बरसात की रात एक लड़की के साथ

मैंने उसे थोड़ा इंतज़ार करने को कहा, मैं अनुष्का को बोला- अगर तुम ठीक समझो तो आज रात मेरे रूम पर रुक जाओ, कल सन्डे है, कल चले जाना, क्योंकि उसका पीजी शहर के दूसरी तरफ़ हमारे ऑफिस के नजदीक था।

तो पहले तो वो तैयार न हुई, परन्तु मेरे ज्यादा जोर देने पे वो बोली- पर सर, मेरे पास कोई कपड़ा तो है नहीं, मैं कपड़े कैसे सुखाऊँगी?

मैंने उसे कहा- तुम मेरी शर्ट पहन लेना, वैसे भी तुम जीन्स और शर्ट ही पहनती हो, रात को सोने के लिए भी मेरा ही नाईट सूट पहन लेना! ये गीले कपड़े रात को धो कर डाल देंगे, कल तक ये सूख जायेंगे, कल रविवार है, तुम कल को जाते हुए यही कपड़े पहन लेना।
तो वो मेरे पास ही रुकने को तैयार हो गई।

अनुष्का ने नीचे मेरी पैंट की तरफ देखा तो वो मेरा खड़ा लंड देखकर थोड़ी शर्मा सी गई।

हम कुछ देर और वहीं पे रुके, परन्तु जब देखा कि बरसात नहीं रुक रही है तो हम बारिश में ही अपने रूम की तरफ निकल गए।

मेरा रूम जिस एरिया में था, वहाँ आबादी कम थी, और मेरे रूम के अलावा वहाँ दो रूम और थे, परन्तु वो अभी किसी ने भी नहीं लिए थे, इस लिए वहाँ ताला लगा हुआ था।

रूम में पहुँच कर मैंने अनुष्का को अपने कपड़े बदलने के लिए दिए। अनुष्का नहाने और कपड़े बदलने के लिए बाथरूम में चली गई।
मैं भी अपने कपड़े बदल कर किचन चला गया, मैंने चाय के साथ स्नैक्स बना लिए।

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जब वो वापिस आई, मैंने चाय के साथ स्नैक्स उसके सामने रख दिए, तो वो बोली- ओह सर, इसकी क्या जरूरत थी।
अनुष्का का बदन बहुत सेक्सी लग रहा था।

मैंने कहा- कोई बात नहीं, ये लो!

हमने चाय पी और उसके बाद मैं खाना बनाने लगा तो अनुष्का बोली- अरे सर, आप खुद बनाते हो खाना?
मैंने कहा- खाना तो यहाँ पर टिफन सर्विस से आता है लेकिन जैसे आज बरसात का मौसम है, मुझे नहीं मालूम कि टिफिन सर्विस आएगी यहाँ पर! वो फ़ोन भी पिक नहीं कर रहे हैं इसलिए इमरजेंसी के लिए खुद भी तैयार करना पड़ जाता है।

तो अनुष्का बोली- नहीं सर, आप रहने दीजिये, खाना आज मैं बनाऊँगी, आप जाओ नहा लो।

अनुष्का के जोर देने पर मैं मान गया।

मैं जब तक नहा कर आया, तब तक अनुष्का ने खाना बना लिया था, हम दोनों ने एक साथ खाना खाया।

बाहर बरसात लगातार हो रही थी, बिजली भी बंद हो चुकी थी, हमारे रूम में इनवर्टर की वजह से रोशनी तो थी, परन्तु टी वी नहीं चल रहा था, तूफ़ान और बरसात की वजह से केबल टूट चुकी थी।

मेरे रूम में एक ही बैड लगा हुआ था, मुझे कभी दूसरे बैड की जरूरत ही महसूस नहीं हुई थी।
अनुष्का हिचकचाते हुए बोली- सर, हम दोनों एक ही बैड पर…!
मैंने कहा- नहीं अनुष्का, तुम ऊपर सो जाओ, मैं नीचे चटाई पर सो जाता हूँ।

वो बोली- नहीं, मैं नीचे सो जाती हूँ।
मैंने कहा- नहीं, तुम काँप रही थी, तुम्हें सर्दी लग जायेगी, वैसे भी आज तुम मेरी मेहमान हो, हम मेहमानों को नीचे नहीं सुलाते। मैं ही नीचे सोऊंगा।

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वो बोली- नहीं, आपको भी सर्दी लग सकती है।

खैर ऐसे ही कुछ देर बहस करने के बाद यह तय हुआ कि हम दोनों ही बैड पे सोयेंगे, आखिर हम एक ऑफिस में काम करते हैं तो हम एक दूसरे के दोस्त भी तो हैं।

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