बेटा बन गया हवासी मा का पति और उसको चोदा

दोस्तों, ये इस कहानी का दूसरा हिस्सा है. पहली कहानी में हमारे घर मेरी बड़ी दीदी के बेटे के ब’दे का बहुत बड़ा फंक्षन रखा था. 4-5 दिन घर में फंक्षन था. दीदी-जीजू काफ़ी हवसी थे, और वो ना जगह देखते, ना समय देखते थे, और चालू हो जाते थे.

उस रात मा च्चत पर आ कर पापा समझ कर मुझसे चूड़ी थी. मा की वो हवस और चुदाई के लिए पागलपन देख मैं हैरान था. मुझे यकीन नही हो रहा था जो हुआ था. लेकिन थोड़ी देर बाद जब पापा उपर आए तो मा के पैरों तले शायद ज़मीन खिसक गयी थी.

मा मुझसे नज़रे चुरा रही थी. वो ठीक से बात भी नही कर रही थी. जब भी मेरे सामने आती, तो अपने आपको सवार्ती थी, की कही कुछ दिख तो नही रहा.

इस बात को 2-3 दिन हो गये थे. घर के सारे मेहमान वापस चले गये थे. पापा भी काम पर जाते, शाम को ही आते थे. मा और मैं दोनो ही घर पर होते थे. मुझे ग़लती जैसा फील हो रहा था. मैं अपने कमरे में सोया था.

जब भी आँख बंद करता, तो वो चुदाई भरा लम्हा याद आने लगता. मा ने अंधेरे में चुडवाई थी. मा की वो बातें कान में सुनाई दे रही थी. “छोड़ना जी, अया, क्या लंड है आपका, मरो गांद पर मेरे, आ श”.

तभी मेरे कान में कुछ सुनाई दिया. जब मैं मा के डूडू चूस रहा था, तब मा के मूह से बेटा निकला था. मा ने कहा था काट मत बेटा, बस चूसो. मेरे ध्यान में ये आया, और मेरा दिमाग़ चलने लगा.

मा को मेरे और पापा के बदन के बारे फराक नही पता चला, क्यूंकी हम दोनो के शरीर बहुत अलग थे.

मैं पापा से तोड़ा पतला था. मा अंजान थी, या जान-बूझ कर किया था. क्या ये एक सोचा समझा प्लान था. जब मा ने मेरा लंड 5-10 मिनिट चूसा, तब उनको कैसे नही पता चला. क्यूंकी पापा की उमर के हिसाब से लंड इतना टाइट और जवान थोड़ी होगा. मुरझा तो गया ही होगा.

मेरा स्टॅमिना भी पापा से अछा ही होगा. मतलब एक इतनी उमर के आदमी से जवान लौंदे का ज़्यादा ही स्टॅमिना होगा. मेरा दिमाग़ अब उल्टा चलने लगा था. हो ना हो मा ने अपनी छूट की खुजली मिटाने के लिए सब सोच कर किया था.

मा नाटक कर रही थी शायद, ताकि मैं कही वापस ना करू, या कोई फ़ायदा ना उतोऊ. मैने सोचा जो होगा देखा जाएगा. मैं हिम्मत करके मा के कमरे में गया. मा निघट्य में बेड पर सोई थी. फन की हवा की वजह से मा के बाल की लत उनके चेहरे पर चार चाँद लगा रही थी. उनके रसीले होंठ देख कर मेरा हाथ अपने आप लंड पर चला गया.

मा के पास गया, तो उनकी पसीने और पाउडर की मिक्स खुश्बू पागल कर रही थी. मा की निघट्य के बटन खुले थे. उनकी गोरी-गोरी च्चती देख मॅन फिसल रहा था. मा ने अंदर कुछ नही पहन रखा था. फिर मैं मा की साइड में लेट गया.

मुझे ऐसे लगा मा जाग रही थी, और सोने का नाटक कर रही थी. मैने मा के मम्मो पर हाथ रखा, और धीरे से मसालने लगा. मा के चेहरे का हाव-भाव बदल रहे थे.

लेकिन वो कंट्रोल कर रही थी. मैने पहले उसके गाल पर चूमा, लेकिन मा नही हिली. फिर मैने माथे पर चूमा, और मा के कान में बोला-

मे: ई लोवे योउ मा, तुम बहुत सेक्सी हो. मुझे बहुत पसंद हो. प्लीज़ एक बार दो ना. मैं तुम्हे छोड़ना चाहता हू.

मा मुझे सुन रही थी. उनके चेहरे के हाव-भाव बदल रहे थे, पर वो नाटक कर रही थी.

फिर मैने मा की निघट्य के अंदर हाथ डाल कर मम्मा ज़ोर से दबाया. मा ने अपने होंठो को काटना चालू किया. मैं बूब बाहर निकाल कर उसको चूसने लगा. मा कुछ बोल नही रही थी. फिर मैं दूसरा हाथ छूट पर ले गया, और उपर से ही दबाने लगा.

मा ने अपने पैर फैला दिए थे. मैं इतने ज़ोर से रग़ाद रहा था छूट, और निघट्य का कपड़ा छूट के अंदर डाल रहा था. मैने डूडू के निपल को किशमिश की तरह काटा, तो मा चिल्ला पड़ी.

मा: आउच! अफ! बेटा क्या कर रहे हो? चूसो सिर्फ़.

फिर मा ने आँखें खोली, और मुझे हवस भारी निगाहों से देख रही थी. मैं मा की बाहों में गया. मेरी सेक्सी मा, मेरी प्यारी चुड़क्कड़ मा.

मा भी हस्स कर मुझे बाहों में भर कर मम्मो से दूध पिलाने लगी. फिर वो बोली-

मा: अया, बेटा बहुत दिन तदपि हू. अब नही रखा जाता सबर. तेरे पापा कुछ करते नही, तू तो मेरी हालत समझ. तू रखेंगा ना मेरा ख़याल? मुझे करेगा ना शांत? ये छूट से तू निकला है. तेरा फ़र्ज़ है इस छूट का पानी निकालना. अब ये ज़िम्मेदारी तेरी. बोल ना मेरे राजा छोड़ेगा ना रोज़ अपनी मा को?

मे: ज़रूर मा. तेरा ये बेटा कसम खाता है, की इस छूट को अब से सूखी नही पड़ने दूँगा.

इसका पानी निकालने का काम मेरा. मैं छूट में उंगली डाल अंदर-बाहर कर रहा था. मा गांद उठा-उठा कर उंगलियाँ ले रही थी.

मा: बेटा मेरी छूट को चाट ना. अपनी जीभ से इसके दाने को सहला ना. बड़ा मज़ा आएगा.

मैने झट से उठ कर मा के पैर फैलाए. मा की गांद के नीचे तकिया रख कर छूट उपर कर दी, और एक-दूं चिकनी छूट को चाटना चालू किया. मैने छूट के होंठो को चूसा, और जांघों को चाटने लगा.

मा मेरे सर को पकड़ कर छूट पर रगडे जेया रही थी. वो मुझे सीखा रही थी, की छूट कैसे चातु. अब मा उठ कर मुझे लिटा कर लंड चूसने लगी.

मैं मा के बाल पकड़ कर मा के मूह के अंदर लंड डाल रहा था. गले तक अंदर लंड घुसाए जेया रहा था. मैने मा से पूछा-

मे: मा तूने उस रात क्या मज़ा दिया. इतनी हिम्मत कहा से आई तुझमे मा. कैसे सूझा तुझे वो सब?

मा शर्मा रही थी, मा ने कहा: जब तेरी दीदी आई थी, तब उसकी चुदाई देख मेरे अरमान जाग गये थे.

मा ने जीजा जी का लंड देख लिया था. वो देख कर मा के मॅन में अजीब-अजीब ख़यालात आने लगे थे.

मा: और उस दिन जब तू अपनी बेहन की चुदाई देख कर अपना लंड बाहर निकाल कर सहला रहा था, तब मैने तुझे देख लिया था. तेरा लंड देख कर मेरी छूट में खुजली मचलने लगी थी. 2-3 दिन मैने कैसे तड़प-तड़प तेरे साथ सो कर निकाले.

मा: जब तू उपर च्चत पर सोते वक़्त ग़लती से अपनी जाँघ मेरी जांघों में फसाता, मेरी च्चती पर हाथ रखता, तो मेरी छूट में से पानी आने लगा था. इसलिए मैने मौके का फ़ायदा उठाने का सोचा बेटा.

मा: तेरे पापा उस दिन नीचे थे. उनको उपर आने को 1 घंटा लगने वाला था. इसलिए मैने हिम्मत करके ये सब नाटक किया. तुझे बुरा ना लगे, या शक ना हो, इसलिए पापा समझने का नाटक किया.

मैने मा को अपनी गोदी में लिया, और चूमने लगा. मा भी मेरा साथ देने लगी.

मे: तो ठीक है, आज से में तेरा पति हू मेरी मा.

मा: काँटा बोलो जी, मा मत बोल.

मे: मेरी सेक्सी काँटा, बैठ मेरे लंड पर और मिटा अपनी छूट की खुजली.

मा: जैसे आप बोलो जी. आप का हुकुम सर आँखों पर.

फिर मा मेरी गोदी में बैठ कर लंड अंदर डाल कर उछालने लगी.

मा का गोरा नंगा बदन अपनी आँखों से देख रहा था. बहुत खुश था अंदर से. भरोसा नही हो रहा था, की इतनी सुंदर औरत मेरे लंड की दीवानी थी.

मैं मा को बिस्तर पर लिटा कर, पैर फैला कर, उपर से चढ़ा, और छोड़ने लगा. पच-पच की आवाज़ गूँज रही थी, की तभी पापा का फोन आया मा को.

मा घबरा कर, फोन उठा कर बात करने लगी. और मेरे मूड का भोंसड़ा हो गया. लंड मेरा बैठने लगा. मुझसे रहा नही जेया रहा था. मैं मा के पैर फैला कर उसके बीच लेट कर जीभ से मा की छूट से खेलने लगा. मा मुझे रोक नही पा रही थी. पापा से बात करते वक़्त वो सिसकारिया मार रही थी.

शायद पापा ने पूछा भी, तो मा ने कहा, की उसने मिर्ची खा ली थी. अब मैने मा के पैरों को पकड़ कर खींचा, और लंड डाल कर छोड़ने लगा.

मैं ज़ोर-ज़ोर से छोड़ रहा था. पच-पच की आवाज़ के साथ मा हिल रही थी. मा सिर्फ़ ह्म हाा ह्म ऐसे बात कर रही थी. अब मा ने फोन रख दिया, और मुझे अपनी बाहों में खींच लिया.

वो बोली: तुम तो बड़े बेरहम हो सैयाँ. मार ही डालोगे.

वो पैरों से मुझे लॉक करके पीठ में नाख़ून मारने लगी. अब मैने मा को उठा कर कुटिया जैसे बिताया, और छोड़ने लगा. मा गांद पीछे-पीछे करके लंड ले रही थी. वो अपने बालों को इकट्ठा करके मुझे पकड़ने को कह रही थी. मा अब काँप रही थी. शायद वो झड़ने वाली थी इसलिए.

फिर मा ने मुझे लिटाया और कहा: अब मैं झड़ने वाली हू.

वो लंड छूट के अंदर रख कर रग़ाद रही थी.

मा: आआहह, ऐसे ही छोड़ना मुझे हर रोज़. मैं ना भी बोली, तो ज़बरदस्ती करना. मारना, और कुटिया जैसे छोड़-छोड़ के मुझे तुम्हारी दासी की तरह रखना मेरे सैयाँ. एयेए हाअ आआहहा ससस्स, मेरी गांद भी फाड़ना. मेरे मूह में मूतना. तुम मेरे साथ वो सब करोगे ना सैयाँ?

मा मेरे हाथ फैला कर मेरी बगल चाटने लगी. मैने उनकी गांद में उंगली डाल दी.

मा: आअहह, ओफफफ्फ़, डालो ऐसे ही. ये गांद भी तेरी है बेटा. मुझे खुश रखना हमेशा.

फिर हम दोनो झाड़ गये. उस दिन से जब भी पापा घर में नही रहते, तो मैं मा का पति बन जाता हू. काई बार पापा होने के बावजूद हमने घर में चुदाई की है. मा पापा को नींद की गोली देकर रात भर मेरे कमरे में आ कर चुदाई का नंगा नाच चलती है.

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