पिछले पार्ट में आपने पढ़ा था, की शिखा ने मुझे ब्लोवजोब दिया, और मैने उसके मूह को छोड़ कर उसके मूह में ही सारा माल निकाल कर उसको पिलाया. वो वॉशरूम में जेया कर मूह सॉफ करने लग गयी.
थोड़ी देर बाद जब वो बाहर आई, तो आ कर अपने कपड़े लिए, और अंडरवेर पहनने लगी. मैं झट से उठा, और उसका अंडरवेर ले लिया.
विवेक: अर्रे ये क्या कर रही हो बीवी?
शिखा: अर्रे मेरा अंडरवेर दो हज़्बेंड जी, क्या कर रही हू का क्या मतलब? पहनने जेया रही हू अंडरवेर. बहुत थकान हो रही है. अब सोना नही है क्या? कल सुबा घर भी जाना है, या यही रहना है?
विवेक: काश यही रह पाते उमर भर. सुहग्रात है आज आपकी बीवी, और सुहग्रात पर बिना छूट चुडवाए अंडरवेर नही पहना जाता है. इससे पाप लगता है.
शिखा: अर्रे पर छोड़ तो दी आपने मेरी चूत, और मैने आपका लंड. अब क्या?
विवेक: अरे मेरी भोली बीवी, अभी तो सिर्फ़ शुरुआत थी ये. अभी मैं कोर्स बाकी है, और मैं मज़ा तो उसी में है.
शिखा: हे भगवान, अभी आयेज और भी करना है कुछ आप को. मेरी तो इतने में ही जान निकल गयी हज़्बेंड.
मैने उसको अपने पास खींचा और उसके एक बूब को हाथ में पकड़ कर दबाने लगा
विवेक: अर्रे अभी तो असली खेल बाकी है मेरी जान. अभी जान दे डोगी, तो आयेज तो सच में जान निकल जाएगी, जब मेरा लोड्ा तेरी छूट में घुसेगा.
शिखा: क्या! अब आपको अपना लंड घुसना है मेरी छूट में? ये इतना बड़ा लंड जो मेरे इतने बड़े मूह में नही जेया रहा था, वो मेरी छ्होटी सी छूट में कैसे जाएगा भैया? छूट फाड़ोगे क्या यार?
विवेक: बिल्कुल मेरी जान, सुहग्रात पर तो हर लड़की की छूट फादी जाती है, इसमे क्या नया होगा? और एक बार ये लोड्ा छूट में गया, तो फिर हर रोज़ तू मेरा लोड्ा माँगेगी अपनी इसी छ्होटी सी छूट में. इतना मज़ा आता है जब लंड और छूट का मिलन होता है.
वो भी मेरी बातों में आ गयी, और मेरी बातें सुन कर मेरे पैरों पर बैठ गयी, और गरम हो गयी. धीरे-धीरे मेरा लंड भी दहाड़ लेने लगा. मैने दूसरे हाथ से उसका चेहरा मेरी तरफ किया, और उसके होंठ चूसने लगा. वो भी साथ दे रही थी.
उसके होंठो को चूस्टा, फिर उसकी नेक को, उसके सीने को, उसकी क्लेवगे को, उसके बूब्स को, हर जगह चूस रहा था उसको, और वो गरम हो गयी.
शिखा: उफ़फ्फ़ हज़्बेंड जी, बहुत बुरे हो यार आप. फिरसे मेरे शरीर में आग लगा दी आपने. अब करो कुछ, मेरी बॉडी जल रही है. डालो अपना लंड मेरी छूट में, और मज़े दो मुझे.
मैने उसको कमर से पकड़ कर उठाया. फिर पलट कर बेड पे लिटाया, और होंठो को किस करने लगा. 2 मिनिट बाद किस तोड़ कर हटने लगा, तो वो बोली-
शिखा: उउंम, कहा जेया रहे हो हज़्बेंड? इधर ही रूको प्लीज़. किस मत तोडो, बहुत मज़ा आ रहा है हज़्बेंड के होंठो को चूस कर. आओ प्लीज़ किस मे.
मैं नीचे झुका, और अपना लंड हाथ में ले कर 4-5 बार हिलाया, और उसको शेप में ले कर आया. फिर शिखा की छूट की तरफ हाथ घुमाया, और उसकी गीली छूट के रस्स से अपने लंड को भी गीला किया. वो अपने हाथ हवा में किए हुए थी मेरी तरफ, और मुझे बुला रही थी किस के लिए.
मैं उसके चेहरे की तरफ बढ़ा, तो उसने अपने हाथ मेरे गले में लपेट लिए, और पैर मेरी कमर पर लपेट लिए. बहुत रोमॅंटिक किस करने लगी एक-दूं पॅशनेट वाली. मेरे उपर-नीचे के होंठो को चूस्टी बारी-बारी से. कभी मेरी जीभ को चूस्टी, फिर किस तोड़ कर होंठो पर चुम्मि देती, और फिर होंठ चूसने लग जाती.
मैने अपने एक हाथ से उसकी छूट के होंठो को फैलाया, और फिर लंड सेट किया, और हल्के से बार-बार उपर-नीचे करने लगा. वो किस में डूबी हुई थी, और लंड उपर-नीचे होने से और मज़े में आ गयी. मैने लंड को पकड़ा, और अपनी गांद उठा कर एक ज़ोर का झटका दिया. मेरा टोपा उसकी छूट को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया.
शिखा: ह्म आहह.
उसके होंठ मेरे मूह में दबे थे, तो उसकी आवाज़ नही निकली बाहर. मेरे मूह में ही उसकी आअहह गूँज गयी. आँखें उसकी बड़ी-बड़ी हो गयी, और आँसू आ गये. वो अपने हाथो से मेरे बाल पकड़ कर मुझे हटाने की कोशिश करने लगी, और चेहरे को लेफ्ट-रिघ्त घूमने लगी.
मैने उसके चेहरे को कस्स कर पकड़ा हुआ था, और उसके मूह को अपने मूह से दबाए हुए रखा. इस झटके के बाद लंड का तोड़ा दबाव बढ़ाया छूट पर, तो वो झटपटाने लगी. वो अपने पैर पताकने लगी, और मेरे कमर पर अपने पैर मारने लगी. फिर रोटी हुई आँखों से मुझे देख कर छोड़ने को बोलने लगी.
मैं थोड़ी देर वैसे ही रुका रहा, और उसको धीमे-धीमे किस करता रहा. उसकी जीभ को मैं चूस्टा रहा. जब 5 मिनिट बाद कोई हुलचूल नही हुई, तो फिर मुझे लगा उसको अब दर्द नही हो रहा था, और वो अब चिल्लाएगी नही. तो मैने उसके होंठ छ्चोढे और चेहरा छ्चोढा.
शिखा: आअहह बहनचोड़ मॅर गयी रे. कुत्ते सेयेल हरामी, मार दिया. मेरी जान निकाल दी और कहता था प्यार करता है मुझसे. ऐसे रुला-रुला कर कों प्यार करता है बहनचोड़? हॅट मेरे उपर से सेयेल. मुझे नही करना तुझसे प्यार. शादी भी कॅन्सल बहनचोड़, हॅट ना उपर से बहनचोड़. नीचे दर्द हो रहा है छूट में, देखने तो दे.
विवेक: अर्रे मेरी बीवी कुछ नही हुआ है छूट को. मैने बोला था ना सुहग्रात पर हर लड़की की छूट फादी जाती है, तो बस तेरी छूट फटत गयी है, और अब वो मज़े देने के लिए तैयार है. अब तू मुझे मेरा काम करने दे, और तू बस मज़े ले.
शिखा: क्या मज़े भैया? आपने जान निकाल दी मेरी. छूट फटने पर इतना दर्द होगा बताया क्यूँ नही? और उपर से मुझे इतना टाइट पकड़ा हुआ था, की हिल भी नही पाई, और चिल्ला भी नही पाई.
विवेक: अछा बाबा सॉरी. अब कोई चीज़ फटेगी तो तोड़ा दर्द तो होगा ही ना बीवी. बस 2-4 झटको तक दर्द होगा, फिर तो जन्नत के मज़े मिलेंगे. शुरू करे?
शिखा: भैया प्लीज़ धीरे-धीरे करना, बहुत दर्द हो रहा है.
मैने लंड धीरे से पूरा बाहर निकाला. वो आअहह करते हुए आँखें बंद करके कराह रही थी. मैने फिरसे उसको कस्स कर पकड़ा, और लंड सही से सेट करके छूट के मूह पर रखा, और पेल दिया एक और तगड़े झटके के साथ.
शिखा: आअहह मा, हाए मॅर गयी भैया. क्या कर दिया आअहह एम्म्म नही प्लीज़, मुझसे नही होगी ये चुदाई-उड़ाई. आहह निकालो इसे मेरी छूट से आहह. मैं चूतिया थी जो आपसे शादी कर ली. आअहह बंद बाज गयी छूट की एम्म निकालो यार प्लीज़.
मैने उसकी एक ना सुनी, और लंड तोड़ा निकाल कर पूरी ताक़त से एक और झटका दिया. और लंड उसकी छूट की दीवारो को चीरता हुआ अपनी मंज़िल पर जा पहुँचा.
शिखा: आअहह बहनचोड़, उई मा रे, मदारचोड़ आअहह. निकालने को बोला था हरामी, और अंदर पेलने को नही रे. उम्म्म्म निकाल इसे, मुझे नही माननी सुहग्रात आहह. निकाल ना, मुझे क्या देख रहा है सेयेल? प्लीज़ भैया निकालो इसे. मैं नही कर पौँगी चुदाई भैया. प्लीज़ हज़्बेंड जी, ई बेग योउ, प्लीज़ निकालो.
विवेक: बेबी बस हो गया. अब पूरा लंड छूट में चला गया है. अब बस कोई दर्द नही होगा तुम्हे. बस मज़े लो अब.
मैने उसके होंठो को चूमा, उसकी आँखों से बहते आँसू को पी लिया, और चाट कर सॉफ किया. बहुत रोमॅंटिक सा पल हो गया था. वो रो रही थी, और मैं उसको प्यार कर रहा था. मैं उसके होंठो को चूम रहा था, गालो पर किस कर रहा था. 5-7 मिनिट ऐसे ही किया, और फिर उसको पूछा-
विवेक: अब भी दर्द हो रहा है जान?
उसने ना में सिर हिलाया.
विवेक (स्माइल के साथ): तो शुरू करे सुहग्रात की चुदाई?
शिखा की हस्सी निकल गयी, मगर दर्द की वजह से खुल कर नही हस्सी.
शिखा: आप ऐसे नही मानोगे ना हज़्बेंड जी? अपनी बीवी की जान ही लेलो आज आप. कर लो जो करना है.
विवेक: नही मेरी जान, मुझे तुम्हारी जान नही तुम्हारी छूट लेनी है. और सिर्फ़ आज नही, अब हर रात लेनी है.
इतना कह कर मैने लंड को अंदर-बाहर किया धीरे-धीरे. उसको अभी भी थोड़ी तकलीफ़ हो रही थी, तो उसने हाथो से मेरी कमर के झटके थोड़े रोकने के लिए कमर को हाथो से पकड़ा. मैं भी धीरे-धीरे उसको छोड़ने लगा. वाह क्या एहसास था यार, इतनी टाइट छूट और गीली, लंड सात-सात अंदर-बाहर हो रहा था. और उसकी स्किन उपर-नीचे होते हुए महसूस हो रही थी.
उसकी छूट के अंदर की गर्मी लंड की मुलायम स्किन को जला रही थी. पर उस जलन में बहुत मज़ा आ रहा था भाइयों. जिन भाइयों ने बेहन की छूट पेली है, वो ही समझेंगे इस एहसास को. करीब 3 मिनिट के झटको के बाद मैने महसूस किया की अब उसने अपने हाथ हटा लिए थे मेरी कमर के नीचे से.
मैं समझ गया था, की अब उसको दर्द नही बल्कि मज़ा मिल रहा था. तो मैने स्पीड बढ़ा दी धक्को की.
विवेक: बेबी जान मेरी, कैसा लग रहा है मेरे लंड की ठुकाई से?
शिखा: आअहह भैया, मेरे हज़्बेंड मुझे समझ नही आ रहा है ये फीलिंग को कैसे बतौ. आपका लंड अंदर जेया कर मेरे पेट पर चोट मारता है तो लगता है और अंदर तक मारे, और तेज़ मारे. छूट की दीवारों में आपका लंड कॅसा-कॅसा अंदर-बाहर हो रहा है. बहुत मज़ा आ रहा है. और करो, और छोड़ो मुझे हज़्बेंड, और छोड़ो अपनी बीवी को प्लीज़.
विवेक: अभी तो निकालने को बोल रही थी बीवी.
शिखा: अर्रे भूल जाओ आप, भूल जाओ वो सब. आप तो बस पेलो अपना लंड मेरे अंदर. क्या मज़ा दिया है भैया आज. एस, फक मे हार्डर भैया.
विवेक: शिखा साली रंडी, ये ले संभाल मेरे लोड के स्ट्रोक्स को. आअहह क्या मस्त माल है साली तू. पहले पता होता तो ना जाने कब का छोड़ दिया होता तुझे. एस साली रंडी, फक.
शिखा: आअहह भैया, मेरे हज़्बेंड मुझे समझ नही आ रहा है ये फीलिंग को कैसे बतौ. आपका लंड अंदर जेया कर मेरे पेट पर चोट मारता है तो लगता है और अंदर तक मारे, और तेज़ मारे. छूट की दीवारों में आपका लंड कॅसा-कॅसा अंदर-बाहर हो रहा है. बहुत मज़ा आ रहा है. और करो, और छोड़ो मुझे हज़्बेंड, और छोड़ो अपनी बीवी को प्लीज़.
विवेक: अभी तो निकालने को बोल रही थी बीवी.
शिखा: अर्रे भूल जाओ आप, भूल जाओ वो सब. आप तो बस पेलो अपना लंड मेरे अंदर. क्या मज़ा दिया है भैया आज. एस, फक मे हार्डर भैया.
विवेक: शिखा साली रंडी, ये ले संभाल मेरे लोड के स्ट्रोक्स को. आअहह क्या मस्त माल है साली तू. पहले पता होता तो ना जाने कब का छोड़ दिया होता तुझे. एस साली रंडी, फक.
शिखा: आहह एस फक फक. पहले पता होता की चुदाई में इतना मज़ा आता है, तो आपके हाथ नही आती हज़्बेंड. तो ये शिखा ना जाने कब का किसी के लंड को पिलवा लेती अपनी छूट में आहह. भैया मेरी छूट में कुछ हो रहा है भैया. प्लीज़ और तेज़ छोड़ो, और अंदर तक पेलो छूट में. एस भैया, छूट में कुछ हो रहा है भैया. मेरा मूट निकालने वाला है एस प्लीज़ फक मे.
और ऐसे ही सिसकारियाँ लेते हुए शिखा की छूट ने एक बार फिर अपना रस्स छ्चोढ़ दिया. और रस्स मेरे लंड से होता हुआ बेड पर गिरता गया. छूट गीली हो गयी थी, तो मैने भी उसकी टांगे अपने कंधे पर रखी, और दे दाना दान लंड पेलने लग गया छूट में.
शिखा: आहह आहह मा कितना अछा है आपका लंड भैया. बहुत मज़ा दे रहा है.
विवेक: तू भी बहुत मस्त माल है शिखा मेरी बीवी, मेरी जान, मेरी रंडी, एस तेरी छूट में मेरे लंड को अंदर-बाहर हो कर बहुत मज़ा आ रहा है. अब हर रात तू मेरा बिस्तर गरम करेगी साली रंडी.
शिखा: एस भैया बिल्कुल. अब आपकी बीवी हू, तो हर रात आप से चूड़ना तो पड़ेगा मुझे. आअहह एस, छोड़ो भैया, छोड़ अपनी बीवी अपनी बेहन अपनी रंडी की छूट. मा-पापा थॅंक योउ जो आज आपने हमे यहा रुकने दिया. वरना मेरी छूट को ये मज़ा आहह कभी नही मिलता. मा-पापा थॅंक योउ सो मच. भैया मेरे हज़्बेंड पेलो मेरी छूट एस.
विवेक: शिखा मेरी रंडी बेहन आहह, ये ले आअहह, शिखा मेरा निकालने वाला है तेरी छूट में निकाल डू?
शिखा: एस भैया निकालो जहा निकालना है, जो करना है करो अब अपनी बीवी के साथ.
विवेक: पागल छूट में निकाल दिया तो प्रेग्नेंट हो जाएगी मेरे बच्चे से.
शिखा: हा हो जाने दो भैया. बीवी हज़्बेंड के बच्चे से प्रेग्नेंट नही होगी तो क्या अपने बाप के बच्चे से प्रेग्नेंट होगी मा.
उसकी ये बात सुन कर मुझे जोश आ गया, और उसकी कमर पकड़ कर मैने डुमदार शॉट लगाए झटके दे-दे कर.
शिखा: आ मा आहह आ.
मेरे ज़ोरदार धक्को की वजह से उसके बूब्स झटके खा रहे थे, और उपर-नीचे हो रहे थे. शिखा आँखें बंद किए हुए हर धक्के का मज़ा ले रही थी. 1-2 झटके और लगाए, और मैने आखरी झटका मार कर लंड उसकी छूट में ही रोक दिया, और मेरा लंड पिचकारी मारने लगा
विवेक: आअहह शिखा, ले साली तेरी छूट को पीला दिया अपना रस्स. अब मेरा बच्चा आएगा तेरी छूट से तेरे पेट में.
शिखा: उउफ़फ्फ़ भैया, आपका गरम-गरम रस्स मेरी छूट में कितना अछा लग रहा है.
फिर मैं निढाल हो कर उसके उपर ही लेट गया, और हम एक-दूसरे की साँसे महसूस कर रहे थे. लगभग 10 मिनिट ऐसे ही लेते रहे. फिर मैं उससे अलग हुआ, और साइड में लेट गया.
आयेज बहुत कुछ हुआ, जो आयेज के पार्ट्स में पढ़िएगा. अगर मेरी कोई भाभी या मेरी बेहन अपने इस देवर/ भाई के लंड के मज़े लेना चाहे, तो एमाइल मे अट आर्तिकायर2022@गमाल.कॉम.
मस्त गरम-गरम बातों से पानी निकालेंगे आपकी छूट और मेरे लंड का.