुल के सुनाई, जो मैं लिख रही हू, तो पढ़िए, सुनीता और रॉनी, मा-बेटे की कहानी, और इमॅजिन कीजिए अपनी मा को उस रूप में.

ही, मेरा नाम सुनीता है. मैं बिहार की रहने वाली हू. ज़्यादा पढ़ी-लिखी नही हू. मेरी आगे 45 यियर्ज़ है, और मैं दिखने में बिल्कुल आपकी मम्मी जैसी मोटी, चब्बी, और थोड़ी साँवली सी हू. मेरे बूब्स 34द गोल-मटोल है. मेरी गांद भी आपकी मम्मी की तरह इस उमर में काफ़ी मोटी हो चुकी है. आप लोग इमॅजिन कर सकते हो.

मेरे परिवार में हम बस 4 ही लोग रहते है, मैं, मेरे पति राकेश (50 यियर्ज़), बड़ा बेटा हर्ष (22), और छ्होटा बेटा रॉनी (19). हम एक लोवर-मिड्ल-क्लास फॅमिली है. मेरे पति छ्होटी-मोटी जॉब करते है, पर घर चल जाता है. मेरा बड़ा बेटा जॉब करने दूसरी सिटी में चला गया है, और मेरा छ्होटा बेटा अभी कॉलेज कर रहा है. वो हमारे साथ घर में ही रहता है.

बात कुछ समय पहले की है. मेरे माइके में भतीजे की शादी थी, तो मैने अपने पति से कहा.

सुनीता: सुनिए जी, 2 दिन बाद गुड्डू की शादी है, और मेरे पास पहनने को कोई नयी सारी नही है. एक जोड़ी सारी ला दीजिए.

राकेश: जितना पैसा है सब तुम्हारे बेटे की पढ़ाई में लग रहा है. 1 साल से मैने एक नयी शर्ट नही खरीदी है. तुझे कहा से ला कर डू नयी सारी? पहले ही तेरा मंगलसूत्रा गिरवी रखवा कर इसकी फीस भारी है. मेरे पास कहा से आएगा इतना पैसा?

मेरे पति ने सॉफ-सॉफ माना कर दिया, तो मुझे अपने पुराने कपड़े ही लेकर जाना पड़ा. फिर मेरे पति खुद काम पर चले गये, तो मैं और मेरा छ्होटा बेटा रॉनी ही शादी में गये.

मैं शादी में दिन भर पुरानी सारी पहन कर ही रही. रात को जब सब लोग बारात में जाने को नये कपड़े पहन रहे थे, तो मैं पुरानी सारी में ही थी. तभी मेरा बेटा मेरे पास आया और कहा-

रॉनी: मम्मी, तोड़ा अंदर चलो, कुछ ज़रूरी काम है.

रिश्तेदारो ने हमको एक छ्होटा सा कमरा दिया था. मैं और मेरा बेटा अपना समान वही रखे थे, तो वाहा कमरे में ले-जेया कर मेरे बेटे ने मुझे हाथ में एक थैली दी, और कहा-

रॉनी: मम्मी ये लो! आप ये पहन लो.

सुनिया: ये क्या है बेटा?

रॉनी: आप पापा से बोल रही थी ना नयी सारी नही है. सब लोग यहा नये कपड़े पहने है. आपका भी मॅन नये कपड़े पहनने का है मुझे पता है. तो मैने आपके लिए एक नयी सारी ला कर रख दी थी.

सुनिया: तेरे पास पैसे कहा से आए?

रॉनी: मैने अपने लिए कुछ समान के लिए काफ़ी टाइम से कुछ पैसे जोड़े थे. मैने उससे आपके लिए सारी लेली. चलो अब जल्दी से तैयार हो जाओ, फिर बारात में भी जाना है.

मैं काफ़ी खुश हो गयी, और अपने बेटे के सर पे हाथ फेर दिया. फिर मेरा बेटा बाहर चला गया और मैं कमरे में सारी बदलने लगी. सारी काफ़ी अची थी, मगर उसका ब्लाउस मुझ पे फिट नही आ रहा था, काफ़ी टाइट था. मैं उसके हुक नही लगा पा रही थी, तो मैने अपने बेटे को आवाज़ दी.

सुनीता: रॉनी, अंदर आना बेटा.

रॉनी अंदर आया और उसने कहा: हा मम्मी क्या हुआ?

सुनीता: बेटा ये ब्लाउस तू छ्होटे साइज़ का ले आया है. पीछे से लगाने में मदद कर दे.

मेरा बेटा मेरे पीछे आकर मेरा ब्लाउस लगाने में मदद करता है, और मुझे ब्लाउस पहना देता है. टाइट ब्लाउस में मेरे बूब्स काफ़ी बाहर आ रहे थे. फिर मैने कहा-

सुनीता: बेटा ये ब्लाउस काफ़ी टाइट लग रहा है.

रॉनी: नही मम्मी, आप बहुत सुंदर लग रही हो इसमे.

हम बारात में गये. काफ़ी लोग मेरे बूब्स को घूर रहे थे, क्यूंकी काफ़ी बड़े नज़र आ रहे थे. वाहा तक कर हम वापस अपने कमरे में आ गये.

सुनीता: बेटा आज तेरी वजह से सब के सामने मेरी बेइज़्ज़ती होने से बच गयी.

मैने अपने बेटे को गले लगा लिया, और उसने भी मुझे कस्स कर गले लगा लिया, जैसे वो कब से इसी पल का इंतेज़ार कर रहा हो. मेरे मोटे बूब्स उसके च्चती से चिपके हुए थे. मैने कहा-

सुनीता: चल अब मैं ये नयी सारी बदल देती हू. वरना खराब हो जाएगी.

मैने कमरे में बाग देखा तो मुझे हमारे कपड़े का बाग मिला ही नही.

सुनीता: बेटा हमारा बाग कहा चला गया?

रॉनी: यही तो रखा था?

सुनीता: मिल ही नही रहा.

काफ़ी देर ढूँढ कर बाग नही मिला. मैं परेशन हो गयी.

रॉनी: मम्मी उसमे ज़रूरी समान था क्या?

सुनीता: नही बस तेरे मेरे पुराने कपड़े थे.

रॉनी: चलो फिर रहने दो. कल सुबह सबसे पूछेगे कही कोई ग़लती से अपने पास रख दिया होगा.

सुनीता: अब मैं कपड़े कैसे बदलूँगी? मैं ये नयी सारी में नही सौंगी वरना ये आज ही खराब हो जाएगी.

रॉनी: मम्मी आप इसे उतार कर सो जाओ. वैसे भी बस रात की ही तो बात है.

मैने भी सोचा कों सा मैं किसी गैर मर्द के साथ थी. मैं तो अपने छ्होटे बेटे के साथ थी, तो मैने अपनी सारी उतरी, और ब्लाउस और पेटिकोट में लेट गयी. मेरे बेटे ने भी शर्ट और जीन्स उतरी, और बॉक्सर में लेट गया. कमरा ज़्यादा बड़ा नही था, ज़मीन पे गद्दे लगे थे, और हम आस-पास ही लेते थे. कमरे में धीमी लाइट थी, और हम एक-दूसरे को देख सकते थे. रॉनी ने कहा-

रॉनी: मम्मी जब मैं नौकरी लग जौगा तो मैं आपके लिए नयी-नयी सारी ओर ज्वेल्लेरी खरीडूनगा. आपको खुश रखूँगा.

सुनीता: बेटा पहले आचे से पढ़ाई कर. देख तेरे बड़े भाई ने कम पढ़ाई करी तो दूसरे शहर में छोटी-मोटी नौकरी करनी पद रही है. तू आचे से पढ़ना ताकि सरकारी नौकरी लगे.

टाइट ब्लाउस से मेरे बूब्स में दर्द हो रहा था. मैने पीछे से ब्लाउस का हुक खोल दिया, और ऐसे ही लेट गयी. मैं अपने बेटे के सर पर प्यार से हाथ फेर रही थी.

रॉनी: मम्मी अगर मैं बाहर जौंगा तो आप मेरे साथ चलॉगी ना? मैं अकेले नही रह पौँगा.

सुनीता: हा बेटा, मैं अपने छ्होटे बेटे को ऐसे अकेले थोड़ी रहने दूँगी. मैं भी तेरे साथ चलूंगी.

मैं अपने बेटे के सर पर हाथ फेर रही थी. तभी मेरी नज़र मेरे बेटे के बॉक्सर में गयी. मैने देखा उसका लंड टाइट हो रखा था, जो धीमी लाइट में सॉफ पता चल रहा था. मुझे समझ नयी आया ऐसा क्यूँ हुआ. तो मैने कहा-

सुनीता: चल बेटा अब सो जाते है.

रॉनी: ठीक है मम्मी, सो जाते है.

मेरा बेटा मेरे बगल में सो गया, और उसने एक हाथ मेरे उपर रख दिया. तभी कुछ देर में वो उठा.

रॉनी: अर्रे मम्मी, एक चीज़ तो बताना ही भूल गया.

सुनीता: क्या?

रॉनी ने अपनी पंत की जेब से कुछ निकाला ओर मेरे हाथ में रख दिया. वो मेरा वही मंगलसूत्रा था जो मेरे पति ने गिरवी रखवा रखा था.

रॉनी: अर्रे यार मैं दिन में देना ही भूल गया. मम्मी मैं आपका मंगलसूत्रा वापस लाया हू. पापा ने तो गिरवी रखवा दिया था.

मैं काफ़ी खुश हो गयी थी, और मैने कहा-

सुनीता: बेटा मगर? तेरे पास इतने सारे पैसे कहा से आए? इसके तो बहुत पैसे लिए थे तेरे पापा ने.

रॉनी: मम्मी मैने कॉलेज में एक कॉंपिटेशन जीटा था. उससे जो पैसे मिले थे, वो बचा कर रखे थे. क्यूंकी मुझे आपका मंगलसूत्रा लाना था.

मैने अपने बेटे को टाइट हग कर दिया. मेरी आँखों में आँसू थे. मैं भूल गयी थी की मेरा ब्लाउस ज़मीन में गिरा हुआ था, और मैं सिर्फ़ ब्रा और पेटिकोट में थी. मैने अपने छ्होटे बेटे को कस्स कर टाइट हग कर लिया.

रॉनी: मम्मी मैं हमेशा आपको सजी-धजी देखना चाहता हू. आप बहुत सुंदर हो, पर पापा आपको ना कपड़े देते है, ना गहने. पर मैं आपको हमेशा सज़ा कर रखुगा, जितनी सुंदर हो उतनी ही दिखोगी.

सुनीता: बेटा काश इतना मेरे बारे में तेरे पापा सोचते.

मैं रो रही थी. मैने अपने बेटे को टाइट हग किया हुआ था. मैं रोते-रोते बोली-

सुनीता: इतना तो तेरा बड़ा भाई भी मेरे बारे में नही सोचता. जितना पैसा कमाता है, सारा जाने कहा उड़ा देता है.

रॉनी: भैया तो सारी कमाई अपनी गफ़ में उड़ा देते है मम्मी. मगर मुझे पता है की मम्मी सबसे पहले होती है, बाद में सब.

मैं ब्रा में ही थी, और मेरे दिमाग़ में ये बात थी ही नही की मेरा ब्लाउस गिर चुका था. फिर मैने कहा-

सुनीता: बेटा पुर 2 साल से मैं बिना मंगलसूत्रा के रही. लोगों ने कितनी बेइज़्ज़ती की मेरी. आज जाके मैं खुश हू.

रॉनी: लाओ मम्मी मैं आपको मंगलसूत्रा पहना देता हू.

मेरे बेटे ने मुझे गले में मंगलसूत्रा पहनाया. मैं काफ़ी खुश थी. मेरी आँखों के आँसू चेहरे पर थे. उसने मेरे गाल से आँसू सॉफ किए और मेरे गाल पे किस किया.

इसके आयेज की कहानी अगले पार्ट में पढ़े. और कॉमेंट करके ज़रूर बताए कहानी कैसी लगी.

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