मेरी फ़ुफ़ेरी बहन की शादी में उसकी चुत की चुदाई

सुनीता ब्यूटी पार्लर चलाती थी और खुद को बहुत मेंटेन किये हुए थी।

मैं सबसे दूर अपने कुछ दोस्तों के साथ अलग बैठा था क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि किसी को पता चले कि मैंने दारू चढ़ा रखी है।
पर नेहा ने एक बच्चे को भेज कर मुझे बुलाया और बोली- अमित, तुम मुझसे बात क्यों नहीं कर रहे? अभी तक नाराज हो क्या?
मैं बोला- मैं होता कौन हूँ नाराज होने वाला? मेरी औकात ही क्या है?
नेहा ने ही बोला था कि तेरी ओकात क्या है?
आज उसी की बात उसे ही बोल दी।

नेहा बोली- तूने दारू पी रखी है?
मैंने बोला- हाँ पी है, पर तुमने जो धोखा दिया था, उसके नशे से तो बहुत कम नशा है दारू में!

3 दिन ऐसे ही निकल गए, नेहा मुझे देखती रही, मैं सुनीता को देखता रहा। सुनीता लगभग लगभग मुझसे पट चुकी थी, बस कहने भर की देर थी।
अगले दिन नेहा को लेकर बाजार जाना था, उसने मेरे साथ जाने की बात कही तो घर वालों के कहने पर ना चाहते हुए भी मुझे उसे लेकर जाना पड़ा।

बाजार में वो बोली- एक रेस्टोरेंट पर गाड़ी ले लो, मुझे तुमसे कुछ बात करनी है।
मैंने एक काफी कैफे पर गाड़ी रोक दी, वहाँ जाकर हम बैठ गए, वो बोली- ये क्या है अमित? तुम ये क्या कर रहे हो? मेरे घर में मेरी ही शादी में मुझे इग्नोर कर रहे हो? मेरी बेस्ट फ्रेंड मुझसे ज्यादा तुम्हारे साथ रह रही है? रोज दारू पी रहे हो, आखिर तुम चाहते क्या हो?
मैंने बोला- देख नेहा, तू तेरी लाइफ जी… मैं अपनी जी रहा हूँ! वैसे भी तेरी महरबानी से मैं क्या से क्या हो गया हूँ। अब वो कालू इस दुनिया में नहीं रहा!

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वो बोली- आखरी बार तुझसे कुछ मांग रही हूँ, मैं कुछ दिन की मेहमान हूँ, फिर तो शादी करके चली जाऊँगी, तब तक फिर से मेरा दोस्त बन जा, मैं भी उस दोस्ती को बहुत याद करती हूँ।
मैं बोला- देख, अब हम दोस्त नहीं बन सकते क्योंकि दोस्ती के लायक रिश्ता तूने रखा नहीं है।
वो नाराज हो गई और बोली- चल घर चलते हैं।

हमने बाजार से कुछ खरीदा भी नहीं और हम घर आ गए, उसने घर आकर बोल दिया कि आज दुकाने बंद थी तो हम वापस आ गए, अब फिर किसी दिन चले जाएँगे।
उसके बाद 2 दिन और निकल गए, नेहा अपनी ही शादी में खुश नहीं थी, उसका पूरा ध्यान मुझ पर और सुनीता पर होता था।
और मैं उसे जलाने के लिए और मजा ले रहा था, मैं भी बहुत तड़फा था उसके लिए… आज उसे परेशान देख के अच्छा लग रहा था।

अगली सुबह नेहा ने मुझे अपने कमरे में बुलाया, बोली- अमित मैं तुम्हारी गर्लफ्रेंड बनना चाहती हूँ, मेरी शादी में दस दिन बचे हैं, और ये दस दिन मैं तुम्हारे साथ बिताना चाहती हूँ, तुम्हारी होकर बिताना चाहती हूँ!
ऐसा बोल कर वो मुझसे लिपट गई और रोने लगी।

दोस्तो, जिन्दगी भी अजीब खेल खेल रही थी, आज नेहा मेरे इतना करीब थी, मैं भी पिघल गया और उसे कस के गले लगा लिया।

उस दिन पूरा दिन नेहा के चेहरे की रंगत देखने लायक थी, वो चहक रही थी, खुश थी। उस दिन हम बाजार गए, उसने हर चीज मेरी पसंद की ली। हमने खूब बातें की, मैं भी बहुत खुश था, मेरी जान मेरे साथ थी। पर इस बात का गम भी था कि वो किसी और की होने वाली है।

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शाम को नाचने गाने की महफ़िल जमने वाली थी, उससे पहले मैं नेहा के कमरे में गया, उससे बोला- होंठ पर एक चुम्मा दे ना!
वो बोली- अमित यह गलत है!
मैं बोला- कुछ गलत नहीं है!
और उसकी ओर अपने होंठ बढ़ाए।

वो मेरी आँखों मैं देखने लगी और हमारे होंठ मिल गए ‘मूऊऊ ऊह्ह ऊउमूऊह…’ उस दिन वो मेरे होठों को ऐसे चूस रही थी कि बरसों के प्रेमी मिले हों।
क्या अहसास था! नेहा की शादी मैं उसी के रूम में एक दूसरे की बाहों में!
एक सपने की तरह लग रहा था!
और नेहा तो ऐसे मेरे होठों को चूस रही थी कि किसी बच्चे को उसकी पसंदीदा आइसक्रीम मिल गई हो और वो उसे बिना देर किए खाने लगे!

मेरे तो पैर ही जमीन पर नहीं थे!
जिस नेहा ने मुझे इतना भला बुरा बोल कर मुझे मेरी औकात दिखाई थी, आज वो मेरे इतने करीब थी। एक नई दुल्हन बनने वाली लड़की जो हर तरह से सजी संवरी हुई थी, मेरे पास थी।

दोस्तो, लाइफ का एक फंडा है जिस चीज से हम दूर भागते हैं, वो हमारे पास होती है। सीधी सी बात है जो हमारे पास होता है उसकी कद्र नहीं होती और जो दूर होता है उसकी चाहत होती है।

उस रूम में अच्छे से होठों को चूसने के बाद शाम को होने वाले नाच गाने में हम शामिल हुए, नेहा एक पलंग पर सज संवर कर बैठी थी और सब नाच रहे थे।
मैं भी उसके पास ही बैठा था, हम दोनों चोर निगाह से एक दूसरे को देख रहे थे जैसे कोई प्रेमी प्रेमिका एक दूसरे को देखते हैं।

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