आंटी की गांद पर लंड रगड़ा – देसी कहानी

दूसरे दिन मुझे याद आई आंटी वाली बात और मैने आंटी को कॉल की. के आप की तरफ किस टाइम अओन साइज़ लेने के लिए? वो बोली जब आपको टाइम मिले आ जाएँ, मई घर पे ही हूँ.

फिर मई शोरुम मे बिज़ी हो गया. क्लाइंट्स का आना जाना शुरू हो गया. ऐसे ही 3 – 4 दिन गुज़र गये, मई बहुत बिज़ी रहा इन दीनो मे.

मैने किसी भी जगह साइज़ लेने अगर जाना होता था. तो पहले अपने ओनर को बता के जाना होता था. 3-4 दिन बाद मैने अपने ओनर को बताया के ऐसे एक क्लाइंट आए थे. (उनको मैने यह नही बताया के आंटी थी वो) और उनका वोरकस टॉप का काम है.

उन्होने कहा के इतना छोटा सा काम है इसके लिए स्पेशल ना जाओ. जब कभी बहरिया का चक्कर लगा फिर चले जाना. मई खामोश हो गया और अपना काम करने लगा.

यून ही तकरीबन एक महीना गुज़र गया और मई जा ना सका. इस टाइम के डॉरॅन आंटी ने भी रबता नही किया.

रमज़ान गुज़र गया एईद गुज़र गयी एईद पे मई घर च्लला गया. एईद से जब वापिस आया तो मेरे भाई ने मुझे पैसे दिए थे और उसने कहा के मेरे लिए मोबाइल ले कर आना.

उसने मुझे 8000 पाकर दिए थे. मैने सोचा ये पैसे बहुत काम हैं, इनसे अछा मोबाइल नही आएगा. मैने उसको कहा के वेट करो जब मुझे सॅलरी मिलेगी तो मई कुछ पैसे अपने पास से डाल कर तुम्हे मोबाइल ले दूँगा.

15-20 दिन बाद मुझे सॅलरी मिल गयी और मैने प्रोग्राम बनाया के इस फ्राइडे को मोबाइल माराकेट जौंगा. (फ्राइडे को हमे छूटे होती थी). हमे तो फ्राइडे को छूटे होती थी बुत मार्केट्स ज़ूमा की नमाज़ के बाद ओपन होती थी. (इंपीरीयल माराकेट राजा बाज़ार).

जो लोग रॅवॉल्पींडी मे रहते हैं उनको पता होगा इंपीरीयल मार्केट का. सो मई ज़ूमा की नमाज़ के बाद लंच कर के राजा बाज़ार चला गया. मई जब भी राजा बाज़ार जाता हूँ. वहाँ गर्ल्स और आंटीस की गांद पे हाथ ज़रूर फायर्ता हूँ और जो आयेज से माइंड ना करे उसका पीछा नही चोर्ता.

बुत उस दिन मई ज़रा एक्शिटेड था मोबाइल लेने की खुशी मे. मुझे मोबाइल की खरेदारी करना अछा लगता है. मई इंपीरीयल माराकेट मे हर शॉप पे 15000 की रंगे के मोबाइल देख रहा था.

अचानक मेरी नज़र पड़ी. वो वोही आंटी थी जो हमारे शोवर्रों आई थी और उसके साथ 2 बच्चे थे. एक बचा 8 साल का था और दूसरा 10 साल का (जो के मुझे बाद मे पता चला).

वो भी माराकेट मे से सॅमसंग स6 एड्ज ढूंड रहे थे सॉफ कंडीशन मे. मुझे तब पता चला जब मैने उनका पीछा किया. वो जिस दुकान पर भी जाते उससे स6 का पूछत.

खैर मई उनको भी नज़र मे रखते हुए अपना मोबाइल भी देख रहा था. फिर वो दूसरी गली से बहिर निकल गये और उन्होने मोबाइल बाइ नही किया.

मई भी उन के पीछे बाहर आ गया. मई पीछे पीछे रह रहा था क्यू के मई नही चाहता था के आंटी मुझे देखे और पहचान ले.

जब वो इंपीरीयल माराकेट से निकली और राजा बाज़ार की तरफ जाने के लिए रोड क्रॉस करने लगी. तो रोड पे रश होनी की वजा से रुक गये इसी डॉरॅन मई पीछे से जल्दी जल्दी गुज़रा. और आंटी के हिप्स के दरम्यान अपनी चारूण फिँगूरेस डाली और मूह दूसरी साइड कर के गुज़र गया.

आंटी बिल्कुल रोड पे ध्यान रखी अपने दोनो ब्छहू को पकरी हुए गरियूं के काम होनी का वेट कर र्ही थी. उसके एक हाथ मे एक बच्चे का हाथ, दूसरी हाथ मे दूसरी बच्चे का हाथ और शुलदर पे पर्स था. और बाल उरह रहे थे ब्ररी कमाल चीज़ लग रही थी.

उस ने वल्लोव कलर की शॉर्ट शर्ट पहनी थी जो के खुली थी और वाइट कलर की टाइट पहनी थी.

मेरा हाथ उसकी गांद के हिप्स को छूटा हुआ निकल गया. बुत उसको एहसास नही हुआ या शाएेद वो जान के चुप रही या शाएेद उसका ध्यान ट्रॅफिक पे था.

खैर मेरी हिमत बरह गयी और मैने सोचा अब तो इसका पीछा नही चोरँगा. मैने भी मोबाइल ना इलिया और आंटी के पीची पर गया. फ्र मजी जिद्र भी मोका मिलता मई आंटी की गांद मे उंगली डालता उसके साथ अपना लूँ टच करता.

उस दिन ज़ूमा की वजा से मैने शलवार आक्मीज़ पहनी थी और शलवार के नीची अंडरवेर नही पहनता. सो मेरा लंड टाइट हो गया जब उसकी गांद के क़रीब गया.

एक हगा पे बहुत रश था आंटी रुक गयी और मई पीछे से उसकी गांद के लंड गुस्सा के खरा था और बिल्कुल भी माइंड नही कर रही थी. और उसके दोनो हाथ उसके बच्चो के हतून मे थे और जिस साइड पे पर्स था वो वाला हाथ तोरा जिस्म से हटा हुआ भी था. जिस की वजा से जगा बनी हुई थी उसके बाज़ू के बीच मे.

मैने ये जगा डैखी और मोका पर कर वहाँ हाथ डाल के उसके बूब को पाकर लिया. ये मैने उस टाइम किया जब रश बहुत था और वो खड़ी थी. जब मैने उसका बूब पकरा उस ने अपना बाज़ू क्लोज़ क्र्लिया और मेरा हाथ दबा लिया. मैने हाथ खैचा और बाहर निकल लिया क्यू के अब वो चलनी लगी थी.

मेरा हाथ उसके बूब्स के पास पसीना की वजा से गीला हो गया और मई उसकेई स्मेल लेने लगा इतनी मे औंती आगी चल पड़ी. और पहचान माल मे छल्ली गयी.

माल के अंदर मई उसके पीछे नही गया मई बाहर खरा इंतेज़ार कर रहा था. थोरी देर बाद आंटी बाहर आई और कुछ बच्चो के कपरी शॉप मे उठाए हुए थे.

उनके बड़े बेटे ने भी एक शोपेर उठाया हुआ था. और वो परकिंग प्लाज़ा की तरफ छल्ल प्रर. मुझे अंज़ड़ा हो गया था के वो अब गारी की तरफ जा रहे है.

मई ये सोच के हैरान था के आंटी के साथ इतना कुछ हुआ उसकी गांद मे लोड्‍ा फसाया उसके दूध पकड़ा बुत उसने मूड के देख भी नही देखा कों है.

खायर मई भी अपनी बिके की जानिब आ गया. और मई परकिंग प्लाज़ा के पास खरा हो गया इतनी देर मे आंटी गार्री लाइ के निकली और मई ने बिके उन के पीछे लगा ली. राजा बाज़ार से कचहरी चोवोक तक पोनची मे 30 मिनिट्स लग गये.

क्यू के रश बहुत था. मई आंटी के पीछे ही था. और मैने सोचा इस के घर जौंगा आज.

(मेरी ये आदत होती थी के जब मई किसी का अड्रेस लिखता डाइयरी पे. तो फोन के अंदर पिक भी बना लैयता था. ताकि अगर डाइयरी ना हो तो फोन से ब्ंड़ा अड्रेस देख ले). उस दिन मेरी ये ट्रिक काम आ गयी.

मैने आंटी का पीछा छोरा और हार्डवेर की शॉप से मेषर्मेंट टेप ली. और एक बॉल पॉइंट ली और फोन से अड्रेस देखा और उसके घर की तरफ चल प्ररा. मई उसके घ्र पोनचा वो भी अभी ही पोनची थी. ब्कोज़ उनका गाते अभी ओपन था.

मैं बिके से उतरा बॉल वगेरा सेट किए, मेषर्मेंट टेप उतरी और अंदर चला गया. क्यू की गाते ओपन था और आंटी अबी गाड़ी मे ही थी. उनके बच्चे समान निकल रहे थे, साथ एक अंकल भी थे. वो उन के सेरवेंट थे जो के मुझे बाद मे टा चला.

मई आंटी की गारी के पीछे खरा था आंटी जब बाहर निकली मुझे देख पहचान लिया और बोला आप. मैने तो ग्रनाइट का ऑर्डर दे दिया है आप फोन कर के नही आए.

मैने बोला मई ड्र पास ही आया था मैने सोचा ये काम आज कर ही लून. आंटी मुस्कुरा के बोली ब्ररी जल्दी याद अइया प्को और अंदर चल पड़ी.

तोरा आगी जा क्रूक के पीछे मुर्री और बोली ग्रनाइट का ऑर्डर तो मैने दे दिया है आप आ जाएँ अंदर पानी वगेरा प लाइन. मई अंदर चला गया उन्हु ने ड्रॉयिंग रूम मे मुझे बिताया और अपने सर्वेंट को मुझे पानी देने के लिए बोला.

वो मेरे लिए कोक लाइ आया . मैने कोक का ग्लास टेबल से उठाया अबी मूह लगाया ही था ग्लास के साथ तो ड्रॉयिंग रूम का डोर ओपन हुआ और आंटी अंदर दाखिल हुईं.

मई देख के हेरान हो गया के मेरे लिप्स ग्लास के साथ ही रुक गये और अंखाईं उप्र जाम हो गईं आंटी को दाकनी मे मगन हो गया. आंटी बोली सॉरी मई चेंज कर रही थी.

आंटी ने बहुत क्‍मल का ड्रेस पहना था जिस से उन के जिस्म के परता बिकुल वाज़ेहा नज़र आ रहे थे और उन्हूँ ने जो ब्रा पहनी थी वो भी बहुत पतली और ढीली थी जिस से मजर उन के बूब्स की निपलेस का अंदाज़ा हो रहा था .

और वो बाल पीछे को करते हुए मेरे पास वाली सोफी पे बैठ गईं और मुझे कहनी अछा आप वॉर्डरोब्स का काम भी करते है, मैने बोला ग करते है.

उनी कहा आएँ मई आपको अपनी वॉर्डरोब दिखती हूँ उसके अंदर मुझे थोरी सी मॉडिफिकेशन छाएँ. मई ने ग्लास सामने रखी टेबल पे रखा और उठा और आंटी के साथ चल प्ररा.

जब आंटी के बेड रूम मे दाखिल हुआ उसने वॉर्डरोब ओपन की वॉर्डरोब के अंदर औती के ब्राज़ेर,नाइट सूट्स, अंडर वेर्ज़ और ऐसी चियाज़ैईन पड़ी तीन जिनको देख के मुझे तो श्रम महसूस हो र्ही थी बुत शाएेद उसको नही.

वो मेरे आगी थी वॉर्डरोब को ओपन के के खरी थी और मई उसके पीछे था. मेरे बिल्कुल पीछे ही वॉशरूम का डोर था और मई मज़ीद पीछे नही हो सकता था.

आंटी ने वॉर्डरोब का ड्रॉयर ओपन किया जिसकी एआजा से वो और पीछे को हुई और झुकी हुई थी मई उसके बिल्कुल साथ पिछत खरा था उसकी गांद मेरा साथ लगी और शलवार के अंदर मेरा लॉरा हिलनी लगा.

वो अभी झुकी हुई थी के मेरे लोरे ने ज़ोर से उपर की जानिब प्रेशर मारा और उसकी गांद की बीच मे जेया लगा. जिससे वो अचानक पीछे मूड के डैखहनी लगी और थोरी सीधी हुई. मई जान बुझ के तोरा आयेज हुआ और फिर से अपना लॉरा उसकी गांद के बीच मे टच किया.

उसने पीछे मूड के मेरे लंड की तरफ देखा और उसका मूह खुला रह गया. और मेरे लंड को देखते देखते वॉर्डरोब का डोर बंद करने लगी.

आयेज की कहानी अगले पार्ट मे.

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