पिछले पार्ट के एंड में-
मैं अपने कमरे में चला गया, और सेक्सी मा की कहानी पढ़ने लगा. रात भर अपने मा-पापा के बारे में सोचते-सोचते मेरी कब आँख लगी, मुझे पता ही नही चला.
अब आयेज.
सुबा मेरी नींद खुली 8 बजे. मेरे रूम में एक विंडो था, जहा से सूरज की किरण मेरी आँखों में पद रही थी. इससे मेरी आँखें हल्की खुल गयी.
मैने देखा की मा मेरे रूम में झाड़ू लगा रही थी. उस टाइम उन्होने ब्लू कलर की सारी पहने हुई थी, और वो झुक कर झाड़ू लगा रही थी. वो एक तरफ मूह करके झाड़ू लगा रही थी. तब मैं उनकी बड़ी गांद को निहार रहा था.
मा पीछे से बवाल दिख रही थी. जब वो मेरी तरफ मूह करके झाड़ू लगती, तो उसके बड़े-बड़े बूब्स लटक रहे थे, और जब वो आयेज बढ़ती, तो उसके बूब्स झुकते रहते थे.
ये सब देख कर मेरा लंड खड़ा हो रहा था. पर इसके बारे में मेरी मा को बिल्कुल भी भनक नही थी. मैं उनको अपनी हल्की आँखों से घूरते जेया रहा था. मेरा लंड बड़ा होता जेया रहा था.
उसी समय मेरी मा की नज़र मेरे लंड पर पड़ी. वो मेरे लंड को अनदेखा कर-कर के देख रही थी, और झाड़ू लगाने की स्पीड कम करके धीमे-धीमे लगा रही थी.
उनको लग रहा था मैं सोया हुआ था अब भी. फिर उन्होने मेरे पास आकर झाड़ू लगाना शुरू कर दिया.
उन्होने झाड़ू लगाना बंद किया, और वो खड़े होकर मेरे लंड को घूर कर देखने लगी. फिर थोड़ी देर बाद पता नही उनको क्या लगा, की वो मेरे पास आई और बोली-
मा: चिकू मेरे लाल, उठ जेया अब.
मैं सोने का नाटक करते हुए: हा कों, हा मा, उठ रहा हू.
मा: जल्दी उठ जेया बेटा, और फ्रेश हो कर नाश्ता कर ले.
मैं: हा मा, बस थोड़ी देर और, फिर मैं उठ जौंगा.
मा: नही बेटा, काफ़ी टाइम हो गया है. देख घड़ी में 8 बाज रहे है. चल अब जल्दी उठ जेया.
मैं सोने का नाटक कर रहा था. इतने में मेरी मा मेरे और करीब आई, और मेरे हाथो को खींच कर अपनी तरफ खींचा, और मुझे झटके से उठा लिया. मैने भी अब अपनी आँखें खोल दी, और मैं अपनी मा को देख रहा था.
वो भी मुझे देख रही थी. माहौल एक-दूं शांत था. हम एक-दूसरे को देखे जेया रहे थे. फिर मेरी मा ने मुझे अपनी बाहों में लिया, और मेरे माथे पर एक छ्होटा सा चुंबन दिया. उस वक्त मेरा एक हाथ मेरी मा की कमर पर था.
उनकी मोटी कमर से मेरी उत्तेजना बढ़ती जेया रही थी, और चेहरा लाल होते जेया रहा था.
मा ने कहा: अब उठ जेया बेटा, बहुत देख लिया मुझे. जेया फ्रेश होज़ा, तब तक मैं तेरे लिए नाश्ता रेडी करती हू.
ऐसा बोल कर मुझे छ्चोढा और जाने लगी.
जब वो जेया रही त, तब मैं उसके तुमकती और नाचती हुई गांद को देख रहा था, और कल की बीती रात को याद कर रहा था, की क्या देखा था मैने कल रात में.
मैं फ्रेश होने बातरूम में गया, तो मेरे दिमाग़ में बस उनके झूलते हुए बूब्स और वो बड़ी सी गांद ही नज़र आ रही थी. फिर अचानक से मैने सोचा, की ये मैं क्या कर रहा था. मैं अपनी ही मा के बारे में इतनी गंदी सोच रख रहा था.
मुझे अजीब सा लगा, और मैं झटपटा गया. फिर मैं बातरूम से फ्रेश हो कर बाहर आ गया. मैं बाहर आया तो नाश्ता मेरे सामने रखा था. मेरी मा पास आ कर बैठ गयी, और बोली-
मा: मैने तेरा आज फॅवुरेट नाश्ता आलू परानते और छ्होले बाँये है. खा कर बता कैसा है टेस्ट.
मैने एक टुकड़ा परानते का लिया और खा कर बोला-
मैं: अब भी वही स्वाद है मा, जैसे की पहले लगता था. मुझे तो ऐसे लग रहा था, की मैं तो आपके हाथो का स्वाद ही भूल गया था.
मा: हा बेटा, तू यहा आया है ना, तो रोज़ तू जो बोलेगा वो मैं ला कर तुमको दूँगी.
मैं (संकोच से): जो भी बोलू वो डोगी?
मा: हा बेटा, जो तू बोल वो दूँगी.
मैं: ठीक है, मा मुझे जब वो चाहिए रहेगा तो आप से माँग लूँगा.
मा: क्या वो?
मैं: जो मुझे चाहिए रहेगा.
मा: हा ठीक है.
इतने में पापा भी आ गये ग्राउंड से एक्सर्साइज़ करके, और उनके लिए भी मा नाश्ता लेकर आ गयी.
पापा: क्या बात है, आज तो साहब-ज़ादे का फॅवुरेट नाश्ता बना है.
मा: अब वो इतने दिन बाद तो आया है, तो देना तो बनता है.
पापा: अची बात है. कुछ हमारे लिए भी स्पेशल दे दिया करो ( डबल मीनिंग से).
मा ( डबल मीनिंग से): मैं तो रोज़ ही आपको स्पेशल चीज़ देती हू. आप ही हो जिसको स्पेशल चीज़ को ठंडा छ्चोढ़ देते हो.
मैं (कल रात की बारे में सब जानते हुए भी जान-बूझ कर): क्या स्पेशल चीज़ मा?
मा: कुछ नही बेटा, मैं उनको सारी चीज़े स्पेशल ही देती हू ना, इसलिए बोला.
पापा इतना सुन कर चुप हो गये, और बोले: मैं नहाने जेया रहा हू. आप अपने साहब-ज़ादे को नाश्ता कराईए.
और वो नाश्ता करके नहाने चले गये.
मैं (मैने दोबारा से जान कर फिर से पूछा): मा बताओ ना मा, क्या स्पेशल चीज़ है जो मुझे नही दिया आज तक आपने?
मा (मुस्कुराते और शर्मीले मिज़ाज में): कुछ नही बेटा, तू नही समझेगा.
और वो हेस्ट हुए किचन में चली गयी. मैं हॉल से उनको देख रहा था. वो अब भी मुस्कुरा रही थी. इतने में मेरी बेहन अनिता आकर बैठ गयी, और मुझसे बात करने लगी
अनिता: और कैसी रही कल की रात?
मैं दर्र गया था की इसने कही मुझे मा और पापा को सेक्स करते देखते हुए तो नही देख लिया.
मैं: अची थी, रात तो रात जैसे होती है. पर नींद नही आ रही थी मुझे कल.
अनिता: क्यू, किस चीज़ के ख़यालो में खोए हुए थे आप (नॉटी आइ’स)?
मैं (हिचकिचाते हुए): अर्रे बाबा, किसी भी के ख़यालो में नही. बस तोड़ा कल सफ़र के कारण नींद नही आ रही थी.
अनिता: ओह, मुझे कुछ और ही लगा.
मैं: नही-नही.
अनिता: हॉस्टिल में भी ऐसे ही सोते हो देर रात से?
मैं: नही, वाहा जल्दी सो जाता हू.
इतने में वो मेरी टाँग खींचने लगी और कहने लगी: देख के, बाहर शहर जाके कही और दिल मत लगा लेना (हेस्ट हुए).
मैं: नही पागल, मैं वाहा पढ़ने गया हू. ये सब करने नही.
अनिता: अब वो तो आप ही जानो क्या करने गये हो, और क्या नही.
मैं सुन कर दर्रा हुआ था. फिर मैने सोचा की नही उसने शायद मुझे नही देखा. वो मेरी कॉलेज लाइफ को लेकर ऐसा सोच रही होगी.
फिर मेरी बेहन अनिता ने नाश्ता किया, और वो नहाने चली गयी. क्यूंकी उसको कॉलेज भी जाना था. फिर मैं अपने कमरे में चला गया, और बिस्तर पर लेट गया. मुझे दोबारा कल की रात याद आने लगी थी रह-रह कर.
मेरा दिल मचलने लगा था. फिर मैं अपने आप को शांत करने के लिए बातरूम गया, और सेक्स क्लिप देख कर मूठ मार कर वापस आ गया. इससे मुझे तोड़ा सुकून तो मिला, पर मुझे नही पता था की यहा पर मैने मूठ मार कर ग़लती कर दी थी.
क्यूंकी ऐसे ख़याल मुझे बार-बार आने वाले थे, इसका अंदाज़ा मुझे नही था. थोड़ी देर बाद मेरी मा की आवाज़ आई.
मा: चिकू बेटा, मैं नहाने जेया रही हू. अगर तेरी चाची आए, तो उसको फ्रिड्ज में रखा खीरा दे देना.
मैने हा बोल दिया.
मा अब बातरूम में नहा रही थी. उनकी पायल की च्छुन-च्छुन और चूड़ियों की खनकने की आवाज़ मेरे कान से होकर सीधे मेरे लंड की तरफ इशारा भेज रही थी.
मैं खुद को रोक नही पाया, और उनके बातरूम के पास चला गया. फिर मैं दरवाज़े के करीब गया, और उनके नहाते हुए गोरे और नंगे बदन को देखने की इक्चा जागृत हुई.
मैने कान लगा कर ध्यान से सुना, तो मेरी मा की सिसकियों की आवाज़ आई मुझे. इतने में मेरा संतुलन खो गया, और मैं अपने 6 इंच के लंड को मसालने लगा. मुझे याद आया की बातरूम में क्रीम कलर की ग्लॉसी टाइल्स लगी थी.
फिर मैं झुक कर नीचे से देखने लगा. उन टाइल्स में मा का गोरा नंगा बदन हल्का-हल्का दिखने लगा, जिसमे वो खुद के चूचों को साबुन लगा कर मसल रही थी. वो एक हाथ से अपनी छूट में उंगली कर रही थी.
वो अपने आप में बहुत मज़े ले रही थी, और उनकी हल्की-हल्की कामुक सिसकियाँ मेरे लंड को दस्तक दे रही थी. उनकी छूट में छ्होटे-छ्होटे बाल थे, जो बड़े ही खूबसूरत दिख रहे थे.
मैं मेरी मा की टाइट छूट देख कर लंड को मसालने लगा, जिस तरह से वो अपनी छूट को मसल रही थी. मुझे यकीन नही हो रहा था की कोई शादी के बाद से अब तक इतनी बार पापा के साथ सेक्स किया है. फिर भी उनकी छूट टाइट थी.
मैने ये देख कर अपने लंड को ज़ोर-ज़ोर से सहलाने लगा था. जैसे ही मेरा स्पर्म बाहर आने वाला था, उतने में किसी के पैरों की आवाज़ आई, और मैं झटपट लंड मसलना छ्चोड़ कर हॉल की तरफ चला गया. उतने में मेरी चाची ने आवाज़ दी-
चाची( राधिका): चिकू कहा हो?
मैं दौड़ कर गया और बोला-
मैं: हा चाची.
चाची( राधिका): बेटा मम्मी ने कुछ देने को बोला था?
मई: हा चाची, आप बैठो मैं लेकर आता हू.
मैं अंदर गया और फ्रिड्ज से खीरा निकाल कर ले आया. फिर मैने चाची से कहा-
मैं: ये लो चाची, आपका खीरा.
चाची: मा कहा है?
मैं: वो नहाने गयी है. उन्होने मुझे ये आपको देने को कहा था.
चाची: ह्म.
मैं: वैसे चाची आप इस खीरे का क्या करने वाले हो (मस्ती मज़ाक के मूड में)?
चाची: मैं इस खीरे को अपने लिए ले जेया रही हू.
मैं: अपने लिए, वो कैसे? आपको इसकी क्या ज़रूरत पद गयी?
चाची: वो क्या है ना, की मुझे खीरा बहुत पसंद है. इसको खाने में भी बहुत फ़ायदा मिलता है, और लगाने में भी.
मैं (शॉक होके): इसको कहा लगते है?
चाची: इसको आँखों में लगा कर रखते है ना, तो इससे आँखों के नीचे के डार्क सर्कल्स चले जाते है.
मैं: ओह, ऐसा है? मुझे लगा…
चाची: क्या? तुझे क्या लगा?
मैं (हिचकिचाते हुए): कुछ नही, मैं वो बस यू ही.
चाची: अछा ठीक है. मैं जेया रही हू. मा आए तो बताना मैं अपना समान ले गयी.
मैने हा बोला, और वो जाने लगी. इतने में मेरा मॅन उनकी गांद को देख कर मचलने लगा. फिर मैने एक-दूं से सोचना बंद किया, की ये क्या हो रहा था मुझे? मैं कैसे ऐसी ग़लत नज़र से सब को देख रहा हू.
फिर मैं ये सब भूलने के लिए और अपने मॅन को शांत करने के लिए बाल्कनी में चला गया. बाल्कनी से अपना मूड ठीक करके मैं वापस आया. मैने देखा की मेरे पापा शॉप जाने के लिए और मेरी बेहन अनिता अपने कॉलेज जाने के लिए रेडी हो कर निकालने वाले थे. फिर पापा ने मुझसे कहा-
पापा: बेटा मैं शॉप जेया रहा हू. गाड़ी की चाबी मैने तुम्हारी मा के कपबोर्ड में रख दी है. तुम बाहर जाना चाहो तो ले जाना.
मैं: ओक पापा.
पापा: तुम शॉप आना चाहो तो आ सकते हो बेटा.
मैं: जी पापा.
पापा: चलो हम अब निकलते है. हमे देर हो रही है.
मेरी बेहन अनिता: चलो भैया, अब हम जेया रहे है. आप आराम से रेस्ट कीजिए. आपको रात में नींद नही आई थी, तो मैं चाहती हू अब वैसा ना हो (हेस्ट हुए).
मैं (मैने उसके गाल में चींटी काटी, और कहा): चल जेया, कुछ भी बोलते रहती है.
फिर मैने पापा और अनिता को अलविदा किया, और वो चले गये. थोड़ी देर बाद मेरी मा बातरूम से नहा कर निकली, और उन्होने वाइट कलर का पेटिकोट पहना हुआ था. उन्होने अपनी ब्रेस्ट को तौलिए से धक कर रखा हुआ था.
इस लिबास में उनका गड्राया पेट मुझे बेकाबू कर रहा था, और उनकी वो हॉट नेवेल, श मी गुडनेस, मेरी तो जान लेने लगी थी. उनके वो लटकते बड़े-बड़े बूब्स मेरी जवानी पर अंगारे की तरह बरसने लगे थे.
वो मेरे सामने अपने बालों को पोंछते हुए निकली, और अपने बालों को झुक कर झाड़ने लगी. उन्होने मुझे देखा तो मैने अपना मूह दूसरी तरफ घुमा लिया, ताकि उनको बुरा ना लगे.
वो अपने कमरे के अंदर गयी, और ब्रा पहनने लगी. मैं च्छूप कर उनका गोरा गड्राया बदन निहारे जेया रहा था. मैने देखा की उनके बड़े बूब्स के कारण उनको ब्रा की हुक लगाने में दिक्कत हो रही थी. फिर उन्होने मुझे आवाज़ लगाई-
मा: चिकू.
मैं (डोर की आवाज़ देकर): हा मा.
मा: बेटा ज़रा अंदर आना.
मैं: हा मा अभी आया.
मैं झट से उनके रूम में चला गया.
मा: बेटा ज़रा मेरी मदद करोगे?
मैं: हा मा बताओ क्या करना है?
मा: मेरी ये ब्रा की हुक नही लग रही है. क्या तुम इसको लगा दोगे?
वो ब्लॅक कलर की ब्रा में थी
मैं (हिचकिचाते हुए): पर मा मैं कैसे?
मा: इसमे क्या शरमाना? मैं तेरी मा हू, कोई दूसरी औरत नही, आकर लगा दे.
मैं: शॉक हो कर.
मा: अब देख क्या रहा है. आ और जल्दी लगा दे.
मैं उनके करीब गया. उनके बदन की खुश्बू में अलग ही बात थी, जो मुझे उनकी तरफ आकर्षित कर रहा थी. मैने अपनी मा के गोरे बदन को और वो भी कम कपड़ो में पहली बार देखा था.
मेरे मॅन में तो मानो लड्डू फुट रहे थे. मैने उनकी पीठ पर हल्का सा हाथ फिराया, और उनकी ब्रा के हुक को पकड़ा. पर मैं इसमे और तोड़ा मज़ा लेने वाला था, इसलिए मैने हुक को लगाने का नाटक किया और मा से कहा-
मैं: मा ये तो बहुत टाइट है.
मा: हा बेटा, पर कोशिश कर. ये फिट हो जाएगा.
मैं: हा मा, कोशिश कर रहा हू. इसमे 3 हुक दिए है, कों से में लगौ?
मा: तीसरे नंबर में लगा दे.
मैने उनसे कहा: मा आपकी ब्रेस्ट बहुत सुंदर और बड़ी है.
इतने में मा का रिक्षन देखने जैसा था. वो एक-दूं से चुप हो गयी, और मुझे मूड कर घूर कर देखने लगी. मैं दर्र गया की कही मेरी मा को इससे बुरा ना लग गया हो. फिर मा ने कहा-
मा: बेटा ऐसे नही बोलते.
मैं: सॉरी मा, मेरा कहने का वो मतलब नही था. मैं तो बस आपकी तारीफ कर रहा था की…
मा: की क्या?
मैं: की आप बहुत सेक्सी लग रही हो.
मा: क्या? ये क्या होता है?
मैं (डरते हुए): इसका मतलब कामुक और सुंदर होता है मा.
मा: ये क्या बोल रहा है. मैं तुझे ऐसी लग रही हू?
मैं: हा मा, आप बहुत सेक्सी लग रहे हो. आप से किसी ने कहा नही क्या?
मा: मुझे ऐसी हालत में किसी ने नही देखा तेरे पापा को छ्चोढ़ करके.
मैं: तो उन्होने आपको ये कभी नही बोला?
मा: नही, तारीफ तो डोर की बात है बेटा. मुझे आचे से देखा भी नही.
मैं: देखा भी नही! इसका क्या मतलब है?
मा: कुछ नही बेटा, ग़लती से मूह से निकल गया.
मा कुछ बोलना चाहती थी, पर वो बोल नही पाई. मैने उनके ब्रा का हुक लगाया, और उनके गले से कंधे तक हल्का सा टच कर दिया. इतने में वो इठला गयी, और मुझसे कहने लगी-
मा: ऐसे किसी औरत को टच नही करते बेटा. अजीब सा लगता है.
मैं: क्या अजीब सा लगता है मा? और वैसे भी मैं तो आपका बेटा हू.
मा: तू नही समझेगा. चल अब तू बाहर जेया, मुझे कपड़े पहनने दे.
मैं बाहर चला आया. जब से मैने मेरी मा को इस हालत में देखा था, तब से मैने सोच लिया था, की मैं इनको अपने बेड में ला कर ही मानूँगा.
मैं अब अपनी मा के साथ सोने और उनको छोड़ने के सपने देखने लगा. इंतेज़ार करने लगा उस दिन का, की कब वो दिन आएगा जब मैं अपनी सेक्सी मा को अपने प्यासे लंड का स्वाद चाखौँगा.
मैने आइडियास सोचने शुरू कर दिए उनको छोड़ने के लिए. मैं इंटरनेट में सर्च करने लगा, की कैसे मैं अपनी मा को छोड़ने के लिए राज़ी करूँगा. शाम और दिन दोनो निकलते जेया रहे थे. लेकिन कोई आइडिया काम नही आ रहा था.
तभी एक दिन की बात है, जब पापा और चाचा दोनो देर रात में आए एक साथ, और मेरे पापा नशे की हालत में घर आए थे. मेरे पापा खुद को संभाल नही पा रहे थे. मैं उस वक़्त बातरूम में था. मेरे चाचा पापा को अंदर ले आए.
मम्मी ने चाचा से कहा: ये क्या कर लिया इन्होने?
चाचा: बहुत दीनो बाद पुराने दोस्त मिले थे भाभी. तो हम सब ने बैठ कर तोड़ा ड्रिंक कर लिया. पर भैया ने कुछ ज़्यादा ही पी ली.
मा: ठीक है भैया. मैं इनको अंदर ले जाती हू, थॅंक योउ.
फिर मेरे चाचा उपर अपने घर में चले गये. मेरी मा ने पापा को अंदर बेड में सुलाया, और कहने लगी-
मा: जब संभाल नही सकते खुद को, तो इतनी पीते ही क्यूँ हो (गुस्से से)?
मैं अपने रूम से बाहर आया, और उनके पास गया. पापा नशे की हालत में थे.
मेरे पापा ने बेड में ही उल्टी कर दी. मा उनको उल्टी करने के लिए बातरूम ले गयी, तब तक मैने उनका बेड सॉफ किया, और बेडशीट चेंज की.
इतने में मेरे पापा को नशा ज़्यादा हो गया था, जिसके कारण मा को हल्का सा धक्का लग गया, और उनकी कमर टेबल से चोट खा गयी. वो गिरने वाले थे. मैने उनकी कमर को कस्स कर पकड़ लिया, और एक हाथ से मेरे पापा की कमीज़ को.
मा भले ही 55 की थी, पर उनका बदन अभी भी नाज़ुक काली जैसा था. ये दूसरी बार था जब मैने अपने मा को ऐसे च्छुआ था, वो भी ज़ोर से. हम दोनो ने उनको बेड में सुला दिया. फिर हम दोनो वही पर बैठ गये.
मैने मा से कहा-
मैं: ये ऐसा होते ही रहता है क्या इनके साथ?
मा: नही बेटा, कभी-कभी आज-कल पीने लगे है. पर पीते है तो बहुत पी लेते है, की खुद को संभाल नही पाते.
मेरे पापा के मूह से दारू की बहुत गंदी बदबू आ रही थी, जिससे मेरी मा का सिर दर्द होने लगा. मेरी मा को दारू की स्मेल से ही उनका सिर घूमने लगता था.
मा: बेटा मेरे सर में दर्द होने लगा है इनकी शराब की बदबू से.
मैं: तो मा आप यहा कैसे सो पाओगे?
मा: मैं अनिता के कमरे में सो जौंगी.
अनिता सो गयी थी और उसका फन ऑफ था, क्यूंकी उसको जल्दी से ही ठंडी लगने लगती थी.
वैसे भी वो दिन बारिश का था, इसलिए वो फन ऑफ करके सोई थी. और मेरी मा को फन के बिना नींद नही आती थी.
मैने मा से कहा: आप मेरे रूम में सो जाओ. मैं हॉल में सो जाता हू.
मा: तुम मेरे कारण परेशन मत हो बेटा. मैं हॉल में सो जाती हू.
मैं: नही मा, मैं हॉल में सो जाता हू. आप आज के लिए मेरे रूम में सो जाओ.
मा: ठीक है बेटा, मैं वही चली जाती हू.
मैं हॉल में सोने चला गया. हॉल की खिड़की खुली होने के कारण वाहा से माक्चर आ रहे थे, और मैं सो नही पा रहा था. इतने में मेरी मा ने मुझे माक्चर मारते हुए सुन लिया और कहा-
मा: तभी मैने तुझसे बोला था, की मैं हॉल में सो जाती हू करके.
मैं: कोई बात नही मा, मैं ठीक हू.
मा: ऐसा कर चिकू तू भी अंदर यही आकर सोजा. वाइसे भी ये बेड बड़ा है.
इतना सुनते ही मुझे मेरी मंज़िल की पहली सीडी मिल गयी, और मैं खुशी-खुशी अंदर चला गया. मा एक तरफ मूह करके सोई थी, और मैं एक तरफ. मुझे मा के बदन की खुश्बू के एहसास के कारण सोच-सोच में नींद नही आ रही थी
तभी अचंक बाहर बारिश शुरू हो गयी, और बदल ज़ोर-ज़ोर से गरजने लगे. और जो फिर हुआ वो शायद उस रात होना मेरे लिए मानो चमत्कार था.
रात में क्या हुआ, ये मैं आपको नेक्स्ट पार्ट में बतौँगा.
ये पार्ट आपको कैसा लगा मुझे कॉमेंट में बताए, और सोच कर बताइए की अब आयेज क्या होगा.
इसके अगले पार्ट के लिए मुझे मैल करे, और बताए ताकि मैं अपनी आयेज की स्टोरी आपको बता साकु.