बेटे और मा की वासना भारी मसाज की कहानी

ही, मेरा नाम रोहन है. मैं वेस्ट बेंगल में रहता हू. इस कहानी के मुख्या कॅरेक्टर्स है मा-पापा और मैं. मा का नाम अनुपमा (हाउस वाइफ), आगे 40+, और साइज़ 38सी-30-40 है. पापा अरुण (स्कूल टीचर), आगे 42+.

कहानी की शुरुआत होती है पिछले साल ऑटम में. वेस्ट बेंगल में ऑटम में दुर्गा पूजा होती है. तो हर साल उस वक़्त पूरी घर की आचे से सॉफ-सफाई होती है. तो मैं और मा मिल कर घर की सॉफ-सफाई कर रहे थे. कुछ हेवी लिफ्टिंग की वजह से मम्मी की कमर दर्द करने लगी थी, तो मम्मी बार-बार अपनी कमर दबा रही थी.

मैं: आपको बोला था सिर्फ़ हम दोनो से नही होगा, पापा की भी ज़रूरत पड़ेगी. इसलिए सनडे को सॉफ-सफाई करने को बोला था. पर आप मेरी सुनती कहा हो.

मा: हा सही कहा तूने. मैने अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार दी.

मैं: अब भुगत्ो.

मा: तू एक काम कर, किचन से तोड़ा लहसुन का तेल गरम करके ला, और मेरी कमर दबा दे.

ये सुनते ही मेरा मॅन खुशी से झूम उठा, क्यूंकी आप लोगों की तरह मुझपे भी प्यूबर्टी का साइड एफेक्ट हुआ था, जिसके कारण मेरी कामुक नज़र अपनी मा के जिस्म पे पड़ी थी. और मा के सेडक्टिव बदन को छूने का एक मौका मैं नही छ्चोढता हू.

तो मैं तुरंत किचन से लहसुन तेल गरम करके ले गया मा-पापा के बेडरूम में. मम्मी बेड पे उल्टा लेती थी. मैं जाके मम्मी की कमर की साइड पे बैठ के उनकी कमर में धीरे से तोड़ा-तोड़ा गरम तेल डालने लगा.

मा को मज़ा आ रहा था. उनकी कमर बहुत ही सेन्सिटिव थी, तो वो मोन करने लगी. मा की मोनिंग सुन के मैं उत्तेजित होने लगा. मैं हल्के हाथो से मा की कमर दबाने लगा, और मा आहें भरने लगी.

मैं: अब अछा लग रहा है?

मा: हा बहुत मज़ा आ रहा है. तू ऐसे ही दबाता रह.

मैं: तब आपको फुल बॉडी मसाज लेनी होगी.

मा: आइडिया मस्त है.

ये बोल कर मा अपने ब्लाउस के हुक खोल के लेट गयी. मा की नंगी पीठ देख कर मेरे लंड से प्रेकुं निकालने लगा. मॅन कर रहा था मा की चाटने लग जौ, और उनकी पीठ को नोच खाने का मॅन कर रहा था. मैं मा की पूरी पीठ पर तेल डाल के धीरे-धीरे मालिश करने लगा, और मा मालिश के मज़े लेते हुए आहें भरने लगी.

मा: उंह, तू तो बहुत ही अची मसाज करता है. तुझे तो मायेयर बनना चाहिए.

मैं: हा तो आप रख लो मुझे अपना पर्सनल मायेयर. जब चाहो तब मसाज करवा सकती हो.

मा: और फीस क्या देनी होगी?

मैं: आप इतनी खूबसूरत हो, आपके इस खूबसूरत बदन को छूने को मिलेगा, इतना ही मोरे तन एनफ है फीस के लिए.

मा: आअहह! दिन बा दिन तू बहुत ही नॉटी होता जेया रहा है.

मैं: आपको देख कर शरारत करने का मॅन करता है, तो मैं क्या कर सकता हू?

मा: कम से कम अपने नॉटी डर्टी माइंड को कंट्रोल तो कर सकता है.

मैं: वही तो, आपकी खूबसूरती के आयेज मेरा विल पवर घुटने टेक देता है.

मा: तुझे मेरे अलावा किसी और की खूबसूरती नही दिखती क्या?

मैं: जिस बंदे को भगवान ने आप जैसी खूबसूरत मा दी हो, उसे किसी और की खूबसूरती देखने की क्या ज़रूरत?

मा: तू हमेशा अपनी मा की खूबसूरती में डूबा रहता है. किसी और की खूबसूरती कैसे दिखेगी तुझे शैतान?

मैं: आपने ही मेरी शैतानी को बढ़ावा दे-दे के मुझे बिगाड़ा है.

मा: मेरे इक-लौटे बच्चे को मैं नही बिगाड़ूँगी तो दुनिया बिगाड़ देगी.

मैं: आप जैसी खूबसूरत मा मिले तो कोई भी बिगड़ जाएगा.

मा: हा कम से कम तुझे तो मेरी खूबसूरती दिखती है. वरना तेरे पापा के नज़रों में मैं तो अब बुद्धि औरत बन चुकी हू.

मैं: मेरी नज़रों में आप हमेशा मेरी खूबसूरत मा रहोगी. थे हॉटेस्ट मदर इन थे वर्ल्ड.

मा: चल बहुत हुआ मा के साथ फ्लर्ट. अब थोड़े पैर दबा दे.

मैं: अपनी मा के पैर दबाना तो पुण्या का काम है.

असल में मुझे पता था की पैर दबाने के बहाने मा मुझे अपनी छूट की दर्शन देना चाहती थी, और अपनी मा की छूट की दर्शन कों सा बेटा नही चाहता. मा और मेरा रिश्ता कुछ ऐसा ही है. मा को बहुत आचे से मालूम है मैं उनका दीवाना था. उनके जिस्म पे लट्तू था. पलंग-तोड़ छोड़ना चाहता था उन्हे.

और इसी बात का फ़ायदा उठा कर मा मुझे बड़ी बेरेहमी से तड़पति थी, अपने जिस्म की छ्होटी-छ्होटी झलक दे कर. पर जब भी मैं मा के करीब जाने की कोशिश करता, मा मुझसे डोर भाग जाती थी. मा अब मेरी तरफ मूह करके बिस्तर पर लेती थी.

मैं धीरे-धीरे उनकी सारी घुटनो तक उठाया. हाए इतने चिकने पैर थे मा के, की क्या बतौ. जिस किसी ने भी कहा की मा के चरण बेटे के लिए जन्नत होते है, वो ज़रूर अपनी मा को कामुक निगाहों से देखता था. मान कर रहा था चाटने लागू मा की पैर.

मा: शैतान, ऐसे अपनी मा की पैर को कों घूरता है?

मैं: मेरी तरह जिसे अपनी मा के चर्नो में जन्नत दिखती है.

मा: तो फिर जन्नत की सेवा में लग जेया, इंतेज़ार किसका है?

मैं मा के पैर दबाने लगा. दोनो पैर दबाने के बाद जब मैं बिस्तर से उठ कर जाने लगा, तो मा बोली-

मा: इतनी जल्दी कहा जेया रहा है? असली जन्नत तो घुटनो के उपर है.

ये बोल के मा अपनी सारी उपर करके मुझे अपने मोटी-मोटी जांघें दिखाने लगी. मैं बिस्तर पर बैठ गया. मा ने अपने दोनो पैर मेरी गोद में रख दिए. मेरा लंड एक-दूं पत्थर जैसा हार्ड हो चुका था. मा के पैर मेरे लंड पे थे. मा धीरे-धीरे अपने दोनो पैरों से मेरा लंड दबाने लगी.

वो अपने पैरों से मेरे लंड के साथ खेल रही थी, जिस कारण मेरा अंडरवेर मेरा 7 इंच के लंड को ज़्यादा देर अपनी क़ैद में नही रख पाया. लंड का टोपा बाहर निकल आया, और उससे प्रेकुं की धारा बहने लगी, और मा की पैर पे गिरने लगी.

मा अपने रिघ्त पैर के थंब से मेरे टोपे को सहलाने लगी, और दूसरे पैर से मेरी पंत नीचे खींच कर लंड को क़ैद से आज़ाद कर दिया. आज़ाद होने के बाद मेरा काला लंड ब्लॅक मांबा की तरह अपना फन फैला कर झटपटाने लगी.

मा के पैर मेरे गाढ़े प्रेकुं से भीग चुके थे. वो धीरे-धीरे अपनी रिघ्त लेग उपर करके मेरे लिप्स को अपने थंब से सहलाने लगी. मुझसे रहा नही गया. मैं मा की उंगली मूह में लेकर चूसने लगा.

अपने ही रस्स की स्वाद मा की पैर से ले रहा था मैं. तीस सेन्सेशन वाज़ टू मच फॉर मे. फिर मैं मा के लेफ्ट पैर पे झाड़ गया. फिर भी मैं सॅटिस्फाइड नही था. मैं और भी हॉर्नी फील कर रहा था.

मा: तूने तो पूरा राएता फैला दिया. अब इसे सॉफ कों करेगा?

मैं मा का इशारा समझ गया, और मा के दोनो पैर चाट-चाट के सॉफ करने लगा. मा भी सुख से आहें भरने लगी और मैं भी. थोड़ी देर बाद जब मैने मा के दोनो पैरों से अपना रस्स चाट कर सॉफ कर दिया, मा ने अपने दोनो पैर फैला कर मेरे दोनो कंधों पर रखे, और मुझे मा की छूट के दर्शन मिले.

पूरी क्लीन शेव्ड थी, सिर्फ़ छूट के उपर ट्राइंगल शेप के ट्रिम किए हुए बाल थे, जो मा की छूट को और भी सेडक्टिव लुक दे रहे थे. मोटे-मोटे पुसी लिप्स के बीच से पिंक कट. और वाहा से मा की अमृत रस्स की धारा प्रवाहित हो कर मा की सारी पे गिर रही थी.

मा की छूट मैं पहले भी बहुत देख चुका था, पर जितनी बार भी देखु कभी बोर नही होता. मॅन कर रहा था की मा के दोनो पैर फैला कर उनके पैरों के बीच अपना मूह डाल के सारा रस्स पी जौ. फिर मा की आवाज़ से अचानक मेरा ध्यान भंग हुआ.

मा: इतनी गौर से क्या देख रहा है साइटान?

मैं: जो आप दिखा रही हो मा, स्वर्ग का द्वार. बहुत खूबसूरत है.

मा: कमीना कही का. वाहा नज़र मत डाल, उस द्वार से तू एक बार बाहर निकल चुका है. अब फिरसे अंदर घुसने का सोच रहा है तो भूल जेया. वाहा से सिर्फ़ तेरे पापा को अंदर घुसने का अधिकार है.

मैं: पर आपका बेटे होने के तहत मुझे भी उस द्वार से अंदर घुसने का अधिकार मिलना चाहिए. कम आए कम एक बार.

मा: वो स्वर्गिया सुख का द्वार है बेटा. वाहा से जो एक बार अंदर घुसेगा, उसे बार-बार घुसने का मॅन करेगा. उसके बगैर जी नही पाएगा.

मैं: तो फिर मैं बार-बार उस द्वार से प्रवेश करूँगा और चरम सुख की प्राप्ति करूँगा.

मा: मा के स्वर्ग द्वार से बेटे का घुसना माना है बेटा. वरना नरक में भी जगह नही मिलेगी.

मैं: वो बाद की बात है मा. जब तक ज़िंदा हू, तब तक कम से कम स्वर्ग का सुख भोग करने का हक नही है क्या मुझे?

मा: कुछ हक दिए नही जाते बेटा, ले लेने पड़ते है.

ये बोल कर मा ने अपने दोनो पैर पूरी तरह फैला दिए. मैं टूट पड़ा मा की छूट पे.

आयेज क्या हुआ जानने के लिए इंतेज़ार कीजिए नेक्स्ट पार्ट का.

और हा, कॉमेंट में अपनी फीडबॅक ज़रूर दीजिएगा. अगर मुझसे बात करने के मॅन करता है, तो कॉंटॅक्ट मे अट

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