जैसा की आपने मेरी कहानी के 2न्ड पार्ट में पढ़ा था, की जब जिस्म की प्यास लगती है, तो जिस्म की गर्मी से ही बुझती है. हम मा-बेटा दोनो सो गये. शाम को मेरी नींद खुली. मैने देखा की मा सो रही थी. उनकी निघट्य उनके घुटने से उपर आ चुकी थी.
ये देख कर मेरी बॉडी में अजीब सी लेहायर दौड़ गयी. पर मैं अभी कोई कदम नही उठना चाहता था. तो मैं उठा, धीरे से वॉशरूम में गया, और वियाग्रा की टॅबलेट को तोड़ के पानी की बॉटल में फिरसे मिला दिया और मा को उठाया.
फिर हम लोग फ्रेश हो कर तैयार होने लगे. मा ब्लॅक कलर की सारी और ब्लाउस पहनी हुई थी. बहुत ही तोता और माल लग रही थी वो. उनको पहली बार मैं डीप-नेक ब्लाउस पहने देखा था, और सारी नाभि के नीचे पहनी हुई थी. मैं देखता ही रह गया.
फिर मा ने आवाज़ दी: क्या देख रहा है ऐसे? बता कैसी लग रही हू मैं?
मैं बोला: मा आप बहुत खूबसूरत लग रही हो. आप हमेशा ऐसे ही क्यूँ नही पहनती हो सारी? बहुत ही हॉट लग रही हो आप.
मा शर्मा जाती है, और बोलती है: चुप कर तू, और जल्दी से चलो. फिर आना भी है तेरी भाभी घर से.
मुझे अपनी एमोशन्स पर कंट्रोल नही रहा, और मैने मम्मी को गले लगा कर ई लोवे योउ मा बोल दिया. तो वो तोड़ा अचंभित हुई. फिर उन्होने भी हग किया और लोवे योउ टू बोला. मेरे हाथ उनकी बॅक पर थे. मुझे फील हुआ की उन्होने बॅकलेस ब्लाउस पहना था, वो भी पतली दूरी वाला.
ये फील होते ही मेरा लंड खड़ा हो गया. मुझे तो अभी ही उनको पटक के छोड़ने का मॅन था. बुत हमे निकलना था, क्यूंकी रात का प्लान फैल नही होना चाहिया था. मैने मा को कहा-
मैं: एयेए आप पानी पी लो, मैं बिके माँगा लेता हू.
फिर थोड़ी देर में हम निकले. मा पीछे से पकड़ कर बैठी हुई थी, और हम करीब आधे घंटे में पहुँच गये. हमने पार्टी अटेंड की. मेरी नज़र मा पर ही थी. मैं उनको देख रहा था, और मा भी मुझे ही देख रही थी.
उनकी आँखें अचानक से अजीब सी नशीली दिखने लगी, और वो नॉटी स्माइल देने लगी मुझे. मैं भी मुस्कुरा दिया, और हम खाना पीना खा कर सब को अलविदा बोल कर निकले. मा बिके पर पीछे बैठी हुई थी, और उन्होने मेरे पेट को पकड़ा हुआ था. पूरी चिपक कर बैठी हुई थी वो.
उन्होने ने मुझे बोला: बेटा क्या बात है, तू तो मुझे ही घूरे जेया रहा था? इतना अची लग रही थी मैं तुझे?
मैं बोला: हा मा, आप तो आज कहर ढा रही हो. एक-दूं सेक्सी आंड हॉट लग रही हो.
तो मा शरमाते हुए बोली: भक पागल! तू कुछ भी बोलता है.
मैं बोला: नही मा, सच बोल रहा हू.
फिर मा ने पूछा: अछा तेरी कोई गफ़ है क्या?
मैं बोला: नही मा, मेरी कोई गफ़ नही. मुझे कोई पसंद ही नही आती.
तो मा चुस्की लेते हुए बोली: हा, वो तो मुझे दिख रही है तेरी पसन्द.
और हासणे लगी. और हम ऐसे ही बात करते-करते एक दूसरे के काफ़ी करीब आ चुके थे. मा मेरी चेस्ट पर अपने हाथ को सहला रही थी, और मैं अपने एक हाथ से मों के हाथ को सहला रहा रहा था.
मेरी तो हालत खराब थी. लंड पंत फाड़ के बाहर आने को हो रहा था. और मा को ऐसी हरकत करते देख के मैं समझ रहा था की 2 दिन से वियाग्रा लेने से वो काफ़ी ज़्यादा ही गरम हो चुकी थी, और अपना कंट्रोल खो चुकी थी.
उनका हाथ अब मेरे जांघों पर था. वो सहला रही थी, और मुझे बहुत तेज़ सनसनाहट हो रही थी. हम लोग इस रोमॅंटिक सफ़र को पूरा करते हुए होटेल पहुँचे, और अपने रूम में गये. मम्मी एक-दूं शांत थी, और कुछ बोल नही रही थी.
मैं भी शांत था. दोनो लोग अंदर से जोश में थे. शायद हम दोनो के अंदर यही चल रहा था, की स्टार्ट दूसरा करे. फिर मैने चुप्पी तोड़ी, और मा के कंधे पर हाथ रखते हुए बोला-
मैं: मों आप जाओ चेंगे कर लो. पानी वग़ैरा पी लो, मैं आता हू नीचे बिके की चाबी दे आता हू.
मा बोली: ठीक है जेया.
तो मैने बोला: सच में मा आप बहुत सुंदर और प्यारी लग रही हो आज.
फिर मैने उनके सर पर किस कर दिया, तो मा ब्लश कर दी. मैं उनकी बॉडी की गर्मी को भाँप सकता था.
मैं बोला: मैं आता हू नीचे से.
फिर मैं गया नीचे, सिगरेट पी, चाबी दी, और आ गया.
मा तब तक ब्लू कलर की सॅटिन निघट्य पहनी हुए थी, और बेड पर बैठी हुई थी. वो बॉटल से पानी पी रही थी. मैं उन्हे देख के समझ गया था, की आज तो होगा ही क्यूंकी मा बहुत ज़्यादा ही गरम हो चुकी थी.
फिर मैने सोचा की कही मैं ना तक जौ जल्दी, तो मैने भी वियाग्रा की एक गोली खाई, और अपने साइड वाले ड्रॉयर में कॉंडम के पॅकेट को रख दिया. फिर मैने नाइट बल्ब जला दिया, और मैं बल्ब ऑफ कर दिया. उसके बाद मैं मा से बात करने लगा-
मैं: मा आज पार्टी कैसी लगी आपको?
वो बोली: अची थी, मज़ा भी आया.
और बात करते-करते मैं मों के करीब जाने लगा. मा भी तोड़ा मेरी साइड आने लगी.
फिर मा ने पूछा: तुझे मैं सच में इतनी सुंदर लग रही थी, जो मुझे पार्टी में घूरे जेया रहा था?
मैं बोला: ऐसा नही है, आप तो हमेशा लगती हो. पर आज आप क़यामत लग रही थी.
तो मा मुस्कुरा दी. मैं अपना एक हाथ मों के पेट पर सहलाने लगा. मा मुझे देख रही थी, और मैं उन्हे. अब धीरे-धीरे हम दोनो करीब आ गये, और हमारी एक प्यारी सी लीप-किस हो गयी. हमे पता भी नही चला. मा भी तोड़ा शर्मा गयी, और मैं भी.
फिर मैं बोला: कोई बात नही मों, इट’स ओक, हो जाती है.
फिर मा बोली: ह्म. चल अब सोजा, कल पॅकिंग करके शाम तक घर के लिए निकलेंगे हम लोग.
मैं बोला: ठीक है.
पर मेरे मॅन में तो उनकी चुदाई ही भारी हुई थी. मुझे नींद नही आने वाली थी आज, उपर से मेरा लंड भी खड़ा हो चुका था. तो मैने प्लान किया की आज तो मा गरम थी, तो क्यूँ ना आज सिड्यूस करते है.
फिर करीब आधे घंटे के बाद मैने अपने प्लान को अंजाम देना शुरू किया. मा उधर मूह कर के सोई हुई थी. मैने धीरे से मा की कमर में हाथ डाला, और धीरे-धीरे करके उनमे सतने लगा.
मैं हाथ को मा के कंधे तक ले गया, और तोड़ा रुका. मेरी गांद फटत रही थी दर्र से, और जोश भी चढ़ा हुआ था. समझ ही नही आ रहा था क्या करू. फिर मैने अपने जिस्म की वासना की सुनी, और लग गया काम पर.
मैं पूरा सतत गया मा में, और उनकी गांद में मेरा लंड सताते ही मेरी बॉडी में करेंट सा दौड़ गया. फिर मुझे एहसास हुआ की मा ने पनटी नही पहनी थी. ये समझ आते ही मुझे और भी ज़्यादा सेन्सेशन होने लगी. मैने अपने हाथ से अपने लंड को बाहर निकाला, और ऐसे ही उनकी गांद में रगड़ता रहा.
फिर मैने अपने हाथ को मा के बूब्स पर रखा, और धीरे-धीरे सहलाया. मुझे इतना मज़ा आया की क्या ही बतौ. मैं तो स्वर्ग के द्वार पर पहुँच चुका था. फिर मैने धीरे-धीरे करके मा की निघट्य उनके घुटनो से उपर कर दी.
यार कितनी चिकनी टाँग थी, जैसे की मक्खन लगा हो. मैं अपने हाथ से मा की जाँघ को सहला रहा था, और धीरे-धीरे सहलाते हुए मैं उस जगह पर पहुँचा जो मेरा जानम-स्थल था. फिर मैं मा की झांतो में उंगली फेरते हुए उनकी छूट के मुख पर पहुँचा, और छूटे ही उसकी गर्मी का एहसास बहुत ही प्यारा था.
मैं देर ना करते हुए उसको सहलाने लगा, और ऐसे करते हुए मा की छूट से हल्का-हल्का पानी आने लगी. ये देख के मैं समझ गया की मा जाग रही थी. वो मज़ा ले रही थी. तो मैने उनकी टाँग को और फैला दिया, और निघट्य को उपर कर दिया, कमर से भी उपर.
और फिर मैं उनकी चूचियों को मसालने लगा, और पीछे से उनकी छूट के गॅप पर लंड भी घिसने लगा. मेरा लंड उनके काम-रस्स से गीला हो चुका था. पर मा उठने का नाम नही ले रही थी. फिर मैने मा की छूट में अपनी एक उंगली डाली, और अंदर से रगड़ने लगा.
मा से रहा नही गया, वो उठी, और मेरे उपर चढ़ गयी, और ज़ोरदार किस करने लगी. मेरे होंठ उनके होंठो में थे, और करीब 5 मिनिट की डीप किस के बाद वो हटी और बोली-
मा: तूने मुझे इतना गरम कर दिया बेटा, की मुझसे रहा नही गया. मैं तुझे 1 वीक से देख रही हू, तू आयेज बढ़ ही नही रहा था, और मेरी आग सुलगती जेया रही थी. आज बर्दाश्त का बाँध टूट गया, और अब मैं तुझसे चुड जौंगी.
मा के मूह से ऐसी बात सुन के मैं और भी गरम हो गया. मैने तुरंत मा की निघट्य उतार फेंकी, और अपनी ट्राउज़र और त-शर्ट भी, और चढ़ गया मा को सिड्यूस करने.
मैं: मा, यार मैं बहुत दिन से तेरे इस रूप को देखने के इंतेज़ार में था. की कब तू मेरे बेड पर होगी नंगी.
और किस करते हुए नेक पर, बूब्स चूस्टे हुए, पेट को चाट-ते हुए, नाभि में दाँत काट के, सीधा छूट पर पहुँचा.
मा: क्या देख रहा है. अब ये तेरी हो गयी है. फाड़ दे इसको छोड़-छोड़ के. निकाल दे इसकी सारी गर्मी.
मैं: फाड़ुँगा तो, पर इसको एक-एक इंच का मज़ा चख-चख के लूँगा मेरी प्यारी मा.
मा: तो स्टार्ट होज़ा, इंतेज़ार किसका कर रहा है?
मैने झट से अपना सर मा की बालों वाली छूट पर लगाया, और उनकी छूट को चाटने लगा, और जीभ से चूसने लगा. मा स्टार्टिंग में तो माना करने लगी गंदी जगह बोल कर. पर मैं कहा रुकने वाला था. फिर मा को भी मज़ा आने लगा, और वो बेड को पकड़ के खूब ज़ोर-ज़ोर से मोनिंग करने लगी.
मा: आआहह बेटा आराम से चाट. मैं झाड़ जौंगी बेटा. मूह हटता बेटा प्लीज़, बहुत मज़ा आ रहा है बेटा.
उनकी साँसे तेज़ होने लगी, और वो हाफ्ते हुए करीब 5 मिनिट में ही झाड़ गयी मेरे मूह पर ही. मैं भी छूट को चाट कर खा गया, और सारा पानी मैं पी गया. क्या मस्त नमकीन टेस्ट था, मज़ा आ गया.
मैने मा की तरफ देखा तो उनका चेहरा लाल हो गया था, और शरमाते हुए वो मुझे देख रही थी.
मैं: क्या मा, बताओ मज़ा आया अपनी छूट चटवाने में?
मा: हा बेटा, तेरे पापा ने कभी नही छाता है मेरी छूट को. वो बस खड़ा हुआ सीधा घुसते थे, और 1-2 मिनिट में ही झाड़ के सो जाते थे. मुझे अपने हाथ से इसको शांत करना पड़ता था. पर अब नही लगता की मुझे हाथ की ज़रूरत पड़ेगी. क्यूंकी मेरा बेटा तो असली मर्द है. जो अपने मूह से ही आग बुझा सकता है, उसका लंड तो अलग ही कमाल करेगा.
मा: अब छ्चोढ़ इन सब बातों को. फिर कभी फ़ुर्सत में करेंगे. अभी जल्दी से मेरी छूट छोड़ दे बेटा. अब रहा नही जेया रहा. तेरे इस लंड को देख कर मैं इसको चूसना चाहती हू. मुझे इससे खेलना है. इसको प्यार करना है, जैसे मैं तुझे करती हू बेटा.
मैं: हा मा, लो ना, ये तो हमेशा से आपका ही है, लो चूसो.
और मा मूह में लेकर चूसने लगी. क्या मस्त लंड चूस रही थी वो, मैं मोन करने लगा.
मैं: आअहह माआ ह्म मज़ा आ रहा है. ह्म्म्म्म आअहह मा आप पापा का लंड चूस्टी हो?
वो बोली: हा, उनका चूस्टी हू, पर वो 2 मीं उते में मूह में ही झाड़ जाते है. इसलिए मैने चूसना ही छ्चोढ़ दिया उनका. अब से मैं तेरे लंड को ख़ौँगी. जब भी मॅन करेगा तब मूह में भर लूँगी. इतना मसस्त लंड है तेरा बेटा आहा हुम्म हिमम्म उम्म्म उम्म.
मैं: चलो मा छ्चोढो, अब छूट की सेवा करने दो.
और मा उठी और लेट गयी टाँग फैला कर. फिर मैने झट से ड्रॉयर से कॉंडम निकाल के स्ट्रॉबेरी फ्लेवर वाला पहनने लगा. तो मा देख के बोली-
मा: तू तो पूरा प्लान से आया था मुझे छोड़ने के.
मैं बोला: हा मा, मैं तो मौके की तलाश में था, और मौका मिलने पर मैं छ्चोढने वाला थोड़ी था.
और एक ज़ोरदार लीप-किस करते हुए उनके उपर चढ़ा, और उनकी छूट में लंड डाला. हल्का सा लंड अंदर गया, और वो तोड़ा दर्द से करही.
तो फिर मैं पूछा: दर्द हो रहा क्या मा?
वो बोली: हा बेटा, तेरे बाप का तो मुश्किल से 3.5 इंच का है, और तेरा तो 6 इंच का लंड है, और उपर से मोटा भी है, तो दर्द तो होगा ना.
तो मैं बोला: मा मैं आपको बहुत प्यार से छोड़ूँगा. आप परेशन नही हो. क्यूंकी मैं आपसे बहुत प्यार करता हू.
तो मा एमोशनल हो गयी और बोली-
मा: मेरा प्यारा बेटा, ई लोवे योउ.
तो मैने मा के होंठ पर किस किया और ई लोवे योउ टू बोला. और धीरे से लंड को अंदर डाला. मा तोड़ा-तोड़ा कराह रही थी.
फिर मैने एक ज़ोरदार झटका मारा, और पूरा लंड अंदर घुस गया. मा की आँख से आँसू झलक गये, और मूह से चीख-
मा: आहह आ, बेटा आराम से कर ना.
फिर मैं तोड़ा रुका, और उनसे प्यार करने लगा. मैने उनके होंठो को चूमा, और आँखों में आँखें डाल के बात की.
फिर मा बोली: अब तोड़ा सही लग रहा है. अब स्टार्ट होज़ा.
और मैने शॉट लगाना शुरू किया. धीरे-धीरे मा भी खूब साथ देने लगी टाँग उठा-उठा के, और मूह से सिसकारी निकालते हुए बोली-
मा: आहह एहह उम्म्म आह स्शह, बेटा तूने मुझे वो सुख दिया है, जो मेरे पति ने आज तक नही दिया है.
और वो मेरे होंठो पर किस करने लगी.
मा: आअहह आहह बेटा, आअहह आज से तू मेरा पति है.
मैं बोला: ठीक है मा, मैं तेरा पति हू. बुत मम्मी मैं तुम्हे मा ही बोलूँगा, और तुम मुझे बेटा. क्यूंकी ये रिश्ता मा बेटे से शुरू हुआ है, तो यही रहेगा. भले ही हम पति-पत्नी की तरह रहेंगे.
मा बोली: हा, सही बोला बेटा. तू तो बड़ा समझदार हो गया है.
होटेल रूम में आवाज़ गूँज रही थी छाप-छाप की, और मा की आहों की, जो मा ज़ोर-ज़ोर से ले रही थी. करीब 25 मिनिट की चुदाई के बाद हम दोनो अपने चरम सुख के करीब पहुँच रहे थे.
माआ बोली: मैं झड़ने वाली हू.
मैं भी बोला: मा मैं भी झड़ने वाला हू.
और दोनो लोग तेज़-तेज़ सिसकारियाँ लेते हुए झाड़ गये. फिर मैं मा के उपर वैसे ही सो गया. मा मेरे सर को सहला रही थी, और बोल रही थी-
मा: बेटा तूने मेरी आज काम अग्नि को शांत किया है. मैं बहुत खुश हू की मुझे तेरे जैसा बेटा मिला है.
और मेरे होंठ को चूमने लगी. 2 मिनिट किस के बाद मैं उनके उपर से उतरा, और उनको हग करके रज़ाई ओढ़ के हम सो गये.
दोस्तों ये कहानी लिखने में मेरी मा भी मेरा साथ दे रही है. उन्हे भी आपका स्नेह चाहिए, तो अपना प्यार स्टोरी पर दिखाओ. जल्दी ही मिलते न्यू पार्ट के साथ. तब तक के लिए बाइ-बाइ आंड टके केर.