एक बार फिर मैं अपना हाथ उसकी चूत पर ले गया.. इस बार उसने मुझे चूत को टच करने दिया।
उफफ्फ़.. क्या मस्त मुलायम चूत थी.. मैं अपना लंड उसकी टांगों के बीच में आगे-पीछे कर रहा था।
मैं तो उसे चोदने के लिए पागल हो रहा था। मैंने उसकी सलवार की नाड़ा खोल दिया.. उसने रोका नहीं। फिर उसकी पैंटी भी उतार दी.. उसका जिस्म क्या मुलायम और नरम था.. मजा आ गया।
मेरा गरमा-गरम लंड उसकी नरम-नरम गाण्ड के बीच चला गया और मेरा हाथ उसकी चूत पर था। उसकी चूत रस सर भीगी हुई थी। मैं उसे सहलाता रहा.. कभी उसकी बुर की दरार में उंगली डालता.. तो कभी उसकी बुर के छोटे-छोटे बालों को सहलाता।
फिर मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में अन्दर डाल दी.. वो चिहुंक गई और उसने अपनी पैरों को सिकोड़ लिया।
मैंने उससे पूछा- कैसा लग रहा है?
उसने बोला- मैं पागल हो रही हूँ.. इससे अच्छा मुझे कभी नहीं लगा।
मैंने उससे कहा- और भी मज़ा आएगा.. तुम रेडी हो?
उसने बोला- हाँ..
फिर मैं नीचे होकर उसकी बुर को चाटने लगा। इससे वो काँपने लगी। ट्रेन फुल स्पीड में चली जा रही थी।
कुछ देर मैं उसे ऐसे ही चाटता रहा.. उसके बाद मैंने पोजीशन बना कर अपने लंड को उसकी चूत से टच किया और फिर उसे रगड़ने लगा।
वो आँखें बंद किए हुई लेटी थी।
मैंने उसे थोड़ा नीचे खींचा और फिर अपने मोटे लंड को उसकी बुर की दरार में रखा.. फिर उसके छेद पर लंड का सुपारा लगा दिया। जैसे ही मेरे लंड का सुपारा उसकी चूत के छेद पर लगा.. वो उसे अन्दर लेने के लिए बेकरार हो गई और अपनी कमर ऊपर करके मेरे लंड को अन्दर लेना चाह रही थी। मेरा भी लंड उसकी बुर के अन्दर जाने को बेताब था। मैं थोड़ा ताक़त लगा कर अपने लंड को उसके छेद में डालने की कोशिश करने लगा।
कसी हुई चूत
पहले तो मेरे लंड को अपने अन्दर लेने के लिए उसने अपने पैरों को फैलाया था.. लेकिन जैसे ही मेरे लंड का सुपारा अन्दर गया.. उसने अपने पैर भींच लिए और तड़फने लगी।
उसकी चूत बहुत टाइट थी।
मुझे भी लगा कि साली चिल्ला पड़ी तो समस्या हो जाएगी इसलिए मैं बहुत ऐहतियात से कर रहा था।
एक-दो बार कोशिश करने के बाद मेरे लंड का सुपारा उसकी कोमल चूत के अन्दर घुस गया था। मुझे लगा मेरा लंड का सुपारा उसकी चूत की रिंग में फंस गया और मेरे लंड को अन्दर जाने से कुछ रोक सा रहा था।
कुछ देर वैसे ही रहने के बाद उसने अपने पैरों को ढीला किया और उसी पल मैंने ताक़त लगा कर मेरे लंड को और अन्दर पेल दिया। ‘उम्म्म्म..’ उसके मुँह से घुटी सी आवाज़ निकली.. मैंने उसके मुँह पर अपना हाथ लगा रखा था।
मेरा आधा लंड उसके चूत के अन्दर हो गया था।
मैं एक-एक इंच का मज़ा ले रहा था।
कुछ देर तक मैं अपने आधे लंड ही उसे पेलता रहा।
अब वो भी मेरा पूरा लंड अन्दर लेने को रेडी थी। मैंने पूरा लण्ड उसकी चूत के अन्दर ठोक दिया। ‘उफ़फ्फ़.. क्या मस्त आनन्द आ रहा था।
क्या मस्त लड़की थी.. क्या मस्त कसी हुई चूत थी उसकी।
कुछ देर वो सामान्य हुई और अब मैं जम के धक्के पे धक्का लगाता जा रहा था, वो भी कमर उठा कर चुदाई का मज़े ले रही थी।